करोड़पति बेटी जब फुटपाथ पर भीख माँगते बाप से मिली — आगे जो हुआ उसने सबको रुला दिया

मुंबई की दोपहर हमेशा भीड़, हॉर्न और भागदौड़ से भरी होती है। लेकिन उस दिन, एक सिग्नल पर, भीड़ के बीच एक कहानी थम गई — ऐसी कहानी जिसने करोड़पति बेटी और उसके भूखे पिता दोनों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी।

रिया मेहरा — नाम जिसे पूरा शहर जानता था। देश की सबसे युवा बिजनेसवुमन, करोड़ों की कंपनी की मालिक, मीडिया की चहेती। उसकी सफेद Mercedes सिग्नल पर रुकी थी। गार्ड बाहर खड़ा था, और कैमरे की फ्लैश जैसे हर कदम पर उसका पीछा करती थी।

लेकिन तभी, उसकी नज़र बाईं तरफ़ गई — जहाँ एक बूढ़ा आदमी फटे कपड़ों में बैठा था, काँपते हाथों से कटोरा आगे बढ़ा रहा था। चेहरे पर झुर्रियाँ, आँखों में थकान… मगर कुछ ऐसा था उस चेहरे में जो रिया को अंदर तक हिला गया।

वह झट से कार से उतरी। गार्ड चौंका — “मैम, बाहर मत जाइए, ये जगह सेफ नहीं है।”

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रिया ने कुछ नहीं सुना। वह आगे बढ़ी, और बूढ़े की आँखों में देखा। पलभर के लिए समय रुक गया।

“बाबा…” उसके होंठ काँप गए।

बूढ़ा आदमी हड़बड़ाया, फिर ध्यान से देखा। आँसुओं से धुंधली आँखों में पहचान की चमक उभरी।

“रिया… मेरी बच्ची?” उसने कांपती आवाज़ में कहा।

पलभर में सारा अतीत लौट आया। पंद्रह साल पहले, गरीबी, झगड़े और हालात के कारण रिया को अनाथालय भेज दिया गया था। पिता रामकिशन ने उसे आखिरी बार देखा था जब वह सिर्फ़ दस साल की थी — तब वह रो रही थी, और उसने वादा किया था कि “एक दिन मैं वापस आऊँगी, बाबा।”

लेकिन ज़िंदगी ने दोनों को अलग रास्तों पर भेज दिया। रिया पढ़ती रही, मेहनत करती रही, और आज करोड़पति बन गई। वहीं रामकिशन सबकुछ खोकर सड़कों पर भीख माँगने को मजबूर हो गया।

रिया उसके पैरों पर गिर पड़ी। “बाबा, आपने बताया क्यों नहीं कि आप ज़िंदा हैं?”

रामकिशन रोते हुए बोला, “बेटी, मैं तुम्हारी दुनिया में बोझ नहीं बनना चाहता था। तुम्हें उड़ते देख गर्व होता था, डर था कहीं तुम्हारी ज़िंदगी में मैं धब्बा न बन जाऊँ।”

चारों ओर लोग रुक गए। कोई मोबाइल निकाल रहा था, कोई आँसू पोंछ रहा था। उस सिग्नल पर, अमीरी और गरीबी आमने-सामने खड़ी थीं — लेकिन इस बार, दोनों के बीच सिर्फ़ प्यार था।

रिया ने उसकी झोली में पैसे नहीं, बल्कि अपना हाथ रखा। “अब से आप मेरे साथ चलेंगे, बाबा। अब कोई फुटपाथ नहीं, कोई भूख नहीं।”

रामकिशन कुछ नहीं बोला — बस अपनी बेटी के माथे पर हाथ रखा और मुस्कुराया।

उस शाम सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ — “करोड़पति बेटी ने सड़क पर भीख माँगते पिता को गले लगाया।”

कमेंट्स में लोग लिख रहे थे, “आज भी इंसानियत जिंदा है।”

रिया ने अगले दिन अपनी कंपनी में एक नया डिपार्टमेंट खोला — “मदद”, जो बुज़ुर्ग बेघरों के लिए काम करता था। और उसके ऑफिस के दरवाज़े पर, बड़े अक्षरों में लिखा था —

“जिसे दुनिया भुला देती है, वही असली भगवान होता है — हमारा पिता।”