पापा धर्मेंद्र को लेकर ईशा देओल हुईं भावुक 😢, संपत्ति अधिकारों पर सनी देओल और बॉबी देओल को लेकर दी प्रतिक्रिया!

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परिचय

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन 24 नवंबर 2025 को हुआ, और उनके परिवार पर यह समय बेहद कठिन था। उनकी दो पत्नियाँ, हेमा मालिनी और प्रकाश कौर, और उनके बच्चे, सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल और अहाना देओल, इस दुखद घड़ी में एक साथ नहीं दिखाई दिए। धर्मेंद्र की मौत के बाद परिवार के भीतर उभरे विवादों ने मीडिया की सुर्खियाँ बना दीं। ईशा देओल, जो धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की बेटी हैं, ने अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त किया।

हालांकि, धर्मेंद्र के निधन के बाद परिवार के भीतर जो विवाद सामने आया, उससे सोशल मीडिया पर खासी हलचल मच गई है। कई रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में सनी देओल और हेमा मालिनी को एक दूसरे से अलग दिखाया गया है, जिससे एक नए विवाद की शुरुआत हुई। इस लेख में हम ईशा देओल की प्रतिक्रिया, सनी देओल और बॉबी देओल पर लग रहे आरोपों और परिवार के अंदर के संघर्ष को विस्तार से समझेंगे।Esha Deol got emotional after papa Dharmendra, Reacts on Sunny Deol, Bobby  Deol for Property rights!


ईशा देओल की प्रतिक्रिया

धर्मेंद्र की मृत्यु के बाद, उनकी बेटी ईशा देओल ने एक इमोशनल पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “आई मिस यू पापा।” इस पोस्ट में ईशा ने अपने पिता के साथ बिताए गए समय को याद किया और बताया कि वह एक पारंपरिक घराने में पली-बढ़ी थीं। ईशा ने यह भी साझा किया कि उनके पिता धर्मेंद्र ने कभी नहीं चाहा था कि वह फिल्मों में आएं, और उनका मानना था कि फिल्मी दुनिया से दूर रहना ही बेहतर था। हालांकि, ईशा ने अपने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए एक अलग रास्ता चुना और फिल्मों में काम किया।

ईशा ने यह भी कहा कि उनका परिवार बहुत पारंपरिक था, और धर्मेंद्र के साथ उनका रिश्ता बहुत ही सशक्त था। वह हमेशा अपने पिता की तरह बनना चाहती थीं, जो एक आदर्श पिता और पति थे। धर्मेंद्र की मृत्यु ने ईशा को मानसिक रूप से तोड़ दिया, और वह इस गहरे शोक को सहन करने की कोशिश कर रही हैं।


परिवार के अंदर के विवाद

धर्मेंद्र की अंतिम यात्रा और उनके अस्थि विसर्जन को लेकर परिवार के भीतर बहुत तनाव और विवाद उत्पन्न हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईशा और अहाना को सनी देओल और बॉबी देओल के साथ एकजुट होकर धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार की मुख्य पूजा में शामिल होने का अवसर नहीं मिला। इसके बजाय, हेमा मालिनी ने अपने घर पर एक अलग पूजा आयोजित की, जिसमें पंडितों द्वारा धर्मेंद्र की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएँ की गईं।

इसी बीच, सोशल मीडिया पर यह भी आरोप लगाए गए कि सनी देओल और बॉबी देओल ने जानबूझकर अपनी सौतेली मां हेमा मालिनी और अपनी बहनों को मुख्य प्रार्थना सभा में शामिल नहीं किया, जिससे यह संकेत मिला कि परिवार के अंदर संपत्ति और अधिकारों को लेकर गहरे विवाद हैं।

यह स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई जब यह बताया गया कि ईशा और अहाना को परिवार की ओर से निमंत्रण नहीं मिला। कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि यह पारिवारिक विभाजन लंबे समय से चल रहा था और अब यह एक सार्वजनिक मुद्दा बन चुका है। सोशल मीडिया पर इस विभाजन को लेकर जमकर बहस हो रही थी, और लोग सनी देओल और बॉबी देओल पर गुस्सा जाहिर कर रहे थे। एक तरफ लोग यह आरोप लगा रहे थे कि यह परिवार का दुर्भाग्य है, वहीं दूसरी तरफ कई यूजर्स ने सनी देओल और बॉबी देओल का समर्थन किया।


