“इंस्पेक्टर ने एसपी मैडम को मोमोज़ वाली समझकर किया हाथ उठाना, फिर जो हुआ, बना उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा पछतावा!”
जब इंस्पेक्टर ने एसपी मैडम को मोमोज़ वाली समझकर हाथ उठाया, तो उसके बाद जो हुआ, वो उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा पछतावा बन गया।
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एक सुबह, एक महिला पीले रंग की साड़ी पहने, जो गांव की साधारण औरतों जैसी दिखती थी, धीरे-धीरे बाजार की ओर बढ़ रही थी। किसी को अंदाजा नहीं था कि वह कोई और नहीं, बल्कि जिले की एसपी, कविता चौहान हैं। कविता ने जानबूझकर ऐसा रूप धारण किया था ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। वह पुरानी यादों में खोई हुई थीं और सोच रही थीं कि आज पुराने दिनों की तरह सड़क किनारे ठेले से मोमोज खा सकें।
जब वह थोड़ी दूर बढ़ीं, तो उनकी नजर सड़क के किनारे एक छोटे से ठेले पर पड़ी। वहां एक लगभग 50 साल का दुबला-पतला बुजुर्ग मोमोज बेच रहा था। कविता धीरे-धीरे चलते हुए ठेले के पास पहुंची और बोली, “अंकल, एक प्लेट मोमोज़ दे दीजिए।” अंकल मुस्कुराए और जल्दी से गरम-गरम मोमोज़ प्लेट में डालकर उनके हाथ में दे दिए। जैसे ही कविता मोमोज़ खाने लगी, उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। बचपन से ही उन्हें मोमोज़ का बहुत शौक था, लेकिन ड्यूटी और व्यस्त जिंदगी की वजह से उन्हें ऐसा मौका बहुत कम मिलता था। वह चुपचाप स्वाद का मजा ले रही थीं कि तभी अचानक एक इंस्पेक्टर तीन-चार सिपाहियों के साथ वहां आया।
इंस्पेक्टर ने ठेले के पास रुककर गुस्से में कहा, “अरे ओ बुड्ढे, जल्दी से पैसे निकाल।” अचानक आवाज सुनकर बुजुर्ग अंकल घबरा गए। उनके हाथ कांपने लगे। हकलाते हुए बोले, “साहब, अभी तो दिन की शुरुआत है। अभी तक तो मैंने कुछ कमाया भी नहीं। कोई ग्राहक आया ही नहीं। शाम को आऊंगा तो पैसे दे दूंगा। अभी मेरे पास नहीं है।” यह सुनकर इंस्पेक्टर भड़क उठा। उसने बिना कुछ सोचे-समझे अंकल के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। यह देखकर कविता चौहान हैरान रह गईं।
उन्होंने तुरंत बीच में आकर कहा, “रुकिए इंस्पेक्टर साहब, आप इनसे किस बात के पैसे मांग रहे हैं? और क्यों? किस हक से आपने इन्हें थप्पड़ मारा? आपको कोई अधिकार नहीं है बेवजह किसी गरीब के साथ ऐसा करने का।” इंस्पेक्टर ने घूरते हुए कहा, “तुम बीच में मत पड़ो। तुम्हें पता भी है मामला क्या है? ज्यादा बोलोगी तो अभी तुम्हें गिरफ्तार कर लूंगा। चुपचाप खड़ी रहो।” कविता ने गुस्से में जवाब दिया, “देखिए, आप जो कर रहे हैं, वह बिल्कुल गलत है। कहीं भी कानून में नहीं लिखा कि आप गरीबों से वसूली करें। आप इन पर जुल्म कर रहे हैं। इसका अंजाम आपको भुगतना पड़ेगा। सुधर जाइए।”
