🔥चौंकाने वाली खबर जैसलमेर राजस्थान बस आग: जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर बस में कैसे लगी आग, लोगों ने बताई असली सच्चाई!😨

जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर बस हादसा: राजस्थान में बस आग की भयावहता, चश्मदीदों ने सुनाई दर्दनाक कहानी

जैसलमेर, राजस्थान – जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक लोकल बस पर सफर कर रहे यात्रियों के लिए यह यात्रा एक भयानक दुःस्वप्न बन गई, जब हाईवे पर अचानक बस में आग लग गई। इस हादसे ने कई जिंदगियों को तबाह कर दिया और चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।

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धुएं की लकीर और डर

चश्मदीदों ने उस भयानक पल को याद किया जब उन्होंने पहली बार बस से धुआं उठता देखा। “हम थैयास से जैसलमेर की ओर कार में आ रहे थे,” स्थानीय निवासी अल्लाह बख्शी ने बताया। “अचानक हमने देखा कि आगे मोटा धुआं उठ रहा है। जैसे ही हम पास पहुंचे, दृश्य बेहद डरावना था—लोग बुरी तरह घायल थे, उनकी त्वचा जल चुकी थी, जगह-जगह खून बह रहा था।”

बख्शी ने बताया कि कैसे यात्री सड़क पर इधर-उधर भाग रहे थे, मदद के लिए चीख रहे थे। “महिलाओं की हालत बहुत खराब थी, उनके कपड़े तक जल चुके थे। शुरू में न तो कोई पुलिस आई, न कोई अधिकारी। हम जैसे-तैसे उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे थे।”

बचाव की जद्दोजहद

जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, हालात और बिगड़ते गए। “हमें नहीं पता था कि कितने लोग अंदर फंसे हैं,” बख्शी ने कहा। “कोई कह रहा था 15, कोई 20। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं—कुछ पता नहीं चल रहा था। सेना ने इलाके को घेर लिया और हमें अस्पताल जाने को कहा, लेकिन अंदर नहीं जाने दिया।”

एक अन्य चश्मदीद, जितेंद्र स्वामी, जो जैसलमेर की ओर जा रहे थे, ने अपनी आपबीती साझा की: “जब हम पहुंचे तो लोग सड़क पर इधर-उधर पड़े थे—कोई पेड़ के नीचे, कोई सड़क किनारे, सब सदमे में। हमने जैसे-तैसे घायल महिलाओं को आसपास के लोगों से कपड़े मांगकर लपेटा और एम्बुलेंस में डाला।”

दमकल विभाग की कोशिशें

फायर ऑफिसर कृष्णपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि कंट्रोल रूम से 3:35 बजे कॉल आई थी। “हमारी टीम ठीक 10 मिनट में मौके पर पहुंच गई, लेकिन तब तक बस पूरी तरह जल चुकी थी। आग ने सब कुछ राख कर दिया था।”

राठौड़ के मुताबिक, मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि लगभग 10 से 12 लोग मारे गए हैं, लेकिन यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है या कम भी हो सकता है। “हमने 10 से 15 घायलों को जैसलमेर अस्पताल रेफर किया है।”

हादसे का दर्दनाक असर

हालांकि मृतकों की सही संख्या अभी स्पष्ट नहीं है, चश्मदीदों का मानना है कि 15 से 20 लोग इस हादसे में जान गंवा चुके हैं, और कई गंभीर रूप से घायल हैं। “कम से कम 121 लोग सड़क पर थे, सब सदमे में,” स्वामी ने कहा। “हमने उन्हें संभालने और एम्बुलेंस में बैठाने की पूरी कोशिश की।”

प्रशासन पर नाराजगी

बचाव कार्य में शामिल लोगों ने प्रशासन की धीमी प्रतिक्रिया पर नाराजगी जताई। “पुलिस देर से आई और हमें मदद करने या अंदर जाने नहीं दिया,” बख्शी ने बताया। “शुरुआत में वहां कोई नहीं था—सिर्फ हम थे, जो जान बचाने की कोशिश कर रहे थे।”

आखिर गलती किसकी?

जैसे-जैसे जांच जारी है, सवाल उठ रहे हैं कि आग कैसे लगी और क्या बस मालिक की लापरवाही जिम्मेदार थी। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, बस मालिक ने सुरक्षा के जरूरी नियमों की अनदेखी की थी, लेकिन जांच अभी चल रही है।

गाँववालों की मदद

हादसे के बाद स्थानीय लोग ही पहले राहतकर्ता बने। उन्होंने जैसे-तैसे घायलों को कपड़े दिए, एम्बुलेंस तक पहुँचाया और उन्हें हिम्मत बंधाई। “हमने कपड़े उधार लिए, लोगों को एम्बुलेंस तक पहुँचाया, उन्हें उम्मीद देने की कोशिश की,” स्वामी ने कहा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

अब प्रशासन ने इलाके को घेर लिया है और हादसे की जांच कर रहा है। जैसलमेर के अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है और परिवारजन अपने प्रियजनों की खबर का इंतजार कर रहे हैं।

शहर में मातम

रेगिस्तान पर सूरज ढलते ही हाईवे पर पसरा सन्नाटा इस भयानक त्रासदी की गवाही दे रहा था। जली हुई बस एक कड़वी याद है कि जीवन कितना नाजुक है और सुरक्षा कितनी जरूरी।

फिलहाल, पूरा समुदाय शोक में है और बचे हुए लोग उस दर्दनाक हादसे की यादों से जूझ रहे हैं। जांच जारी है, लेकिन जो लोग इस आग से बच निकले, उनके लिए शारीरिक और मानसिक जख्म सालों तक रहेंगे।

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