“एक थप्पड़ ने बदल दी पूरे शहर की सोच”

शहर के सबसे बड़े फाइव स्टार होटल में कल रात कुछ ऐसा हुआ, जिसने सबकी सोच बदल दी।
अरुण, एक गरीब वेटर, जिसकी उम्र करीब 28 साल थी, हमेशा मेहनत करता और मुस्कुराकर मेहमानों की सेवा करता। उसके चेहरे पर थकान की लकीरें थीं, लेकिन उसकी आंखों में मेहनत की चमक थी। दूसरी तरफ थी रिया, 21 साल की एक अमीर लड़की, बड़े बिजनेसमैन की बेटी। रिया को लगता था कि पैसे से सबकुछ खरीदा जा सकता है, इंसानियत भी।

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एक शाम होटल की चमचमाती लॉबी में रिया अपने दोस्तों के साथ आई। उसने ऊंची आवाज में अरुण को बुलाया और आदेश भरे लहजे में सबसे अच्छी टेबल मांगी। अरुण ने मुस्कुराकर सिर झुकाया और उनकी सेवा करने लगा। पानी डालते वक्त उसकी ट्रे हल्की सी हिल गई और कुछ बूंदें टेबल पर गिर गईं। बस इतनी सी बात पर रिया का गुस्सा फूट पड़ा। उसने सबके सामने अरुण को अपमानित किया और जोर का थप्पड़ मार दिया। पूरा हॉल सन्न रह गया। अरुण की आंखों में आंसू थे, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

उस रात अरुण घर लौटा तो पहली बार उसकी मां ने उसे रोते देखा। मां ने दिलासा दिया, “बेटा, अपमान का जवाब वक्त देता है।”
अरुण ने मन में ठान लिया कि अब वक्त को ही जवाब देना है।

अगली सुबह होटल के बाहर भीड़ जमा थी—मीडिया, पुलिस, शहर के लोग। सब जानना चाहते थे कि आखिर क्या हुआ। तभी एक काली कार रुकी और उसमें से सूट-बूट पहने अफसर निकले। उनके साथ था अरुण, लेकिन आज वह वेटर की वर्दी में नहीं, बल्कि ब्लैक कोट और टाई में आत्मविश्वास से भरा खड़ा था।
मीडिया ने सवाल किया, “क्या आप वही वेटर हैं जिसे कल थप्पड़ मारा गया था?”

अरुण ने कहा, “हां, वही हूं। लेकिन आज मैं अपनी असली पहचान के साथ खड़ा हूं। मैं इस होटल चेन का उत्तराधिकारी हूं। मैंने वेटर बनकर काम किया ताकि जान सकूं कि गरीब स्टाफ को क्या-क्या सहना पड़ता है।”

भीड़ हैरान थी। रिया और उसके पिता का चेहरा सफेद पड़ गया। अरुण ने सबके सामने ऐलान किया, “आज से आपके सारे बिजनेस प्रिविलेज रद्द। हमारी कंपनी के साथ आपका हर कॉन्ट्रैक्ट खत्म।”
रिया की आंखों में आंसू थे। उसने माफी मांगी, लेकिन अरुण ने कहा, “माफी मेरी पहचान देखकर मांग रही हो या दिल से? अगर मैं आज भी वेटर होता, क्या तुम्हें पछतावा होता?”

अरुण ने सबको याद दिलाया, “गरीब होना कोई पाप नहीं है। मेहनत करने वाला कभी छोटा नहीं होता। लेकिन अहंकार इंसान को गिरा देता है।”

उस दिन अरुण सिर्फ होटल का उत्तराधिकारी नहीं, बल्कि इंसानियत का संदेशवाहक बन गया। रिया और उसके पिता शर्मिंदा होकर खड़े रह गए।
सीख:
कभी भी किसी गरीब का अपमान मत करो। वक्त का खेल है—आज गरीब है, कल अमीर हो सकता है।