DM मैडम गंदे कपड़े पहनकर नेताओं के पास घर मांगने पहुंची फिर जो हुआ…
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रूपा तिवारी: भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग
गर्मी की दोपहर थी। पंचायत भवन के बड़े हॉल में सफेद खादी के कुर्ते और गमछे से लदे हुए स्थानीय नेताओं की भीड़ जमा थी। दिलेर यादव, जिसकी मोटी तोंद उसकी सत्ता का प्रतीक थी, मुख्य कुर्सी पर विराजमान था। उसके चारों ओर किशन यादव, दिनेश यादव और अन्य नेता अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठे थे। हर कोई अपने सफेद कपड़ों में इतराता हुआ नजर आ रहा था, जैसे उन्होंने कोई बड़ी जीत हासिल की हो। लेकिन इस चमकदार सभा के बीच एक अजीब सा दृश्य था — एक गरीब कपड़ों में लिपटी, बिखरे बालों वाली लड़की, जो चुपचाप बैठी थी। उसके चेहरे पर गरीबी की छाप साफ दिख रही थी, और वह गहरे सोच में डूबी हुई थी।
नेताओं को यह अंदाजा तक नहीं था कि उनके बीच बैठी यह साधारण सी दिखने वाली लड़की असल में जिले की सबसे शक्तिशाली अधिकारी, डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट (डीएम) रूपा तिवारी है। रूपा आज एक खास मिशन पर यहां आई थी। पिछले महीने उसे कई शिकायतें मिली थीं कि इस पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर है। गरीबों के लिए आने वाली योजनाओं का पैसा नेता आपस में बांट लेते हैं। रूपा ने तय किया था कि वह खुद जाकर इन सबकी पोल खोलेगी।
इसलिए उसने पुराने फटे कपड़े पहने, चेहरे पर मिट्टी लगाई और एक गरीब महिला का रूप धारण किया। दिलेर यादव उसे देखकर नागभं सिकोड़ रहा था, जैसे कोई गंदी चीज उसके पास आ गई हो। किशन यादव ने अपने साथी से कानाकानी करते हुए कहा, “यह औरत यहां क्यों बैठी है? इसे बाहर क्यों नहीं निकाला जा रहा?” लेकिन रूपा बिल्कुल शांत बैठी रही। उसकी आंखें हर बात को गौर से सुन रही थीं और दिमाग में हर डिटेल दर्ज कर रही थीं। उसे पता था कि आज वह इन सबकी असलियत देखने वाली है।
दिलेर यादव ने अपना गला साफ करते हुए सभा की शुरुआत की। “भाइयों, आज हमारी एक बहुत महत्वपूर्ण बैठक है। सरकार से हमें नई योजनाओं के लिए काफी पैसा मिला है।” उसकी आवाज़ में अजीब सा उत्साह था, जैसे वह कोई बड़ी खुशखबरी सुना रहा हो। किशन यादव ने तुरंत टोका, “हां भाई, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ₹50 लाख आए हैं।” दिनेश यादव भी उत्साहित होकर बोला, “और विधवा पेंशन योजना के लिए भी ₹25 लाख अलग से आए हैं।”
रूपा के कान खड़े हो गए। वह जानती थी कि यह आंकड़े गलत हैं। असल में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए करोड़ों रुपए आए थे और विधवा पेंशन के लिए ₹75 लाख। ये लोग जानबूझकर कम आंकड़े बता रहे थे ताकि बाकी पैसा वे आपस में बांट सकें। उसने मन ही मन नोट किया कि पहला सबूत मिल गया है।
दिलेर यादव ने मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन हमें पहले अपने खर्च निकालने होंगे ना। इतना काम करते हैं, कुछ तो हमारा हक बनता है।” बाकी नेता भी हामी भरने लगे। दिनेश यादव ने हिसाब लगाते हुए कहा, “प्रधानमंत्री आवास योजना के ₹50 लाख में से ₹30 लाख हमारे काम के लिए रख लेते हैं, बाकी ₹20 लाख से कुछ घर बनवा देंगे।”
रूपा के अंदर गुस्सा उबल रहा था, लेकिन वह चुप रही। उसने धैर्य रखा और सुनती रही कि ये लोग कैसे गरीबों का पैसा हड़पने की योजना बना रहे हैं। तभी दिलेर यादव की नजर रूपा पर पड़ी। उसने कड़ी आवाज में पूछा, “ए औरत, तू यहां क्यों बैठी है? यह नेताओं की बैठक है। तेरा यहां क्या काम?”
