जब एक पुलिस वाले ने आईपीएस ऑफिसर को थप्पड़ मारा | आगे क्या हुआ पुलिस वाले के साथ — हिंदी कहानी.
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सुबह का समय था। बाजार की भीड़ के बीच इंस्पेक्टर रवि सिंह अपने दो सिपाहियों के साथ दुकानों से वसूली कर रहा था। उसके चेहरे पर अकड़ थी, चाल में रौब और आवाज में डर। वह हर दुकान पर रुकता, पैसे जेब में डालता और आगे बढ़ जाता। कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता था। सब उसे रवि साहब कहकर झुक जाते थे। लेकिन आज इंस्पेक्टर रवि सिंह की किस्मत उसके लिए कुछ और ही लिख चुकी थी।
सड़क के किनारे एक ठेले पर खड़ी एक महिला सादे सलवार सूट में, बाल पीछे बांधे हुए, सामने रखी प्लेट में मोमोज खा रही थी। कोई नहीं जानता था कि वह लड़की दरअसल जिले की सबसे तेजतर्रार सीबीआई अधिकारी प्रिया शर्मा थी। वह अक्सर सादे कपड़ों में इलाके का हाल खुद देखने आती थी कि इंस्पेक्टर रवि सिंह अपनी ड्यूटी ठीक से कर भी रहा है या नहीं। उसी समय रवि सिंह अपनी बाइक पर भीड़ को चीरता हुआ एक सब्जी की दुकान पर गया और बोला, “चल बे, हफ्ता निकाल, जल्दी कर।”
तभी प्रिया ने रवि सिंह को देखा। कैसे वह दुकानदारों से धौंस जमाते हुए पैसे ले रहा था। उसकी आँखें सिकुड़ गईं। उसने अपने मोबाइल से हल्का सा वीडियो रिकॉर्ड किया। उसने सोच लिया कि अब तो इस रवि सिंह को सबक सिखाना ही है।
अगले दिन सुबह-सुबह वहीं बाजार, वहीं जगह, लेकिन अब कुछ बदला हुआ था। उसी जगह पर जहाँ कल प्रिया मोमोज खा रही थी, आज उसने एक पानी पूरी का ठेला लगा रखा था। ठेले पर वही लड़की खड़ी थी, सिर पर दुपट्टा, चेहरा साधारण पर आँखों में आत्मविश्वास की चमक। कोई नहीं पहचान पा रहा था कि यह वही सीबीआई अधिकारी है। वह ग्राहकों को पानी पूरी खिला रही थी, मुस्कुरा रही थी, लेकिन अंदर ही अंदर वह सिर्फ एक मौके का इंतजार कर रही थी।
करीब 2 घंटे बाद इंस्पेक्टर रवि सिंह अपनी रोज की रूटीन पर बाजार पहुँचा। सिपाही दोनों तरफ। उसने आते ही एक समोसे वाले को घूरा, फिर बोला, “क्या रे, आज फिर लेट हो गया। चल 500 निकाल।” समोसे वाले ने कांपते हुए पैसे निकाल दिए। रवि सिंह आगे बढ़ा और तभी उसकी नजर प्रिया के ठेले पर पड़ी। वह रुक गया। उसने प्रिया से मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, नई दुकान लगी है। चलो अच्छा है। अब तुमसे भी हफ्ता लेना पड़ेगा।”
प्रिया ने सिर उठाया। हल्के स्वर में बोली, “कौन सा हफ्ता साहब?” रवि ने अकड़ते हुए कहा, “जो सब देते हैं वही, वरना ठेला कल से यहाँ नहीं दिखेगा, समझी?” प्रिया ने सीधा उसकी आँखों में देखा। “साहब, मैं कोई पैसा नहीं दूँगी।” रवि हँस पड़ा। “ओ हो हो, बड़ी तेज जुबान है तेरी। लगता है अभी नई है बाजार में। ज्यादा चालाकी मत दिखा, वरना ठेला उलट दूँगा।” प्रिया चुप रही, लेकिन उसकी नजरों में चुनौती थी। रवि का गुस्सा बढ़ गया। उसने ठेले पर हाथ मारा और बोला, “निकाल पैसे।” प्रिया ने फिर मना किया। तभी रवि ने गुस्से में आकर प्रिया के गाल पर जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। आवाज इतनी तेज थी कि पास खड़े लोग सन्न रह गए। किसी ने भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं की। बाजार में एक पल के लिए खामोशी छा गई।
