रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंची पत्नी, सामने बैठा SP निकला उसका तलाकशुदा पति
अधूरी कहानी: एक रिश्ता, एक मौका
रात के 9 बजे थे। शहर के पुलिस स्टेशन में हलचल जारी थी। बारिश की तेज़ बूंदें खिड़कियों पर लगातार दस्तक दे रही थीं। थाने के अंदर सिपाही रिपोर्ट दर्ज कर रहे थे, और एक कोने में दो अपराधी हथकड़ियों में जकड़े बैठे थे। तभी, स्टेशन के दरवाजे पर एक महिला दिखाई दी। उसके बाल बिखरे हुए थे, चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं। उसने कांपते हाथों से अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और धीमे कदमों से अंदर आई।
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डेस्क पर बैठे कांस्टेबल ने ऊपर देखा और पूछा, “हां, बताइए, क्या काम है?”
महिला ने घबराते हुए कहा, “मुझे एक रिपोर्ट दर्ज करवानी है।”
कांस्टेबल ने बोरियत से पेन घुमाते हुए पूछा, “क्या मामला है?”
महिला ने गहरी सांस ली और कहा, “मेरे मकान मालिक ने मुझसे जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब मैंने विरोध किया, तो उसने मुझे और मेरे बेटे को घर से निकालने की धमकी दी।”
कांस्टेबल ने उसकी ओर देखा और फिर एक बड़े कमरे की ओर इशारा करते हुए कहा, “यह मामला हमारे सीनियर अफसर देखेंगे। आप अंदर जाइए।”
महिला ने सिर हिलाया और धीरे-धीरे उस कमरे की ओर बढ़ी। लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे को धक्का दिया, वह एक पल के लिए ठिठक गई। उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
कमरे में बैठा अफसर कोई और नहीं, बल्कि उसका अतीत था।
“विक्रम…” उसके होठों से बस यही शब्द निकले।
उस आदमी ने भी जब चेहरा उठाया, तो उसकी आंखें चौड़ी हो गईं।
“अंजलि…”
कमरे में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। दोनों एक-दूसरे को बस देखते रह गए। कितने साल बीत गए थे—पांच, छह या उससे भी ज्यादा। लेकिन उन सालों की दूरी एक ही पल में मिट गई।
अतीत का सामना
अंजलि और विक्रम कभी पति-पत्नी थे। एक समय में वे एक-दूसरे के लिए पूरी दुनिया थे। लेकिन फिर हालात ऐसे बने कि वे अलग हो गए। आज, इतने सालों बाद, अंजलि को मदद मांगने उसी आदमी के पास आना पड़ा, जिससे उसने कभी रिश्ता तोड़ लिया था।
विक्रम की आंखों में आश्चर्य, दर्द, पछतावा और सवाल थे।
“आप किसलिए आई हैं?” उसने अपनी भावनाओं को नियंत्रित करते हुए पूछा।
अंजलि ने खुद को संभाला। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन उसने हिम्मत से कहा, “मैं शिकायत दर्ज करवाने आई हूं। एक इंस्पेक्टर के तौर पर तुम मेरी मदद करोगे, ना?”
विक्रम के लिए यह शब्द चुभने वाले थे। एक समय था जब यही महिला उसे अपने दिल के सबसे करीब मानती थी। और आज, वह उसे बस एक पुलिस अधिकारी समझकर सामने बैठी थी।
विक्रम ने गहरी सांस ली और कहा, “बताइए, क्या हुआ?”
अंजलि ने अपनी आपबीती सुनाई। कमरे की दीवारों के भीतर सिर्फ उनकी आवाजें गूंज रही थीं। बारिश की बूंदें खिड़की से टकरा रही थीं, जैसे अतीत को फिर से जिंदा करने आई हों।

पुराना रिश्ता, नई जिम्मेदारी
अंजलि ने कांपते होठों से कहा, “मेरा मकान मालिक मुझे और मेरे बेटे को घर से निकालने की धमकी दे रहा है। उसने मुझ पर गलत नजर डाली। जब मैंने विरोध किया, तो उसने कहा कि अगर मैंने पुलिस में शिकायत की, तो वह मुझे और मेरे बेटे को सड़क पर ला देगा।”
विक्रम की भौंहें सिकुड़ गईं।
“तुमने पुलिस को पहले क्यों नहीं बुलाया?”
अंजलि ने फीकी हंसी के साथ कहा, “कौन सुनता है गरीब औरत की आवाज? कब किसी को हमारी फिक्र होती है?”
विक्रम का दिल कसक उठा। एक समय था, जब उसने वादा किया था कि वह हमेशा अंजलि की सुरक्षा करेगा। और आज, वही अंजलि किसी और से सुरक्षा मांगने आई थी।
विक्रम ने फाइल उठाई और सख्त लहजे में कहा, “इस मकान मालिक के खिलाफ शिकायत दर्ज होगी। तुम चिंता मत करो, हम उसे छोड़ेंगे नहीं।”
अंजलि ने गहरी सांस ली और कहा, “ठीक है। लेकिन मेरी एक शर्त है।”
“शर्त?”