रूपा ने डरी हुई आवाज में जवाब दिया, “सर जी, मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना में घर चाहिए था। सुना था यहां बैठक है तो आ गई।” उसकी आवाज़ में इतनी मासूमियत थी कि किसी को शक नहीं हुआ। किशन यादव ने हंसते हुए कहा, “अरे घर चाहिए, पहले बता तेरे पास कितने पैसे हैं? घर मुफ्त में नहीं मिलता।” रूपा ने हैरानी का नाटक करते हुए कहा, “लेकिन सर जी टीवी में तो कहते हैं कि गरीबों को मुफ्त घर मिलता है।” इस बात पर सारे नेता हंसने लगे।
दिनेश यादव ने ताली बजाते हुए कहा, “अरे भोली, टीवी की बातों पर मत जा। असल में सब कुछ पैसे से ही होता है।” रूपा समझ गई कि ये लोग खुलेआम भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
दिलेर यादव ने अपनी कुर्सी पर वापस बैठते हुए कहा, “चलो इस औरत को भी सुना देते हैं कि असली खेल क्या है।” वह रूपा की तरफ मुड़ा और बोला, “देख बहन, सरकारी योजनाओं में घर पाना है तो पहले हमें ₹50 हजार देने होंगे। फिर घर बनने में भी तुझे अलग से पैसे देने होंगे।”
रूपा ने आंखें फाड़ कर पूछा, “इतने पैसे कहां से लाऊं सर जी? मैं तो दिहाड़ी मजदूरी करती हूं।” किशन यादव ने मजाक उड़ाते हुए कहा, “तो फिर घर का सपना छोड़ दे या किसी से कर्जा ले ले।” दिनेश यादव ने भी हामी भरते हुए कहा, “हां बहन, हमारा भी तो कुछ खर्चा है ना, ऑफिस जाना होता है, फाइलों पर काम करना होता है। सब में पैसा लगता है।”
रूपा के मन में आया कि अभी इन सबकी धुलाई कर दे, लेकिन उसने खुद को काबू में रखा। उसे पता था कि अभी और सबूत इकट्ठे करने हैं।
फिर रूपा ने विधवा पेंशन के बारे में पूछा। दिलेर यादव की आंखों में चालाकी की चमक आई। उसने कहा, “विधवा पेंशन के लिए भी प्रोसेस है। पहले तू अपने पति का डेथ सर्टिफिकेट लेकर आ, फिर हमसे मिल।” किशन यादव ने जोड़ा, “और हां, डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए भी पैसे लगेंगे। फिर पेंशन शुरू करवाने के लिए अलग से फीस है।”
रूपा ने पूछा, “कितनी फीस लगेगी सर जी?” दिनेश यादव ने बिना शर्म के कहा, “₹10 हजार तो चाहिए ही, तब जाकर तेरी पेंशन शुरू होगी।”
रूपा को यकीन नहीं आ रहा था कि यह लोग इतनी बेशर्मी से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। उसने मन में ठान लिया कि आज इन सबको सबक सिखाना होगा। लेकिन अभी वक्त था थोड़ा और इंतजार करने का।
इसी बीच दिलेर यादव के फोन की घंटी बजी। उसने फोन उठाया और बात करने लगा। रूपा ने गौर से सुना कि वह किसी कॉन्ट्रैक्टर से बात कर रहा है, “हां भाई, सड़क का काम मिल जाएगा, लेकिन हमारा कमीशन 40% होगा। घटिया मटेरियल इस्तेमाल करना, किसी को पता नहीं चलेगा।” यह सुनकर रूपा का खून खौल उठा। यह लोग ना केवल गरीबों का पैसा हड़प रहे थे, बल्कि सड़कों की गुणवत्ता भी बिगाड़ रहे थे।
