कहानी की शुरुआत

लुधियाना की झुग्गी बस्ती में रहने वाला राहुल, अपनी बीमार मां शारदा और छोटी बहन पिंकी के लिए रोटी चुराता है। उसके पिता की फैक्ट्री में हादसे से मौत हो चुकी थी, मां मजदूरी करती थी लेकिन बीमारी और गरीबी ने हालात बदतर कर दिए थे। उस शाम घर में खाने को कुछ नहीं था, मां बीमार थी और दोनों बच्चे भूखे थे।

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रोटी की चोरी और पुलिस का सामना

राहुल भूख से मजबूर होकर शहर के बाजार में एक बेकरी से ब्रेड चुराता है। तभी सख्त मिजाज पुलिस इंस्पेक्टर असलम खान उसे पकड़ लेते हैं। राहुल रोता है, गिड़गिड़ाता है और अपनी मजबूरी बताता है। असलम खान पहले उसे चोर मानते हैं, लेकिन राहुल की आंखों की सच्चाई और उसकी कहानी सुनकर उनका दिल पिघल जाता है।

इंसानियत की जीत

असलम खान राहुल को उसके घर लेकर जाते हैं और वहां की गरीबी और लाचारी देखकर भावुक हो जाते हैं। वे अपनी सख्त पुलिस वर्दी के पीछे छिपे इंसान को बाहर आने देते हैं। वे राहुल के परिवार के लिए खाने-पीने का सामान, दवाइयां और पैसे लाकर देते हैं। शारदा का इलाज करवाते हैं, बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेते हैं।

जिंदगी का बदलाव

असलम खान की एक रात की नेकी से राहुल और उसका परिवार बदल जाता है। शारदा स्वस्थ हो जाती है, सिलाई की दुकान खोलती है। पिंकी स्कूल में टॉप करती है, डॉक्टर बनने का सपना देखती है। राहुल मेहनत से पढ़ाई करता है, जिले में टॉप करता है और असलम खान की तरह पुलिस अफसर बनना चाहता है।

सपना सच हुआ

10 साल बाद राहुल आईपीएस अफसर बन जाता है। उसकी पहली पोस्टिंग उसी शहर लुधियाना में होती है। वह असलम खान को अपना पिता मानता है और उनके पैर छूता है। राहुल शहर के हर थाने में “रोटी बैंक” और “किताब बैंक” शुरू करता है ताकि कोई और बच्चा भूख या मजबूरी में अपराधी न बने।

कहानी का संदेश

यह कहानी सिखाती है कि करुणा और इंसानियत में दुनिया को बदलने की ताकत होती है। एक छोटी सी नेकी किसी की पूरी किस्मत बदल सकती है। वर्दी से बड़ा इंसान का दिल होता है, और जब कानून में इंसानियत शामिल हो जाए, तो समाज की तस्वीर बदल सकती है।

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