जब इंस्पेक्टर ने खुले आम ऑटो वाले से मांगी रिश्वत | IPS मैडम ने उतरवादी वर्दी

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नंदिता कुमारी: एक साहसी आईपीएस अधिकारी की कहानी

जिले की आईपीएस अधिकारी नंदिता कुमारी एक ऑटो में बैठकर अपने घर जा रही थी। ऑटो ड्राइवर को यह बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि जो महिला उसकी ऑटो में बैठी हुई है, वह कोई आम महिला नहीं बल्कि जिले की आईपीएस अधिकारी है। नंदिता लाल रंग की साड़ी पहने हुए थी और देखने में वह बिल्कुल एक आम सी महिला लग रही थी। वह अपने भाई की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर अपने घर जा रही थी। नंदिता ने सोचा कि अपने भाई की शादी में वह आईपीएस अधिकारी के रूप में नहीं बल्कि सिर्फ एक बहन के तौर पर जाएंगी।

ऑटो यात्रा का आरंभ

ऑटो चलाते हुए ड्राइवर ने कहा, “मैडम, आपकी वजह से मैं इस रास्ते से जा रहा हूं। वरना मैं इस रास्ते से बहुत कम जाता हूं।” आईपीएस अधिकारी नंदिता ने उत्सुकता से पूछा, “लेकिन ऐसा क्यों भैया? इस रास्ते में क्या प्रॉब्लम है?” ऑटो ड्राइवर ने कहा, “मैडम, इस रास्ते पर कुछ पुलिस वाले खड़े रहते हैं। हमारे इस इलाके का जो इंस्पेक्टर है, वह ऑटो का चालान बिना वजह काटता है और ऑटो वालों से बिना किसी गलती के पैसे वसूलता है। और अगर इंस्पेक्टर की बात नहीं मानते, तो वह लोगों के साथ मारपीट करता है। आज पता नहीं मेरे किस्मत में क्या लिखा है। ऊपर वाला करे कि इस टाइम पर वह इंस्पेक्टर रास्ते में ना मिले। वरना वह बिना गलती के मुझसे पैसे वसूल करेगा।”

इंस्पेक्टर का सामना

आईपीएस नंदिता मन ही मन सोच रही थी। क्या सच में यह ऑटो ड्राइवर जो कह रहा है, वह सच है? क्या वाकई यहां के थाने का इंस्पेक्टर इतना गलत काम करता है? थोड़ी ही दूर आगे बढ़ने पर उन्होंने देखा कि सड़क के किनारे इंस्पेक्टर दिलीप राणा अपने साथियों के साथ खड़ा था और वाहनों की चेकिंग कर रहा था। जैसे ही ऑटो उनके सामने पहुंचा, इंस्पेक्टर दिलीप राणा ने लाठी से इशारा करके ऑटो को रोक दिया।

“अरे ओ पायलट, नीचे उतर। तेरे बाप की सड़क है क्या? इतनी तेज स्पीड में ऑटो चला रहा है। कानून का कोई डर नहीं है क्या? चल अब जल्दी से 5000 का चालान भर,” इंस्पेक्टर ने गुस्से में बोला। ड्राइवर मोहन डरते हुए बोला, “साहब, मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा। आप किस बात का चालान काट रहे हैं? कृपया ऐसा मत कीजिए। मेरी कोई गलती नहीं है और अभी मेरे पास इतने पैसे भी नहीं हैं। मैं आपको ₹5000 कहां से दूं?” यह सुनकर इंस्पेक्टर दिलीप और भड़क गया। उसने ऊंची आवाज में कहा, “ज्यादा जुबान मत चला मेरे सामने। पैसे नहीं हैं तो ऑटो क्या फ्री में चलाता है? जल्दी से ऑटो के कागज निकाल। कहीं यह ऑटो चोरी का तो नहीं है?”