किशन यादव ने दिलेर यादव का फोन खत्म होने का इंतजार करके कहा, “भाई, स्कूल की बिल्डिंग वाला काम भी है, उसमें भी अच्छा पैसा है।” दिनेश यादव ने उत्साह से कहा, “हां यार, बच्चों के लिए जो पैसा आता है, उसमें से भी हमारा हिस्सा निकालना होगा।”
रूपा को लगा जैसे उसके सब्र का बांध टूटने वाला है। उसने धीमी आवाज में कहा, “सर जी, एक बात पूछूं?” सभी नेताओं की नजर उस पर टिक गई। “बोल, क्या पूछना है?” दिलेर यादव ने कहा।
रूपा ने पूछा, “क्या सरकारी योजनाओं में पैसे लेना सही है? मैंने सुना है कि यह गलत है।”
सभी नेता जोरदार हंसी में फूट पड़े। किशन यादव ने पेट पकड़ कर हंसते हुए कहा, “अरे भोली, तू नहीं जानती कि राजनीति कैसे चलती है। यहां सब कुछ पैसे से ही होता है।” दिनेश यादव ने भी हंसते हुए कहा, “देख बहन, हम लोग काम करते हैं तो हमारी मेहनत का पैसा भी तो चाहिए।”
रूपा ने पूरी व्यवस्था समझ ली थी। उसने मन में ठान लिया कि अब बहुत हो गया। लेकिन उसने अपना आपा बनाए रखा, क्योंकि अभी और सबूत चाहिए थे।
फिर दिलेर यादव ने रजिस्टर खोला और कहा, “चलो भाइयों, इस साल के हिसाब किताब भी देख लेते हैं।” किशन यादव ने उत्सुकता से पूछा, “कितना कमाया इस साल?” दिलेर यादव ने पन्ने पलटते हुए कहा, “अब तक ₹4 करोड़ हो गए हैं और अभी तो साल के 6 महीने बाकी हैं।” दिनेश यादव ने खुशी से कहा, “वाह भाई, तो इस साल तो 6 करोड़ तक पहुंच जाएगा।” सुनील ने ताली बजाई।
रूपा सुन रही थी कि ये लोग सालों से करोड़ों रुपए का घोटाला कर रहे हैं। उसका धैर्य अब खत्म होने को था।
दिलेर यादव ने गंभीर होकर कहा, “मुझे लगता है कि इस औरत को यहां से जाना चाहिए। हमारी बहुत सारी बातें सुन गई हैं।” किशन यादव ने चिंता जताई, “हां यार, कहीं यह बाहर जाकर कुछ बोल ना दे।” दिनेश यादव ने कहा, “अरे घबराने की कोई बात नहीं, यह तो अनपढ़ लगती है, समझी भी होगी तो कुछ नहीं कर सकती।” सुनील ने कहा, “फिर भी सावधानी बरतनी चाहिए।”
दिलेर यादव ने रूपा की तरफ देखकर कहा, “सुन बहन, तू यहां से चली जा, तेरा काम नहीं बनेगा।” लेकिन रूपा ने मासूमियत से कहा, “सर जी, अभी तो आपने मेरी बात पूरी सुनी ही नहीं, मुझे सच में घर चाहिए।”
इस जवाब से सभी नेता परेशान हो गए। दिलेर यादव ने गुस्से में कहा, “मैंने कहा ना कि चली जा यहां से। तेरे पास पैसे हैं तो बात कर, नहीं तो भाग यहां से।” रूपा ने डरी हुई आवाज में कहा, “सर जी, मैं कहीं और जाऊंगी तो भी तो पैसे मांगेंगे ना। कम से कम बताइए कि सही दाम क्या है।”
किशन यादव ने चिल्लाकर कहा, “₹1 लाख दे दे तो घर मिल जाएगा, नहीं तो भूल जा।” दिनेश यादव ने भी गुस्से में कहा, “अगर पैसे नहीं हैं तो यहां क्यों आई है?” सुनील ने धमकी देते हुए कहा, “अगर यहां की बातों को बाहर ले गई तो अच्छा नहीं होगा।”
रूपा ने मन में सोचा कि अब सही वक्त आ गया है। इन सबको सच दिखाने का समय हो गया है। लेकिन उसने एक आखिरी कोशिश करने का फैसला किया। “सर जी, अगर मैं ₹1 लाख दे दूं तो पक्का घर मिल जाएगा ना?” रूपा ने पूछा।
