अरबपति विनोद अग्रवाल अपनी फैक्ट्री के ऑफिस से बाहर निकले। अचानक देखा कि सबसे महंगी मशीन बंद पड़ी है। उसकी रोशनी बुझी हुई थी, और पूरी प्रोडक्शन लाइन ठप थी। मजदूर परेशान थे, माहौल में बेचैनी थी। विनोद ने तुरंत अपने मोबाइल से देश के 10 सबसे बड़े विशेषज्ञों को बुला लिया। कुछ ही मिनटों में सारे विशेषज्ञ लैपटॉप, मल्टीमीटर और टूलबॉक्स लेकर आ पहुंचे।

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विशेषज्ञों ने मशीन खोलनी शुरू की। कोई पावर सप्लाई चेक कर रहा था, कोई सर्किट बोर्ड की वायरिंग। हर कोई अपनी-अपनी तकनीक आजमा रहा था, लेकिन मशीन जस की तस बंद रही। अरबपति बार-बार घड़ी देख रहे थे, हर मिनट लाखों का नुकसान हो रहा था। विशेषज्ञों के चेहरे पर भी चिंता थी। किसी ने कहा, “सर्किट बोर्ड बदलना पड़ेगा।” दूसरे ने बोला, “कोड क्रैश हो गया है, रिप्रोग्राम करना होगा।” तीसरे ने तो पूरी मशीन बदलने का सुझाव दे दिया।

इसी बीच पास से सफाई कर्मी रामू अपने झाड़ू के साथ गुजर रहा था। उसने सब कुछ ध्यान से देखा, विशेषज्ञों की बातें सुनीं। माहौल में तनाव था, हर कोई हार मानता दिख रहा था। तभी रामू ने हल्की आवाज में कहा, “साहब, अगर इजाजत हो तो मैं एक बार देख लूं?”
विशेषज्ञ हंस पड़े, “अरे भाई, तुम झाड़ू लगाते हो, मशीन ठीक करना तुम्हारे बस की बात नहीं!”
अरबपति ने गहरी सांस ली, “ठीक है रामू, एक मौका तुम्हें भी देते हैं।”

रामू मशीन के पास गया। उसने ध्यान से चारों तरफ देखा, ढक्कन खोला और तारों को हाथ से महसूस किया। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास था। जेब से छोटा पेंचकस निकाला, दो स्क्रू कस दिए, एक ढीली वायर सही जगह जोड़ दी। सब हैरान थे, विशेषज्ञ चुप।
रामू ने पावर बटन दबाया — मशीन में हल्की गड़गड़ाहट हुई और धीरे-धीरे चालू हो गई। फैक्ट्री की लाइट्स चमक उठीं, मजदूरों के चेहरे पर खुशी लौट आई। अरबपति और विशेषज्ञों की आंखें अविश्वास से फैल गईं।

अरबपति रामू के पास पहुंचे, उसका हाथ थामा, “रामू, तुमने जो किया, वो असली हुनर है। सेकंडों में वह कर दिखाया जो करोड़ों की मशीनें और डिग्रीधारी नहीं कर पाए। आज से तुम हमारी फैक्ट्री के सबसे बड़े हीरो हो।”

विशेषज्ञों के चेहरे पर शर्म थी, उन्होंने महसूस किया कि असली समझ टाइटल में नहीं, अनुभव और तर्क में होती है।
रामू मुस्कुराकर बोला, “साहब, मैं बस अपना काम कर रहा था।”

उस दिन से फैक्ट्री में रामू का नाम आदर और प्रेरणा के रूप में लिया जाने लगा। अरबपति विनोद अग्रवाल भी हमेशा उसके हुनर की तारीफ करते।
फैक्ट्री का माहौल बदल गया — अब वहां केवल मशीनें ही नहीं, इंसानियत और सम्मान भी चलता था।

सीख:
असली प्रतिभा कभी ओहदे या डिग्री की मोहताज नहीं होती।
कभी-कभी साधारण लोग असाधारण कमाल कर जाते हैं।
सम्मान हर किसी का अधिकार है।

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