सड़क पर गिरती महिला को बचाने के लिए सफाईकर्मी नाले में कूद पड़ा–पहचान होते ही सबकी आँखें फटी रह गईं!

राजू की कहानी – कबाड़ से कंपनी तक, दिल से जीतने की मिसाल

शुरुआत – कमला मार्केट की बारिश

बारिश की एक रात, कमला मार्केट में एक गरीब कबाड़ उठाने वाला लड़का राजू, गंदे नाले में कूदकर एक महिला की जान बचाता है।
लोग ताने मारते हैं—”तेरे जैसे लोगों की जगह गटर में ही है।”
राजू को क्या पता था कि वह महिला करोड़पति बिजनेसवुमन प्रिया सिंह थी।
राजू चुपचाप चला गया, किसी इनाम या धन्यवाद की उम्मीद नहीं की।
लेकिन अगले दिन, प्रिया खुद राजू की बस्ती में आई, उसे खोजा और धन्यवाद कहा। साथ ही अपना विजिटिंग कार्ड दिया—”अगर कभी जरूरत पड़े, तो संपर्क करना।”

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नई शुरुआत – कंपनी में पहला कदम

राजू ने साहस जुटाया और प्रिया की कंपनी मंगलम टाइल्स में नौकरी मांगने गया।
लोगों ने शक की नजरों से देखा, “कबाड़ी वाला यहां क्या करेगा?”
शुरुआत गोदाम से हुई।
राजू ने मेहनत, ईमानदारी और धैर्य से काम किया।
कुछ लोग ताने मारते रहे, लेकिन प्रिया ने उस पर विश्वास किया।
धीरे-धीरे राजू ने खुद को साबित किया—मशीनें ठीक की, काम में सुधार लाया, हर काम बिना शिकायत के किया।

संकट – चोरी का आरोप

एक दिन कंपनी के गोदाम से टाइलें गायब हो गईं।
सारा शक राजू पर आया।
“ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए,”– श्रीमती शर्मा (हेड अकाउंटेंट) ने कहा।
राजू ने चुपचाप कहा, “मैंने कुछ नहीं चुराया, जांच कर लीजिए।”
प्रिया ने उसकी ईमानदारी पर भरोसा रखा, खुद जांच की।
आखिरकार असली चोरी का पता चला—कंपनी के पुराने कर्मचारी ने जाली हस्ताक्षर से माल निकाल लिया था।
राजू बेगुनाह साबित हुआ।
प्रिया की मां ने भी माना—”असली ताकत दिल में होती है, डिग्री में नहीं।”

सीखना और आगे बढ़ना

राजू ने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की।
शांति मंदिर की मुफ्त पाठशाला में मीना नाम की लड़की ने उसे अक्षर सिखाए।
धीरे-धीरे राजू ने पढ़ना-लिखना, प्रबंधन के बेसिक्स, और जीवन के असली मूल्य सीखे।
कंपनी में उसकी जिम्मेदारी बढ़ती गई।
अब वह उत्पादन विभाग का सहायक बन गया।

सम्मान और पहचान

एक बार कंपनी की पुरानी मशीनें खराब हो गईं।
राजू ने खुद उन्हें ठीक किया।
सब हैरान थे—”कबाड़ी वाला इतना होशियार कैसे?”
राजू ने अपनी मेहनत से दिखाया कि असली प्रतिभा अनुभव और लगन से आती है।
प्रिया ने उसका मॉडल पूरे कारखाने में लागू कराया।
राजू की सलाह से कंपनी लाखों रुपये बचाने लगी।

नई शाखा – गांव में सर्वेक्षण

कंपनी की नई शाखा के लिए राजू को गांव भेजा गया।
वह ग्रामीणों से मिला, उनकी समस्याएं समझीं, और कंपनी की योजना को उनके हिसाब से ढाला।
सब ने उसकी सच्चाई और सरलता को सराहा।
अब वह मजदूरों और गांववालों के बीच पुल बन गया।

अंत – बरसी का दिन, नई शुरुआत

प्रिया के पिता की बरसी पर राजू को परिवार के साथ पूजा में बुलाया गया।
अब वह सिर्फ मजदूर नहीं, कंपनी की शाखा का निदेशक था।
शंकर काका, मीना और राजू की मां की यादें सब साथ थीं।
प्रिया ने उसका हाथ थामा—”मुझे संपूर्ण नहीं, सच्चा साथी चाहिए।”
राजू ने अपनी मेहनत, ईमानदारी और सीखने की जिद से सबका दिल जीत लिया।

सीख

कभी अपनी गरीबी या पृष्ठभूमि को कमजोरी मत समझो।
ईमानदारी, मेहनत, और दिल की ताकत सबसे बड़ी पूंजी है।
सही इंसान चुनो, होशियार नहीं।
हर बड़ा बदलाव एक छोटे, सच्चे कदम से शुरू होता है।

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राजू की मेहनत, प्रिया का विश्वास और शंकर काका की सीख आपको कैसी लगी?
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जय हिंद!