दिलेर यादव ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां बिल्कुल, मिल जाएगा, लेकिन पहले पैसे लाकर दिखा।” किशन यादव ने कहा, “और हां, पैसे कैश में चाहिए, चेक वेक नहीं चलेगा।” दिनेश यादव ने भी कहा, “कैश में देगी तो कल से ही तेरे घर का काम शुरू हो जाएगा।” सुनील ने हंसकर कहा, “देख बहन, हम तो बहुत भले लोग हैं, तेरी मदद करना चाहते हैं।”
रूपा को लगा कि अब बहुत हो गया। यह लोग सरेआम घूस मांग रहे थे और उसे गरीब समझकर बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे थे। उसने तय कर लिया कि अब अपनी असली पहचान बताने का वक्त आ गया है।
रूपा ने धीरे-धीरे खड़े होते हुए कहा, “जी हां सर जी, मैं पैसे का इंतजाम कर लूंगी।” उसकी आवाज़ में अब पहले जैसी डर नहीं थी। दिलेर यादव ने खुशी से कहा, “अरे वाह, तो फिर तो बात बन गई।” किशन यादव ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब तो यह समझदार लग रही है।” दिनेश यादव ने कहा, “मैंने पहले ही कहा था कि हम भले लोग हैं।” सुनील ने भी खुशी जताई, “चलो एक और ग्राहक मिल गया।”
लेकिन रूपा के चेहरे पर अब एक अलग ही भाव था। उसने अपने बैग से अपना आईडी कार्ड निकाला और मेज पर रख दिया। सभी नेताओं की नजर उस कार्ड पर गई और उनके चेहरे का रंग उड़ गया। कार्ड पर साफ लिखा था — रूपा तिवारी, डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट।
पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। रूपा ने आवाज़ उठाते हुए कहा, “जी हां, मैं डीएम रूपा तिवारी हूं और आप सभी की बातें मैंने बहुत गौर से सुनी हैं।”
दिलेर यादव की हकलाती आवाज निकली, “मैं मैं मैडम जी, हम तो…” लेकिन रूपा ने उसे बीच में ही रोक दिया, “अब कुछ कहने की जरूरत नहीं है। आप सभी ने जो कहा है, वह सब मेरे सामने है।”
किशन यादव कांपते हुए बोला, “मैडम जी, माफ कर दीजिए, हमसे गलती हो गई।” दिनेश यादव घुटनों के बल बैठते हुए रोने लगा, “मैडम जी, हमारे बच्चे हैं, हमें माफ कर दीजिए।” सुनील भी हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा, “मैडम जी, हमसे भूल हो गई, आगे से ऐसा नहीं होगा।”
लेकिन रूपा का चेहरा पत्थर की तरह सख्त था। उसने कहा, “आप लोगों ने गरीबों का पैसा हड़पा है, सरकारी अधिकारियों को घूस देने की बात की है, और सबसे बुरी बात यह है कि आपने मुझे भी घूस देने की बात कही है।”
दिलेर यादव के होंठ सूख गए। वह कांपती आवाज में बोला, “मैडम जी, वह तो हमने मजाक में कहा था।” रूपा ने तीखी नजरों से देखते हुए कहा, “मज़ाक ₹ करोड़ का घोटाला मजाक है? अब आप सभी को मेरे साथ चलना होगा।”
रूपा ने फोन निकाला और पुलिस को कॉल किया। “यहां डीएम रूपा तिवारी बोल रही हूं, पंचायत भवन में तुरंत टीम भेजी।” फोन की आवाज सुनकर सभी नेता और भी घबरा गए।
पुलिस इंस्पेक्टर राजेश शर्मा अपनी टीम के साथ हॉल में दाखिल हुआ। रूपा को देखकर उसने सलाम किया, “मैडम जी, आदेश दीजिए।” रूपा ने कहा, “इन सभी को गिरफ्तार करिए, इन्होंने करोड़ों रुपए का घोटाला किया है।”
