मुस्लिम दोस्त की कार बेचकर बना DM, 7 साल बाद उसी के घर पहुंचा तो दिल छू लेने वाला मंजर!
कहानी: मुस्लिम दोस्त की कार बेचकर बना डीएम, 7 साल बाद उसी के घर पहुंचा तो…
बिहार के एक छोटे शहर में दो दोस्त रहते थे—रफीक और विकास। रफीक एक अमीर जमींदार का बेटा था, साफ-सुथरे कपड़े, स्कूल में सम्मान, सब कुछ था। वहीं विकास गरीब किसान का बेटा था, जिसके पिता कर्ज में डूबे थे लेकिन बेटे को पढ़ाने का सपना देख रहे थे।
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दोनों की दोस्ती गहरी थी, धर्म की दीवारें उनके बीच कभी नहीं आईं। जब विकास की स्कूल फीस भरने के पैसे नहीं थे, रफीक के पिता ने उसकी मदद की। वक्त बीता, दोनों बड़े हुए। विकास का सपना था—डीएम बनना, गरीबों के लिए काम करना। लेकिन दिल्ली के कॉलेज और कोचिंग की फीस उसके लिए नामुमकिन थी।
रफीक ने दोस्ती की मिसाल पेश की। उसने अपनी सबसे प्यारी कार बेच दी और सारा पैसा विकास को दे दिया। “जब तुम डीएम बनोगे, सरकारी गाड़ी में घूम लूंगा,” रफीक ने मुस्कुराकर कहा। विकास ने कोचिंग ली, दिन-रात मेहनत की और आखिरकार यूपीएससी में टॉप रैंक लाकर डीएम बन गया।
समय बीता, विकास अपने काम में इतना व्यस्त हो गया कि सात साल तक अपने शहर, अपने दोस्त से नहीं मिल पाया। लोग सोचने लगे, डीएम बनने के बाद विकास बदल गया है। लेकिन सच यह था कि विकास अपने दोस्त को कभी नहीं भूला था। सात साल बाद उसने छुट्टी ली और अपने गांव लौटा।
घर पहुंचकर सबसे पहले उसने अपने माता-पिता से रफीक के बारे में पूछा। पिता ने बताया—रफीक के पिता का देहांत हो गया, कारोबार डूब गया, जमीन बिक गई, अब रफीक किराए के छोटे से घर में रह रहा है। विकास दौड़ता हुआ रफीक के पास पहुंचा। रफीक की हालत देखकर उसकी आंखें भर आईं। गरीबी ने उसके दोस्त को तोड़ दिया था।
विकास ने रफीक को गले लगाया, अपने सात साल की बचत उसे दे दी। “यह तो तुम्हारे एहसान के सामने कुछ भी नहीं,” विकास ने कहा। रफीक ने पैसे लेने से मना किया, लेकिन हालात के आगे झुकना पड़ा। विकास ने उसे अपने ऑफिस में नौकरी दिलवाई, जिससे उसकी जिंदगी फिर पटरी पर आ गई।
यह कहानी बताती है कि दोस्ती, इंसानियत और अच्छे कर्म कभी बेकार नहीं जाते। धर्म, अमीरी-गरीबी से ऊपर होती है सच्ची दोस्ती। आज रफीक ने जो किया था, वही विकास ने लौटाया—न्याय, प्यार और सम्मान।
सीख:
सच्ची दोस्ती धर्म और हालात से ऊपर होती है।
अच्छे कर्म का फल देर-सवेर जरूर मिलता है।
मदद करने वाला कभी हारता नहीं, वक्त उसका साथ देता है।
इंसानियत और एकता ही असली ताकत है।
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