प्रिया ने गुस्से में कहा, “इंस्पेक्टर साहब, इस थप्पड़ का हिसाब तो होकर ही रहेगा।” रवि हँसते हुए बोला, “जा, तेरे से जो होता है कर ले।” इतना कहते ही वह वहाँ से निकल गया।
उसी समय प्रिया थाने पहुँची। सामने एसएचओ कुर्सी पर बैठा पकौड़े खा रहा था। एसएचओ बोला, “क्या काम है? क्या लेने आई हो यहाँ?” तभी प्रिया ने बिना इधर-उधर देखे कहा, “साहब, मुझे रिपोर्ट लिखवानी है।” एसएचओ ने एक ठहाका लगाया और बोला, “रिपोर्ट? यहाँ कोई रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। चलो यहाँ से।” प्रिया ने बिना हिले कहा, “रिपोर्ट तो थाने में ही लिखी जाती है साहब।” एसएचओ ने मेज पर रखी चाय का घूँट लिया और धीरे से बोला, “मैंने कहा ना, यहाँ कोई रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। अगर लिखवानी ही है तो ₹5,000 लगेंगे। है तो देकर लिखवाओ, नहीं तो यहाँ से जाओ।”

प्रिया कुछ पल चुप रही। फिर उसने अपने बैग से ₹5,000 निकाले और एसएचओ के सामने रख दिए। एसएचओ के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। उसने रुपए उठाकर दराज में रखे और बोला, “अब बताओ, किसकी रिपोर्ट लिखवानी है?” प्रिया ने बिना झिझक के कहा, “इंस्पेक्टर रवि सिंह की।” एसएचओ के चेहरे की मुस्कान पल भर में गायब हो गई। “क्या कहा तुमने? रवि सिंह?” प्रिया ने कहा, “हाँ एसएचओ साहब, रवि सिंह की। कल उसने बाजार में दुकानदारों से जबरन पैसे वसूले। मुझे धमकाया और फिर थप्पड़ मारा। मुझे उसकी रिपोर्ट दर्ज करानी है।” एसएचओ का गुस्सा बढ़ गया। उसने कुर्सी सीधी की और धीमे स्वर में बोला, “तुम जानती भी हो किसकी बात कर रही हो? रवि सिंह मेरे ही थाने का आदमी है। उसकी रिपोर्ट मैं नहीं लिख सकता।” प्रिया ने सख्ती से कहा, “कानून सबके लिए बराबर होता है, चाहे वह इंस्पेक्टर हो या एसएचओ।” एसएचओ ने मेज पर हाथ पटका। “निकल जाओ यहाँ से!” आँखों में अब वही ठंडापन था जो एक अफसर की नजरों में होता है। वह बिना कुछ कहे मुड़ी और थाने के बाहर चली गई।
बाहर बाजार में फिर वही चहल-पहल। प्रिया ने सोच लिया कि अब तो रवि सिंह और एसएचओ को सबक सिखाना ही है। सड़कों पर हल्की भीड़ थी। दुकानदार अपनी दुकानें समेट रहे थे और हवा में तले हुए पकौड़ों की खुशबू फैल रही थी। लेकिन प्रिया शर्मा के मन में अब कोई शांति नहीं थी। उसका चेहरा गुस्से और अपमान से तमतमा उठा था। रवि सिंह के थप्पड़ की गूँज अब भी उसके कानों में थी, पर उसने तय कर लिया था कि अब यह मामला यहीं नहीं रुकेगा।
उसी समय प्रिया ने अपने भाई, मंत्री विक्रम शर्मा को फोन लगाया। प्रिया के हाथ थोड़े काँपे, लेकिन उसने कॉल कर दिया। फोन कुछ सेकंड तक बजा और फिर दूसरी ओर से भारी आवाज आई। “हाँ प्रिया, सब ठीक है ना?” प्रिया की आवाज धीमी पर ठोस थी। “नहीं भैया, इस बार कुछ बहुत गलत हो गया है।” “क्या हुआ?” “थाने का इंस्पेक्टर रवि सिंह। उसने बाजार में वसूली करते हुए मुझे थप्पड़ मारा और जब मैं रिपोर्ट लिखवाने गई तो एसएचओ ने पैसे माँगे, रिपोर्ट नहीं लिखी।” कुछ पल के लिए फोन के उस पार खामोशी छा गई। फिर मंत्री विक्रम शर्मा की आवाज आई। “कहाँ हो तुम अभी?” “मैं इस समय बाजार में हूँ। मुझे आपकी मदद चाहिए। आज शाम तक बाजार में आ जाइए। वही जगह है जहाँ कल मोमोज वाला ठेला था।” विक्रम शर्मा ने कहा, “ठीक है प्रिया, मैं आता हूँ।”
