दुबई में अरब इंजीनियर ने मजदूर लड़के को इंग्लिश बोलते देखा, फिर जो किया उसने देख सबके होश उड़ गए!

रेगिस्तान की तपती रेत में छिपा हुआ कोहिनूर: शकील अहमद की प्रेरणादायक कहानी

क्या होता है जब रेगिस्तान की तपती रेत में एक हीरा अपनी चमक छिपाए गुमनामी की धूल में दबा हो? क्या काबिलियत सिर्फ ऊंची डिग्रियों और महंगे सूटों में ही बसती है, या वह फटे हुए पसीने से तर-बतर मजदूर के लिबास में भी सांस ले सकती है?

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यह कहानी है शकील अहमद की, जो दुबई के एक मजदूर थे। उनके हाथों में तो पत्थर तोड़ने वाले औजार थे, लेकिन उनके दिमाग में दुनिया की सबसे मुश्किल इमारतों के नक्शे बसे हुए थे। शकील उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के एक होनहार छात्र थे, जिन्होंने इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया था। लेकिन परिवार की मजबूरियों ने उन्हें सपनों को छोड़कर दुबई में मजदूरी करनी पड़ी।

दुबई की तपती धूप में लोहे की भारी सरिया उठाते-उठाते शकील अक्सर अपने दोस्त से अंग्रेजी में इंजीनियरिंग की बातें करते। एक दिन वहां के प्रमुख इंजीनियर मिस्टर खालिद अल मुबारक ने शकील को अंग्रेजी बोलते सुना और हैरान रह गए। शकील की बातें सुनकर मिस्टर खालिद को समझ आ गया कि यह कोई आम मजदूर नहीं, बल्कि छिपा हुआ हीरा है।

मिस्टर खालिद ने शकील को ऑफिस बुलाया और उसकी पूरी कहानी सुनी। फिर शकील को कंपनी में असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिया। शकील ने अपनी मेहनत और ज्ञान से कंपनी के कई मुश्किल प्रोजेक्ट्स को सफल बनाया। उसकी काबिलियत देखकर दुबई के शाही खानदान के शेख हमदान अल नाहियान ने भी उसे बड़ा पद देने की मंजूरी दी।

आज शकील अहमद दुबई के सबसे बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट का असिस्टेंट मैनेजर है। लेकिन वह आज भी वही विनम्र और जमीन से जुड़ा इंसान है, जो अपने जैसे मजदूरों की मदद करता है। उसने मजदूरों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए तनख्वाह बढ़वाई, सुरक्षा के इंतजाम करवाए और उनके साथ बैठकर उनका दुख-सुख साझा किया।

शकील की कहानी हमें सिखाती है कि हुनर और काबिलियत किसी भी लिबास में हो सकती है। जरूरत है तो सिर्फ ऐसी नजरों की जो धूल में छिपे हीरे को पहचान सकें।

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