अनाथ बच्चे को दूध पिलाया तो नौकरी गयी , अगले दिन उसी बच्चे का पिता सामने आया तो मालिक के होश उड़ गए!

करुणा की नेकी: एक छोटी सी मदद की बड़ी कहानी

शहर के एक व्यस्त कोने में, जहाँ हर वक्त गाड़ियों का शोर और लोगों की भागदौड़ लगी रहती थी, वहीं एक छोटा सा चाय का ढाबा था — संगम टी स्टॉल। नाम तो संगम था, लेकिन यहाँ अक्सर विचारों का नहीं, मजबूरियों का संगम होता था। इस ढाबे पर काम करती थी करुणा, एक 27 साल की लड़की, जिसका जीवन संघर्षों से भरा था।

करुणा के माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे, और उसकी छोटी बहन की जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी। सुबह से शाम तक वह ग्राहकों को चाय और नाश्ता परोसती, बर्तन धोती, और मालिक से डांट सुनती। संगम टी स्टॉल का मालिक था सेठ धर्मपाल, एक 40 साल का लालची और कठोर स्वभाव का आदमी। उसके लिए हर चीज़ का हिसाब पैसों में होता था। वह हर वक्त यह देखता रहता कि कितना दूध गिरा, कितनी चीनी ज्यादा हुई, कौन सा ग्राहक कितना खर्च कर रहा है।

करुणा को महीने के अंत में जो तनख्वाह मिलती थी, वह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर थी, लेकिन मजबूरी उसे यहाँ टिकने पर मजबूर करती थी। वह अपने छोटे से परिवार के लिए हर दिन संघर्ष करती थी।

एक दोपहर की बात है, जब ढाबे पर भीड़ कुछ कम थी, करुणा की नजर बाहर सड़क के किनारे बैठे एक छोटे से बच्चे पर पड़ी। वह शायद पांच-छह साल का था, मैला-कुचैला, फटे कपड़ों में, और उसकी आँखों में एक अजीब सी वीरानी थी। बच्चा कभी लोगों को देखता, कभी अपनी उंगलियों से खेलता। करुणा का दिल उस बच्चे की हालत देखकर पसीज गया।

सेठ धर्मपाल गल्ले पर हिसाब-किताब में उलझा था। करुणा ने चुपके से दूध का एक छोटा गिलास निकाला और एक रोटी का टुकड़ा लेकर उस बच्चे के पास गई। बच्चा पहले तो डर गया, लेकिन जब करुणा ने प्यार से उसका सिर सहलाया और दूध परोसा, तो उसकी भूखी आँखों में चमक आ गई। उसने कांपते हाथों से दूध पीया और रोटी खाई जैसे अमृत मिल गया हो।

करुणा ने उससे पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है बेटा?” बच्चा कुछ नहीं बोला, सिर हिलाने के अलावा। “क्या तुम्हारा कोई है?” इस सवाल पर बच्चे की आँखें भर आईं। करुणा समझ गई कि वह अकेला है।

तभी सेठ धर्मपाल की कड़क आवाज आई, “यह क्या हो रहा है यहाँ? किसकी इजाजत से तुमने दूध और रोटी इस भिखारी को दी?” करुणा डर गई। धर्मपाल ने उसे डांटा और नौकरी से निकाल दिया। करुणा ने विनती की, लेकिन धर्मपाल ने एक न सुनी।

करुणा के लिए यह बड़ा झटका था। उसने अपने हालात पर तरस खाया, लेकिन बच्चे पर गुस्सा नहीं आया। रात भर वह सोचती रही कि अब क्या होगा? छोटी बहन की फीस, घर का किराया, सब कुछ अधर में था।

अगली सुबह करुणा ने अपनी छोटी बहन के लिए नाश्ता बनाया और नौकरी की तलाश में निकल पड़ी। उसे नहीं पता था कि आज का दिन उसकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लेकर आने वाला है।

संगम टी स्टॉल पर धर्मपाल अकड़कर बैठा था। तभी वहाँ एक चमचमाती कार आई। कार से एक रबदार आदमी उतरा, जो महंगे कपड़े पहने था, आँखों पर काला चश्मा था, और चेहरे पर चिंता और उम्मीद का मिश्रण था। उसके साथ दो बॉडीगार्ड भी थे। वह सीधे ढाबे की तरफ बढ़ा।

धर्मपाल ने बड़े आदर से पूछा, “साहब, क्या लेंगे?” लेकिन उस आदमी की नजरें किसी और को तलाश रही थीं। उसने अपने जेब से एक बच्चे की तस्वीर निकाली और पूछा, “क्या तुमने इस बच्चे को देखा है? यह कल से लापता है।”

धर्मपाल ने तस्वीर देखी। वह वही बच्चा था जिसे करुणा ने दूध पिलाया था। उसने बताया कि वह बच्चा कल यहाँ देखा गया था और एक लड़की ने उसे दूध पिलाया था। वह आदमी आनंद प्रकाश था, और वह उस बच्चे का पिता था।

करुणा को सारी बात समझ में आ गई। आनंद ने पूछा, “क्या तुमने मुन्ना को कहीं जाते देखा?” करुणा ने कहा कि वह वहीं बैठा था जब वह वहाँ से निकली।

आनंद ने करुणा की ईमानदारी देखकर उसे चेक दिया और कहा कि वह अब उसके घर में काम करेगी, मुन्ना की देखभाल के लिए। करुणा की दुनिया एक पल में बदल गई।

करुणा ने आनंद से पूछा कि क्या वह अपने बेटे से सच में प्यार करता है। आनंद ने स्वीकार किया कि वह काम में इतना उलझा था कि अपने बेटे को पर्याप्त समय नहीं दे पाया। करुणा ने कहा कि बच्चों को प्यार और समय की जरूरत होती है, ना कि केवल पैसे की।

आनंद का फोन बजा। पता चला कि मुन्ना सुरक्षित मिल गया है। आनंद ने कहा कि यह सब करुणा की दुआओं का असर है।

आनंद और करुणा मुन्ना को लेने मंदिर गए। बाद में आनंद ने धर्मपाल को सबक सिखाया। उसने धर्मपाल से कहा कि करुणा अब इस ढाबे की मालिक है, और धर्मपाल को यहाँ से दूर रहना होगा।

करुणा ने अपनी मेहनत से ढाबे को एक नई पहचान दी। वहाँ गरीबों के लिए मुफ्त खाना भी शुरू किया गया। आनंद और मुन्ना अक्सर वहाँ आते और करुणा की बनाई चाय पीते।

यह कहानी हमें सिखाती है कि एक छोटी सी नेकी भी किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है। इंसानियत और ममता की ताकत से हम दुनिया को बेहतर बना सकते हैं। करुणा ने दिखाया कि भले ही इंसान गरीब हो, लेकिन दिल से बड़ा इंसान कोई नहीं।

समाप्त