सड़क पर पानीपूरी के ठेले वाले से पुलिस वाले ने माँगा हफ्ता…उसकी एक कॉल से गाड़ियों की लाइन लग गयी ||

डीएम साहब की पानी पूरी ठेली – गरीब की आवाज़

शहर की सुबह थी। हल्की धूप में सड़क किनारे एक पुरानी सी ठेली पर अधेड़ उम्र का आदमी चुपचाप पानी पूरी सजा रहा था। उसके मैले कपड़े, झुकी कमर और थके चेहरे को देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि यही आदमी जिले के डीएम साहब – आदित्य प्रताप सिंह हैं।
आज उन्होंने ठान लिया था कि गरीबों की असली तकलीफ जाननी है। वे खुद ठेली वाले बनकर देखना चाहते थे कि पुलिस किस तरह गरीबों को सताती है।

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ठेली पर तीन छोटे बच्चे स्कूल की वर्दी में आए। सबसे छोटा बोला, “चाचा, चार पानी पूरी देना, बहन को मिर्च लगती है।”
डीएम साहब मुस्कुराए, “अभी बनाता हूँ बेटा।”
तभी सफेद पुलिस जीप आकर रुकी। माहौल बदल गया। दरोगा हरिराम चौधरी भारी कदमों से उतरा, “ओए, कौन है तू? नया धंधा खोल लिया? यहाँ हर ठेले का हफ्ता मेरे पास जमा होता है!”

डीएम साहब ने गर्दन झुका ली, “साहब, बस रोजी-रोटी के लिए ठेला लगाया है। कल ही शुरू किया है। देने के लिए कुछ नहीं है।”
दरोगा हँसा, “पैसे नहीं हैं फिर भी दुकान खोल ली? सुन, यह सड़क मेरी है। हर महीने 20,000 देना पड़ेगा, वरना आज ही ठेली उठवा दूँगा!”

लोग डर के किनारे खड़े हो गए। डीएम साहब ने हाथ जोड़कर कहा, “साहब, गरीब का पेट मत काटो। मैंने किसी का हक नहीं छीना।”
दरोगा ने गर्दन दबोचते हुए कहा, “बहुत जुबान चल रही है तेरी। अभी थाने में डाल दूँगा!”
एक राहगीर बोला, “भैया, यह गरीब आदमी कुछ गलत नहीं कर रहा। छोड़ दीजिए।”
दरोगा गरज उठा, “तू बीच में मत पड़। मैं कानून हूँ!”

दरोगा ने रसीद बुक निकाली, “यह देख, 500 का जुर्माना लगेगा या हर महीने 20,000 दे।”
डीएम साहब बोले, “साहब, एक आदमी को बुला लेता हूँ, वही आपको पैसे दे देगा।”
दरोगा हँसा, “चल बुला अपने मालिक को।”

तभी सड़क पर पांच गाड़ियों का काफिला आकर रुका। एसडीएम, तहसीलदार, और अफसर उतरकर दरोगा को घूरने लगे।
डीएम साहब ने जेब से नीला पहचान पत्र निकाला, “साहब, अब देख लीजिए मेरा पहचान पत्र।”
दरोगा के हाथ काँपने लगे – जिला अधिकारी आदित्य प्रताप सिंह!
दरोगा फर्श पर गिर गया, “साहब, गलती हो गई। पहचान नहीं पाया।”

डीएम साहब बोले, “गलती नहीं, यह तुम्हारी आदत है। आज सबक सिखाऊंगा। आज से इस इलाके में कोई गरीब, कोई ईमानदार आदमी हफ्ता नहीं देगा। यह मेरी गारंटी है।”
लोग तालियाँ बजाने लगे। दरोगा घुटनों के बल रोने लगा।
डीएम साहब बोले, “आज से तुम सस्पेंड हो। जांच टीम तुम्हारे घर तक जाएगी। कानून से बड़ा कोई नहीं होता।”

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