Inspector ने गरीब समझकर किया अपमान ! अगले दिन खुला राज— वही निकला करोड़पति 😱 फिर जो हुआ…

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इंस्पेक्टर अजय सिंह और शंभू काका की कहानी: चोरी का आरोप, छुपा राज और न्याय की जीत

परिचय: हनुमान मंदिर के पास एक बूढ़ा भिखारी

शहर के सबसे पुराने और भीड़भाड़ वाले हनुमान मंदिर की सीढ़ियों पर एक बूढ़ा भिखारी बैठा करता था, जिसे लोग ‘शंभू काका’ कहकर बुलाते थे। उसके फटे पुराने कपड़े, उलझे हुए बाल और खोई-खोई सी आंखें देखकर कोई भी कह सकता था कि किस्मत ने उसके साथ बहुत बुरा सलूक किया है।

शंभू काका की दुनिया बस उतनी ही थी जितनी उन सीढ़ियों की चौड़ाई। वे कभी किसी से कुछ मांगते नहीं थे। लोग आते-जाते उनकी पीतल की कटोरी में सिक्के या खाने-पीने की चीजें डाल देते थे, और वे उसे स्वीकार कर लेते। कभी हाथ जोड़कर तो कभी ताकते हुए। अक्सर उन्हें हवा में हाथ हिलाते हुए देखा जाता, मानो वे किसी अदृश्य व्यक्ति से बात कर रहे हों।

उनकी आंखों में एक अजीब सी गहराई थी, जैसे कोई बहुत पुराना राज वहां दफन हो।

चोरी का झूठा आरोप और पुलिस की कार्रवाई

एक मंगलवार की बात है, जब मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ थी। घंटियों की आवाज़ और अगरबत्ती की खुशबू से माहौल भक्तिमय था। तभी पास के एक दुकानदार मदन ने चिल्लाना शुरू कर दिया, “चोर! चोर! मेरा पर्स चोरी हो गया। इसी बुड्ढे ने उठाया है।”

मदन दौड़ता हुआ आया और उसने शंभू काका को एक ठोकर मारी, “मेरी गद्दी के पास बैठा था यह। इसने ही मेरा गल्ला साफ किया है।”

भीड़ में तमाशा देखने वालों की भीड़ जमा हो गई। “मारो साले को!” आवाजें आने लगीं। शंभू काका कांपते हुए हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे, “बाबूजी, मैंने नहीं लिया। मैं तो यहीं बैठा था।”

लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था।

इंस्पेक्टर अजय सिंह की कठोरता

तभी सायरन की तेज आवाज़ आई। पुलिस की जीप भीड़ को चीरती हुई वहां पहुंची। जीप से इंस्पेक्टर अजय सिंह उतरे। अजय एक सख्त और रूखे मिजाज के अफसर माने जाते थे। उनकी वर्दी पर लगे सितारे चमक रहे थे, लेकिन आंखों में किसी के लिए कोई रहम नहीं था।

अजय ने बिना सवाल जवाब किए सीधे शंभू काका का कॉलर पकड़कर उन्हें

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