एयरपोर्ट पर बुजुर्ग का अपमान, 10 मिनट बाद सीधा प्रधानमंत्री का कॉल!
कपड़ों से नहीं, इंसानियत से पहचान बनती है — एयरपोर्ट पर बुजुर्ग नायक की कहानी
.
.
.
मुंबई का अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, सुबह 11 बजे। भीड़, शोर, भागदौड़—हर कोई अपनी मंजिल की जल्दी में। इसी भीड़ में एक बुजुर्ग, सफेद बाल, झुकी कमर, हाथ में फटा सा बैग लिए, चुपचाप लाइन में खड़े थे। उनकी शर्ट मैली थी, जूते घिसे हुए, लेकिन चेहरे पर गहरी शांति थी।
लोग उन्हें देखकर फुसफुसाने लगे—“भिखारी लगता है, ऐसे कपड़ों में एयरपोर्ट कैसे आ गया?”
स्टाफ ने भी ताना कसा, “यह लाइन पैसेंजर्स के लिए है, हट जाइए!”
बुजुर्ग ने विनम्रता से कहा, “बेटी, मेरे पास टिकट है।”
लेकिन हंसी, ताने और एक गार्ड का धक्का ही मिला। बुजुर्ग लड़खड़ा गए, टिकट वाला लिफाफा गिर गया, आंखें नम हो गईं। किसी ने मदद नहीं की, सब तमाशा देखते रहे।
कुछ ही मिनट बाद…
अचानक सायरन बजने लगे, अधिकारी भागते हुए आए, और सबको चौंका दिया—
“तुम जानते भी हो किसे अपमानित किया है? यह देश के रिटायर्ड राष्ट्रीय नायक, प्रधानमंत्री के विशेष मेहमान हैं!”
पूरा एयरपोर्ट सन्न रह गया।
भीड़, जो अभी तक हंस रही थी, अब शर्म से सिर झुका चुकी थी।
स्टाफ और गार्ड रोते हुए माफी मांगने लगे।
बुजुर्ग बोले, “गलती इंसान से ही होती है। मगर सोचो, समाज इतना कठोर क्यों हो गया कि इंसान को कपड़ों से परखा जाने लगा?”
तभी प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया। स्पीकर पर देश के प्रधानमंत्री बोले—
“आप हमारे हीरो हैं, आपके साथ जो हुआ, वह पूरे देश का अपमान है। सभी दोषियों पर कार्रवाई होगी। पूरे देश को आप पर गर्व है।”
बुजुर्ग ने कहा,
“असली गरीबी पैसे की नहीं, इंसानियत की कमी की होती है।
इंसान की पहचान उसके कपड़ों से नहीं, उसके कर्म से होती है।
अन्याय केवल करने वाला ही दोषी नहीं, चुप रहने वाला भी दोषी है।”
भीड़ में कई लोग रो पड़े।
एक महिला, जिसने पहले बेटे से कहा था “भिखारी हैं”, अब शर्म से कांप रही थी।
एक पत्रकार ने पूछा, “सर, आपने विरोध क्यों नहीं किया?”
बुजुर्ग बोले, “अगर बताता, तो वे डर कर सम्मान दिखाते। मैं देखना चाहता था कि इंसानियत बाकी है या नहीं।”
लाउडस्पीकर से प्रधानमंत्री का संदेश आया—
“सम्मान कपड़ों से नहीं, इंसानियत से मिलता है। जिसने देश के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगाई, उसका अपमान राष्ट्र का अपमान है।
इस घटना से हर नागरिक सबक ले।”
एयरपोर्ट डायरेक्टर और अधिकारी बुजुर्ग के पैरों छूने झुके।
बुजुर्ग ने कहा,
“सम्मान झुक कर नहीं, उठकर दिया जाता है।
अगर सचमुच सम्मान देना है, तो वादा करो—
अब कभी किसी गरीब, बुजुर्ग, मजबूर इंसान को कपड़ों से मत आकना।
उनके साथ इंसानियत से पेश आना।”
पूरा एयरपोर्ट तालियों की गूंज से भर गया।
सेना की टुकड़ी ने सलामी दी।
भीड़ जो पहले तमाशा देख रही थी, अब आदर से सिर झुकाए खड़ी थी।
सीख:
कभी किसी को उसके कपड़ों से मत आकिए।
हर इंसान के भीतर एक कहानी, एक संघर्ष, एक सम्मान छुपा होता है।
इंसानियत जिंदा रहेगी, तो समाज जिंदा रहेगा।
सम्मान हर किसी का अधिकार है।
News
दुबई में मजदूर ने लौटाया अरब इंजीनियर का पर्स, इनाम में जो मिला जानकर रह जाएंगे दंग!
दुबई में मजदूर ने लौटाया अरब इंजीनियर का पर्स, इनाम में जो मिला जानकर रह जाएंगे दंग! समीर की ईमानदारी…
दुबई में लेबर लड़के ने लौटाया अरब इंजिनियर का खोया हुआ पर्स ,फिर लेबर को जो मिला जानकर होश उड़ जायेंगे
दुबई में लेबर लड़के ने लौटाया अरब इंजिनियर का खोया हुआ पर्स ,फिर लेबर को जो मिला जानकर होश उड़…
एयरपोर्ट पर बुजुर्ग को भिखारी समझकर लाइन से हटा दिया… 10 मिनट बाद सीधा PM का कॉल आया
एयरपोर्ट पर बुजुर्ग को भिखारी समझकर लाइन से हटा दिया… 10 मिनट बाद सीधा PM का कॉल आया कपड़ों से…
गलत टेबल पर खाना रखने पर मैनेजर ने बुजुर्ग वेटर को निकाला, अगले दिन होटल में जो हुआ उसने सबको चौंका दिया!
गलत टेबल पर खाना रखने पर मैनेजर ने बुजुर्ग वेटर को निकाला, अगले दिन होटल में जो हुआ उसने सबको…
मैनेजर ने बुर्जुग वेटर को गलत टेबल पर खाना रखने पर जब निकाल दिया लेकिन अगले दिन होटल के
मैनेजर ने बुर्जुग वेटर को गलत टेबल पर खाना रखने पर जब निकाल दिया लेकिन अगले दिन होटल के इंसानियत…
Monsoon Update: Relief for Some, Danger for Others – Heavy Rain Alert in Gujarat & Rajasthan, Latest Weather in Delhi, UP & Bihar
Monsoon Update: Relief for Some, Danger for Others – Heavy Rain Alert in Gujarat & Rajasthan, Latest Weather in Delhi,…
End of content
No more pages to load