जब दरोगा ने बुजुर्ग को धक्का मार के गिराया…फिर जो हुआ, पूरा पुलिस डिपार्टमेंट हिल गया..

“इंसानियत की सीख – अमीनाबाद के बाजार से”
लखनऊ का अमीनाबाद बाजार आज कुछ ज्यादा ही व्यस्त था। हर तरफ गाड़ियों का शोर, लोगों की भीड़ और दुकानों की रौनक बाजार को जीवंत बना रही थी। शहर की कुछ सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित दुकानें इस बाजार की शोभा बढ़ा रही थीं। उन्हीं में से एक खिलौनों की दुकान पर एक बुजुर्ग व्यक्ति, उमाकांत दीक्षित, बड़ी देर से खिलौनों को निहार रहे थे। उनके चेहरे पर एक दादाजी वाली मुस्कान थी – आज उनके पोते का जन्मदिन था।
दुकान पर भीड़ इतनी थी कि दुकानदार उन तक पहुंच नहीं पा रहा था। बुजुर्ग सोच रहे थे कि कोई इन खिलौनों का दाम बता दे तो वह भी अपने पोते के लिए खिलौना खरीद लें। जैसे ही भीड़ थोड़ी कम हुई, दुकानदार उनके पास आया – “बताइए बाबूजी, आपको क्या चाहिए?”
बुजुर्ग बोले, “आज मेरे पोते का जन्मदिन है, कोई अच्छा सा खिलौना दिखाओ।”
दुकानदार ने कई खिलौने दिखाए और पूछा, “बाबूजी, इनमें से कौन सा पसंद है?”
दोनों खिलौनों की बात कर ही रहे थे कि तभी एक दरोगा, विनय, दुकान में घुस आया। उसने दुकानदार को डांटते हुए कहा, “आज फिर से दुकान के सामने अतिक्रमण किया है!”
दुकानदार घबराया, “सर, आपके मना करने के बाद से हमने कोई सामान बाहर नहीं रखा है। तो अतिक्रमण कैसा?”
दरोगा ने गुस्से से कहा, “एक तो अतिक्रमण करते हो, ऊपर से बहस भी करते हो।”
दुकानदार विवश था। उसने लगभग विनती करते हुए कहा, “सर, मैं आपको पहले भी कई बार पैसे दे चुका हूं। और इस बार तो मैंने कुछ भी गलत नहीं किया।”
दरोगा को दुकानदार की विनती चुभ गई। उसने चिल्लाकर कहा, “अगर यहां दुकान चलानी है तो पैसे देने पड़ेंगे।”
बुजुर्ग, जो यह सब देख रहे थे, शांत स्वर में बोले, “बेटा, तुम्हें यह वर्दी दूसरों का अपमान करने के लिए नहीं मिली है, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए मिली है।”
दरोगा, जो अपने पद के घमंड में था, भड़क गया – “जिस काम के लिए आए हो वह करो, मुझे सही-गलत का ज्ञान मत दो।”
बुजुर्ग बोले, “कोई गलत करे तो उसे सही राह दिखाना भी अच्छे नागरिक का कर्तव्य है।”
दरोगा और भड़क गया। उसने बुजुर्ग को धक्का देकर दुकान से बाहर कर दिया। सड़क पर गिरे बुजुर्ग अपमान और पीड़ा से कराहने लगे। यह दृश्य पूरे बाजार का ध्यान खींच रहा था। लोग गुस्से में थे, मगर डर के कारण कोई बोल नहीं रहा था।
बुजुर्ग, जिनका नाम उमाकांत दीक्षित था, अपने आप को संभालते हुए सड़क से हटकर एक बेंच पर बैठ गए। अपनी जेब से फोन निकालकर उन्होंने धीरे से कहा, “हेलो।”
उधर से आवाज आई, “हेलो पुलिस कंट्रोल रूम, अपनी समस्या बताइए।”
बुजुर्ग बोले, “अमीनाबाद थाने के दरोगा विनय ने मेरे साथ मारपीट की है, मैं उसके खिलाफ कंप्लेंट देना चाहता हूं।”
विभागीय मामला होने के कारण कंट्रोल रूम में सन्नाटा छा गया। कुछ देर बाद पूछा गया, “कृपया अपना नाम बताइए।”
बुजुर्ग बोले, “मेरा नाम उमाकांत दीक्षित है।”
नाम सुनकर कंट्रोल रूम के सीनियर अधिकारी चौंक गए, “सर, क्या आप वही उमाकांत दीक्षित हैं?”
