गरीब लड़की ने कांपते भिखारी को सिर्फ कंबल दिया, बदले में जो मिला इंसानियत हिल गया 

एक बार की बात है, शहर के एक कोने में रिया नाम की एक साधारण गरीब लड़की अपनी बीमार मां के साथ एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहती थी। एक दिन उसकी मां को तेज बुखार आ गया। रिया ने मेहनत मजदूरी करके ₹500 इकट्ठा किए थे, जो उसकी और उसकी मां की जिंदगी की सारी पूंजी थी। अपनी मां के इलाज के लिए दवा लेने वह शहर के एक पॉश इलाके की तरफ गई।

रास्ते में, एक आलिशान मॉल के बाहर फुटपाथ पर उसने एक बुजुर्ग को ठंड में कांपते देखा, जिसके पास ओढ़ने के लिए कुछ भी नहीं था। लोग उस बुजुर्ग की मदद करने के बजाय उसे झिड़क रहे थे। रिया भी पहले अपनी मां के बारे में सोचकर रुक गई, लेकिन फिर उसकी इंसानियत जाग गई। उसने अपने पास के पैसे से एक कंबल खरीदा और बुजुर्ग को दे दिया। बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे, और उसने रिया को एक पुराना सा लिफाफा देते हुए कहा, “जब भी तुम्हें मेरी मदद की जरूरत पड़े, इस पते पर आ जाना।”

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रिया दवा लिए बिना मायूस होकर घर लौट आई और मां को सब सच-सच बता दिया। मां ने कहा, “तूने सही किया बेटी, इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं।”

अगले दिन मां की तबियत और बिगड़ गई। डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी, जिसकी कीमत बहुत ज्यादा थी। रिया टूट चुकी थी। तब उसे बुजुर्ग द्वारा दिया लिफाफा याद आया। वह सीधा उस पते पर पहुंची। वहां एक भव्य बंगला था। गेटकीपर ने मना किया, लेकिन अंदर से एक आदमी आया और बोला, “क्या तुम रिया हो? मालिक तुम्हें बुला रहे हैं।”

रिया अंदर गई तो हैरान रह गई। सामने वही बुजुर्ग था, अब सूट-बूट में। उन्होंने बताया, “मैं ही अविनाश सेठ हूं, इस शहर का बड़ा कारोबारी। मैं अपने असली वारिस की तलाश में भिखारी बन गया था। मेरे बेटे ने मुझे पैसे के लिए धोखा दिया, लेकिन तुमने अपने पास की अंतिम पूंजी भी परोपकार में खर्च कर दी। तुम्हारी इंसानियत ने मुझे छू लिया।”

अविनाश सेठ ने रिया की मां का इलाज कराया और सारा कारोबार व संपत्ति उसे सौंप दी। रिया रोते हुए बोली, “मुझे आपके पैसे नहीं चाहिए, मुझे तो बस मेरी मां चाहिए थी।” सेठ ने कहा, “बेटी, तुमने मुझे परिवार लौटा दिया है। अब मेरी दौलत तुम्हारी है।”

कहानी हमें सिखाती है कि अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा ही होता है। इंसानियत से बढ़कर कोई धन नहीं। अगर आपके मन को यह कहानी छू गई हो, तो इसे जरूर साझा करें, ताकि और लोगों को भी अच्छाई की प्रेरणा मिले।