“माँ तुम कहाँ थी? – एक मासूम बच्चे की पुकार और सोनिया की ममता”

सोनिया, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी, रोज की तरह ऑफिस जा रही थी। अचानक उसकी साड़ी का पल्लू किसी ने पकड़ लिया। उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक छः साल का मासूम बच्चा खड़ा था। बच्चे ने मासूमियत से कहा, “माँ, तुम कहाँ थी? मैंने तुम्हें कितना ढूंढा और मुझे बहुत भूख लगी है।”

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सोनिया इस बात से हैरान रह गई। तभी कंपनी का गार्ड आया और बच्चे को डांटकर वहाँ से भगा दिया। सोनिया ऑफिस चली गई, लेकिन उस बच्चे की मासूमियत और उसकी भूख की पुकार बार-बार उसके दिल में गूंजती रही। लंच टाइम में भी जब उसने टिफिन खोला, तो उस बच्चे का चेहरा उसकी आँखों के सामने था।

रात को सोनिया ने अपने पति अमित को सब कुछ बताया। अमित ने समझाया कि ऐसे बच्चे अक्सर भीख माँगते हैं, उनसे ज़्यादा लगाव मत रखो। लेकिन सोनिया की ममता उसे चैन नहीं लेने दे रही थी। अगले कुछ दिनों तक वह बच्चा उसके ख्यालों में बना रहा।

तीसरे दिन सोनिया ने गार्ड से उस बच्चे के बारे में पूछताछ की। गार्ड ने बताया कि बच्चा रमेश है, उसकी माँ इसी कंपनी में काम करती थी, लेकिन अब वह नहीं रही। पिता शराबी है, बच्चे की बिल्कुल भी देखभाल नहीं करता। माँ की बीमारी के बाद वह दुनिया छोड़ गई, और रमेश अपने पिता के साथ रह गया। लेकिन पिता शराब के नशे में रमेश को पीटता था और आखिरकार एक दिन रमेश को बेहोश कर छोड़कर भाग गया।

पड़ोसियों ने रमेश को अस्पताल में भर्ती कराया। सोनिया और गार्ड अस्पताल पहुँचे तो देखा, रमेश अकेला, बीमार और बेसहारा है। सोनिया ने उसके सिर पर हाथ फेरा, तो रमेश की आँखों से आँसू निकल पड़े और वह बोला, “माँ, तुम आ गई।” सोनिया भी भावुक हो गई।

घर लौटकर सोनिया ने अमित को सब बताया। अमित ने सुझाव दिया कि क्यों न हम इस बच्चे को गोद ले लें? सोनिया की आँखों में खुशी के आँसू थे। दोनों ने अस्पताल जाकर रमेश को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, उसका इलाज करवाया, और धीरे-धीरे उसे अपना बेटा बना लिया।

रमेश के ठीक होने के बाद, सोनिया और अमित ने कानूनी प्रक्रिया पूरी की और रमेश को गोद ले लिया। उन्होंने उसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया, प्यार और देखभाल दी। जब वे अपने गाँव लौटे, तो सब हैरान थे कि इनके पास बच्चा कैसे आया। गाँव वालों को उन्होंने बताया कि यह उनका ही बेटा है। सोनिया के ऊपर लगा “माँ न बनने” का दाग भी मिट गया।

अब सोनिया, अमित और रमेश एक खुशहाल परिवार बन गए।
रमेश को माँ मिल गई, सोनिया को ममता का सुख और अमित को पिता का गर्व।

यह कहानी हमें सिखाती है कि ममता और इंसानियत कभी बेकार नहीं जाती। अगर आपके दिल में प्यार है, तो भगवान आपको कोई न कोई रास्ता जरूर दिखाता है।

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हमेशा याद रखें – किसी की पुकार को नजरअंदाज मत कीजिए, शायद वही आपकी जिंदगी बदल दे।