“हां, मैं पूर्व आईजी उमाकांत दीक्षित बोल रहा हूं।”
पूरा कंट्रोल रूम सन्नाटे में आ गया। कुछ देर बाद सीनियर अधिकारी बोले, “सर, आप चिंता ना करें। कुछ ही देर में आपके पास टीम पहुंच रही है और आपकी कंप्लेंट भी दर्ज कर ली गई है।”
उमाकांत दीक्षित अपनी चोट से ज्यादा अपने अपमान से दुखी थे। पुलिस में रहते हुए उन्होंने हमेशा जनसेवा को प्राथमिकता दी थी, ना कि पावर और पैसा कमाने को। थोड़ी देर बाद पुलिस की गाड़ी आई, जिसमें एरिया के इंस्पेक्टर और सिपाही थे। सबने उमाकांत दीक्षित को सैल्यूट किया।
उमाकांत ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कड़क आवाज में पूछा, “मैंने जो कंप्लेंट दर्ज कराई थी, उसका क्या अपडेट है?”
इंस्पेक्टर थोड़ा घबरा गया, मगर बोला, “सर, दरोगा विनय को गिरफ्तार किया जा चुका है। आपको ज्यादा चोटें लग गई हैं, मैं आपकी ड्रेसिंग करवा देता हूं।”
बाजार के लोग यह नजारा देख रहे थे – कुछ देर पहले जिस बुजुर्ग को पुलिस वाले धक्का दे रहे थे, अब वही पुलिस वाले उनके सामने बच्चे की तरह खड़े थे।
पुलिस टीम ने उमाकांत दीक्षित की ड्रेसिंग करवाई और उन्हें चौकी में सम्मान के साथ कुर्सी दी।
बाजार फिर से अपनी गति पकड़ रहा था कि तभी पुलिस की कई गाड़ियां अमीनाबाद थाने के सामने रुकीं। उत्तर प्रदेश के डीजीपी राकेश मोहन खुद थाने पहुंचे। सभी पुलिस वालों ने सैल्यूट किया। राकेश मोहन सीधे उमाकांत दीक्षित के पास गए –
“सर, आपके साथ हुई दुर्घटना के लिए मैं माफी मांगता हूं।”
उमाकांत दीक्षित चुपचाप सुन रहे थे, या शायद सोच रहे थे – जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो आम जनता किसके पास शिकायत लेकर जाए?
राकेश मोहन बोले, “सर, आपके गुनाहगार को पकड़ लिया गया है। जल्द ही वह आपके सामने होगा।”
उमाकांत दीक्षित ने मायूसी से कहा, “मोहन, क्या तुम्हें याद है, तुमने कभी मेरे अंडर पुलिस ट्रेनिंग ली थी?”
