एक बेघर लड़की को कूड़ेदान में एक लावारिस बच्चा मिलता है – जो एक अरबपति का अपहृत बेटा निकलता है।

शादी की पहली रात, जब मैंने अपनी पत्नी को देखा, तो उसकी सांवली काली शक्ल देखकर मेरा दिल भर आया। मैं गुस्से में था और उसी वक्त उसे तलाक देने वाला था। लेकिन अचानक, उसने मेरे कदमों में गिरकर रोते हुए कहा, “आप चाहे तो दूसरी शादी कर लीजिए, लेकिन मुझे इस घर में रहने दीजिए। मैं किसी कोने में पड़ी रहूंगी। बस इस छत से महरूम मत कीजिए।” उस वक्त मैंने फैसला किया कि एक हसीन लड़की से निकाह करूंगा और उसे इस घर में ले आऊंगा।

पहले विवाह का निर्णय

मेरी पहली पत्नी, आरफा, घर के सभी काम करने लगी। घर के सब लोग खुश थे क्योंकि उन्हें मुफ्त की एक नौकरानी मिल गई थी। लेकिन एक रात ऐसा हुआ कि मेरी रूह कांप गई। मैं घर के बाहर खड़ा था। अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने कांपते हाथों से दरवाजा खोला और जो मंजर मेरी आंखों के सामने था, उसने मेरे पांव तले जमीन खींच ली।

अतीत की यादें

सर्दी के बावजूद पसीना माथे से बह रहा था। आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मैं अतीत की यादों में खो गया। तीन साल पहले, जब मैं लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़कर वापस आया था, तो मेरी शख्सियत बिल्कुल निखर चुकी थी। मैं बहुत ही लायक और काबिल था। जल्दी ही मुझे एक बेहतरीन नौकरी मिल गई थी। मेरे घर आने की खुशी में मेरी मां ने पूरे खानदान को दावत पर बुलाया था। खानदान की लड़कियां चोरी-छिपे मुझे देख रही थीं, और हर मां की यही तमन्ना थी कि मैं उनका दामाद बनूं।

शादी के लिए चयन

इस सब ने मिलकर मेरी शख्सियत में एक अजीब सा घमंड पैदा कर दिया। दावत के दौरान ही मैंने सोच लिया कि मेरी दुल्हन मेरी टक्कर की होनी चाहिए। यह ख्याल मेरे दिल में इस तरह बैठ गया कि अब कोई भी लड़की मुझे आसानी से पसंद नहीं आती थी। शादी की तैयारियों में मेरी मां ने कहा कि वह मेरे लिए हीरे जैसी लड़की ढूंढेंगी। मैंने चुपचाप उनकी बात मान ली।

पहली मुलाकात

एक दिन, जब मैं नौकरी से घर आया, तो माहौल कुछ अलग सा लगा। घर में रौनक थी। मैंने ड्राइंग रूम में झांका। एक अजनबी औरत मुझे देखते ही मुस्कुराई और मेरे पास आई। वह मेरी फूफी थीं। उन्होंने कहा, “माशा अल्लाह, कितना बड़ा हो गया है मेरा बेटा।” मैंने उन्हें पहचान नहीं पाया, लेकिन मेरी मां ने बताया कि वह दूसरे शहर से आई हैं।

रिश्ते की प्रस्तावना

अगली सुबह, मेरी मां ने कहा, “तुम्हारी फूफी यहां इसलिए आई हैं कि तुम्हें अपना दामाद बना सकें।” मैं हैरान रह गया। मेरी मां ने लड़की को देख लिया था और कहा, “वह बहुत अच्छी है, बहुत ही खूबसूरत है।” मैंने कहा, “मुझे शादी से पहले लड़की को एक बार देखना चाहिये।” मेरी मां ने कहा, “तुम फिक्र मत करो, मैंने उसे देख लिया है।”

शादी की तैयारियां

शादी की तैयारियों में मैंने बहुत कोशिश की कि किसी तरह उस लड़की से बात हो सके, लेकिन पता चला कि वह लोग इतने गरीब हैं कि लड़की के पास मोबाइल तक नहीं है। शादी का दिन आ गया। मैंने रुपये पैसे पानी की तरह बहा दिए। बारात लेकर हमें दूसरे शहर जाना था। वहां पहुंचकर निकाह हो गया। लेकिन दुल्हन वालों की तरफ से खाने का कोई इंतजाम नहीं था। मुझे बेहद गुस्सा आया। यह तो मेरी खुली बेइज्जती थी।

