डिलीवरी बॉय को बिना पैसे दिए धक्का मारकर भगा दिया, लेकिन अगले दिन वीडियो वायरल हुआ

यह कहानी लखनऊ के गोमती नगर इलाके में रहने वाले राहुल वर्मा की है, जो एक 22 साल का डिलीवरी बॉय था। दिन के करीब 12:30 बजे, राहुल एक नामी रेस्टोरेंट के बाहर पसीने से तरबतर खड़ा था, क्योंकि उसका ऑर्डर तैयार नहीं हो रहा था। ऐप का टाइम निकलता जा रहा था, जिससे वह चिंतित था कि ग्राहक नाराज होगा, रेटिंग खराब होगी, और कंपनी उसकी पेमेंट काट सकती है। पेट्रोल महंगा था और देर होने पर पैसे कटने का डर भी था।

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काफी देर बाद ऑर्डर मिला और राहुल बाइक लेकर ग्राहक के घर पहुंचा। ग्राहक एक पॉश सोसाइटी में रहता था। वहां के गार्ड से बात करके वह ऊपर अपार्टमेंट तक गया। दरवाजा खोलने वाला व्यक्ति विवेक शुक्ला था, जो एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था। विवेक महंगे कपड़े पहने, हाथ में एप्पल वॉच लिए, गुस्से में था और राहुल से कहा कि वे टाइम पर क्यों नहीं आते। उसने राहुल के हाथ से खाना छीना और कंधे से धक्का दे दिया। राहुल लड़खड़ाया लेकिन गिरने से बचा। आसपास के लोग यह सब देख रहे थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा।

राहुल ने चुपचाप हेलमेट उठाया और नीचे अपनी बाइक पर बैठ गया। उसने अपने मोबाइल पर एक स्टार रेटिंग देखी और खुद से पूछा, “क्या मैं इतना छोटा हूं?” फिर उसने अपनी मां की तस्वीर देखी, जो कैंसर की मरीज थी, और जो उसकी प्रेरणा थी। उसने गहरी सांस ली, हेलमेट पहना और अगले ऑर्डर की ओर निकल पड़ा।

रात को उस सोसाइटी के सीसीटीवी फुटेज एक लोकल न्यूज चैनल पर वायरल हो गए। वीडियो में साफ दिख रहा था कि विवेक ने राहुल को धक्का दिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने राहुल को “हमारे देश के असली हीरो” कहा और उसे सम्मान देने की मांग की। कंपनी के डायरेक्टर ने कहा कि हर इंसान के साथ सम्मान से पेश आना उनकी जिम्मेदारी है। विवेक की नौकरी खतरे में आ गई और उसे सस्पेंड कर दिया गया।

राहुल को उस समय यह सब पता नहीं था, लेकिन अगले दिन एक ग्राहक ने उसे वीडियो दिखाकर बताया। राहुल का चेहरा भावुक हो गया। उसी रात एक एनजीओ ने उससे संपर्क किया और कहा कि वे उसकी मदद करना चाहते हैं ताकि उसका हौसला टूटे नहीं।

सोशल मीडिया पर राहुल को “साइलेंट हीरो” का नाम दिया गया। लोगों ने उसके लिए फंडरेजिंग शुरू की, नई बाइक और उसकी मां के इलाज के लिए सहयोग किया। वहीं, विवेक के लिए हालात खराब हो गए, पड़ोसी उससे कटने लगे और मीडिया लगातार उससे सवाल पूछ रही थी। विवेक ने एक वीडियो देखा जिसमें राहुल की मां अस्पताल के बिस्तर पर थी और कह रही थी कि उसका बेटा उसके लिए भगवान का भेजा हुआ फरिश्ता है। विवेक को अपनी गलती का एहसास हुआ।

अगले दिन विवेक ने सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार की और राहुल से माफी मांगी। राहुल ने कहा कि अगर विवेक सच में शर्मिंदा है तो वह मिलना चाहता है, लेकिन बदला नहीं लेना चाहता। दोनों की मुलाकात हुई, जहां विवेक ने राहुल के पैर छूने की कोशिश की, लेकिन राहुल ने उसे रोका और कहा, “गलती इंसान से होती है, लेकिन सीखना इंसान की निशानी है।” विवेक की आंखें भर आईं।

राहुल की मां ने कहा, “मैंने तुझे हीरा बनाया, लेकिन तेरा दर्द किसी ने नहीं देखा।” राहुल अब भी डिलीवरी करता था, लेकिन अब उसके पास नई बाइक थी, रास्ते आसान थे, और लोग उसे सम्मान देते थे।

एक दिन जॉमैटो की ओर से राहुल को कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनाने का ऑफर मिला। राहुल अब सिर्फ डिलीवरी बॉय नहीं था, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका था।

यह कहानी मेहनत, सम्मान, और इंसानियत की मिसाल है, जो दिखाती है कि अपमान सहकर भी अगर हम अपने कर्तव्य और आत्मसम्मान को बनाए रखें, तो समाज में हमारी असली पहचान बनती है।