ड्राइवर की दया की गुहार

ड्राइवर ने जल्दी से सारे कागज निकाल कर दिखा दिए। कागज बिल्कुल ठीक थे। सब कुछ पूरा था। लेकिन इंस्पेक्टर दिलीप ने फिर भी कहा, “कागज तो सही है, लेकिन चालान तो भरना ही पड़ेगा। अब पांच नहीं तो 3000 ही दे दे। वरना तेरी यह ऑटो अभी सीज कर दूंगा।” पास ही खड़ी आईपीएस नंदिता ने यह सब कुछ ध्यान से देख और सुन रही थी। उन्होंने देखा कि किस तरह इंस्पेक्टर दिलीप सिंह राणा एक गरीब और मेहनती ऑटो ड्राइवर को बिना वजह परेशान कर रहा था। उससे पैसे वसूलने की कोशिश कर रहा था। उनके मन में गुस्सा तो आया पर उन्होंने खुद को शांत रखा ताकि पहले पूरी सच्चाई समझ सकें और फिर सही समय पर कार्यवाही कर सकें।

ऑटो ड्राइवर ने डरते हुए इंस्पेक्टर दिलीप से कहा, “साहब, इतने पैसे मैं कहां से लाऊं? अभी तक तो सिर्फ ₹300 की ही कमाई हुई है। मैं कैसे आपको 3000 दूं? कृपया छोड़ दीजिए साहब। जाने दीजिए। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं गरीब आदमी हूं। दिन भर मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता हूं। मुझ पर रहम कीजिए साहब।” लेकिन इंस्पेक्टर दिलीप राणा को जरा भी दया नहीं आई। वह गुस्से में भर उठा। उसने ड्राइवर का गिरेबान पकड़ कर उसे बुरी तरह मारने लगा और चिल्लाते हुए बोला, “जब पैसे नहीं हैं तो ऑटो क्यों चलाता है? तेरे बाप की सड़क है क्या जो इतनी स्पीड में ऑटो चलाएगा? ऊपर से मुझसे जुबान लड़ाता है। चल तुझे थाने का मजा चखाते हैं।”

नंदिता का हस्तक्षेप

इतना सुनते ही आईपीएस नंदिता खुद को रोक नहीं पाई। वह तुरंत आगे बढ़ी और इंस्पेक्टर के सामने खड़ी होकर बोली, “इंस्पेक्टर, आप बिल्कुल गलत कर रहे हैं। जब ड्राइवर ने कोई गलती नहीं की तो आप उसका चालान क्यों काट रहे हैं? ऊपर से आपने उसके साथ मारपीट की। यह कानून का उल्लंघन है। आपको कोई हक नहीं है किसी गरीब पर इस तरह का अत्याचार करने का। इसे जाने दीजिए।” इंस्पेक्टर दिलीप राणा पहले से ही गुस्से में था। नंदिता की बात सुनकर वह और भड़क गया। उसने ताव में आकर कहा, “अच्छा, अब तू मुझे सिखाएगी कि कानून क्या होता है। बहुत जुबान चल रही है तेरी। लगता है तुझे भी जेल की हवा खिलानी पड़ेगी। चल अब दोनों एक साथ जेल में रहना। वहीं चलाना अपनी जुबान।”

नंदिता की दृढ़ता

नंदिता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। पर उन्होंने अपने आप पर काबू रखा। वह देखना चाहती थी कि यह इंस्पेक्टर आखिर किस हद तक गिर सकता है। इंस्पेक्टर दिलीप को यह जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसके सामने खड़ी यह साधारण सी साड़ी पहनी महिला कोई आम औरत नहीं बल्कि जिले की आईपीएस अधिकारी नंदिता कुमारी है। दिलीप राणा ने अपने साथियों को आदेश दिया, “चलो, दोनों को थाने ले चलो। वहीं देखेंगे इन दोनों की कितनी जुबान चलती है।”

