परिचय

क्या होता है जब मोहब्बत गलतफहमियों और अहंकार की भेंट चढ़ जाती है? यह कहानी पवन और प्रिया की है, जो एक समय पर एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे, लेकिन अब तलाक की अदालत में खड़े हैं। उनके छोटे बेटे राहुल की मासूमियत इस कहानी का केंद्र बिंदु है।

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पवन और प्रिया की प्रेम कहानी

दिल्ली की तेज रफ्तार जिंदगी में पवन, एक उभरता हुआ आर्किटेक्ट, और प्रिया, एक संगीत शिक्षिका, की प्रेम कहानी किसी खूबसूरत नज्म की तरह शुरू हुई थी। उनकी शादी प्यार, हंसी, और अनगिनत वादों से भरी थी। राहुल के जन्म ने उनके रिश्ते को और गहरा कर दिया।

रिश्ते में दरार

जैसे-जैसे पवन अपने करियर में सफल होता गया, वह काम में अधिक व्यस्त होता गया। प्रिया को उसकी यह बदलती हुई आदतें परेशान करने लगीं। छोटी-छोटी बातों पर बहसें होने लगीं और उनका प्यार शिकायतों के बोझ तले दबने लगा।

अदालत में तलाक का मामला

एक दिन, पवन के जन्मदिन पर प्रिया ने सरप्राइज पार्टी रखी, लेकिन पवन एक मीटिंग की वजह से नहीं आ पाया। इस घटना ने उनके रिश्ते की आखिरी उम्मीद को भी बहा दिया। तलाक का मामला फैमिली कोर्ट में पहुंचा, जहां दोनों के बीच की खाई और गहरी हो गई।

जज की दखलंदाजी

अदालत में जज आसिफ इकबाल ने राहुल से पूछा कि वह किसके साथ रहना चाहता है। राहुल ने मासूमियत से कहा, “मुझे मम्मी और डैडी दोनों चाहिए।” इस जवाब ने अदालत में मौजूद सभी लोगों को झिंझोड़ दिया। जज ने महसूस किया कि दोनों के बीच का अहंकार उनके बच्चे की खुशी के लिए खतरा बन गया है।

जज का संदेश

जज ने पवन और प्रिया को एक मौका देने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि तलाक का अंतिम समाधान नहीं होना चाहिए, खासकर जब उनके बीच एक मासूम बच्चा हो। उन्होंने उन्हें याद दिलाया कि एक बच्चे के लिए उसके माता-पिता उसकी दुनिया होते हैं।

पुनर्मिलन

जज की बातें सुनकर पवन और प्रिया ने एक-दूसरे के प्रति अपनी गलतियों को स्वीकार किया। उन्होंने राहुल को गले लगाया और एक-दूसरे के साथ अपने रिश्ते को सुधारने का वादा किया।

निष्कर्ष

यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्ते बनाना आसान है, लेकिन उन्हें निभाना मुश्किल है। अगर हम अपने अहंकार को एक तरफ रखकर एक-दूसरे से बात करें और एक-दूसरे के नजरिए को समझें, तो कोई भी रिश्ता टूटने से बच सकता है। बच्चों पर बड़ों की लड़ाई का गहरा असर पड़ता है, और उनके भविष्य का निर्माण हमारे आज के फैसलों पर निर्भर करता है।

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