बहू के साथ ऐसा सितम हुआ कि देखने वाले रो पड़े।

.

.

बांझ कहकर तलाक की दहलीज पर खड़ी लड़की — एक पति की सच्चाई और जज्बा

मेरा नाम आरिफ है। मेरी शादी को अभी एक साल ही हुआ था। मेरी पत्नी सकीना एक खूबसूरत, सलीकामंद और बेहद नम्र लड़की थी। हम दोनों की जिंदगी शुरू में बड़ी खुशहाल थी। मैं पढ़ा-लिखा था और हमारे परिवार की स्थिति ठीक-ठाक थी। मेरी मां ने मेरी शादी किसी गरीब लड़की से करने की जिद की, यह बात मुझे समझ नहीं आई थी, क्योंकि हमारा खानदान ठीक था और मेरे लिए बड़े घरों से भी रिश्ता आ सकता था। लेकिन मां का कहना था कि गरीब लड़की नखरे कम करती है और घर बसाने वाली होती है।

सकीना सचमुच ऐसी ही थी। उसने कभी मुझसे या अपनी सास से कोई शिकायत नहीं की। वह हमेशा नम्र और विनम्र रहती। मेरे मां के सख्त स्वभाव के बावजूद भी उसने कभी कोई उलझन नहीं पैदा की। मैं भी मां की हर बात मानता था और कभी भी सकीना की शिकायत नहीं करता था।

लेकिन शादी को कुछ महीने ही हुए थे कि मेरी मां को पोते की चिंता सताने लगी। वह बार-बार कहने लगी कि अब तक तुम्हारी बीवी से कोई उम्मीद क्यों नहीं हुई। मां की बातें सुनकर मैं खुद भी हैरान था। मैंने मां को समझाया कि बेटा या बेटी होना अल्लाह की मर्जी है, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। लेकिन मां नहीं मानी और कहने लगी कि सकीना को अच्छी तरह समझाओ, मुझे सिर्फ पोता चाहिए।

समय बीतता गया, लेकिन सकीना को बच्चे की खुशी नहीं मिली। मेरी मां के ताने शुरू हो गए। वह बार-बार कहती, “यह औरत बांझ है, जल्दी से इसे तलाक दे दो।” मां की बातें सुनकर मेरा दिल टूट जाता, लेकिन मैं सकीना को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहता था। वह भी कभी मुझसे कोई शिकायत नहीं करती थी, बस चुपचाप सब सहती रहती।

मैंने उसे कई बार डॉक्टर के पास भी ले जाकर जांच करवाई। एक बार तो एक हकीम ने कहा कि शायद समस्या मुझमें है, न कि सकीना में। मैंने उस पर्चे को फाड़ दिया और कहा कि मैं पूरी तरह ठीक हूं। लेकिन मां की जिद कम नहीं हुई। उन्होंने सकीना को कई लोगों के पास ले जाकर इलाज करवाया। सकीना ने हर इलाज को सहन किया, बिना कोई नखरा किए।

Bahu Ke Saath Aisa Sitam Hua Ke Dekhne Wale Rone Lage 😢 Islamic Story | Story Telling 2.0 - YouTube

मां का व्यवहार दिन-ब-दिन सख्त होता गया। वह सकीना को ताबीज पहनने, वाजिफा करने और अमल करने के लिए मजबूर करती। एक दिन मां ने सकीना को एक आमिल बाबा के पास ले जाकर इलाज करवाया। उस बाबा ने अजीबोगरीब तरीके अपनाए। उसने बाल काटने, राख जलाकर ताबीज बनाने और उसे खाने के लिए कहा। फिर एक बच्चे के पुतले को कब्रिस्तान में दफनाने का अमल बताया।

सकीना को यह सब करना था, लेकिन वह बहुत डरती थी। मैं भी मां को मनाने की कोशिश करता कि यह सब बंद कर दें, लेकिन मां नहीं मानी। उसने कहा कि अगर यह सब नहीं किया तो वह अपनी जान दे देगी। मजबूरन हम सबने वह अमल किया।

एक रात मैं खुद कब्रिस्तान गया और सकीना को वहां बेहोशी की हालत में पाया। मैंने उसे उठाकर अस्पताल ले गया। डॉक्टर ने कहा कि वह खौफ के कारण बेहोश हुई थी। उस दिन मेरी आंखें खुल गईं कि मां की बातें और दबाव सकीना के लिए कितना नुकसानदेह हैं।

मैंने मां से साफ कहा कि वह सकीना को परेशान न करें और अब कोई इलाज नहीं होगा। मां ने गुस्से में मेरा विरोध किया, लेकिन मैं डटा रहा। धीरे-धीरे मां का रवैया बदलने लगा।

फिर एक दिन पता चला कि सकीना गर्भवती है। वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था। कुछ महीनों बाद सकीना ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया — एक बेटा और एक बेटी। हमारी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।

मैंने यह कहानी इसलिए बताई ताकि हर उस इंसान को हिम्मत मिले जो सामाजिक दबावों और रूढ़िवादिता के कारण टूट रहा हो। कभी भी किसी आमिल बाबा या अंधविश्वास पर भरोसा मत करो। अपने रब पर भरोसा रखो और अपने परिवार के प्रति प्यार और समझदारी से काम लो।

अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और इसे दूसरों के साथ भी शेयर करें।

समाप्त