एक करोड़ की पेशकश: रानी की नई शुरुआत
शहर की चहल-पहल भरी सड़क पर हर तरफ गाड़ियों का शोर था। फुटपाथ के एक कोने में बैठी थी रानी, सिर्फ 18 साल की, चेहरे पर धूल, बाल बिखरे हुए, कपड़े फटे और आंखों में एक अनकहा दर्द। उसके सामने पड़ा कटोरा उसकी मजबूरी की गवाही दे रहा था। लोग आते-जाते, कोई सिक्का डाल देता, कोई तिरस्कार भरी नजर से देखता। रानी ने कभी सपनों की दुनिया देखी ही नहीं थी।
एक दिन, चमचमाती गाड़ी उसके सामने आकर रुकी। उसमें से उतरा करण, एक युवा जिसकी उम्र कोई 25 साल रही होगी, कपड़ों की चमक और आंखों में आत्मविश्वास। करण सीधे रानी के पास आया और बोला, “सुनो, मैं तुम्हें ₹1 करोड़ दूंगा, लेकिन तुम्हें मेरे साथ होटल चलना होगा।” यह सुनते ही रानी का दिल बैठ गया। उसे लगा, अब वही होगा जो अक्सर गरीब लड़कियों के साथ होता है। आसपास के लोग भी कानाफूसी करने लगे, “देखो, अब इसकी इज्जत भी बिक जाएगी।”
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रानी ने डर और आशंका से करण की ओर देखा। उसकी आंखों में सवाल थे, डर था, और कहीं न कहीं एक उम्मीद भी। करण ने उसकी चुप्पी को समझा और मुस्कुराकर बोला, “डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। बस मेरे साथ चलो, मैं तुम्हारी जिंदगी बदलना चाहता हूं।”
रानी के मन में तूफान था। एक तरफ एक करोड़ की चमक, दूसरी तरफ अपनी इज्जत का सवाल। मगर हालात ने उसे मजबूर कर दिया। उसने हिम्मत जुटाई और करण के साथ होटल जाने का फैसला किया। दोनों होटल पहुंचे। रानी ने ऐसी जगह पहले कभी नहीं देखी थी—झूमरों की चमक, महंगे फर्नीचर, दीवारों पर सुंदर पेंटिंग्स। करण ने उसे एक कमरे में बैठाया, गर्म चाय दी और कहा, “तुम्हें लगता है मैं तुम्हें यहां किसी गलत मकसद से लाया हूं? नहीं, रानी। मैं तुम्हें एक मौका देना चाहता हूं।”
करण ने एक बैग रानी के सामने रखा। “इसमें तुम्हारे ₹1 करोड़ हैं। मैं चाहता हूं कि तुम इन पैसों से अपनी पढ़ाई पूरी करो, अच्छे कपड़े पहनो, एक सामान्य जिंदगी जियो। मैंने भी गरीबी देखी है, किसी अजनबी ने मुझे मदद दी थी। आज मैं तुम्हें वही मौका देना चाहता हूं।”
रानी की आंखों से आंसू बह निकले। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई बिना किसी स्वार्थ के उसकी मदद कर सकता है। करण ने कहा, “बस मुझे एक वादा चाहिए, जब तुम अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ, तो किसी और की मदद जरूर करना।”
रानी ने करण के पैरों में गिरकर उसका शुक्रिया अदा किया। करण ने उसे उठाया और कहा, “अब तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे हाथ में है।”
अगले कुछ सालों में रानी ने करण के दिए पैसों से अपनी पढ़ाई पूरी की। उसने मेडिकल की डिग्री ली और डॉक्टर बन गई। अब वह एक अस्पताल चलाती थी, जहां गरीबों का मुफ्त इलाज करती थी। उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। वह करण को अपनी सफलता का श्रेय देती थी और अक्सर उससे मिलने जाती थी।
एक दिन रानी ने करण से कहा, “आपने मेरी जिंदगी बदल दी। मैं आपको कभी नहीं भूलूंगी।” करण ने मुस्कुराकर कहा, “तुमने खुद अपनी किस्मत बदली है, मैंने तो बस रास्ता दिखाया।”
रानी की कहानी यह सिखाती है कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती और हर इंसान बुरा नहीं होता। किसी की मदद करने से उसकी पूरी जिंदगी बदल सकती है। आज रानी मिसाल बन चुकी है—हिम्मत, मेहनत और इंसानियत की।
तो क्या आप भी किसी की जिंदगी बदलना चाहेंगे? क्योंकि एक छोटी सी नेकी किसी की दुनिया बदल सकती है।
अगर आपको इसे और विस्तार या किसी खास शैली में चाहिए, तो बताएं!
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