थाने में घुसपैठ

तभी दो पुरुष कांस्टेबल और दो महिला कांस्टेबल तुरंत आगे बढ़े और उन्होंने ड्राइवर और आईपीएस नंदिता को पकड़ लिया। जब वे थाने पहुंचे तो इंस्पेक्टर दिलीप सिंह ने कहा, “इन्हें यहीं बैठा दो। अब यहां देखते हैं, यह दोनों क्या करते हैं। इनकी औकात तो इन्हें दिखानी पड़ेगी।” हवलदारों ने दोनों को एक बेंच पर बैठा दिया। दिलीप सिंह राणा कुर्सी पर बैठा ही था कि तभी उसका मोबाइल पर एक कॉल आया। उसने कॉल उठाते हुए कहा, “हां, आपका सब काम हो जाएगा। उस केस में आपका नाम नहीं आएगा। बस मेरे पैसे तैयार रखना। टेंशन मत लो। मैं आपका सारा काम कर दूंगा।”

नंदिता की योजना

आईपीएस नंदिता कुमारी और ऑटो ड्राइवर दोनों बैठकर यह सब सुन रहे थे। नंदिता मन ही मन सोच रही थी, “यह इंस्पेक्टर ना केवल सड़कों पर लोगों को परेशान करता है बल्कि थाने के अंदर भी रिश्वत लेकर काम निपटाता है। वह गरीबों को लूटता है और उनका हक मारता है।” नंदिता ने गुस्से को दबाए रखा। वे जानती थी कि अभी तात्कालिक गुस्से में कुछ करना ठीक नहीं होगा। असली मुकाबला सबूतों और सही तरीके से करना है ताकि पूरा पुलिस प्रशासन और शहर यह देख सके। वे अंदर से योजना बना रही थीं कि किस तरह इसे सबके सामने बेनकाब और उजागर किया जाए।

ड्राइवर की चिंता

पास बैठा ऑटो ड्राइवर परेशान था। वह अपने घर और बच्चों की चिंता कर रहा था। नंदिता ने उसकी तरफ देखा और शांत स्वर में कहा, “आप घबराइए मत। यह इंस्पेक्टर आपका कुछ नहीं कर पाएगा। मैं आपके साथ हूं। मैंने सब देख लिया है और मैं इसे बेनकाब करूंगी। आप निश्चिंत रहें। आपकी कोई गलती नहीं है। आप सुरक्षित हैं। मैं कोई आम महिला नहीं हूं। मैं आईपीएस अफसर नंदिता कुमारी हूं। मैं इस इंस्पेक्टर के सारे काले कामों का पता लगा रही हूं। इसलिए अभी चुप रहकर सब देख रही हूं। फिर सब साफ करके इसकी औकात लोगों के सामने दिखाऊंगी।”

यह सुनकर ऑटो ड्राइवर को थोड़ा सुकून मिला। उसने एक गहरी सांस ली और बोला, “क्या आप सच में आईपीएस मैडम हैं? लेकिन जब मेरे साथ यह सब हो रहा था, तो आपने कुछ क्यों नहीं कहा? मुझे बचाया क्यों नहीं? आप कहीं झूठ तो नहीं बोल रही हैं या आप इन लोगों से मिली हुई तो नहीं हैं?” ड्राइवर थोड़ा घबराया हुआ था। नंदिता ने उसे शांति से भरोसा दिलाया, “नहीं, मैं इन लोगों से नहीं मिली हूं। मैं सच में इस इंस्पेक्टर को बेनकाब करने के लिए चुप बैठी हूं। बस मैं देख रही हूं कि यह इंस्पेक्टर और कितने गलत इललीगल काम करता है। इसीलिए अभी चुप हूं। वरना चाहूं तो इसे तुरंत सस्पेंड भी करवा सकती हूं। तुम थोड़ा इंतजार करो। फिर देखो आगे मैं इसका क्या हाल करती हूं।”

