SP साहब ने गाँव में चाय की दुकान परअपनी पत्नी को देखा… फिर जो हुआ
SP साहब का संघर्ष: एक नई शुरुआत
रात का अंधेरा गहराने लगा था। पुलिस मुख्यालय में एसपी विकास सिंह अपनी कुर्सी पर बैठे थे, लेकिन उनका मन कहीं और था। चार साल बीत चुके थे, और उनकी पत्नी सलोनी उनसे अलग हो चुकी थी। आज अचानक, विकास की पुरानी यादें उसे घेरने लगीं।
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“क्या मैंने सच में इतना बड़ा गलती कर दी?” वह सोचने लगा। वह उन क्षणों को याद कर रहा था जब सलोनी ने उसके लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। उसकी आंखों में शर्म और पछतावे के आंसू छलक पड़े।
“मुझे अपनी पत्नी से मिलना होगा,” उसने ठान लिया। लेकिन एक आम आदमी की तरह, अगली सुबह एसपी विकास ने अपनी सरकारी वर्दी उतारी। उन्होंने पुराना कुर्ता-पायजामा और घिसी हुई चप्पलें पहनीं। अब वह एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक साधारण गांव का आदमी लग रहे थे।
“अब मुझे देखना है कि सलोनी किस हाल में है।” उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ी छोड़ दी और अपनी पुरानी निजी गाड़ी में अकेले निकल पड़े। रास्ते में हर गुजरते मील के साथ उनका दिल तेजी से धड़क रहा था।
“क्या सलोनी ने दूसरी शादी कर ली होगी? क्या वह अब भी मुझे माफ कर पाएगी?” उनके दिमाग में हजारों सवाल घूम रहे थे।
गांव के बाहर एक चौराहा था, जहां पहले कभी सलोनी उनके साथ चाय पीने जाया करती थी। विकास ने सोचा, “चलो, एक कप चाय पी लेते हैं।” लेकिन जैसे ही उन्होंने चाय की दुकान पर नजर डाली, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
“यह चाय की दुकान सलोनी की है?” विकास की आंखें भर आईं। वह लड़की, जिसने कभी सरकारी बैंक की नौकरी की थी, आज सड़क किनारे चाय बेच रही थी।
गाँव की यात्रा: पत्नी से सामना
विकास ने खुद को संभाला और धीरे से कहा, “बहन जी, दो चाय बना दो।” सलोनी ने बिना उनकी ओर देखे जवाब दिया, “बैठ जाइए, अभी बना देती हूं।” विकास ने गौर किया कि सलोनी पहले जैसी नहीं थी। उसके चेहरे पर थकान थी, आंखों के नीचे काले घेरे थे, और कपड़े भी पुराने थे।
विकास को एहसास हुआ कि उनकी जिद्द और गलतफहमी ने सलोनी को इस हालत में पहुंचा दिया था। चाय बनाकर आई और जैसे ही विकास ने पहला घूंट लिया, उनकी आंखों में आंसू आ गए।
“यही स्वाद, यही चाय जो पहले मेरी पत्नी मेरे लिए बनाया करती थी।” उन्होंने सलोनी की आंखों में झांका, जो थकी हुई लग रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर आत्मनिर्भरता थी। तभी अचानक सलोनी ने पूछा, “आप और कुछ लेंगे?”
विकास का दिल जोर से धड़कने लगा। “क्या उसने मुझे पहचान लिया?” लेकिन सलोनी ने कोई भाव नहीं दिखाया।
“यह दुकान कब से चला रही है?” विकास ने धीरे से पूछा। सलोनी ने चाय का गिलास धोते हुए जवाब दिया, “चार साल हो गए। जब अपने ही लोग साथ छोड़ देते हैं, तो जीने के लिए कुछ करना पड़ता है।”
विकास का गला सूख गया। “अपने ही लोग? क्या वह मुझसे ही बात कर रही है?”

Emotional Realization
विकास ने खुद को रोक नहीं पाया और बोला, “आपका परिवार कहां है?” अब सलोनी ने पहली बार गहराई से उसकी आंखों में देखा।
“कोई नहीं, बस मैं हूं और मेरी यह दुकान।”
विकास ने धीरे से पूछा, “तुम्हारा पति?” सलोनी का चेहरा कड़ा हो गया। “पति? उसने तो मुझे कबका छोड़ दिया।”
विकास का कलेजा फटने लगा। “सलोनी, मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी।” सलोनी का हाथ रुक गया, और वह घबराने लगी।
“मैं हूं तुम्हारा वही बेवकूफ पति जिसने बिना कुछ सोचे समझे तुम्हें छोड़ दिया।” सलोनी की आंखें फटी की फटी रह गईं।
“तुम यहां क्यों आए हो?” उसकी आवाज कांप रही थी।
विकास घुटनों के बल बैठ गए। “सलोनी, मुझे माफ कर दो। मैं बहुत पछता रहा हूं।”
गाँववालों का समर्थन और सही निर्णय
चाय की दुकान पर बैठे लोग यह सब देखने लगे। धीरे-धीरे गांव वाले इकट्ठा होने लगे और फुसफुसाने लगे, “अरे, यह तो एसपी साहब हैं। इन्हीं की पत्नी है ना सलोनी, यह यहां क्या कर रहे हैं?”
सलोनी पूरी तरह से रोने लगी। विकास ने उसका हाथ थामा और कहा, “चलो, घर चलो। मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूं।”
“नहीं, विकास, मैं वापस नहीं जाऊंगी।” गांव के बुजुर्गों ने कहा, “बेटा, इंसान से गलती होती है, लेकिन जो अपनी गलती मान ले, वही सच्चा इंसान होता है।”
अब सलोनी का दिल भी पिघल रहा था। विकास ने कहा, “अगर तुम मेरे साथ नहीं चलोगी, तो मैं तुम्हारी दुकान पर ही बैठकर चाय बेचूंगा जब तक तुम मुझे माफ नहीं करोगी।”
गांव वाले हंसने लगे। सलोनी भी हल्का सा मुस्कुराई, लेकिन फिर गंभीर होकर पूछा, “क्या तुम मुझसे फिर कभी शक नहीं करोगे?”
विकास ने सलोनी के सामने हाथ जोड़ लिए। “कभी नहीं। मैं अब समझ चुका हूं कि सच्चे रिश्ते भरोसे से चलते हैं, शक से नहीं।”
Happy Ending: रिश्ते की नई शुरुआत
सलोनी ने गहरी सांस ली और धीरे-धीरे विकास का हाथ थाम लिया। गांव वालों ने तालियां बजाईं। विकास और सलोनी फिर से एक हो चुके थे।
“चलो, इस बार हम गांव में ही शादी करेंगे।” गांव वालों ने कहा, “वाह, अब यह होगी असली शादी!”
शादी के लिए गांव के मंदिर को सजाया गया। विकास और सलोनी ने फिर से एक दूसरे को वरमाला पहनाई। जब सात फेरे हो रहे थे, विकास ने एक वचन दिया, “इस जन्म में और अगले जन्म में भी, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा।” गांव वालों की आंखें नम हो गईं।
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शादी के बाद विकास सलोनी को लेकर शहर लौटे। उनके माता-पिता ने उन्हें गले से लगा लिया। सलोनी ने घर संभाल लिया और विकास अपनी ड्यूटी करने लगे। अब उनके रिश्ते में शक की जगह सिर्फ प्यार था।
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