सऊदी अरब के रेगिस्तान में भारतीय लड़के की चमत्कारी दास्तान
प्रस्तावना
बिहार के एक छोटे से गांव में रहने वाला अमन हमेशा अपने परिवार की गरीबी और संघर्ष से जूझता रहा। उसके पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई थी। मां बीमार रहती थीं, बहनों की शादी की चिंता अलग थी। अमन ने कई बार कोशिश की कि गांव में कोई काम मिल जाए, लेकिन किस्मत हर बार उससे रूठ जाती। एक दिन गांव के किसी एजेंट ने उसे बताया कि सऊदी अरब में काम करने वाले मजदूरों की बहुत मांग है, और वहां तनख्वाह भी अच्छी मिलती है। अमन की आंखों में उम्मीद की चमक लौट आई। उसने गांववालों से कर्ज लिया, एजेंट को पैसे दिए और सऊदी अरब जाने के लिए तैयार हो गया।
धोखे की शुरुआत
सऊदी पहुंचते ही अमन को पता चला कि उसे जिस ऑफिस के आरामदायक काम का वादा किया गया था, वह सिर्फ एक झूठ था। असलियत में उसे कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करनी पड़ी। तपते रेगिस्तान में, जलती धूप और उड़ती रेत के बीच, अमन दिन-रात मेहनत करता रहा। तनख्वाह भी कम थी, और एजेंट ने उसके पैसे हड़प लिए थे। घरवालों को पैसे भेजना तो दूर, खुद का गुजारा मुश्किल हो गया था। कई बार उसने दूसरे काम ढूंढने की कोशिश की, लेकिन हर जगह नाकामी हाथ लगी। पांच-छह महीने इसी तरह गुजर गए।
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रास्ता भटकना
एक दिन काम खत्म करके अमन अपने ठिकाने लौट रहा था, तभी अचानक तेज आंधी आई और वह रास्ता भटक गया। दूर-दूर तक रेत ही रेत थी, कोई इंसान नजर नहीं आ रहा था। प्यास से उसकी हालत खराब थी, पैर लड़खड़ा रहे थे। तभी उसने देखा कि सामने से तीन सफेद अबाया पहने खूबसूरत अरबी लड़कियां उसकी ओर आ रही हैं। उनकी आंखों में गहरा काजल, चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी। अमन को लगा शायद अल्लाह ने उसकी मदद के लिए इन्हें भेजा है।
रहस्यमयी मुलाकात
तीनों लड़कियों ने अमन से कहा, “अगर तुम हमारे साथ चलो तो हम तुम्हें एक रात के 1500 रियाल देंगे।” अमन हैरान रह गया। 1500 रियाल यानी लगभग 35,000 भारतीय रुपए – और वह भी सिर्फ एक रात के काम के लिए! अमन के मन में कई सवाल उठे – आखिर ये कौन हैं? ये मुझसे कौन सा काम करवाना चाहती हैं? क्या ये अपनी जिस्मानी ख्वाहिश पूरी करवाना चाहती हैं या मामला कुछ और है?
अमन ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद हामी भर दी। उसकी मजबूरी थी – छह महीने से कोई ढंग का काम नहीं मिला था, घरवालों को पैसे भेजने थे। तीनों लड़कियां उसे रेगिस्तान के किनारे एक आलीशान घर में ले गईं, जो घने जंगल के बीचों-बीच था। अमन ने अपनी जिंदगी में इतना सुंदर मकान कभी नहीं देखा था।
तहखाने का रहस्य
घर के अंदर जाकर अमन को खाना-पानी दिया गया। फिर तीनों लड़कियों ने उसे तहखाने में ले जाने को कहा। तहखाने का दरवाजा खुला तो वहां तीन नौजवान लड़के बैठे थे, जिनके शरीर पर भयानक घाव और फोड़े थे। अमन डर गया। उसने कांपती आवाज में पूछा, “यह कौन हैं? आप मुझे यहां क्यों लाई हैं?”
