DSP मैडम को पुलिस वालों ने किया गिरफ्तार फिर जो हुआ, उसने सबको हिला दिया !

कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे मोड़ पर ले आती है जहाँ सच और झूठ की असली परीक्षा होती है। महाराष्ट्र के नासिक शहर में हाल ही में डीएसपी रितिका पाटिल की नियुक्ति हुई थी। उनकी पहचान ईमानदारी, निडरता और न्यायप्रियता से थी। उनका सिद्धांत था, “अगर कानून का पालन नहीं किया गया तो मैं खुद कानून बनूंगी।” लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक मामूली साड़ी खरीदने की घटना उनके धैर्य, कानून के ज्ञान और ईमानदारी की असली परीक्षा लेने वाली थी।

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रितिका पाटिल के छोटे भाई अमोल की शादी थी। अमोल ने फोन किया, “दीदी, अगर आप शादी में नहीं आईं तो मैं शादी ही नहीं करूंगा।” रितिका मुस्कुराई और कहा, “मैं जरूर आऊंगी, पर मुझे पहले एक अच्छी साड़ी खरीदनी होगी।” उन्होंने सोचा कि आज बिना वर्दी और बिना सरकारी गाड़ी के एक आम नागरिक की तरह बाजार जाऊंगी।

सुबह-सुबह रितिका अपनी खुद की गाड़ी से नासिक के जनता बाजार पहुंची। बाजार की भीड़, रेहड़िया की आवाजें, दुकानदारों के बुलावे, हर तरफ रौनक थी। उन्होंने कई दुकानों पर साड़ियां देखीं, लेकिन कोई पसंद नहीं आई। फिर उनकी नजर “महेश्वर साड़ी भंडार” नामक एक दुकान पर पड़ी। उन्होंने सोचा, “यहाँ अच्छी साड़ी मिल सकती है।”

दुकानदार ने कई साड़ियां दिखाई। काफी देर तक देखने के बाद रितिका को एक खूबसूरत सिल्क साड़ी पसंद आई। दुकानदार ने गर्व से कहा, “भैया, यह साड़ी 800 की है और हमारी दुकान में कोई मोलभाव नहीं होता।” रितिका ने बिना मोलभाव किए पैसे दिए और साड़ी पैक करवाई।

लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वही साड़ी उनके साथ बड़ा धोखा करने वाली थी। जब वे दूसरी दुकान में गईं तो उनका बैग नीचे गिर गया और साड़ी बाहर निकल आई। ध्यान से देखने पर उन्होंने पाया कि साड़ी में धागों के गुच्छे थे और कपड़ा जगह-जगह से खराब था। उनका गुस्सा बढ़ गया। “मैं इतनी महंगी साड़ी खरीदने के बाद धोखा कैसे सह सकती हूँ?”

रितिका तुरंत महेश्वर साड़ी भंडार वापस लौट गई। उन्होंने दुकानदार से कहा, “भैया, इस साड़ी में खोट है, मुझे कोई दूसरी साड़ी दे दीजिए।” दुकानदार ने अनिच्छा से कहा, “ठीक है, देख लीजिए,” लेकिन रितिका को कोई दूसरी साड़ी पसंद नहीं आई। तब उन्होंने कहा, “अच्छा, तो मेरे पैसे वापस दीजिए, मैं कहीं और खरीद लूंगी।”

दुकानदार ने सख्त लहजे में कहा, “पैसे वापस नहीं होंगे। हमारे नियम हैं, बिका हुआ माल वापस नहीं होगा, केवल बदला जाएगा।” रितिका का धैर्य जवाब देने लगा, लेकिन उन्होंने कहा, “यह आपकी गलती है, आपने खराब साड़ी बेची है।”

दुकानदार ने कहा, “नियम तो नियम हैं।” तब रितिका ने सख्त आवाज में कहा, “अगर आप पैसे वापस नहीं देंगे तो पुलिस को बुलाइए।” दुकानदार ने तुरंत पुलिस स्टेशन फोन किया और शिकायत कर दी।

रितिका को यकीन था कि पुलिस उन्हें पहचान लेगी और मामला सुलझ जाएगा, लेकिन जब पुलिस आई तो मामला उल्टा हो गया। पुलिस वाले दुकानदार की बात सुनकर रितिका को डांटने लगे। “मैडम, दुकान के नियम देखे बिना आपने सामान लिया, अब झगड़ा क्यों कर रही हैं?”

रितिका को यकीन नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा, “क्या तुम मुझे पहचान नहीं रहे?” पुलिस वाले हंस पड़े, “हम आपको क्यों पहचानेंगे?” रितिका ने कहा, “अच्छा तो मुझे गिरफ्तार कर लो।”

दरोगा ने अपने जवानों को आदेश दिया कि उन्हें पकड़कर जीप में बैठाया जाए। महिला पुलिस के बिना महिला को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई, लेकिन तभी एक पुलिस कर्मी आया जो रितिका को पहचानता था। उसने कहा, “अरे दरोगा जी, यह हमारी डीएसपी साहिबा हैं।”

पूरे पुलिस स्टेशन में सन्नाटा छा गया। दरोगा घबरा गया और पूछा, “मैडम, आप डीएसपी हैं?” रितिका ने सख्त आवाज में कहा, “अब पहचान लिया? जब रिश्वत लेते हो तब आंखें बंद होती हैं।”

पुलिस वाले आपस में फुसफुसाने लगे। दरोगा ने हाथ जोड़कर माफी मांगी, “मैडम, गलती हो गई, हमें माफ कर दीजिए।” लेकिन रितिका के चेहरे पर कोई दया नहीं थी। उन्होंने कहा, “माफी तब नहीं जब गरीब न्याय मांगने आता है।”

रितिका ने तुरंत सीसीटीवी फुटेज की जांच के आदेश दिए। दुकानदार जो पहले धमका रहा था, अब पसीने-पसीने हो गया। “मैडम, मुझे माफ कर दीजिए, मुझसे गलती हो गई।” रितिका ने कहा, “गलती नहीं, जानबूझकर ठगी की और फिर पुलिस को रिश्वत दी।”

डीएसपी ने उच्च अधिकारियों को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में डीआईजी ऑफिस से एक टीम पहुंच गई। उन्होंने मामला रखा और कार्रवाई की मांग की। आदेश जारी हुए कि दुकानदार की दुकान को सील किया जाए, उसके खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया जाए, रिश्वतखोर दरोगा को निलंबित किया जाए और पूरे पुलिस स्टेशन की जांच की जाए।

इस पूरे मामले की चर्चा पूरे महाराष्ट्र में फैल गई। अखबारों में हेडलाइन छपी — “ईमानदार डीएसपी ने पुलिस विभाग में मचाया हड़कंप।” लोगों ने कहा, “अगर हर अधिकारी डीएसपी रितिका पाटिल जैसा हो जाए तो भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा।”

अगले दिन डीएसपी साहिबा ने अपने छोटे भाई की शादी के लिए नई साड़ी खरीदी। शादी में पहुंचकर उनके भाई अमोल ने पूछा, “दीदी, इतनी देर क्यों हो गई?” रितिका मुस्कुराई और पूरी कहानी सुनाई।

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