कुंभ मेले में ड्यूटी कर रहे SP साहब…भिखारी के वेश में मिला उनका बूढ़ा बाप! Heart touching story

यह कहानी है राहुल मिश्रा की, जो एक साधारण परिवार से था लेकिन अपनी मेहनत और लगन से जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया।

कानपुर जिले में रहने वाले हिम्मत प्रसाद मिश्रा एक मजदूर थे, लेकिन शराब के आदी थे। उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था और वे अपने 10 साल के बेटे राहुल पर गुस्सा करते, उसे डांटते-फटकारते और कई बार घर से निकाल भी देते थे। राहुल के लिए यह सब असहनीय था। एक दिन, जब हिम्मत प्रसाद ने उसे घर से निकाल दिया, तो राहुल ने ठाना कि वह तब तक वापस नहीं आएगा जब तक वह कुछ बड़ा नहीं बन जाता।

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राहुल कानपुर से लखनऊ चला गया और एक अनाथालय में शरण ली। वहां उसे अच्छे शिक्षक मिले जिन्होंने उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। राहुल ने कड़ी मेहनत की और दसवीं, बारहवीं में टॉप किया। फिर उसने पुलिस की नौकरी के लिए तैयारी शुरू की और सब-इंस्पेक्टर बन गया। लेकिन राहुल का सपना बड़ा था, इसलिए उसने यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी। कई प्रयासों के बाद वह सफल हुआ और एसपी बन गया।

एक दिन उसकी पोस्टिंग वाराणसी रेलवे स्टेशन पर हुई। वहां उसकी नजर एक बूढ़े साधु पर पड़ी जो भीख मांग रहा था। जब उसने साधु के पास रखे कागजात देखे, तो पाया कि वह उसका ही पिता हिम्मत प्रसाद मिश्रा था। राहुल की आंखों के सामने जमीन खिसक गई। उसने अपने पिता को नहलाया, साफ कपड़े पहनाए और उनकी देखभाल करने लगा।

हिम्मत प्रसाद ने राहुल से माफी मांगी और कहा कि वह उसका कर्ज कभी चुका नहीं पाएगा। राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “पिताजी, अगर आप मुझे बचपन में घर से नहीं निकालते, तो शायद मैं आज इस मुकाम पर नहीं होता।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, मेहनत और लगन से कोई भी व्यक्ति अपने सपने पूरे कर सकता है। राहुल ने अपने संघर्ष से साबित किया कि हार मानना विकल्प नहीं है।

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