दिलेर यादव ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “राजेश जी, आप तो हमारे दोस्त हैं, हमें बचाइए।” लेकिन इंस्पेक्टर ने कड़ी आवाज में कहा, “अब कोई दोस्ती-शत्रुता नहीं, डीएम मैडम का आदेश है।”
किशन यादव इंस्पेक्टर के पैर पकड़ने की कोशिश करने लगा, “राजेश जी, हमने आपको भी पैसे दिए हैं, अब हमारा साथ दीजिए।” रूपा की आंखें तेज हो गईं। उसने इंस्पेक्टर से पूछा, “राजेश जी, क्या यह सच है कि आपने इनसे पैसे लिए हैं?” इंस्पेक्टर की आवाज कांपने लगी, “मैडम जी, वो दरअसल…” लेकिन वह पूरी बात नहीं कह पाया।
दिनेश यादव ने रोते हुए कहा, “मैडम जी, हमने राजेश जी को हर महीने ₹25,000 दिए हैं।” सुनील ने भी कहा, “हां, मैडम जी, पिछले साल से ही यह व्यवस्था चल रही है।”
रूपा का गुस्सा और बढ़ गया। उसने कहा, “राजेश जी, आप भी इसी केस में शामिल हैं, आपके खिलाफ भी कारवाई होगी।” इंस्पेक्टर ने हाथ जोड़कर कहा, “मैडम जी, माफ करिए, मैं आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगा।” लेकिन रूपा ने सख्ती से कहा, “अब कुछ नहीं हो सकता, पहले इन सभी को गिरफ्तार करिए।”
दिलेर यादव फिर से चिल्लाया, “मैडम जी, हमारे ऊपर भी तो लोग हैं, एमएलए साहब से बात कर लीजिए।” रूपा ने हैरानी से पूछा, “एमएलए भी इसमें शामिल है?” किशन यादव ने डरते हुए कहा, “मैडम जी, हमें उनकी तरफ से प्रोटेक्शन मिलता है।” दिनेश यादव ने कहा, “हां, मैडम जी, हर महीने उनके लिए भी पैसे भेजते हैं।” सुनील ने रोते हुए कहा, “मैडम जी, एमएलए साहब को हर महीने ₹5 लाख देते हैं।”
रूपा को समझ आ गया कि यह भ्रष्टाचार का जाल कितना बड़ा है। उसने मन में तय किया कि सभी के खिलाफ कारवाई करनी होगी। “ठीक है, एमएलए साहब के खिलाफ भी जांच होगी।” रूपा ने कहा।
दिलेर यादव ने आखिरी कोशिश करते हुए कहा, “मैडम जी, आप जानती हैं कि हमारे बहुत बड़े कनेक्शन हैं, आपको भी दिक्कत हो सकती है।” लेकिन रूपा ने हंसते हुए कहा, “मुझे डर नहीं लगता, मैं अपना काम करूंगी।”
पुलिस की टीम ने सभी नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। दिलेर यादव, किशन यादव, दिनेश यादव और सुनील को हथकड़ी लगाई गई। सभी रो रहे थे और माफी मांग रहे थे। रूपा ने इंस्पेक्टर से कहा, “इन्हें गिरफ्तार करने के साथ-साथ इनके घरों की तलाशी भी लेनी होगी, जो भी नगदी मिले उसे जब्त करना होगा।”
इंस्पेक्टर ने कहा, “जी मैडम, तुरंत व्यवस्था करता हूं।” दिलेर यादव ने आखिरी बार कोशिश करते हुए कहा, “मैडम जी, हमारे घर में बूढ़े माता-पिता हैं, उनका क्या होगा?” रूपा ने कहा, “आपको यह पहले सोचना चाहिए था।”
किशन यादव रोते हुए बोला, “मैडम जी, हमारी छोटी बेटी की शादी है, प्लीज हमें माफ कर दीजिए।” लेकिन रूपा का दिल नहीं पिघला। उसने कहा, “कानून सबके लिए एक समान है।”