इंस्पेक्टर की बेशर्मी

कुछ देर बाद इंस्पेक्टर दिलीप राणा अपने कैबिन में चला गया। फिर उसने एक हवलदार को बुलाया और कहा, “इस ऑटो ड्राइवर को बुलाकर लाओ।” हवलदार तुरंत बाहर गया और ड्राइवर से बोला, “साहब ने आपको अंदर बुलाया है।” यह सुनकर ड्राइवर डर गया। मगर नंदिता ने उसे हिम्मत दी और कहा, “तुम परेशान मत हो, जो भी होगा मैं सब देख लूंगी।” वह इंस्पेक्टर के पास गया। इंस्पेक्टर राणा ने ड्राइवर को देखकर हंसते हुए कहा, “देख, अगर तुझे तेरी ऑटो बचानी है तो तुझे ₹3000 तो देने ही होंगे। वरना मैं तेरी ऑटो सीज कर दूंगा। ऊपर से तू मेरा दुश्मन भी बन जाएगा। पूरे इलाके में मेरा ही राज चलता है। मैं जो चाहूं वह कर सकता हूं। मुझसे टक्कर मत लेना। जो मैं कह रहा हूं वही कर। जल्दी से 3000 चालान भर दे।”

ड्राइवर की दया की गुहार

ड्राइवर का दिल जोर से धड़कने लगा। वह रोते हुए बोला, “सर, ऐसा मत कीजिए। मेरा हाल देखिए। अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं। मैं आपको ₹3000 कैसे दूं? प्लीज मुझे छोड़ दीजिए। मेरे घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं उन्हें क्या खिलाऊंगा?” इंस्पेक्टर गुस्से में बोला, “देख, मैं तेरी कोई भी बात नहीं सुनूंगा। पैसे दे वरना तू बर्बाद होगा। तेरे परिवार को भी नुकसान होगा। अब पैसे तो तुझे देने पड़ेंगे।”

डर की वजह से ड्राइवर ने झट से जेब से ₹2000 निकालकर इंस्पेक्टर को दे दिए और कहा, “मेरे पास बस इतना ही है। प्लीज यह रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए।” इंस्पेक्टर पैसे लेते हुए बोला, “ठीक है, जा बाहर जाकर बैठ जा। और अब उस औरत को भेज जो तेरे साथ आई थी।” ऑटो ड्राइवर बाहर आया और बोला, “मैडम, अब साहब आपको बुला रहे हैं।” नंदिता बिना झिझक उठी और अंदर चली गई।

नंदिता का साहस

इंस्पेक्टर दिलीप राणा ने पूछा, “नाम क्या है तुम्हारा?” नंदिता ने आत्मविश्वास भरी आवाज में कहा, “मेरे नाम से आपको क्या मतलब है? आप अपनी बताइए। आपने किस लिए बुलाया है?” इंस्पेक्टर हैरान रह गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक आम औरत इतनी हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ उससे इस तरह बात कर रही है। वो बोला, “देखो, ज्यादा अकड़ मत दिखाओ। हमारे पास हर अकड़ की दवा है। अभी दो डंडे पड़ेंगे तो सब अकड़ निकल जाएगी। अगर घर जाना है तो जल्दी से 2000 निकालो वरना जेल की हवा खानी पड़ेगी।”

नंदिता ने बेखौफ होकर जवाब दिया, “मैं आपको ₹1 भी नहीं दूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की है। आप मुझसे किस बात के पैसे मांग रहे हैं? बिना वजह आपको पैसे देने का क्या मतलब? आप कानून का पालन कर रहे हैं या खुद कानून तोड़ रहे हैं? आपने जो यह वर्दी पहनी है, उसका मतलब क्या? सिर्फ गरीबों को डराना है, उनसे पैसे एंठना है। क्या यही आपकी ड्यूटी है?”

इंस्पेक्टर का अंत

यह सुनकर इंस्पेक्टर दिलीप राणा भड़क गया। उसने गुस्से में हवलदार को बुलाया और चिल्लाते हुए कहा, “अभी इस औरत को जेल में बंद करो।” हवलदार ने आदेश मानते हुए आईपीएस मैडम को लॉकअप में डाल दिया। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि आज जो कुछ हो रहा है, उसके नतीजे कितने गंभीर होने वाले हैं। नंदिता बिना कुछ बोले शांत खड़ी रहीं। उनकी आंखों में गुस्सा नहीं बल्कि दृढ़ निश्चय झलक रहा था।

