जिसे गरीब कहकर घर से निकाला – आज उसी के ऑफिस में नौकरी माँगने पहुँची!

विवेक और पूजा की कहानी: दिखावे से परे

एक समय की बात है, एक परिवार में एक जवान लड़का रहता था जिसका नाम विवेक था। उसके माता-पिता हमेशा उससे कहते, “बेटा, अब तुम जवान हो गए हो, तुम्हारे लिए लड़की की तलाश करनी चाहिए।” विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं शादी जरूर करूंगा, लेकिन ऐसी लड़की से जो सच्ची हो, सीधी हो और गरीब घर की हो, जो हमें हमारी दौलत से नहीं, हमारी सच्चाई से प्यार करे।”

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बहुत खोजने के बाद उन्हें एक गरीब परिवार मिला, जिसमें एक सुंदर लड़की थी, पूजा। दोनों परिवारों ने शादी की बात की। जब लड़की देखने का दिन आया, तो विवेक ने एक फैसला किया। वह अपनी असली पहचान छुपाकर, साधारण कपड़े पहनकर, एक आम आदमी बनकर लड़की के घर गया ताकि देख सके कि लड़की और उसका परिवार उसे उसकी दौलत के बिना स्वीकार करेगा या नहीं।

पूजा छत पर चाय पी रही थी, जब उसकी मां ने आवाज लगाई कि लड़के वाले आ गए हैं। पूजा का मन हमेशा से किसी स्मार्ट सूट-बूट वाले लड़के का था। जब उसने विवेक को देखा, जो फटे पुराने कपड़ों में था, तो उसका चेहरा उतर गया। उसने अपनी मां से फुसफुसाया, “यह क्या है मां? भिखारी लग रहा है। मैं इससे शादी नहीं करूंगी।”

विवेक ने शांति से कहा, “मैं बिजनेस करता हूं।” पूजा ने ताना मारते हुए कहा, “किस तरह का बिजनेस? भीख मांगने का?” बातचीत के बीच माहौल ठंडा हो गया। विवेक के पिता बोले, “हमारा बेटा सीधा-सादा है, दिखावा नहीं करता।” पूजा की मां ने कहा, “लड़का तो सही लगता है, लेकिन हमें ऐसा लड़का नहीं चाहिए जो ढंग से कपड़े पहनना भी न जाने।”

विवेक मुस्कुराते हुए बोला, “अच्छे कपड़े पहनने से आदमी बड़ा नहीं बनता, सोच से बनता है।” पूजा ने हँसते हुए कहा, “बड़े-बड़े डायलॉग मारने से कोई अंबानी नहीं बन जाता।” रिश्ता वहीं खारिज हो गया।

कुछ हफ्तों बाद पूजा को शहर की एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिली। दिल्ली में उसका जीवन पूरी तरह बदल गया। ऑफिस की चमक-दमक, कॉर्पोरेट कल्चर, स्मार्ट लोग—सब कुछ नया था। तीन महीने बाद एक बड़े बिजनेस समिट का आयोजन हुआ, जिसमें वीएस ग्रुप के फाउंडर मिस्टर विवेक सिंह आने वाले थे।

पूजा को टीम लीडर ने बताया कि उसे विवेक सिंह का स्वागत करना है। अगले दिन जब विवेक एक काले रंग की Mercedes से उतरे, तो पूजा के पैरों तले जमीन खिसक गई। वही फटे हाल कपड़ों वाला लड़का आज करोड़ों की कंपनी का मालिक बन चुका था। विवेक ने पूजा को देखा और हल्की मुस्कान दी, बिना किसी ताने या गुस्से के।

विवेक ने मंच पर अपनी कहानी सुनाई कि कैसे उसने गरीबी से शुरुआत की, कैसे उसने एक छोटी सी दुकान से बड़ा ब्रांड बनाया। उसने कहा, “जो लोग सबसे कमजोर दिखते हैं, उनमें सबसे ज्यादा ताकत होती है।” पूजा शर्म से झुक गई, सोचने लगी कि उसने विवेक को केवल उसके कपड़ों के कारण ठुकराया था।

इवेंट के बाद पूजा ने हिम्मत जुटाकर विवेक से माफी मांगी। विवेक ने कहा, “मैं जानबूझकर फटे कपड़े पहनकर गया था ताकि देख सकूं कौन मेरे असली रूप को अपनाता है। तुम्हारा जजमेंट फेल हो गया।” उसने पूजा से कहा कि वह ऑफिस में एक सेशन करे, लोगों को सिखाने के लिए कि इंसान को उसके कपड़ों से नहीं, उसके किरदार से आंकना चाहिए।

पूजा ने यह सेशन रखा और अपनी कहानी साझा की। उसने बताया कि उसने विवेक को भिखारी समझा, लेकिन वह करोड़ों का मालिक निकला। उसने सबको यह संदेश दिया कि असली इंसानियत बाहर नहीं, दिल और सोच में होती है।

कुछ दिनों बाद पूजा को वीएस ग्रुप के वार्षिक चैरिटी गाला में आमंत्रित किया गया। वहां विवेक अपनी मंगेतर के साथ था। पूजा का दिल भारी था, लेकिन उसने स्वीकार किया कि उसने अपनी गलती से विवेक को खो दिया।

मंच पर विवेक ने कहा, “कभी-कभी जो लोग तुम्हें तोड़ते हैं, वही तुम्हें सबसे मजबूत बनाते हैं।” पूजा ने भी कहा, “मैंने इंसान को उसके कपड़ों से जज किया, लेकिन अब मैं दिल से देखती हूं।”

मीडिया ने पूछा, “क्या आप दोनों फिर साथ हैं?” विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम साथ हैं, एक नई शुरुआत के साथ, जो कपड़ों से नहीं, दिलों से जुड़ा है।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि असली अमीरी और इंसानियत दिखावे से नहीं, सोच और दिल से होती है। कभी भी किसी को उसके बाहरी रूप से आंकना गलत होता है क्योंकि असली पहचान उसके अंदर छिपी होती है।

अगर आप चाहें तो मैं इस कहानी को और भी विस्तार से या छोटे संस्करण में लिख सकता हूँ।