Jab Inspector Ne machhali wali par Hath uthaya. tab machhali wali Ne Inspector Ke sath Jo Kiya
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सुबह का वक़्त था। बाज़ार में हलचल शुरू हो चुकी थी। सड़क के किनारे एक पुरानी चारपाईनुमा टोकरी पर बैठी करीना देवी हमेशा की तरह ताज़ी मछलियाँ बेच रही थीं। सफ़ेद बालों पर बंधा लाल दुपट्टा, झुर्रियों भरा चेहरा और आँखों में संघर्ष की थकान साफ़ झलक रही थी। लेकिन चेहरे पर आत्मसम्मान अब भी मौजूद था।
करीना देवी की ज़िंदगी आसान नहीं थी। पति का सालों पहले देहांत हो चुका था। दो बेटियाँ – पूजा और नेहा – दोनों भारतीय सेना में अफ़सर थीं। दूर बॉर्डर पर तैनात थीं। देश की रक्षा कर रही थीं, लेकिन अपनी माँ की हालत से अनजान थीं। करीना देवी चाहती भी नहीं थीं कि बेटियाँ उनकी तकलीफ़ जानें। वे चाहती थीं कि दोनों बहनें गर्व से सिर उठाकर देश की सेवा करें, न कि माँ की ग़रीबी या अपमान से परेशान हों।
उस दिन भी सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन यह दिन उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान लेकर आया।
थप्पड़ और अपमान

करीना देवी ग्राहकों से धीरे-धीरे मोलभाव कर रही थीं कि तभी तेज़ आवाज़ में मोटरसाइकिल का हॉर्न सुनाई दिया। बाज़ार के शोर के बीच वह मोटरसाइकिल आकर उनके टोकरे के पास रुकी। गाड़ी से उतरा इंस्पेक्टर राकेश वर्मा – थाने का चर्चित नाम, घमंडी, दबंग और भ्रष्ट।
वह गुस्से में चिल्लाया –
“ए बुढ़िया! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई सड़क किनारे दुकान लगाने की? पता है तुम्हारी वजह से जाम लग सकता है? हटाओ ये सब कचरा यहाँ से।”
बिना कुछ और कहे, उसने ज़ोर से लात मार दी। करीना देवी की सारी मछलियाँ सड़क पर बिखर गईं। बदबू चारों तरफ फैल गई। भीड़ जमा हो गई। लोग तमाशा देखने लगे।
करीना देवी सकपकाई हुई चुपचाप गिरी हुई मछलियाँ उठाने लगीं। उनकी आँखों से आँसू टपक रहे थे। तभी इंस्पेक्टर ने एक और झटका दिया –
“ये तुम्हारे बाप की सड़क है क्या? यहाँ मछली बेचोगी? चलो हटो यहाँ से!”
इतना कहकर उसने उन्हें ज़ोर से धक्का दिया और थप्पड़ जड़ दिया।
भीड़ में से कोई आगे नहीं आया। हर कोई सिर्फ़ तमाशबीन था। कुछ हँस रहे थे, कुछ मोबाइल निकाल कर वीडियो बना रहे थे।
करीना देवी की रूह काँप उठी। उन्हें सिर्फ़ यही डर था –
“अगर मेरी बेटियों को पता चल गया, तो क्या होगा? वे तो आग लगा देंगी।”
वायरल वीडियो और बेटियों का ग़ुस्सा
भीड़ में खड़ा एक लड़का यह सब अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर रहा था। घर जाकर उसने वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। कैप्शन लिखा –
“एक मासूम बूढ़ी औरत की कोई गलती नहीं थी, फिर भी इंस्पेक्टर ने उसे सड़क पर बेइज़्ज़त किया। क्या यही इंसाफ़ है?”
वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। हज़ारों शेयर, लाखों कमेंट। हर कोई पुलिस की बर्बरता को गालियाँ दे रहा था।
शाम होते-होते यह वीडियो सीधे नेहा तक पहुँचा। वीडियो देखते ही उसकी आँखों में खून उतर आया। उसने तुरंत अपनी बड़ी बहन पूजा को भेज दिया। पूजा वीडियो देखते ही सन्न रह गई। वह फूट-फूटकर रो पड़ी –
“हम इतनी मेहनत से देश की सेवा कर रहे हैं, और माँ आज भी सड़क पर अपमान सह रही हैं? अगर पापा होते तो ये दिन कभी न देखना पड़ता। मैं उस इंस्पेक्टर को छोड़ूँगी नहीं।”
पूजा ने नेहा को फोन किया –
“तुम यहीं रहो। मैं घर जाकर माँ को लेकर आ रही हूँ और इंस्पेक्टर से हिसाब लूँगी।”
माँ-बेटी का मिलन
कुछ ही घंटों में पूजा साधारण कपड़ों में गाँव पहुँची। दरवाज़ा खटखटाया।
“कौन है?” अंदर से थकी हुई आवाज़ आई।
“मैं हूँ, माँ… पूजा।”
दरवाज़ा खुलते ही माँ-बेटी गले लगकर रो पड़ीं। जैसे बरसों का दर्द एक पल में बह निकला।
करीना देवी ने काँपती आवाज़ में कहा –
“बेटा, तुमने वीडियो देख लिया?”
