“SDM मैडम को दारोगा ने समझा आम लड़की, रिश्वत मांगी और थप्पड़ मारा – फिर जो हुआ सब हैरान रह गए!”

एसडीएम कविता मिश्रा की बहादुरी: एक स्कूटी, एक थप्पड़ और सिस्टम का पर्दाफाश

एसडीएम कविता मिश्रा साधारण सलवार-कुर्ता में अपनी स्कूटी पर सवार होकर बहन की शादी में जा रही थीं। ना कोई सरकारी गाड़ी, ना सिक्योरिटी—बस एक आम लड़की की तरह। हाईवे पर पुलिस की बैरिकेडिंग थी। दारोगा रमाशंकर यादव ने उन्हें रुकने का इशारा किया और रोबदार आवाज़ में पूछा, “कहाँ जा रही हो?” कविता ने शांत स्वर में बताया, “मेरी बहन की शादी है, वहीं जा रही हूँ।”

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दारोगा ने चालान का बहाना बनाया, लेकिन असल मकसद रिश्वत लेना था। कविता ने विरोध किया तो दारोगा ने थप्पड़ मार दिया, “पुलिस से सवाल मत करो!” उसके बाद सिपाहियों ने उन्हें जबरन थाने ले जाने की कोशिश की, बाल खींचे, घसीटा, लेकिन कविता ने अपनी पहचान छुपाए रखी। वह देखना चाहती थीं कि पुलिस आम जनता के साथ कैसा व्यवहार करती है।

थाने में कविता पर फर्जी चोरी और ब्लैकमेलिंग का केस डालने की साजिश हुई। उन्हें गंदे लॉकअप में डाल दिया गया। कविता सब कुछ चुपचाप देख रही थीं—कैसे कानून की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं। तभी ईमानदार अफसर नीरज तिवारी थाने में आए। उन्होंने मामला समझा और कविता को दूसरी कोठरी में डलवाया, लेकिन उनकी नजरों में शक था।

कुछ देर बाद थाने में डीएम साहब की सरकारी गाड़ी आई। डीएम ने फाइल देखी, सबूत मांगे और कविता से नाम पूछा। कविता ने मुस्कुराकर पहली बार अपनी असली पहचान बताई—“कविता शुक्ला, एसडीएम।” पूरा थाना हैरान रह गया, दारोगा के होश उड़ गए।

डीएम साहब ने दारोगा रमाशंकर को सस्पेंड करने का आदेश दिया, लेकिन रमाशंकर ने ट्रांसफर ऑर्डर दिखाया। जांच में पता चला कि ट्रांसफर के बाद भी उसने कार्यभार नहीं सौंपा था, यानी वह अब भी थाने का प्रभारी था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

जैसे-जैसे जांच बढ़ी, थाने के बाकी पुलिसकर्मियों की भी पोल खुलने लगी। कुछ ने खुद माफी मांगी, तो कुछ ने बड़े अधिकारियों का नाम लिया। मामला एसएसपी तक पहुंच गया। एसडीएम कविता ने एसएसपी के भ्रष्टाचार के सबूत डीएम को दिए। एसएसपी भी गिरफ्तार हो गया।

अब यह मामला राज्य स्तर तक पहुँच गया। मुख्यमंत्री ने जिले के सभी भ्रष्ट अधिकारियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए। 40 से ज्यादा पुलिस अधिकारी, 10 से ज्यादा आईएएस अफसर और कई नेता गिरफ्तार हुए। एसडीएम कविता की ईमानदारी ने पूरे सिस्टम को हिला दिया।

कविता मिश्रा ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो अकेली एक महिला भी पूरे प्रशासन की तस्वीर बदल सकती है। उनके एक थप्पड़ पर शुरू हुई कहानी ने भ्रष्टाचार की जड़ों को हिला दिया।

अगर आपको कहानी को और नाटकीय या भावनात्मक बनाना हो, तो बताइए!