“मैं नहीं चाहती कि मेरे केस के साथ कोई पक्षपात हो। मैं सिर्फ एक पीड़िता हूं, जिसे न्याय चाहिए।”
विक्रम ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “तुम अभी भी वैसी ही हो—जिद्दी और मजबूत।”
सच्चाई का पर्दाफाश
मकान मालिक को थाने लाया गया। वह घबराया हुआ था।
“साहब, यह औरत झूठ बोल रही है। यह खुद किराया नहीं दे रही, उल्टा मुझ पर आरोप लगा रही है!”
अंजलि ने शांत स्वर में कहा, “मुझे पता था कि तुम यही कहोगे। इसलिए सबूत लाने से पहले ही मैं यहां आ गई।”
उसने अपना मोबाइल निकाला और एक ऑडियो रिकॉर्डिंग चलाई। रिकॉर्डिंग में मकान मालिक की आवाज साफ सुनाई दे रही थी, “अगर तुझे यहां रहना है, तो मेरे हिसाब से चलना पड़ेगा। वरना तेरा बेटा भी सड़क पर रहेगा और तू भी। पुलिस में जाने से कुछ नहीं होगा।”
रिकॉर्डिंग सुनते ही कमरे में सन्नाटा छा गया।
विक्रम ने ठंडे स्वर में कहा, “इसे सीधा लॉकअप में डालो। इसकी पूरी हिस्ट्री निकालो।”
बीते रिश्तों की गूंज
मामला सुलझ गया था, लेकिन कमरे में अब भी एक अजीब सी खामोशी थी।
विक्रम ने अंजलि की ओर देखा और कहा, “अब तुम और तुम्हारा बेटा सुरक्षित हो। कोई तुम्हें परेशान नहीं करेगा।”
अंजलि ने गहरी सांस ली और कहा, “शुक्रिया। लेकिन मुझे एहसान नहीं चाहिए था, बस न्याय चाहिए था।”
विक्रम की आंखों में हल्का सा दर्द था। उसने धीमे स्वर में कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन तुम यूं मेरे सामने एक शिकायतकर्ता बनकर आओगी।”
अंजलि ने हल्के से सिर झुका लिया। “कभी मैंने भी नहीं सोचा था कि मेरा अपना इंसाफ के लिए इस टेबल के दूसरी तरफ होगा।”
तभी दरवाजे पर एक मासूम आवाज आई, “मम्मा…”
अंजलि ने चौककर देखा। दरवाजे पर एक छोटा सा लड़का खड़ा था।
“स्कूल से लौटकर घर गया, तो दरवाजा बंद था। पड़ोसी आंटी ने बताया कि तुम यहां आई हो।”
अंजलि ने उसे गोद में उठा लिया। लेकिन लड़का अब भी विक्रम को देख रहा था।
विक्रम ने धीरे से पूछा, “यह तुम्हारा बेटा है?”
अंजलि ने हल्के स्वर में कहा, “हां, हमारा बेटा।”
एक नई शुरुआत
विक्रम की आंखों में पछतावा और दर्द था। उसने धीरे से लड़के से पूछा, “बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?”
लड़के ने झिझकते हुए कहा, “आरव।”
विक्रम ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “अच्छा नाम है। बहुत अच्छा नाम।”
लेकिन अंजलि ने सख्त लहजे में कहा, “चलो, आरव। हमें देर हो रही है।”
विक्रम ने पीछे से कहा, “अंजलि, अगर कभी कोई मदद चाहिए हो, तो मुझसे कहना।”
अंजलि ने बिना मुड़े कहा, “मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए। मैंने अब तक सब कुछ अकेले संभाला है और आगे भी संभाल लूंगी।”
क्या रिश्ता जुड़ पाएगा?
उस रात, विक्रम अपनी कार में बैठा रहा। बारिश की बूंदें उसकी कार की छत पर गिर रही थीं। उसने महसूस किया कि जिंदगी उसे एक और मौका दे रही थी। लेकिन क्या अंजलि उसे माफ कर पाएगी? क्या वह अपने बेटे के जीवन का हिस्सा बन पाएगा?
अगले कुछ दिनों में, विक्रम ने धीरे-धीरे अंजलि और आरव के करीब आने की कोशिश की। वह जानता था कि उसे इस बार अपने रिश्ते को निभाने का हर संभव प्रयास करना होगा।
क्या अंजलि उसे दूसरा मौका देगी?
क्या एक अधूरी कहानी का अंत खुशहाल हो पाएगा?
यह तो समय ही बताएगा।
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