रेगिस्तान में जब अकेली लड़की एक बूढ़े आदमी के पास आई तब बूढ़े आदमी ने क्या किया

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राजस्थान के रेगिस्तान के बीच एक सुनसान इलाके में, बालू के विशाल टीले फैले हुए थे। उन टीलों के बीच एक छोटा सा कच्चा मिट्टी का घर था, जहां 70 साल का एक बूढ़ा अकेला रहता था। उसका नाम हरिदास था। हरिदास की जिंदगी बहुत ही सादा और एकांत भरी थी। वह दिन भर अपने खेतों में काम करता और शाम को थक कर उस छोटी सी झोपड़ी में लौट आता। उसकी कोई संतान नहीं थी, और न ही कोई रिश्तेदार।

एक रात, जब पूरा इलाका गहरी नींद में था, अचानक दरवाजे पर जोर से ठक-ठक की आवाज़ हुई। हरिदास की नींद खुल गई। उसने सोचा, “यहाँ इस सुनसान जगह पर इतनी देर रात कौन आएगा?” लेकिन आवाज़ लगातार बढ़ती जा रही थी। वह धीरे-धीरे उठ कर दरवाज़ा खोलने गया। बाहर एक युवा और सुंदर लड़की खड़ी थी। उसका नाम सीमा था।

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सीमा ने बताया कि वह अजमेर जा रही थी, लेकिन रास्ता भटक गई है और अब उसे कहीं रुकने की जरूरत है। उसने विनम्रता से अनुरोध किया कि क्या वह एक रात उसके घर में रह सकती है। हरिदास ने उसकी बात सुनी और उसे अंदर आने दिया। सीमा ने घर के एक कोने में आराम से लेट कर सोने की कोशिश की, लेकिन रात के अंतिम पहर में उसे लगा कि कोई उसके पास है। उसने धीरे-धीरे आंखें खोलीं और देखा कि हरिदास उसके पास खड़ा था। उसकी आंखों में एक अजीब चमक थी, जो सीमा को घबराहट में डाल गई।

हरिदास ने कहा कि उसे ठंड लग रही होगी, इसलिए वह चादर लेकर आया है। सीमा ने चादर ली और फिर सो गई। लेकिन हरिदास की आँखें उस पर टिकी रहीं, जैसे उसकी कोई पुरानी लालसा जाग गई हो। सुबह सीमा ने धन्यवाद दिया और जाने की तैयारी की। पर हरिदास ने उसे रोकते हुए कहा कि अजमेर बहुत दूर है और उसे आज रात यहां रुकना होगा। सीमा ने मना किया, लेकिन हरिदास ने उसकी बात मान ली और वह रुक गई।

रात को फिर से हरिदास सीमा के पास गया और उसके बालों को प्यार से सहलाने लगा। सीमा डर गई और उठ बैठी। हरिदास ने कहा कि वह केवल उसका तकिया देने आया था। सीमा ने उसे डांटा और कहा कि वह उसे परेशान न करे। फिर भी, हरिदास के मन में सीमा के लिए एक गहरी प्यास थी, जो दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी।

अगले दिन सीमा ने पूछा कि क्या अजमेर जाने का काफिला आ गया है। हरिदास ने कहा कि काफिला अभी नहीं आया है, लेकिन शाम तक आ सकता है। सीमा ने ठाना कि चाहे काफिला आए या न आए, वह आज रात यहीं रहेगी और सुबह निकल जाएगी। हरिदास ने खुशी से सिर हिलाया।

दिन भर हरिदास सीमा को दूर से देखता रहा, उसकी आंखों में एक अजीब चमक थी। शाम को जब सीमा जाने की कोशिश करने लगी, तो हरिदास ने उसे रोक लिया। उसने कहा कि रेगिस्तान में रात को जाना खतरनाक हो सकता है, जंगली जानवर भी घूमते हैं। सीमा ने सोचा कि यह एक चाल है, लेकिन फिर भी वह रुक गई।

रात को सीमा पूरी तरह सतर्क थी। वह अपनी बिस्तर पर लेटी थी लेकिन जागती रही। हरिदास धीरे-धीरे उसके पास आया, उसके पैर मालिश करने लगा, लेकिन सीमा की हल्की सी हलचल से वह डर गया और पीछे हट गया। सीमा ने आंखें खोलीं, लेकिन कुछ नहीं कहा।

सुबह सीमा ने पूछा कि काफिला आया क्या? हरिदास ने कहा नहीं। सीमा ने गुस्से में कहा कि वह अब और नहीं रह सकती। वह जाने लगी, लेकिन हरिदास ने रास्ता रोक लिया। उसने कहा कि सीमा जिसे अजमेर में ढूंढ रही है, वह शायद यहीं कहीं है। सीमा ने पूछा कि वह कैसे जानता है, लेकिन हरिदास ने कहा कि वह अभी सब कुछ नहीं बता सकता।

सीमा ने फैसला किया कि वह एक और रात रुकेगी। उस रात हरिदास ने सीमा को प्यार से देखा और उसका हाथ पकड़ लिया। सीमा ने उसे दूर किया और गुस्से में कहा कि वह उसे पसंद नहीं करती। फिर भी, हरिदास की आंखों में एक इंतजार था।

अगली सुबह सीमा उठी और घर से बाहर निकली। तभी उसकी नजर एक युवक पर पड़ी, जो झोपड़ी के एक कोने में बैठा था। वह युवक उसका पति नितिन था, जो कई दिनों से लापता था। सीमा खुशी से चिल्लाई और उसे गले लगा लिया। नितिन ने बताया कि वह कैसे बूढ़े आदमी और एक लड़की से मिला था, और कैसे एक जादू के कारण वह बूढ़ा बन गया था।

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नितिन ने कहा कि बूढ़ा वही था, और उसने सीमा की तलाश में इतने दिन बिताए। वह अपनी असली पहचान छुपाए हुए था ताकि सीमा की सुरक्षा कर सके। सीमा ने उसे माफ कर दिया और दोनों ने मिलकर नया जीवन शुरू किया।

यह कहानी सिखाती है कि सच्चा प्यार हर परिस्थिति में टिकता है, और धैर्य, वफादारी और सच्चाई से हर बाधा पार की जा सकती है। चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, अगर प्यार सच्चा हो तो वह हर परीक्षा में विजयी होता है।