राकेश मोहन बोले, “हां सर, मुझे याद है। आपने जो सिखाया, उसी की वजह से मैं आज इस मुकाम पर हूं।”
उमाकांत बोले, “मुझे खुशी है कि तुम्हें याद है। मगर दुख भी है कि मेरी दी हुई सीख बस अपने पास रखी। अगर यही सीख सब पुलिस वालों को दी होती तो यह घटना नहीं होती।”
राकेश मोहन का सिर शर्म से झुक गया।
“सर, विनय आपका दोषी है, उसकी सजा आप ही तय करें।”
कुछ देर बाद विनय को पुलिस वाले लेकर आए। बड़े अधिकारियों को देखकर विनय को समझ आ गया कि उसने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी है।
विनय ने हाथ जोड़कर कहा, “सर, मुझे माफ कर दीजिए, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है।”
उमाकांत बोले, “माफ उसे किया जाता है जिसे अपने किए का पछतावा हो। तुम तो अभी भी सिर्फ माफी मांगने का नाटक कर रहे हो।”
विनय बोला, “सर, अगर आप मुझे माफ नहीं करेंगे तो मेरी नौकरी चली जाएगी। मेरे माता-पिता वृद्ध हैं, मैं अकेला सहारा हूं।”
उमाकांत बोले, “बेटा, पुलिस की यूनिफार्म का मतलब दूसरों को सताना नहीं, उनकी रक्षा करना होता है। तुम्हारे दिल में ना बड़ों का सम्मान है, ना कानून की इज्जत।”
विनय ने फिर माफी मांगी।
उमाकांत बोले, “चिंता मत करो, तुम्हारी नौकरी नहीं जाएगी, मगर सजा जरूर मिलेगी। मैं चाहता हूं कि इसे सस्पेंड करके पुलिस ट्रेनिंग के लिए भेजा जाए, ताकि यह फिर से मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को समझ सके।”
विनय का सस्पेंशन लेटर लिखा जाने लगा।
राकेश मोहन बोले, “सर, आपने विनय को सजा नहीं, नया जीवन दिया है।”
उमाकांत बोले, “सजा किसी का जीवन बर्बाद करने के लिए नहीं, गलतियों को सुधारने के लिए दी जानी चाहिए।”
कहानी का संदेश:
दोस्तों, किसी भी गलती की सजा इतनी कठोर नहीं होनी चाहिए कि वह किसी का जीवन बर्बाद कर दे। सच्चा इंसान वही है जो इंसानियत और संवेदना को समझे। पुलिस की वर्दी पावर नहीं, सेवा का प्रतीक है।
कहानी को अंत तक सुनने के लिए और चैनल को सपोर्ट करने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो लाइक करें, शेयर करें और कमेंट जरूर करें।
ऐसी ही प्रेरणादायक कहानियों के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें।
News
जैसे ही बुजुर्ग ने टोपी उतारी – IPS की आंखें फटी रह गईं.. अंदर छुपा था ऐसा राज!
जैसे ही बुजुर्ग ने टोपी उतारी – IPS की आंखें फटी रह गईं.. अंदर छुपा था ऐसा राज! खोई हुई…
पति रोज़ सुबह घर से निकलता था, पत्नी ने जब पीछा किया, जो देखा, पैरों तले ज़मीन खिसक गई!
पति रोज़ सुबह घर से निकलता था, पत्नी ने जब पीछा किया, जो देखा, पैरों तले ज़मीन खिसक गई! ठंडी…
दोस्त की शादी में मेहमान बनकर गया था लेकिन किस्मत ने उसी को दूल्हा बना दिया , फिर जो हुआ देख सब
दोस्त की शादी में मेहमान बनकर गया था लेकिन किस्मत ने उसी को दूल्हा बना दिया , फिर जो हुआ…
Jab Inspector Ne DM Madam Ko Aam Ladki Samajh Kar Thappad Mara Aur Phir Inspector Ko Kya Hua?
Jab Inspector Ne DM Madam Ko Aam Ladki Samajh Kar Thappad Mara Aur Phir Inspector Ko Kya Hua? “एक प्लेट…
गाइड ने अपनी सूझ बूझ से बचाई घायल विदेशी महिला पर्यटक की जान ,उसके बाद उसने जो किया वो आप सोच भी
गाइड ने अपनी सूझ बूझ से बचाई घायल विदेशी महिला पर्यटक की जान ,उसके बाद उसने जो किया वो आप…
खेत में महिला के साथ हुआ हादसा/खेत में चारा काटने गई थी/
खेत में महिला के साथ हुआ हादसा/खेत में चारा काटने गई थी/ लालच, धोखा और सांप का कहर – हरिनगर…
End of content
No more pages to load