उच्च अधिकारियों की एंट्री

कुछ देर बाद थाने के बाहर एक पुलिस की गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी से आई एस हितेश कुमार मीणा बाहर निकले। उनके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था। वे सीधे थाने के अंदर गए और एक हवलदार से बोले, “सुना है यहां किसी औरत को लॉकअप में बंद किया गया है।” हवलदार थोड़ा अटक कर बोला, “हां सर, लेकिन क्या हुआ है?” तभी अंदर से इंस्पेक्टर दिलीप राणा बाहर आया और बोला, “कौन है रे? क्या बात है?” हितेश कुमार ने उसे देखते हुए कहा, “सुना है तुमने किसी औरत को लॉकअप में डाल दिया है? मुझे वह देखनी है।” दिलीप राणा बोला, “हां, डाला है। चलिए दिखाता हूं।”

नंदिता का खुलासा

इतना कहकर इंस्पेक्टर दिलीप अधिकारी हितेश कुमार को लेकर लॉकअप के पास गया। उसे जरा भी पता नहीं था कि अब जो होने वाला है, वह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका बनने वाला है। लॉकअप में बंद महिला को देखकर हितेश कुमार चिल्ला उठा, “यह तुमने क्या किया? तुम्हें पता है यह कौन है? यह हमारी जिले की आईपीएस मैडम है। तुमने इनको लॉकअप में डाल दिया?” दिलीप सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह डरते हुए बोला, “यह यह यह आईपीएस मैडम है। मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था।”

हितेश कुमार ने तुरंत हवलदार को इशारा किया। हवलदार ने लॉकअप खोला और नंदिता बाहर आई। नंदिता ने शांत और ठंडी आवाज में पूरी बात हितेश को बताई कि कैसे दिलीप राणा ने ऑटो ड्राइवर को रोक कर पैसे मांगे। कैसे उसने ड्राइवर के साथ मारपीट की। कैसे उसने उन्हें और ड्राइवर को थाने ले जाकर परेशान किया और बाद में लॉकअप में बंद कर दिया। नंदिता ने बताया कि वे सब कुछ देख रही थीं ताकि इस इंस्पेक्टर की करतूतों को साबित किया जा सके।

कार्रवाई का आरंभ

हितेश समझ गया कि मामला बहुत गंभीर है। वह तत्काल बाहर निकले। आगे की कार्यवाही शुरू की। सबसे पहले उन्होंने आधिकारिक चैनलों के जरिए अपने वरिष्ठ अधिकारी एएसपी सीओ को मामले की जानकारी भेजी। फोन पर सूचना के साथ लिखित रिपोर्ट भी भेजी गई ताकि हर कदम का रिकॉर्ड रहे। एएसपी ने रिपोर्ट देखकर स्थिति गंभीर पाई और उन्होंने जिले के प्रशासन को नियमों के अनुसार आधिकारिक सूचना भेजी। डीएम और एसपी दोनों ही मामले की गंभीरता देखते हुए थाने पर पहुंचे।

डीएम की कार्रवाई

डीएम थाने पर आए और वहां का पूरा मामला देखा। उन्होंने दिलीप राणा से पूछा, “तुमने किस अधिकार से किसी महिला को इस तरह थाने में ठहराया और बिना वजह लॉकअप में डाला?” डीएम ने स्पष्ट कहा कि यह कार्य कानून का उल्लंघन है। गरीब नागरिकों से रिश्वत मांगना और जानबूझकर पिटाई करना आपराधिक कृत्य है। उन्होंने तुरंत निर्देश दिया कि मामले की जांच कराई जाए। संबंधित के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएं और तत्काल प्रभाव से संरक्षण हेतु कदम उठाए जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।