धर्मेंद्र की संपत्ति पर विवाद

धर्मेंद्र की मृत्यु के बाद, उनकी संपत्ति और वसीयत को लेकर भी अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। खासकर यह सवाल उठने लगा कि धर्मेंद्र की संपत्ति के अधिकार किसे मिलेंगे। एक ओर यह आरोप लगे कि सनी और बॉबी ने अपनी सौतेली मां और बहनों को दरकिनार किया, वहीं दूसरी ओर ईशा और अहाना ने यह बयान दिया कि उनका इस संपत्ति के विवाद से कोई लेना-देना नहीं है।

ईशा देओल और उनके परिवार ने यह स्पष्ट किया कि उनका ध्यान केवल धर्मेंद्र की आत्मा की शांति पर था और संपत्ति पर उनका कोई भी दावा नहीं है। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह तर्क रखा गया कि परिवार का यह विभाजन केवल संपत्ति और अधिकारों के लिए हो रहा है, और यह उनके रिश्तों को नुकसान पहुँचा रहा है।


सनी देओल पर आरोप

सनी देओल के ऊपर आरोप यह लगाए जा रहे थे कि उन्होंने परिवार के अन्य सदस्य—हेमा मालिनी और उनकी बेटियों—को धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका नहीं दिया। कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि सनी और बॉबी देओल का यह व्यवहार बहुत ही आत्मकेंद्रित और स्वार्थी था।

हालाँकि, सनी देओल ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल अपने पिता की आत्मा की शांति था, और वह किसी को भी दुख नहीं देना चाहते थे। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार के अंदर कभी भी कोई विवाद नहीं था, और यह सभी गलतफहमियाँ हैं।

सनी देओल का यह कहना था कि उन्होंने धर्मेंद्र की इच्छाओं का सम्मान किया और किसी प्रकार का विवाद नहीं चाहता था। यह मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था, और लोग इस परिवार की व्यक्तिगत समस्याओं को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दे रहे थे।


हेमा मालिनी और उनकी बेटियों का पक्ष

हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ ईशा और अहाना इस पूरे मामले में काफी शांत नजर आईं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कभी भी इस विवाद पर बयान नहीं दिया। हालांकि, कई रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ इस दुखद घड़ी में भी पूरी तरह से सहानुभूतिपूर्वक प्रतिक्रिया दे रही थीं और धर्मेंद्र की मृत्यु पर शोक मना रही थीं।

हेमा मालिनी ने यह भी कहा था कि उनका ध्यान केवल धर्मेंद्र की आत्मा की शांति पर था, और वह किसी प्रकार के संपत्ति विवाद या परिवार के अंदर के संघर्षों में नहीं उलझना चाहती थीं। उनकी बातों से यह साफ था कि वह इस समय परिवार के अंदर के विवादों से ऊपर उठकर अपने पति को श्रद्धांजलि देना चाहती थीं।


मीडिया का रुख और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ

धर्मेंद्र के निधन और परिवार के अंदर चल रहे विवाद के बाद, मीडिया और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कई लोग इस पारिवारिक संघर्ष पर गहरी नाराजगी व्यक्त कर रहे थे। उन्हें यह दुख हो रहा था कि एक दुखद घड़ी में परिवार के सदस्य एक-दूसरे से अलग हो गए।

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने सनी देओल और बॉबी देओल को कठघरे में खड़ा किया और उन्हें धर्मेंद्र की अस्मिता और संपत्ति के लिए उनकी सौतेली माँ और बहनों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया। वहीं, दूसरी ओर, सनी देओल और बॉबी देओल के समर्थकों ने कहा कि यह व्यक्तिगत मामला है और लोगों को इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए।


निष्कर्ष

धर्मेंद्र के निधन के बाद, उनके परिवार में जो विवाद सामने आया है, वह सिर्फ एक परिवार का निजी मामला नहीं बल्कि बॉलीवुड और समाज के लिए एक संदेश भी है। यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे एक परिवार के अंदर संपत्ति और अधिकारों के लिए संघर्ष हो सकता है, जबकि एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद शांति और सम्मान का सबसे ज्यादा महत्व होना चाहिए।

ईशा देओल, हेमा मालिनी, सनी देओल और बॉबी देओल ने अपनी-अपनी भावनाओं का इज़हार किया है, और यह निश्चित रूप से एक चुनौतीपूर्ण समय है। अब यह देखना होगा कि यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है और परिवार के भीतर क्या समझौते होते हैं।

समय के साथ शायद यह विवाद सुलझ जाए, लेकिन इसने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि एक परिवार के अंदर रिश्तों का सम्मान करते हुए, व्यक्तिगत मामलों को मीडिया और समाज में किस हद तक लाना उचित है।