यह सुनकर इंस्पेक्टर बुरी तरह भड़क गया। उसने गुस्से में अपना आपा खो दिया और कविता के गाल पर जोरदार तमाचा मार दिया। थप्पड़ इतना जोरदार था कि कविता थोड़ी लड़खड़ा गईं, लेकिन खुद को संभाल लिया। उन्होंने गुस्से से कहा, “आपने मुझ पर हाथ उठाया। अब मैं आप पर एफआईआर दर्ज करवाऊंगी।” इंस्पेक्टर ने हंसते हुए धमकी दी, “एफआईआर तुझे समझ नहीं आया? ज्यादा बोलोगी तो इतना मारूंगा कि घर तक नहीं जा पाओगी। निकल यहां से वरना धक्के मार कर भगा दूंगा।” इंस्पेक्टर ने गुस्से में फिर से मोमोज वाले अंकल का कॉलर पकड़ लिया और चीखते हुए बोला, “अबे बुड्ढे, ज्यादा होशियारी मत कर। जल्दी से पैसे निकाल वरना अभी तेरा ठेला उठा दूंगा।” इतना कहकर इंस्पेक्टर ने गुस्से में ठेले पर जोरदार लात मार दी। ठेला उलट गया और सारे मोमोज सड़क पर बिखर गए। बेचारा अंकल डर के मारे रोने लगा। वह घुटनों के बल बैठकर मोमोज समेटने लगा। तभी इंस्पेक्टर ने डंडा उठाकर अंकल की पीठ पर जोर से मारा। अंकल हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा, “साहब, मैं सच कह रहा हूं। अभी तक कुछ कमाया ही नहीं। शाम को आइएगा, जो भी कमाऊंगा दे दूंगा। प्लीज, मुझे मत मारिए। प्लीज, मुझे माफ कर दीजिए।”
यह सुनकर कविता चौहान और सहन नहीं कर पाईं। उन्होंने गुस्से में आगे बढ़कर कहा, “अंकल, आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है। ये लोग गरीबों पर जुल्म ढा रहे हैं। इन्हें जरा भी शर्म नहीं आती। बड़ी मुश्किल से आप लोग ठेला लगाकर अपने घर का पेट पालते हैं और ये लोग आपकी मेहनत को लूट रहे हैं। इंस्पेक्टर साहब, अब मैं आपको आपकी औकात दिखाकर रहूंगी।” इंस्पेक्टर हंसी उड़ाते हुए बोला, “अरे तेरी इतनी हिम्मत, तू मुझे औकात दिखाएगी? तेरी औकात ही क्या है मेरे सामने? जा अपना काम कर। ज्यादा बकवास करेगी तो इतना मारूंगा कि चलने लायक नहीं बचेगी।” इतना कहकर इंस्पेक्टर और उसके साथ खड़े हवलदार लौटने लगे। जाते-जाते इंस्पेक्टर ने मुड़कर अंकल को धमकी दी, “शाम को फिर आऊंगा। अगर पैसे नहीं मिले तो ना तू बचेगा और ना तेरा ठेला। समझ गया ना?” कहकर वो लोग वहां से चले गए।
कविता चौहान तुरंत अंकल के पास गईं और प्यार से बोलीं, “अंकल, आप ठीक हैं। टेंशन मत लीजिए। घर जाइए। मैं इन पुलिस वालों को सबक सिखा कर रहूंगी।” अंकल ने रोते हुए कहा, “बेटा, तूने मेरे लिए इतना क्यों किया? तेरे ही चक्कर में तुझे मार पड़ी। तू क्या कर लेगी उनका? वो पुलिस वाले हैं। सालों से हम पर जुल्म करते आ रहे हैं। हम कुछ नहीं कर पाए। तू भी कुछ नहीं कर पाएगी। छोड़ दे यह सब।” कविता ने गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया, “नहीं अंकल, अब बहुत हो गया। आप नहीं जानते मैं क्या कर सकती हूं। मैं इन लोगों को उनके गुनाहों की सजा दिलवा कर ही रहूंगी। आप फिक्र मत कीजिए। बस घर जाइए और आराम कीजिए।”
यह कहकर कविता चौहान वहां से निकलीं और सीधे घर पहुंचीं। घर पहुंचकर सड़क पर हुई सारी बातें उनके दिमाग में घूमने लगीं। उनका खून खौल रहा था। उन्होंने मन ही मन ठान लिया। अब इन्हें छोड़ना नहीं है। सबसे पहले इस इंस्पेक्टर पर रिपोर्ट दर्ज कराऊंगी और इसे सस्पेंड करवा कर रहूंगी। अगली सुबह कविता चौहान ने खुद को बिल्कुल साधारण महिला के रूप में तैयार किया। सफेद रंग की साड़ी पहनी और बिना किसी पहचान के थाने पहुंच गईं।