पूजा ने गंभीर स्वर में जवाब दिया –
“हाँ माँ। और अब मैं चुप नहीं बैठूँगी। जिसने आपको थप्पड़ मारा है, उसे मैं कानून के सामने झुकाकर रहूँगी।”
करीना देवी डर गईं –
“बेटा छोड़ दो, पुलिस वाले हैं। जाने दो…”
लेकिन पूजा अब पत्थर की तरह अडिग हो चुकी थी –
“नहीं माँ, अब न्याय होगा। चाहे पूरी दुनिया मेरे खिलाफ क्यों न हो।”
थाने में टक्कर
अगली सुबह पूजा साधारण लड़की की तरह तैयार होकर सीधे थाने पहुँची। वहाँ एसएचओ संदीप सिंह बैठा था। पूजा ने सख्त आवाज़ में कहा –
“मुझे इंस्पेक्टर राकेश वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी है। उसने मेरी माँ के साथ दुर्व्यवहार किया, थप्पड़ मारा और अपमानित किया।”
संदीप सिंह हँसकर बोला –
“क्या? हमारे इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट? और तुम कौन हो जो इतना हल्ला कर रही हो? बुढ़िया की बेटी? अगर थप्पड़ मार दिया तो क्या हो गया? ग़लती तुम्हारी माँ की थी।”
पूजा की आँखों में आग भर आई। उसने बिना कुछ कहे अपना आर्मी आईडी कार्ड टेबल पर रख दिया।
आईडी देखते ही संदीप सिंह हक्का-बक्का रह गया। उसके स्वर काँपने लगे –
“आप… आप आर्मी अफ़सर हैं? माफ़ कीजिए मैडम, मैं…”
पूजा ने सख़्ती से कहा –
“अब सिर्फ़ माफ़ी से काम नहीं चलेगा। मैं तुम्हारे और तुम्हारे इंस्पेक्टर दोनों के खिलाफ एक्शन लूँगी।”
इतना कहकर वह बाहर निकल गई।
न्याय की लड़ाई
पूजा सीधे एएसपी श्रुति हसन के दफ्तर पहुँची। वायरल वीडियो दिखाया। एएसपी बोलीं –
“वीडियो सही है, लेकिन हमें गवाह और मूल सबूत चाहिए। तभी कारवाई होगी।”
पूजा ने हिम्मत नहीं हारी। जिसने वीडियो बनाया था, उसे ढूँढ निकाला। असली फुटेज लिया और उसे गवाह बनने के लिए राज़ी कर लिया।
दो दिन बाद पूजा फिर एएसपी ऑफिस पहुँची। गवाह और वीडियो सबूत देखकर एएसपी ने तुरंत डीएम को बुलाया।
डीएम अखिलेश सिंह ने पूरा मामला सुना और गंभीर स्वर में आदेश दिया –
“कल सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। यह मामला अब छिपेगा नहीं। जनता को सच्चाई पता चलेगी।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस और बड़ा धमाका
अगले दिन जिला मुख्यालय पत्रकारों से खचाखच भर गया। टीवी कैमरे, माइक, फ्लैश लाइट्स।
डीएम ने कहा –
“कल सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक इंस्पेक्टर ने एक बूढ़ी महिला के साथ दुर्व्यवहार किया। हमारे पास सबूत और गवाह मौजूद हैं। पीड़िता की बेटी आर्मी अफ़सर हैं।”
इतना कहते ही मंच पर पूजा आई। उसने भीड़ की ओर देखते हुए कहा –
“मैं कैप्टन पूजा सिंह, भारतीय सेना में कार्यरत हूँ। और यह पीड़ित महिला मेरी माँ हैं। मैं पूछती हूँ, क्या पुलिस का काम जनता का सम्मान करना नहीं है? कानून सबके लिए बराबर है – चाहे वो आम आदमी हो या इंस्पेक्टर।”
पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा। पत्रकारों ने सवाल दागे। पूजा ने संदीप सिंह का नाम भी लिया, जिसने शिकायत लिखने से इंकार किया था।
एएसपी श्रुति हसन ने तुरंत सिफारिश की –
“दोनों अफ़सरों को तत्काल निलंबित किया जाए।”
डीएम ने आदेश पढ़ा –
“इंस्पेक्टर राकेश वर्मा और एसएचओ संदीप सिंह को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है।”
फैसला और न्याय
खबर आग की तरह फैल गई। टीवी चैनलों की हेडलाइन बनी –
“आर्मी ऑफ़िसर ने दिलाया माँ को इंसाफ़, इंस्पेक्टर और एसएचओ सस्पेंड।”
गाँव में जश्न का माहौल था। लोग करीना देवी के घर आकर उन्हें सलाम कर रहे थे।
एक हफ़्ते बाद विभागीय जाँच पूरी हुई। दोनों अफ़सर दोषी पाए गए। न सिर्फ़ बर्खास्त किए गए, बल्कि उनके खिलाफ़ आपराधिक मामला भी दर्ज हुआ।
करीना देवी ने आँसुओं में मुस्कुराते हुए पूजा से कहा –
“बेटा, मुझे बदला नहीं चाहिए था… मुझे बस इज्ज़त चाहिए थी। लेकिन तुमने आज न सिर्फ़ मेरी, बल्कि पूरे गाँव की इज़्ज़त लौटा दी।”
पूजा ने माँ का हाथ पकड़कर कहा –
“माँ, यह जीत सिर्फ़ हमारी नहीं है। यह हर उस इंसान की जीत है जो अन्याय के खिलाफ़ खड़ा होता है।”
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