करोड़पति बिजनेस महिला ने एक भिखारी से कहा क्या आप मुझसे शादी करोगे, वजह जानकर आप भी हैरान रह जायेंगे

“तीस साल की मोहब्बत: महल की रानी और सड़क का सूरज”

लखनऊ शहर, नवाबों का शहर, तहज़ीब की खुशबू और पुरानी इमारतों का इतिहास। इसी शहर की नामी यूनिवर्सिटी में दो बिल्कुल अलग दुनिया के लोग मिले—अनामिका खन्ना और सूरज कुमार।

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अनामिका शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन की इकलौती बेटी थी। अमीरी, खूबसूरती और तेज दिमाग, सबकुछ उसके पास था। लेकिन दिल बहुत नरम और संवेदनशील था। दूसरी तरफ सूरज एक गरीब किसान का बेटा था, साधारण कपड़े, घिसी चप्पलें, लेकिन आंखों में ज्ञान और आत्मसम्मान की चमक। वह दिन में पढ़ता, रात में ढाबे पर काम करता।

दोनों एक ही क्लास में थे। अमीरी-गरीबी की दीवार उनके बीच थी। अनामिका के दोस्त सूरज का मजाक उड़ाते, लेकिन अनामिका को उसकी सादगी और मेहनत भा गई। एक दिन लाइब्रेरी में सूरज ने अपनी नोट्स देकर उसकी मदद की। धीरे-धीरे दोनों दोस्त बने, बातें बढ़ी, दिल मिले। सूरज ने अनामिका को अपने गांव की कहानियां सुनाईं, अनामिका ने अपनी दुनिया के अकेलेपन की बातें कीं। दोनों को एक-दूसरे में वो सब मिला जो अपनी दुनिया में नहीं था।

जल्द ही उनका प्यार पूरे कैंपस में चर्चा बन गया। दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं, पढ़ाई पूरी होते ही शादी का वादा किया। सूरज ने कहा, “मैं तुम्हें हर खुशी दूंगा,” अनामिका ने कहा, “मुझे दौलत नहीं, तुम्हारा साथ चाहिए।”

पर किस्मत ने तूफान ला दिया। अनामिका के पिता, राजनाथ खन्ना, को जब पता चला तो घर में भूचाल आ गया। उन्होंने अनामिका को कमरे में बंद कर दिया, फोन छीन लिया, यूनिवर्सिटी जाना बंद। सूरज रोज अनामिका का इंतजार करता, उसके बंगले गया, गार्ड्स ने पीटा, सड़क पर फेंक दिया। सूरज टूट गया, लेकिन हार नहीं मानी। अनामिका की मां ने चुपके से फोन दिया, दोनों ने झील के किनारे आखिरी बार मुलाकात की। अनामिका ने सूरज को वादा किया—”मैं हमेशा तुमसे प्यार करूंगी, किसी और से शादी नहीं करूंगी। मैं अमेरिका जा रही हूं, लेकिन लौटूंगी।”

अनामिका अमेरिका चली गई। सूरज बिखर गया, गांव लौट गया, फिर एक रात घर छोड़कर कहीं गुम हो गया। अनामिका ने दिन-रात पढ़ाई की, बिजनेस संभाला, पिता की मौत के बाद सबकुछ अकेले किया। वह देश की सबसे अमीर बिजनेस महिला बन गई, लेकिन दिल में सिर्फ सूरज का इंतजार था। उसने सूरज को ढूंढने की हर कोशिश की, लेकिन उसका कहीं कोई सुराग नहीं मिला।

तीस साल बीत गए। अनामिका पचास की उम्र में भी अकेली थी। एक दिन उसकी गाड़ी शहर के चौराहे पर रुकी। उसने फुटपाथ पर एक अपाहिज भिखारी को देखा। उस चेहरे में उसे कुछ जाना-पहचाना सा लगा। वह गाड़ी से उतरी, उसके सामने जाकर बैठ गई। कांपती आवाज में पुकारा—”सूरज।” भिखारी ने नजरें उठाईं, वही गहरी आंखें, दर्द से भरी, लेकिन चमक वही थी। सूरज पहचान गया, लेकिन शर्म और बेबसी से मुंह फेर लिया।

अनामिका जमीन पर बैठ गई, आंसुओं से बोली, “तुम मुझसे झूठ नहीं बोल सकते। क्या भूल गए हमारी लाइब्रेरी, झील, वो वादा?” सूरज फूट-फूट कर रो पड़ा। अनामिका ने उसे गले लगा लिया, सैकड़ों लोगों की हैरान निगाहों के बीच।

फिर उसने पूछा, “सूरज, क्या तुम मुझसे शादी करोगे?”
सूरज रोते हुए बोला, “मैं लायक नहीं हूं। मैं अपाहिज भिखारी हूं, तुम महलों की रानी।”
अनामिका ने कहा, “लायक कौन होता है, इसका फैसला हम नहीं करते। तुम्हारे बिना सबकुछ मिट्टी है। मुझे तुम्हारा साथ चाहिए, बस।”

सूरज ने सिर हिला दिया। अनामिका उसे घर ले आई, इलाज कराया, प्यार और सम्मान दिया। एक महीने बाद दोनों ने सादगी से शादी कर ली। सूरज ने कंपनी में काम शुरू किया, अपनी काबिलियत से नई पहचान बनाई। उनकी कहानी पूरे देश में मिसाल बन गई।

सीख:
सच्चा प्यार कभी मरता नहीं। वह समय, हालात और किस्मत की हर परीक्षा पार कर लेता है। इंसान की असली पहचान उसके दिल और रूह से होती है, न कि उसकी दौलत या कपड़ों से।

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