जैसे ही वह अंदर गईं, उनकी नजर एक हवलदार पर पड़ी। वही हवलदार जो कल सड़क पर इंस्पेक्टर के साथ था। कविता ने सीधा उससे पूछा, “इंस्पेक्टर रामनाथ कहां है?” हवलदार ने जवाब दिया, “मैडम, वो किसी काम से शहर गए हुए हैं। एसएओ साहब भी बाहर गए हैं।” इतने में पीछे के दरवाजे से एसएओ संजीत शर्मा अंदर आए। नजर सफेद साड़ी पहने उस महिला पर पड़ी और वह सीधे कविता चौहान के पास गए। “क्या बात है मैडम? यहां किस लिए आई हैं? क्या काम है आपका?” थाने में मौजूद सिपाही और एसएओ संजीत शर्मा दोनों को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनके सामने खड़ी यह साधारण दिखने वाली महिला दरअसल जिले की एसपी कविता चौहान हैं जो यहां अपने ही इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने आई हैं।
कविता चौहान ने अपनी मधुर लेकिन सख्त आवाज में कहा, “सर, मुझे इंस्पेक्टर रामनाथ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी है। उसने सड़क पर मोमोज का ठेला लगाए बैठे एक बुजुर्ग अंकल को थप्पड़ मारा। उनका ठेला गिरा दिया और उनका सारा सामान सड़क पर बिखेर दिया। जब मैंने उसे रोका तो उसने मुझ पर भी हाथ उठाया। उसने उस गरीब अंकल के साथ बहुत जुल्म किया। मैं इसी लिए यहां आई हूं ताकि इंस्पेक्टर रामनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो। आप तुरंत रिपोर्ट लिखिए।”
यह सुनते ही एसएओ संजीत शर्मा हैरान हो गए। उन्होंने तिरछी नजरों से कविता को देखा और बोला, “आपको पता है आप किसके खिलाफ बात कर रही हैं? वो यहां का इंस्पेक्टर है। हम उसके खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख सकते और फिर क्या हो गया अगर उसने एक थप्पड़ मार दिया? छोड़िए यह सब बातें। वैसे भी वो गरीब क्या कर सकते हैं? आप बेकार की टेंशन मत लीजिए और घर जाइए।”
यह सुनकर कविता चौहान का खून खौल उठा। उन्होंने गुस्से में जवाब दिया, “देखिए, मुझे कानून मत सिखाइए। इस देश में रहने वाला हर नागरिक बराबर है। गरीब हो या अमीर। अगर कोई अपराध करता है तो उसके खिलाफ एक्शन लेना ही पड़ेगा। हर किसी को न्याय पाने का हक है। और अगर आपने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो मैं आपके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती हूं। समझे आप?”
संजीत शर्मा यह सुनकर भड़क गए। उन्होंने गुस्से में आवाज ऊंची करते हुए कहा, “तेरी इतनी औकात कि तू हम पर रिपोर्ट दर्ज करेगी? मैं चाहूं तो अभी तुझे अंदर कर दूं। ज्यादा जुबान मत चला और यहां से दफा हो जा। तू जानती नहीं हमारी कितनी पावर है। बेहतर है चुपचाप यहां से निकल जा।” कविता चौहान उसकी आंखों में आंखें डालकर बोलीं, “लगता है तुम्हें और तुम्हारे इंस्पेक्टर को औकात दिखानी ही पड़ेगी। लेकिन याद रखना जब मैं लौटूंगी, तब तुम दोनों इस थाने में टिक नहीं पाओगे। मेरे शब्द याद रखना।” इतना कहकर वह गुस्से में थाने से निकल गईं। थाने में मौजूद हवलदार और बाकी सिपाही चुपचाप एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। सबके मन में एक ही सवाल था। यह औरत आखिर है कौन जो इतनी बेखौफ बातें करके चली गई?
