धर्मेंद्र की आखिरी वसीयत का राज || सालों पहले लिखी वसीयत ने मचाया कोहराम

धर्मेंद्र जी की वसीयत: एक रात, एक चिट्ठी और एक परिवार की सच्चाई

हर इंसान की जिंदगी में कुछ ऐसी कहानियां होती हैं जिन्हें वक्त चाहे कितना भी बदल जाए, लोग कभी भूल नहीं पाते। धर्मेंद्र देओल सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक ऐसा चेहरा थे, जिनसे पूरा भारत जुड़ा हुआ था। उनकी आवाज, चाल, गुस्सा और मुस्कान लोगों के दिलों में इस तरह बस गए थे जैसे वे परिवार का हिस्सा हों।

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जूहू बंगले की वो रात

धर्मेंद्र जी के निधन के बाद, मुंबई के जूहू बंगले में एक रात ऐसी आई, जब घर की हर लाइट जल रही थी। बाहर मीडिया और भीड़, अंदर गहरा सन्नाटा। हॉल के बीचों-बीच धर्मेंद्र जी की तस्वीर रखी थी, चारों तरफ सफेद फूलों की महक थी लेकिन माहौल में डर और तनाव घुला हुआ था। प्रकाश कौर, उनकी पहली पत्नी, चुपचाप दीवार से टिककर बैठी थीं। हेमा मालिनी की आंखें सूजी हुई थीं, चेहरे पर थकान और बेचैनी थी। सनी देओल का चेहरा गुस्से में लाल था, बॉबी देओल शांत थे लेकिन अंदर से टूटे हुए। ईशा और अहाना देओल मां के पास बैठी थीं, डर के साए में।

वसीयत का खुलासा और गुप्त चिट्ठी

घर में वकील अविनाश मेहरा पहुंचे, उनके हाथ में एक फाइल और लकड़ी का बॉक्स था। सबकी नजरें उसी पर टिक गईं। वसीयत में लिखा था कि धर्मेंद्र जी की संपत्ति करीब 2700 करोड़ है, जो पांच हिस्सों में बांटी जाएगी – सनी, बॉबी, ईशा, अहाना और कुछ खास लोगों के नाम। लेकिन अंतिम फैसला एक गुप्त चिट्ठी के आधार पर होना था, जो अलमारी में बंद थी। सनी और ईशा के बीच चाबी को लेकर बहस शुरू हो गई। हेमा मालिनी ने कहा, “वसीयत सिर्फ तुम्हारी नहीं, हम सबका हक है।” प्रकाश कौर ने समझाया, “यह लड़ाई का वक्त नहीं है।”

चिट्ठी की चोरी और शक की साजिश

तभी बंगले की लाइट चली गई। किसी ने बताया कि ऊपर वाले कमरे की अलमारी का ताला टूट गया है और गुप्त चिट्ठी गायब है। घर में शक और डर फैल गया। बॉबी ने पुलिस केस कर दिया, क्योंकि उन्हें पिता की मौत संदिग्ध लगी। पुलिस इंस्पेक्टर कबीर मल्होत्रा पहुंचे और पूछताछ शुरू की। नौकरानी कविता ने बताया कि धर्मेंद्र जी के निधन वाली रात किसी ने उन्हें धमकी दी थी। CCTV फुटेज भी डिलीट था, जिससे शक और गहरा गया।

चिट्ठी की वापसी और सच्चाई का उजागर

अकाउंटेंट रघुवीर अचानक चिट्ठी लेकर आया, लेकिन उसकी सांसे डगमगा गईं और वह फर्श पर गिर गया। चिट्ठी मिल गई, लेकिन चुराने वाला अब इस दुनिया में नहीं था। इंस्पेक्टर कबीर ने चिट्ठी खोली और पढ़ना शुरू किया। धर्मेंद्र जी ने उसमें अपने जीवन की सच्चाइयों, रिश्तों की दरारों, पछतावे और परिवार के लिए प्यार को लिखा था।

संपत्ति का बंटवारा और परिवार का मिलन

धर्मेंद्र जी ने अपनी संपत्ति सात हिस्सों में बांटने की इच्छा जताई – प्रकाश कौर, हेमा मालिनी, सनी, बॉबी, ईशा, अहाना और नौकरानी कविता के नाम। कविता को बेटी की तरह मानते थे। चिट्ठी में लिखा था, “अगर यह चिट्ठी चोरी हो जाए तो चोर को विरासत से बेदखल किया जाए।”

भावनाओं की जीत

पूरे परिवार में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सनी ने बॉबी को गले लगाया, हेमा और प्रकाश एक-दूसरे का हाथ थामे, ईशा और अहाना अपनी मांओं से लिपट गईं। घर अब कानूनी झगड़ों से नहीं, बल्कि परिवार की एकता से आगे बढ़ेगा। धर्मेंद्र जी की आखिरी इच्छा थी कि उनका परिवार टूटे नहीं, बल्कि जुड़कर रहे।

दोस्तों, धर्मेंद्र जी की वसीयत ने उनके परिवार को फिर से एक कर दिया। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो लाइक और सब्सक्राइब जरूर करें। अपने विचार कमेंट में साझा करें।