“थाने में पहुंची कमिश्नर की बहन से दरोगा ने की शर्मनाक बदतमीजी, देखिए पूरा सच जो सबको हिला देगा!”

मीरा और एसपी विवेक राठौर: एक अधूरी लेकिन पूरी हुई कहानी

शाम के 6 बजे थे। सरकारी दफ्तरों की रोशनी जल चुकी थी। दिनभर की भीड़-भाड़ के बाद अब वहां एक अजीब सी शांति छाई हुई थी। अचानक इस शांति को तोड़ने वाली थी एक लड़की, जिसकी कहानी सुनकर आपका दिल हिल जाएगा।

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धूल-मिट्टी से सने नंगे पांव, कांपती आवाज में उसने कहा, “साहब, मेरी छोटी बहन गायब हो गई है।” लेकिन किसी ने उसकी बात पर भरोसा नहीं किया, सबने उसका मजाक उड़ाया। पर उस वक्त किसी को नहीं पता था कि यह लड़की जिसे सब भिखारी समझकर भगा रहे थे, वह उनके सबसे बड़े साहब की सगी बहन थी।

जब एएसपी विवेक राठौर को यह सच पता चला, तो उन्होंने पूरे शहर को हिला कर रख दिया।

मीरा, एक दुबली-पतली लड़की, सरकारी दफ्तर के दरवाजे पर खड़ी थी। उसके चेहरे पर डर, बेचैनी और थकान साफ झलक रही थी। फटे-पुराने कपड़े, धूल से सने नंगे पैर, कांपते होंठ उसकी बेबसी बयान कर रहे थे। उसने हिम्मत जुटाकर कहा, “साहब, मेरी बहन गुड़िया गायब हो गई है। कृपया उसे ढूंढिए।”

दफ्तर में बैठे कुछ सिपाहियों ने उसका मजाक उड़ाया, लेकिन तभी एएसपी विवेक राठौर ने उसकी बात सुनी और उसे बुलाया। विवेक ने मीरा की बात ध्यान से सुनी, उसकी पुरानी फोटो देखी, जिसमें एक नन्ही बच्ची की मासूम मुस्कान थी।

मीरा ने बताया कि उनका पिता रघुवीर सिंह है। यह नाम सुनते ही विवेक के हाथ कांप गए। यह वही नाम था जिसने उनके अपने परिवार को सालों पहले बर्बाद कर दिया था।

मीरा ने बताया कि गुड़िया को एक सफेद गाड़ी में जबरदस्ती ले जाया गया था। विवेक ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। उन्होंने ट्रैफिक कंट्रोल रूम से सफेद गाड़ियों का रिकॉर्ड मांगा और आर.डी. ट्रांसपोर्ट कंपनी के गोदाम पर छापा मारा।

गोदाम में गोलीबारी हुई, एक आरोपी घायल हुआ जिसने बताया कि गुड़िया को पुराने कारखाने में रखा गया है। विवेक और मीरा उस फैक्ट्री पहुंचे जहां गुड़िया बंद थी। उन्होंने उसे सुरक्षित बाहर निकाला।

लेकिन तभी फैक्ट्री में घुसा एक लंबा कद का आदमी, जो खुद को रघुवीर सिंह बताता था। वह वही पिता था जिसने सालों पहले परिवार को जला दिया था।

विवेक और रघुवीर के बीच तीखी बहस हुई। रघुवीर ने बताया कि उसे झूठे इल्जामों में जेल भेजा गया और वह बदले की आग में जल रहा था। उसने गुड़िया को इसलिए लिया था ताकि विवेक भी उसका दर्द समझ सके।

अंत में, एक संघर्ष के बाद रघुवीर नदी में कूद गया और मौत को गले लगा लिया।

मीरा और विवेक का मिलन हुआ। अब वे एक-दूसरे के साथ थे, गुड़िया सुरक्षित थी। विवेक ने वादा किया कि अब कोई किसी को नहीं खोएगा।

अगले दिन विवेक ने फिर से अपने फर्ज को निभाना शुरू किया। उन्होंने एक बड़े अपराधी गिरोह का पर्दाफाश किया। मीरा ने घर के बाहर एक पौधा लगाया, जो उनके खोने और पाने की कहानी की याद था।

यह कहानी है एक बेटे की, जिसने अपने पिता के पाप को इंसाफ में बदला। एक बहन की, जिसने अपने परिवार को फिर से पाया। और एक देश की, जिसने अपने सच्चे सपूत को सलाम किया।

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भारत माता की जय!

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