कविता चौहान घर लौटीं। उनका गुस्सा अब और भी बढ़ चुका था। उन्होंने खुद से कहा, “यह थाना सफाई मांगता है। अगर ऐसे लोग यहां रहेंगे तो गरीबों का हक मारते रहेंगे और शहर बर्बाद होता रहेगा। अब इन्हें बेनकाब करना ही पड़ेगा।” उन्होंने तुरंत फैसला किया और डायरेक्ट डीएम आशीष यादव के ऑफिस पहुंचीं। अंदर पहुंचते ही उन्होंने पूरी घटना डीएम को सुनाई। सब कुछ सुनकर डीएम का भी खून खौल उठा। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “कविता मैडम, जो आपने बताया वह बेहद शर्मनाक है लेकिन कार्रवाई के लिए हमें सबूत चाहिए। क्या आपके पास कोई सबूत है?”
कविता ने तुरंत अपना फोन निकाला और बोलीं, “जी सर, मेरे पास सबूत है। जब मैं थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने गई थी, मैंने अपने फोन की रिकॉर्डिंग ऑन कर रखी थी। उसमें एसएओ संजीत शर्मा की सारी बातें रिकॉर्ड हो गई हैं। और यह देखिए, यह वीडियो। इसमें इंस्पेक्टर रामनाथ अंकल को थप्पड़ मार रहा है और उनका ठेला गिरा रहा है। यह फुटेज मैंने खुद वहां लगे सीसीटीवी कैमरे से ली है।”
डीएम ने रिकॉर्डिंग और फुटेज देखी। उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, “इन दोनों को सस्पेंड करना बहुत जरूरी है। अगर ऐसे पुलिसकर्मी थाने में रहेंगे तो लोग डर में दबे रहेंगे और न्याय नहीं मिलेगा। अब और नहीं। मैं कल सुबह प्रेस मीटिंग बुलाऊंगा। उसमें सभी बड़े अफसर, नेता और मीडिया मौजूद रहेंगे और मैं उनके सामने इन दोनों की करतूत उजागर करके इन्हें सस्पेंड करूंगा। मैडम, आप टेंशन मत लीजिए। कल का इंतजार कीजिए और मीटिंग में जरूर आइए।”
कविता चौहान ने सिर हिलाया और घर लौट आईं। अगली सुबह जिले के सबसे बड़े ऑफिस में प्रेस मीटिंग रखी गई। हॉल खचाखच भरा था। मीडिया के कैमरे चमक रहे थे। बड़े-बड़े नेता, अफसर, एएसपी, एसडीएम, इंस्पेक्टर और आईपीएस अधिकारी सभी मौजूद थे। माहौल तनावपूर्ण था। सबको इंतजार था। आज आखिर क्या खुलासा होने वाला है? मीटिंग हॉल में सन्नाटा छा गया था। कैमरे चालू हो चुके थे। जिले के बड़े अफसर, नेता, मीडिया और तमाम पुलिस अधिकारी सामने बैठे थे। तभी डीएम आशीष यादव माइक उठाते हैं और गहरी आवाज में कहते हैं, “आज मैं आप सभी को एक बेहद गंभीर मामला बताने आया हूं। हमारे जिले के थाने में इंस्पेक्टर रामनाथ और एसएओ संजीत शर्मा ने ऐसा काम किया है जो पुलिस की वर्दी पर दाग है। जिस वर्दी का काम जनता की रक्षा करना है, उसी वर्दी में रहकर इन लोगों ने गरीबों पर जुल्म ढाया और कानून का मजाक बनाया।”