दिनेश यादव और सुनील भी रोते रहे, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। जैसे ही सभी नेताओं को गाड़ियों में बिठाया जा रहा था, दिलेर यादव ने एक बार फिर चिल्लाकर कहा, “मैडम जी, यह गलत है, हमने सिर्फ वही किया है जो सभी करते हैं।” रूपा ने जवाब दिया, “और इसीलिए तो यह सिस्टम खराब है, कोई तो इसे सुधारना होगा।”
किशन यादव ने गाड़ी से चिल्लाकर कहा, “मैडम जी, आप देख लेंगे, हमारे ऊपर वाले आपको भी नहीं छोड़ेंगे।” लेकिन रूपा निर्भीक खड़ी रही। दिनेश यादव आखिरी बार रोया, “मैडम जी, हमारी गलती माफ कर दीजिए।” सुनील ने भी कहा, “मैडम जी, हम अच्छे लोग बन जाएंगे।”
लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस की गाड़ियां सभी आरोपियों को लेकर चली गईं। रूपा अकेली खड़ी सोच रही थी कि आज एक बड़ा काम हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।
अगले दिन सुबह यह खबर पूरे जिले में आग की तरह फैल गई। डीएम मैडम ने छद्म वेश में पंचायत नेताओं का भंडाफोड़ किया। अखबारों में बड़ी हेडलाइन छपी, टीवी चैनलों पर भी यह न्यूज़ चल रही थी। लोग रूपा तिवारी की तारीफ कर रहे थे। बाजार, गलियों, चाय की दुकानों पर हर जगह इसी की चर्चा हो रही थी।
लेकिन कुछ लोग चिंता भी जता रहे थे, “अब इन नेताओं के साथ ही डीएम मैडम से बदला लेने की कोशिश करेंगे।” रूपा को इन सब बातों का पता था, लेकिन वह डरने वाली नहीं थी।
रूपा ने अपने कार्यालय में सभी विभागों के अधिकारियों की मीटिंग बुलाई। उसने साफ कहा, “अब से कोई भी गलत काम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी भ्रष्टाचार करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
कुछ अधिकारी घबरा गए क्योंकि वे भी इस सिस्टम का हिस्सा थे। रूपा ने कहा, “मैं सभी को एक मौका दे रही हूं। जो अपनी गलतियां मान लेगा और सुधार का वादा करेगा, उसके साथ नरमी बरती जाएगी।” कुछ अधिकारियों ने हिम्मत करके अपनी गलतियां मानी। रूपा ने उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया।
इसके बाद रूपा ने एक नई व्यवस्था शुरू की। उसने तय किया कि हर सरकारी योजना की जांच वह खुद करेगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जितने भी घर बनने थे, वह एक-एक की जांच करने गई। जहां काम नहीं हुआ था या घटिया काम हुआ था, वहां तुरंत सुधार का आदेश दिया। विधवा पेंशन की भी जांच की गई। पता चला कि कई हकदार महिलाओं को पेंशन नहीं मिल रही थी। रूपा ने तुरंत व्यवस्था की कि सभी हकदार लोगों को पेंशन मिले।
सड़क निर्माण के काम की भी जांच हुई। जहां घटिया काम हुआ था, वहां ठेकेदारों से दोबारा काम करवाया गया। स्कूलों की हालत देखकर रूपा का दिल दुखा। कई स्कूलों में बेसिक सुविधाएं तक नहीं थीं। उसने तुरंत सभी स्कूलों की मरम्मत और सुधार का आदेश दिया।
एक महीने बाद जिले की तस्वीर बदलने लगी। जो काम सालों से रुके हुए थे, वे तेजी से पूरे होने लगे। गरीबों को सरकारी योजनाओं का फायदा मिलने लगा। भ्रष्टाचार में काफी कमी आई। लोग रूपा तिवारी को देवी की तरह मानने लगे।
