कहानी: इंसानियत की असली पहचान
शहर के एक शानदार रेस्टोरेंट “भोजन” में रोज़ की तरह भीड़ थी। रेस्टोरेंट के मैनेजर रोहन शर्मा अपने घमंड और बदतमीजी के लिए मशहूर थे। अक्सर गरीबों के साथ उनका बर्ताव बहुत ही अपमानजनक होता था। शिकायतें लगातार मालिक तक पहुंच रही थीं कि गरीबों से बुरा व्यवहार किया जाता है, उनसे ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं और उन्हें रेस्टोरेंट से बाहर निकाल दिया जाता है।
“भोजन” रेस्टोरेंट के मालिक, राजेंद्र यादव, जिन्हें सब ‘राजा साहब’ कहते थे, कभी खुद भूख और गरीबी में जीवन बिताते थे। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अरबपति बनकर यह रेस्टोरेंट गरीबों को सस्ते और अच्छे खाने के लिए खोला था। लेकिन अब उन्हें अपने ही रेस्टोरेंट में हो रही नाइंसाफी का यकीन नहीं हो रहा था।
राजा साहब ने सच जानने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने अपने कीमती कपड़े उतार दिए, पुराने फटे कपड़े पहने, चेहरा गंदा कर लिया और एक गरीब बूढ़े ‘रहीम चाचा’ के भेष में अपने ही रेस्टोरेंट पहुंचे। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि यह गरीब फकीर असल में करोड़पति मालिक है।

जैसे ही रहीम चाचा रेस्टोरेंट में दाखिल हुए, मैनेजर रोहन शर्मा ने उन्हें घूरते हुए कहा,
“ओए, कौन है तू? अंदर कैसे आ गया? यहां कोई लंगर नहीं चलता, निकल बाहर!”
रहीम चाचा ने कांपती आवाज़ में कहा,
“बेटा, क्या यहां गरीबों को भी खाना मिल सकता है? मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं।”
रोहन ने हंसते हुए कहा,
“यहां भिखारियों के लिए कोई जगह नहीं, चल निकल!”
वहीं खड़े वेटर फरहान ने रहीम चाचा की हालत देखी और नरमी से बोला,
“आइए चाचा, बैठिए। मैं आपके लिए पानी और थोड़ा खाना ले आता हूं।”
फरहान ने अपने हिस्से का खाना रहीम चाचा को दे दिया। रहीम चाचा ने फरहान की आंखों में सच्ची हमदर्दी देखी और शुक्रिया अदा किया।
इसी दौरान रहीम चाचा ने देखा कि एक गरीब परिवार से रोहन ने ज्यादा पैसे मांगे और उन्हें डांटकर भगा दिया, जबकि अमीर ग्राहकों से वह बहुत नरमी से पेश आ रहा था। रहीम चाचा का दिल दुख और गुस्से से भर गया।
खाना खत्म करके रहीम चाचा ने फरहान से राजा साहब का नंबर मांगा। फरहान ने ईमानदारी से हेड ऑफिस का ईमेल दिया और कहा,
“अगर आपको कोई शिकायत है, तो जरूर बताइए, मैं भी जानता हूं कि यहां कुछ गलत हो रहा है।”
रहीम चाचा ने फरहान को धन्यवाद दिया और रेस्टोरेंट से बाहर चले गए।
अगले दिन राजा साहब अपने असली रूप में दफ्तर पहुंचे और अपने भरोसेमंद साथी सचिन के साथ रेस्टोरेंट का सीसीटीवी फुटेज देखा। उन्हें सब कुछ साफ दिख गया—रोहन की बदतमीजी, ओवरचार्जिंग और फरहान की इंसानियत।
राजा साहब ने तुरंत रोहन और उसके साथियों को बुलाया।
“रोहन, क्या तुम बता सकते हो कि यह सब क्या है?”
सीसीटीवी फुटेज देखकर रोहन के होश उड़ गए। राजा साहब ने गुस्से में कहा,
“यह रहीम चाचा कोई और नहीं, मैं था! तुमने मेरे रेस्टोरेंट की बुनियाद को अपने लालच और घमंड से कुचल डाला।”
राजा साहब ने रोहन और उसके साथियों को नौकरी से निकाल दिया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए।
फिर राजा साहब ने फरहान को बुलाया।
“फरहान, क्या तुम मुझे पहचानते हो?”
फरहान हैरान रह गया,
“आप… आप वही हैं जो कल रेस्टोरेंट में आए थे?”
राजा साहब मुस्कुराए,
“हाँ बेटा, और तुमने मुझे इज्जत दी, खाना खिलाया, जब सबने मुझे अपमानित किया। आज से तुम इस रेस्टोरेंट के नए मैनेजर हो। तुम्हारी इंसानियत ही इस रेस्टोरेंट की असली पहचान है।”
फरहान की आंखों में खुशी के आंसू थे। राजा साहब ने फिर से ‘भोजन’ रेस्टोरेंट को इंसानियत और ईमानदारी की राह पर ला दिया।
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