शाम के करीब 5:00 बजे का वक्त था। प्रिया बाजार में खड़ी थी, सादे सूट में लेकिन चेहरे पर वही कठोरता। थोड़ी देर में काले रंग की गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी से उतरे मंत्री विक्रम शर्मा। लंबे, सधे कदम, गले में दुपट्टा और आँखों में गुस्से की लकीरें। भीड़ ने तुरंत उन्हें पहचान लिया। सब धीरे-धीरे फुसफुसाने लगे, “अरे, मंत्री जी आ गए।” प्रिया उनके पास आई। “मंत्री जी, यही वह जगह है जहाँ रवि सिंह ने मुझे थप्पड़ मारा था।” विक्रम ने चारों ओर नजर दौड़ाई। बाजार के लोगों ने नजरें झुका लीं, कोई कुछ नहीं बोला।
प्रिया और विक्रम दोनों थाने की ओर बढ़े। थाने का माहौल हमेशा की तरह ढीला था। बाहर सिपाही बातें कर रहे थे, अंदर टेबल पर फाइलें बिखरी थीं। लेकिन जैसे ही मंत्री शर्मा अंदर दाखिल हुए, पूरा थाना सन्न रह गया। एसएचओ तुरंत खड़ा हो गया। “नमस्ते मंत्री जी, कैसे आना हुआ?” विक्रम ने सीधा उसकी ओर देखा। “आना तो मुझे बहुत पहले चाहिए था, लेकिन अब आया हूँ ताकि देख सकूँ कि इस थाने में क्या हो रहा है।” एसएचओ के चेहरे पर पसीना साफ झलक रहा था। उसने हकलाते हुए कहा, “नहीं साहब, सब ठीक है।” प्रिया आगे बढ़ी। “साहब, यही एसएचओ है जिसने मुझसे ₹5,000 लेकर भी रिपोर्ट नहीं लिखी।” एसएचओ ने झट से कहा, “साहब, यह झूठ बोल रही है।” विक्रम की आवाज और सख्त हो गई और थाने का माहौल बदल चुका था। सबकी नजरें झुक चुकी थीं।
तभी दरवाजा खुला और रवि सिंह अंदर आया। उसने जैसे ही मंत्री जी और प्रिया को देखा, उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वह एक पल के लिए ठिठका। फिर बोला, “साहब, आप…?” विक्रम ने ठंडे स्वर में कहा, “हाँ, पहचान लिया ना?” रवि ने हकलाते हुए कहा, “जी जी साहब, मैं तो बस ड्यूटी पर था।” मंत्री जी ने कहा, “ड्यूटी पर था? और उसी ड्यूटी में बाजार में दुकानदारों से वसूली कर रहे थे?” रवि कुछ नहीं बोला। मंत्री जी ने कहा, “देखो एसएचओ, तुम्हें प्रिया की बातें सुननी चाहिए थी और रिपोर्ट लिखनी चाहिए थी। आगे से ध्यान में रखना।”
उसी समय प्रिया और मंत्री जी थाने से बाहर निकल गए। बाजार में पहुँचते ही प्रिया से कहा, “प्रिया, अब सब ठीक है। तुम जा सकती हो।” तो दोस्तों, तभी प्रिया वहाँ से चली गई और मंत्री जी बाजार के रास्ते से अपने घर जा रहे थे। उन्होंने सोचा, अब तो कोई दिक्कत नहीं, सब कुछ ठीक है। लेकिन किस्मत कुछ और ही लिख चुकी थी। रास्ता वही पुराना बाजार वाला था। मंत्री जी बाजार से निकले ही थे कि तभी एक बाइक अचानक उनके पास आकर तेजी से ब्रेक लगाकर रुकी। रवि सिंह ने मंत्री जी के बाइक के हैंडल पर जोर से हाथ मारा। उसने तेजी से कहा, “बाइक रोको।”
मंत्री विक्रम ने सख्त आवाज में कहा, “क्या बात है रवि सिंह?” रवि ने अपनी टोपी उतारी, पर इस बार उसके चेहरे पर कोई सम्मान नहीं था। आँखों में लाल गुस्सा, मुँह पर अकड़। “मंत्री जी, बहुत बड़ा तमाशा करा दिया आपने आज थाने में।” मंत्री जी ने ठंडे स्वर में कहा, “जो गलत करेगा उसके साथ ऐसा ही होगा।” रवि ने हँसते हुए कहा, “गलत तो अब मैं करूँगा, क्योंकि आपने मुझे सबके सामने नीचा दिखाया।” इतना कहकर उसने इशारा किया और पीछे बैठे सिपाही आगे बढ़े। एक ने बाइक पर लात मारी, दूसरे ने मंत्री जी की कॉलर पकड़ ली। मंत्री विक्रम चिल्लाए, “यह क्या कर रहे हो तुम लोग?” लेकिन अब किसी को फर्क नहीं पड़ रहा था। रवि सिंह पूरी तरह बेकाबू था। कुछ दुकानदारों ने देखा, लेकिन कोई आगे नहीं बढ़ा। सब जानते थे कि रवि सिंह खतरनाक आदमी है।