नंदिता का बयान

नंदिता ने कहा कि वह इस मामले में गवाही देंगी और साथ में ऑटो ड्राइवर भी गवाही देगा। डीएम ने कहा कि आज ही विस्तृत जांच और कार्रवाई के आदेश दिए जाएंगे ताकि आगे कोई भी ऐसे दुरुपयोग की हिम्मत न करें। डीएम ने तुरंत संबंधित एएसपी और विजिलेंस विभाग को निर्देश दिए कि वे मामले की पूरी जांच करें। उन्होंने कहा कि इंस्पेक्टर दिलीप सिंह राणा के खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की जाए और पीड़ित ऑटो ड्राइवर और आईपीएस नंदिता कुमारी को इंसाफ दिलाया जाए।

निष्कर्ष

नंदिता ने डीएम को पूरी घटना विस्तार से बताई। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनका मामला नहीं है बल्कि जिले के कई गरीब और छोटे व्यवसाय लोग इसी तरह के अत्याचारों के शिकार होते हैं। उन्होंने अपना बयान आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज करवाया ताकि कोई भी इसे दबा न सके। ऑटो ड्राइवर से भी पूछताछ हुई। ड्राइवर ने डीएम और जांच अधिकारियों के सामने बताया कि किस तरह से दिलीप राणा ने बिना किसी कारण के चालान भरने और पैसे मांगने की धमकी दी। उसने बताया कि अगर उसने पैसे नहीं दिए होते तो उसका ऑटो सीज हो जाता और परिवार भूखा मर जाता।

जांच शुरू हुई। विजिलेंस टीम ने थाने के रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि दिलीप राणा कई बार ऑटो चालकों और गरीब लोगों को डराकर पैसे वसूलता रहा है। अगले दिन सूरज की पहली किरण के साथ शहर की सड़कों पर अधिकारियों की गाड़ियों की लाइन लग गई। एसपी कमिश्नर के साथ कई आईएएस आईपीएस अधिकारी थाने में प्रवेश किया। उन्हें देखकर इंस्पेक्टर दिलीप राणा के चेहरे का रंग उड़ गया। दिलीप राणा की कुछ भी नहीं सुनी गई और उसके हाथों में हथकड़ी डाल दी गई।

इंस्पेक्टर का अंत

एसपी कमिश्नर ने आईएएस अधिकारी हितेश को आदेश दिया और कहा, “दिलीप राणा को अभी इसी वक्त सलाखों के पीछे डाला जाए। जो कानून का उल्लंघन करेगा उसका यही हाल होगा।” इसके बाद दिलीप राणा को सलाखों के पीछे डाल दिया गया। नंदिता ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और यह साबित किया कि कानून सभी के लिए समान है। इस घटना ने न केवल जिले के लोगों को बल्कि पूरे देश को यह संदेश दिया कि एक महिला अधिकारी भी अन्याय के खिलाफ खड़ी हो सकती है।

इस घटना के बाद नंदिता कुमारी ने अपनी जिम्मेदारियों को और भी गंभीरता से निभाना शुरू किया। उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों के हक के लिए काम करना जारी रखा और जिले में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया। उनकी बहादुरी और साहस ने कई लोगों को प्रेरित किया और यह साबित किया कि जब तक हम अन्याय के खिलाफ खड़े नहीं होते, तब तक हमें अपने हकों के लिए लड़ना नहीं छोड़ना चाहिए।

समाज में बदलाव

इस घटना के बाद जिले में पुलिस की छवि में सुधार हुआ। लोगों ने नंदिता कुमारी को एक सच्ची नायक की तरह देखा। उन्होंने अपनी ड्यूटी को न केवल एक नौकरी के रूप में बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में लिया। नंदिता ने अपनी टीम के साथ मिलकर कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए, ताकि लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और पुलिस के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें।

इस प्रकार, नंदिता कुमारी की कहानी न केवल एक साहसी आईपीएस अधिकारी की कहानी है, बल्कि यह एक ऐसी प्रेरणा है जो हमें यह सिखाती है कि हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और अन्याय के खिलाफ खड़े होना चाहिए। जब हम एकजुट होकर आवाज उठाते हैं, तो हम बदलाव ला सकते हैं। नंदिता ने साबित किया कि एक महिला की शक्ति और साहस किसी भी स्थिति को बदल सकता है।