लेकिन जैसा कि उम्मीद थी, रूपा पर दबाव भी बढ़ता गया। उसे अलग-अलग तरीकों से डराने की कोशिश की गई। कभी उसकी गाड़ी के टायर पंक्चर कर दिए गए, कभी उसके घर के बाहर गंदगी फेंकी गई। एक दिन उसे अनाम पत्र भी मिला जिसमें जान से मारने की धमकी थी। लेकिन रूपा बिल्कुल नहीं डरी। उसने अपनी सुरक्षा बढ़वा ली और अपना काम जारी रखा। उसे पता था कि यह सब डराने की तरकीबें हैं।
दो महीने बाद एक और बड़ी खबर आई। गिरफ्तार किए गए नेताओं के घरों से करोड़ों रुपए की संपत्ति जब्त की गई। दिलेर यादव के घर से ₹50 लाख नकद मिले। किशन यादव के घर से सोने के गहने मिले जिनकी कीमत लाखों में थी। दिनेश यादव और सुनील के घरों से भी काफी नकदी और कीमती सामान मिला। यह सब संपत्ति सरकारी खजाने में जमा की गई।
जांच में यह भी पता चला कि ये नेता फर्जी कंपनियों के जरिए पैसे की हेराफेरी कर रहे थे। उनके कई बैंक अकाउंट्स भी सील कर दिए गए। एमएलए के खिलाफ भी जांच शुरू हुई जब उसके घर से संदिग्ध लेनदेन के सबूत मिले। पूरे राज्य में इस केस की चर्चा होने लगी। रूपा तिवारी का नाम ईमानदार अधिकारियों की सूची में सबसे ऊपर आ गया।
छह महीने बाद कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। रूपा ने खुद गवाही दी। उसने बताया कि कैसे उसने छद्म वेश धारण करके इन नेताओं की पोल खोली थी। उसकी गवाही सुनकर जज भी हैरान रह गया। यह बहुत अनोखा तरीका था भ्रष्टाचार को पकड़ने का। जज ने कहा, “दिलेर यादव, किशन यादव, दिनेश यादव और सुनील के वकीलों ने कहा कि यह एक साजिश है, लेकिन रूपा के पास ठोस सबूत थे। उसने रिकॉर्डिंग भी करवाई थी जो कोर्ट में पेश की गई।”
सभी आरोपियों के अपराध साबित हो गए। कोर्ट ने उन्हें पांच-पांच साल की सजा सुनाई और जुर्माना भी लगाया। एमएलए को भी तीन साल की सजा हुई। पुलिस इंस्पेक्टर राजेश शर्मा को नौकरी से निकाल दिया गया।
यह न्याय देखकर पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। आज, दो साल बाद, उस जिले की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। भ्रष्टाचार काफी कम हो गया है। सरकारी योजनाओं का फायदा सही लोगों तक पहुंच रहा है। स्कूल, अस्पताल, सड़कें सब में सुधार हुआ है। गरीब लोगों को न्याय मिल रहा है।
रूपा तिवारी को प्रमोशन मिला और वह अब कमिश्नर बन गई हैं। लेकिन उन्होंने अपना काम करने का तरीका नहीं बदला है। वह आज भी अपने क्षेत्र में छद्म वेश में जाकर भ्रष्टाचार की जांच करती रहती हैं। उनकी इस तकनीक को अब दूसरे जिलों में भी अपनाया जा रहा है। कई आईएएस अधिकारी उनसे प्रेरणा लेकर इसी तरह का काम कर रहे हैं।
रूपा तिवारी की कहानी आज हर सरकारी अधिकारी के लिए एक मिसाल बन गई है कि अगर हिम्मत हो तो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
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