विक्रम का गुस्सा फूट पड़ा। “रवि, तू भूल रहा है कि तू एक पुलिस वाला है।” रवि ने कहा, “आपने मुझे सबके सामने अपमानित किया है। अब मैं भी आपको दिखाऊँगा कि पुलिस का डर क्या होता है।” इतना कहते ही उसने विक्रम के चेहरे पर जोर से थप्पड़ मारा। चारों ओर अफरातफरी मच गई। कोई मोबाइल से रिकॉर्ड करने की कोशिश कर रहा था, कोई चुपचाप अपनी दुकान बंद कर रहा था। रवि सिंह ने कहा, “फोन निकालो।” एक सिपाही ने मोबाइल निकाला और वीडियो रिकॉर्ड करने लगा। रवि ने कहा, “जो हमें नीचा दिखाएगा उसका यही हाल होगा।” विक्रम की साँसें तेज चल रही थीं, पर उनकी आवाज अब भी ठोस थी। “रवि, तेरा यह खेल ज्यादा देर नहीं चलेगा।” रवि हँसा, “चल रहा है ना? और अब तो मजा आएगा।” तभी रवि ने तुरंत सिपाहियों से कहा, “चलो, भागो।” तीनों बाइक पर बैठे और भीड़ को धक्का देते हुए निकल गए।
रवि सिंह के थप्पड़ की गूँज अब भी मंत्री विक्रम शर्मा के कानों में थी। चेहरा लाल हो चुका था, लेकिन दिल में आग उससे भी ज्यादा भड़क रही थी। भीड़ धीरे-धीरे छँट चुकी थी। मंत्री जी के कपड़े धूल से भर गए थे। विक्रम ने धीरे-धीरे अपनी बाइक की ओर कदम बढ़ाए और वहाँ से चले गए।
उसी वक्त दूसरी तरफ सीबीआई अधिकारी प्रिया शर्मा बाजार में सब्जियाँ खरीद रही थी। तभी उसने एक फोन लगाया। “हेलो, अरविंद जी? कौन बोल रहे हैं?” “मैं सीबीआई अधिकारी प्रिया शर्मा।” “मैडम नमस्ते। बहुत दिनों बाद कॉल आया। सब ठीक तो है?” “ठीक तो नहीं है अरविंद। मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।” “कहिए मैडम क्या बात है?” प्रिया की आवाज भारी हो गई। “इंस्पेक्टर रवि सिंह, वही जो पहले तुम्हारे जिले में पोस्टेड था, अब मेरे इलाके में है। उसने कल मुझे बाजार में थप्पड़ मारा है।” कुछ सेकंड के लिए अरविंद खामोश हो गया। “क्या कहा आपने मैडम? उसने आपको?” “हाँ, और एसएचओ ने भी रिश्वत माँगी, रिपोर्ट तक नहीं लिखी। अब मैं चाहती हूँ कि इन्हें सस्पेंड करवाया जाए, लेकिन सबूत के साथ।” अरविंद ने गंभीर स्वर में कहा, “मैडम, अगर आप कहें तो मैं दोनों को सस्पेंड करवाने का आदेश लिखवा दूँ।” प्रिया ने ठंडे स्वर में जवाब दिया, “नहीं अरविंद, बिना सबूत के मैं किसी पर उँगली नहीं उठाती। कानून का मतलब ही है सबूत। इसलिए कल तुम्हें बाजार में रहना होगा। मैं फिर से वहीं पानी पूरी का ठेला लगाऊँगी। जब रवि सिंह आए तो तुम दूर से वीडियो बनाना ताकि उसके हर काम का सबूत हमारे पास हो।” अरविंद थोड़ा हैरान था। “लेकिन मैडम, अगर उसने फिर कुछ गलत किया तो खतरा बढ़ सकता है।” प्रिया बोली, “मुझे डर नहीं है। इस बार मैं तैयार रहूँगी।” उसकी आवाज में वह दृढ़ता थी जो किसी अफसर की नहीं बल्कि एक ज्वाला की होती है।
