क्यों भीड़ के बीच अचानक झुक गईं IPS मैडम एक गोलगप्पे वाले के सामने?

एसपी अंजना राठौर: एक मिसाल

सुबह का समय था।
पीली साड़ी में एक साधारण-सी महिला बाजार जा रही थी।
किसी को नहीं पता था कि ये हैं जिले की एसपी, अंजना राठौर।
आज वो आम लोगों की तरह जीना चाहती थीं, बचपन की यादों में खोई हुई, ठेले से गोलगप्पे खाने पहुंचीं।

.

.

.

लेकिन तभी, पुलिस इंस्पेक्टर विनोद राणा अपने सिपाहियों के साथ आया।
उसने गोलगप्पे वाले बुजुर्ग अंकल से जबरन पैसे मांगे।
अंकल ने कहा, “साहब, अभी तो दिन की शुरुआत है, शाम को पैसे दे दूंगा।”
इंस्पेक्टर ने थप्पड़ मारा, ठेला उलट दिया, और अंकल को पीटने लगा।

अंजना से रहा नहीं गया।
उन्होंने विरोध किया, इंस्पेक्टर पर सवाल उठाए।
इंस्पेक्टर ने अंजना को भी थप्पड़ मार दिया और धमकी दी—
“ज़्यादा बोली तो जेल में डाल दूंगा!”

अंजना ने कहा,
“अब बहुत हो गया। मैं इन पुलिसवालों को सबक सिखाऊंगी।”

अगले दिन, अंजना साधारण महिला बनकर थाने पहुँची।
इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट लिखवानी चाही,
लेकिन एसएचओ ने रिपोर्ट लेने से मना कर दिया और बदतमीजी की।

अब अंजना ने अपना असली रूप दिखाया।
सीधे डीएम के पास पहुंचीं, सबूत दिखाए—वीडियो, रिकॉर्डिंग…
डीएम ने सख्त कार्रवाई का वादा किया।

अगले दिन प्रेस मीटिंग बुलाई गई।
पूरा जिला, मीडिया, बड़े-बड़े अफसर, सब मौजूद थे।
डीएम ने दोनों पुलिसवालों को सस्पेंड किया।
अंजना ने माइक पर कहा—
“यह लड़ाई सिर्फ एक ठेले वाले के लिए नहीं,
हर गरीब के लिए है। कानून सबके लिए बराबर है!”

हॉल तालियों से गूंज उठा।
अंजना राठौर की ईमानदारी और साहस ने पूरे जिले को एक नया संदेश दिया—
अब कोई गरीब अन्याय नहीं सहेगा!

अगर आपको यह कहानी प्रेरणादायक लगी हो, तो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें।
मिलते हैं अगली दमदार कहानी में!

अगर आपको इससे भी छोटा, और punchy वर्जन चाहिए या किसी खास फॉर्मेट में चाहिए, तो बताएं!