करोड़पति ने गुस्से में आकर लॉटरी का टिकट फेंक दिया तो एक गरीब बच्चे ने उठा लिया, बाद में पता चला की
परिचय
क्या होता है जब किस्मत आपके दरवाजे पर दस्तक देती है, लेकिन आप गुस्से में उसे ठुकरा देते हैं? यह कहानी एक अमीर बिजनेसमैन विवान मेनन और एक गरीब कचरा बिनने वाले बच्चे मन्नू और उसके पिता जोसेफ की है। जब विवान ने अपनी निराशा में लॉटरी के टिकट फेंक दिए, तो उसने अपनी किस्मत को ठोकर मारी। दूसरी ओर, जब जोसेफ और मन्नू को वह टिकट मिला, तो उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया जिसने इंसानियत की मिसाल कायम की।
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विवान मेनन की कहानी
विवान मेनन, 40 वर्षीय एक सफल बिजनेसमैन, ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से एक बड़ी आईटी कंपनी बनाई थी। लेकिन उसकी जिंदगी में अकेलापन और निराशा छाई हुई थी। उसकी पत्नी उसे छोड़ चुकी थी, और वह अपनी सफलता के पीछे भागते-भागते रिश्तों और खुशियों को खो चुका था। एक दिन, एक बड़ी डील के कैंसिल होने पर, उसने गुस्से में आकर लॉटरी के चार टिकट फेंक दिए।
जोसेफ और मन्नू का संघर्ष
वहीं दूसरी ओर, जोसेफ, एक गरीब मछुआरा, और उसका बेटा मन्नू कचरा बिनने का काम करते थे। मन्नू ने अपनी पढ़ाई छोड़कर अपने परिवार की मदद करने का निर्णय लिया था। एक दिन, मन्नू ने विवान द्वारा फेंके गए लॉटरी के टिकटों को उठाया। जब जोसेफ ने उन टिकटों की कीमत को जाना, तो वह हैरान रह गए।
ईमानदारी का निर्णय
जोसेफ ने अपने परिवार को बताया कि यह पैसा उनका नहीं है और उन्होंने तय किया कि वे टिकट के असली मालिक को लौटाएंगे। यह निर्णय उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उनकी ईमानदारी ने उन्हें मजबूती दी। उन्होंने रोज़ चाय की दुकान के पास बैठकर विवान का इंतज़ार किया।
विवान की खोज
विवान ने जब समझा कि उसने अपनी किस्मत को खो दिया है, तो वह उस चाय की दुकान पर गया। वहीं, जोसेफ और मन्नू ने उसे टिकट लौटाया। विवान ने उनकी ईमानदारी को देखा और उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने महसूस किया कि असली दौलत केवल पैसे में नहीं, बल्कि ईमानदारी में होती है।
एक नया अध्याय
विवान ने लॉटरी का इनाम लेते समय ऐलान किया कि असली विजेता जोसेफ और मन्नू हैं। उसने आधी रकम उनके नाम की और यह भी कहा कि उसकी कंपनी मन्नू की पढ़ाई का खर्च उठाएगी। यह कहानी पूरे देश में एक मिसाल बन गई।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दौलत इंसान के चरित्र और उसके जमीर में होती है। ईमानदारी का इनाम कभी न कभी मिलता है, और यह हमें याद दिलाती है कि हमें गुस्से में कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिसका पछतावा हो।
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