“कमिश्नर की बेटी को थप्पड़ मारना पड़ा महंगा, थाने में मच गया भूचाल!”

“आम लड़की समझकर थप्पड़ मारा, लेकिन जब सच्चाई सामने आई…”

सुबह की ठंडी हवा में प्रिया अपनी स्कूटी पर रानीपुर की ओर जा रही थी। साधारण सलवार सूट पहने, वह बिलकुल आम गाँव की लड़की लग रही थी। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वह पुलिस कमिश्नर मिस्टर वर्मा की बेटी है। आज वह अपनी सहेली की शादी में जा रही थी।

बाजार पार करते ही उसने सड़क किनारे पुलिस वालों को गाड़ियों की चेकिंग करते देखा। इंस्पेक्टर सुरेश भी वहीं था, जो उसके पिता का अच्छा दोस्त था। सुरेश ने प्रिया को रुकने का इशारा किया।
“अरे मैडम, कहाँ चली जा रही हो बिना हेलमेट के?” सुरेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “चालान तो कटेगा ही, वरना आप लोगों का एटीट्यूड कभी नहीं बदलेगा।”

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प्रिया ने विनम्रता से कहा, “सर, माफ कीजिए, जल्दी में थी इसलिए हेलमेट लेना भूल गई। पास ही शादी में जा रही हूँ। छोड़ दीजिए ना।”

लेकिन सुरेश भड़क गया। “तू हमें कानून सिखाएगी? ज्यादा बकवास मत कर!”
इतना कहकर उसने गुस्से में प्रिया के गाल पर जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
आसपास लोग तमाशा देखने लगे, लेकिन कोई आगे नहीं आया।

सुरेश ने धमकी दी, “5000 का चालान भर या स्कूटी समेत लॉकअप में डाल दूंगा।”
प्रिया हैरान रह गई। उसे समझ आ गया कि इंस्पेक्टर कानून का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
वह शांत स्वर में बोली, “सर, मुझे जाने दीजिए। मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।”

सुरेश और भड़क गया। “तेरी जैसी लड़कियों को सबक सिखाना पड़ेगा।”
उसने सिपाहियों को इशारा किया, “पकड़ो इसे, थाने ले चलो।”

सिपाही प्रिया के दोनों हाथ पकड़ने लगे।
प्रिया ने झटके से हाथ छुड़ाते हुए कहा, “मुझे हाथ मत लगाओ। जानते नहीं हो मैं कौन हूँ। भलाई चाहते हो तो मुझे जाने दो, वरना जो होने वाला है उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।”

इंस्पेक्टर सुरेश ने फिर थप्पड़ मार दिया।
अब प्रिया ने ठान लिया कि कानून के जरिए इस अहंकारी इंस्पेक्टर को सबक सिखाएगी।
थाने पहुँचते ही सुरेश ने झूठी रिपोर्ट दर्ज की और प्रिया को गंदे लॉकअप में डाल दिया।

कुछ देर बाद थाने के दरवाजे पर पुलिस कमिश्नर मिस्टर वर्मा पहुँचे।
लॉकअप में अपनी बेटी को देखकर वे हैरान रह गए।
उन्होंने सख्त आवाज में पूछा, “यह मेरी बेटी है, आपने जो किया वह गलत है।”

सुरेश घबराकर बोला, “सर, मुझे नहीं पता था। मैंने सोचा यह आम लड़की है। माफ कर दीजिए।”
मिस्टर वर्मा ने कहा, “अब जो करना है, मैं करूंगा। आपने कानून और इंसानियत दोनों का अपमान किया है।”

उन्होंने डीएम साहब को फोन किया और पूरी घटना बताई।
कुछ ही देर में डीएम साहब, एसीएम और अन्य अधिकारी थाने पहुंचे।
मिस्टर वर्मा ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि आप इस मामले की जांच अभी और यहीं शुरू करें।”

गवाहों के बयान, वीडियो फुटेज और सीसीटीवी सबूतों के आधार पर साफ हो गया कि सुरेश और रवि सिंह ने अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल किया है।
डीएम साहब ने दोनों को तत्काल सस्पेंड कर दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच व केस दर्ज करने का आदेश दिया।

उस दिन के बाद पूरे थाने में बदलाव आ गया।
कोई भी पुलिस वाला अब न किसी को धमकी देता, न बिना वजह चालान काटता।
क्योंकि सबने देख लिया था कि कानून सबके लिए बराबर है – चाहे पुलिस वाला हो या आम नागरिक।

कमिश्नर मिस्टर वर्मा ने अपनी बेटी से कहा, “बेटा, आज तूने गलत के आगे झुकने से इनकार किया। यही हिम्मत हर नागरिक में होनी चाहिए।”

डीएम साहब ने जाते-जाते कहा, “यह मामला पूरे जिले के लिए मिसाल बनेगा कि कानून सबके लिए एक सा है।”

तो दोस्तों, यह थी कहानी एक आम लड़की की, जिसने कानून और इंसानियत दोनों की जीत दिलाई। अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो लाइक और सब्सक्राइब जरूर करें।