दुल्हन का सामना

जब मेरी दुल्हन को मेरे बराबर बिठाया गया, तो मैंने उसे देखा। वह लंबे कद की थी और उसके चेहरे पर घूंघट था। मैंने घूंघट उठाया और जो नजारा सामने आया, उसने मेरे होश उड़ा दिए। वह मेरी फूफी की बेटी थी। उसकी रंगत बहुत गहरी और काली थी। मुझे उस पर घृणा सी महसूस हुई। मैंने कहा, “तुम मेरे मापदंड के लायक नहीं हो।” उसकी आंखों में आंसू भर आए।

तलाक की धमकी

मैंने कहा, “मैं तुम्हें छोड़ दूंगा, तलाक दे दूंगा।” उसकी आंखों में डर और बेबसी थी। वह मेरे पैरों पर गिर गई और बोली, “खुदा के लिए मुझे मत छोड़ना।” मुझे उस पर दया नहीं आई। मैंने उसे कमरे से बाहर निकाल दिया और बाहर जाकर सोचने लगा।

मां का अत्याचार

एक रात मैंने देखा कि मेरी मां आरफा पर जुल्म कर रही थी। वह उसके हाथ-पांव बांधकर उसे पीट रही थी। मैंने फौरन अंदर जाकर अपनी मां को रोका। मैंने कहा, “अगर फूफी ने आपका मजाक उड़ाया था तो वह उनका गुनाह है। इस मासूम की क्या गलती है?” मेरी मां चुप हो गईं। मैंने आरफा के बंधे हुए हाथ खोल दिए।

आरफा का दर्द

आरफा ने एक नजर मुझ पर डाली, जिसमें सब कुछ था। मैंने महसूस किया कि मैंने उसके साथ कितना बड़ा अन्याय किया है। मैंने कहा, “आरफा, मैं तुम्हारे लिए एक अलग मकान किराए पर लूंगा ताकि तुम सुकून से जिंदगी गुजार सको।” उसकी आंखों में चमक आ गई। मैंने अपने एक दोस्त से किराए का मकान मांग लिया।

नया जीवन

आरफा अपने नए घर में चली गई। अब वह वहां सारा दिन घर के कामकाज करती, नमाज पढ़ती और कुरान की तिलावत करती। उसके चेहरे पर अब वही सुकून और रोशनी झलकने लगी थी। मैं अक्सर शाम के वक्त उसके पास जाता और उसके लिए फल या खाने की चीजें लेकर आता। धीरे-धीरे हमारे बीच वो करीबी और भरोसा वापस आ गया जो बरसों पहले टूट चुका था।

सच्ची खूबसूरती

मैंने यह स्वीकार किया कि असली खूबसूरती चेहरे या जिस्म में नहीं होती, बल्कि इंसान के अखलाक में होती है। मैंने अपने वैवाहिक रिश्ते भी उसके साथ दोबारा कायम कर लिए। अब वह खुश रहने लगी थी। उसके लहजे में शुक्रगुजारी झलकने लगी थी। मैंने तय कर लिया था कि अब किसी पर जुल्म नहीं होने दूंगा।

निष्कर्ष

इस कहानी ने मुझे यह सिखाया कि किसी इंसान, मर्द या औरत के चेहरे, रंग या शक्ल का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। हमारी बेटियों का ख्याल रखना चाहिए। जब कोई अपनी बेटी आपको देता है, तो वह अपने दिल का एक टुकड़ा आपके हवाले करता है। हमें उनकी इज्जत करनी चाहिए और उनकी जिंदगी में मोहब्बत, तहफ्फुज, फुज और वकार देना चाहिए।

आखिर में, दुआ है: “ऐ खुदा, हमारी बेटियों के नसीब में इज्जत, सुकून और खुशियां लिख दे। हमें ताकत दे कि हम किसी के दुख का सबब न बने, बल्कि मुसीबत में उसका हाथ थामने वाले बने। आमीन।”

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