इतना कहते ही पूरे हॉल में खुसफुसाहट शुरू हो गई। सभी लोग हैरान होकर एक-दूसरे को देखने लगे। तभी डीएम ने माइक एएसपी कविता चौहान की तरफ बढ़ाया। कविता चौहान अपने आत्मविश्वास से भरे अंदाज में माइक संभालती हैं और कहती हैं, “आप सभी जानते हैं कि पुलिस का काम है जनता की सेवा। लेकिन जब यही पुलिस जनता पर जुल्म करे, तब हमें आवाज उठानी पड़ती है। कुछ दिन पहले मैंने अपने ही जिले के इंस्पेक्टर रामनाथ और एसएओ संजीत शर्मा को गरीबों से वसूली करते, मारपीट करते और कानून का दुरुपयोग करते देखा। मैंने खुद इस पर सबूत इकट्ठा किए हैं। आप सब अब वह देखिए। इतना कहते ही हॉल की बड़ी स्क्रीन पर वीडियो चलाया जाता है। वीडियो में साफ दिख रहा था इंस्पेक्टर रामनाथ सड़क किनारे एक बुजुर्ग मोमोज वाले को थप्पड़ मार रहा है। ठेला गिरा रहा है और उसे धमका रहा है। फिर थाने में एसएओ संजीत शर्मा उस महिला से बदतमीजी करते हुए रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर रहा है। जैसे ही वीडियो खत्म हुआ, पूरे हॉल में शोर मच गया। मीडिया वाले कैमरे की फ्लैशिंग बढ़ा देते हैं। कई नेता गुस्से में खड़े होकर कहते हैं, “ऐसे अफसरों को नौकरी में रहने का कोई हक नहीं। तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।”
इसके बाद कविता चौहान ने अपनी रिकॉर्डिंग सबको सुनाई। उसमें एसएओ संजीत शर्मा की बेहूदा बातें और रिपोर्ट दर्ज ना करने की साफ आवाज गूंज रही थी। अब माहौल और गर्म हो चुका था। सभी लोग गुस्से में थे। तभी डीएम आशीष यादव फिर माइक उठाते हैं और सख्त आवाज में कहते हैं, “आज से इंस्पेक्टर रामनाथ और एसएओ संजीत शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी। ऐसे लोगों का इस विभाग में कोई स्थान नहीं है। कानून से ऊपर कोई नहीं है। चाहे वह पुलिस ही क्यों ना हो।”
हॉल तालियों से गूंज उठा। मीडिया के कैमरे लगातार फ्लैश करने लगे। कई नेताओं ने आगे आकर डीएम के फैसले का समर्थन किया। तभी एक वरिष्ठ नेता खड़े होकर बोले, “कविता मैडम जैसी ईमानदार अफसर ही इस जिले की शान है। आपने जो कदम उठाया, उससे आम जनता का विश्वास पुलिस में कायम रहेगा।” कविता चौहान ने माइक उठाकर कहा, “यह लड़ाई सिर्फ एक बुजुर्ग ठेले वाले के लिए नहीं थी, बल्कि हर उस गरीब के लिए थी जो सालों से चुपचाप अन्याय सह रहा है। अब किसी गरीब को डरने की जरूरत नहीं। कानून सबके लिए बराबर है।”
पूरे हॉल में तालियां गूंजने लगीं। इंस्पेक्टर रामनाथ और एसएचओ संजीत शर्मा को उसी मीटिंग के तुरंत बाद पुलिस सुरक्षा में थाने से बाहर ले जाया गया। दोनों के चेहरे पर शर्म और गुस्सा साफ दिख रहा था। कविता चौहान ने बाहर निकलते हुए मीडिया से कहा, “आज एक मिसाल कायम हुई है। अब जिले में कोई गरीब इंसाफ के लिए दर-दर नहीं भटकेगा। जो भी जनता पर जुल्म करेगा, उसे यही अंजाम मिलेगा।”
उस दिन से पूरे जिले में चर्चा थी। एसएसपी मैडम ने कर दिखाया। गरीब ठेले वाले अंकल की आंखों में आंसू थे। लेकिन इस बार यह आंसू दर्द के नहीं, राहत के थे। और कविता चौहान के इस साहसिक कदम से पूरे जिले में एक नया संदेश गया। कानून सबके लिए बराबर है।
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