एक लड़की मुस्कुराई और बोली, “इन्हीं बच्चों की देखभाल तुम्हें करनी है।” अमन को समझ नहीं आया कि आखिर ऐसा क्या काम है, जिसकी इतनी बड़ी रकम दी जा रही है। लड़कियों ने बताया, “ये हमारे बेटे हैं। एक खतरनाक बीमारी के शिकार हैं। डॉक्टरों ने कहा है कि अगर हम इन्हें छू लें तो बीमारी हमें भी लग सकती है। इसलिए हमें किसी ऐसे शख्स की जरूरत थी जो मजबूरी में हो, लेकिन दिल से नेक हो।”

इंसानियत की परीक्षा
अमन ने अपनी मजबूरी को देखा, फिर उन बच्चों की हालत देखी। वह रोज सुबह से रात तक उन बच्चों के घावों की सफाई करता, मरहम लगाता, पट्टियां बदलता और उन्हें प्यार से बातें करता। शुरू-शुरू में बच्चे उससे डरते थे, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपना मानने लगे। तीनों लड़कियां रोज उसे 1500 रियाल देतीं। एक महीने में अमन ने इतनी रकम जमा कर ली कि पहली बार घर पैसे भेज सका। मां का इलाज शुरू हुआ, बहनों के रिश्ते आने लगे, छोटे भाई को मदरसे में दाखिला मिल गया।
बदलती भावनाएं
अमन का जमीर कई बार उसे झकझोरता था। वह सोचता, क्या वह कोई गुनाह कर रहा है? लेकिन जब उसने देखा कि उसकी मेहनत से बच्चों की हालत सुधर रही है, उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आई है, तो उसे एहसास हुआ कि वह इंसानियत की सबसे बड़ी सेवा कर रहा है। तीन महीनों तक अमन ने पूरे इखलास और लगन से काम किया। अल्लाह ने उसकी मेहनत का फल दिया – बच्चे 90% तक ठीक हो गए।
तीन बहनों की दास्तान
एक दिन अमन ने हिम्मत कर तीनों लड़कियों (जो असल में तीन बहनें थीं) से पूछा, “आप लोगों की जिंदगी में ऐसा क्या हुआ कि आप इतनी अकेली रह गईं?” बड़ी बहन ने गहरी सांस ली और बोली, “हमारी शादी तीन सगे भाइयों से हुई थी। एक हादसे में हमारे शौहर का इंतकाल हो गया। हम तीनों बीवाएं बन गईं, और हमारे पास रह गए ये छोटे-छोटे बेटे। कुछ महीनों बाद एक बच्चे को छूत की बीमारी हो गई, जो बाकी दोनों में भी फैल गई। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। हमने हर मर्द से मदद मांगी, लेकिन कोई भी इन बच्चों के करीब आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। तब अल्लाह ने हमें तुमसे मिलवाया।”
नया रिश्ता, नई शुरुआत
जब बच्चे पूरी तरह ठीक हो गए, अमन ने कहा, “अब मेरा काम पूरा हो गया है। मैं अपने वतन लौटना चाहता हूं।” तीनों बहनें फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने कहा, “कृपया हमें मत छोड़ो। हमारे बच्चों ने तुममें अपने अब्बा को पाया है, और हमने तुममें अपना सहारा। हम तीनों तुम्हें अपने शौहर के तौर पर कुबूल करती हैं।”
अमन कुछ देर खामोश रहा। उसने अपनी मां को फोन किया और सारी बात बताई। मां ने कहा, “अगर तूने किसी की जिंदगी बचाई है, तो वह अब तेरी जिम्मेदारी है। अल्लाह तेरा साथ देगा।”
अमन ने तीनों बहनों से निकाह कर लिया। बच्चे अब उसे अब्बा कहते हैं, और वह हर साल हिंदुस्तान आता है अपनी मां से मिलने। उसकी जिंदगी बदल गई थी – अब वह सिर्फ मजदूर नहीं, बल्कि एक परिवार का सहारा बन चुका था।
निष्कर्ष
अमन की कहानी सऊदी अरब के रेगिस्तान में भटकते एक भारतीय लड़के की थी, जिसने मजबूरी में एक अनजाना काम शुरू किया, लेकिन बाद में वही काम उसकी इंसानियत की पहचान बन गया। उसने साबित कर दिया कि मजहब, सरहद और भाषा से ऊपर इंसानियत होती है। उसकी मेहनत, नेकदिली और सेवा ने तीन बच्चों को नई जिंदगी दी, तीन बहनों को नया सहारा दिया और खुद उसकी किस्मत बदल दी।
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