अगले दिन सुबह बाजार का वही कोना फिर से चहल-पहल से भरा था। प्रिया ने साधारण कपड़ों में पानी पूरी बेच रही थी। गले में दुपट्टा था ताकि रवि को पता भी ना लगे कि यह वही सीबीआई अधिकारी प्रिया शर्मा है। प्रिया ने इस बार हल्का पीला सूट पहना था और चेहरे पर हल्की मुस्कान। लेकिन उसकी नजर बार-बार सड़क की तरफ थी। थोड़ी दूर पर एक व्यक्ति कैमरा लिए साधारण कपड़ों में कुछ अखबार खरीदने का नाटक कर रहा था। वही था इंस्पेक्टर अरविंद शर्मा। उसने कैमरा ऑन किया और रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।
करीब 20 मिनट बाद दूर से एक बाइक की आवाज सुनाई दी। लोगों ने देखा वही पुराना रवि सिंह अपनी अकड़ में आ रहा था। आँखों में वही रौब। उसने बाजार के बीच बाइक रोकी और सिपाहियों से बोला, “चलो देखते हैं आज किसने नया ठेला लगाया है।” वह सीधे प्रिया के ठेले की तरफ बढ़ा। “चल हफ्ता निकाल।” भीड़ फिर से सन्न थी। कुछ लोग पास आए, कुछ डर के मारे दूर हट गए। प्रिया बोली, “साहब, मैं कोई हफ्ता नहीं दूँगी।” रवि हँसा, “लगता है समझ में नहीं आता। चलो समझाते हैं।” उसने ठेले पर हाथ मारा। प्लेटें नीचे गिर गईं। आलू, पानी सब सड़क पर फैल गया। प्रिया ने गहरी साँस ली पर कुछ नहीं बोली। रवि बोला, “क्यों चुप है अब? बोलना।” प्रिया की आँखें सीधी उसकी आँखों में थीं। रवि हँसा और ठेले को लात मारकर वहाँ से निकल गया। अरविंद अब भी भीड़ में खड़ा था, हर पल कैद कर रहा था।
शाम को प्रिया और अरविंद बाजार में मिले। अरविंद ने कहा, “मैडम, यह देखिए, पूरा सीन रिकॉर्ड हुआ है। रवि ने जबरदस्ती पैसे माँगे, ठेला गिराया और धमकाया। अब बच नहीं सकता।” प्रिया ने वीडियो देखा और बोली, “अब इसे सबूत के तौर पर जिले के डीजीपी के पास भेजा जाएगा। एसएचओ भी इसमें फँसेगा।” अरविंद ने कहा, “मैडम, आप चाहें तो मैं खुद फाइल तैयार कर दूँ।” प्रिया ने सिर हिलाया। “नहीं, मैं खुद करूँगी। यह लड़ाई मेरी है।”
अगले दिन सुबह का समय था। तभी सीबीआई अधिकारी प्रिया शर्मा और इंस्पेक्टर अरविंद सिंह दोनों थाने पहुँचे। अंदर एसएचओ कुर्सी पर बैठा फाइल पलट रहा था और बगल में चाय रखी थी। एसएचओ ने एक नजर प्रिया पर डाली। फिर सख्त लहजे में बोला, “अरे वाह, आज फिर आ गई। क्या बात है, आज क्या तमाशा लेकर आई हो? फिर अरविंद की ओर देखा और यह साथ में कौन है? कोई वकील है क्या आपका?” अरविंद कुछ बोलने ही वाले थे कि प्रिया ने शांत स्वर में कहा, “यह अरविंद शर्मा है और हमें आपकी बातों में दिलचस्पी नहीं, हमें बस काम से मतलब है।” एसएचओ मुस्कुराया, “काम से मतलब है? तुम जैसे बहुत आते हैं यहाँ। सबको लगता है कि थाने में आकर तमाशा कर लेंगे तो कुछ हो जाएगा।” थाने में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया। सिपाही एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। तभी एसएचओ ने अरविंद की ओर इशारा करते हुए कहा, “और तुम कौन हो? क्या कोई पत्रकार हो जो यहाँ खड़े-खड़े रिकॉर्डिंग कर रहा है?” एसएचओ ने झल्ला कर कहा, “चलो बाहर निकलो यहाँ से। बहुत हो गया तमाशा। मैं अभी तुम्हें बाहर निकलवाता हूँ।”
प्रिया ने मोबाइल निकाला और डीजीपी ऑफिस का नंबर डायल किया। फोन स्पीकर पर था। कुछ सेकंड में उधर से आवाज आई। “हाँ प्रिया, बोलो।” एसएचओ चौंक गया। उसे नाम सुनते ही पसीना आने लगा। प्रिया ने कहा, “साहब, मैं अभी थाने में हूँ। एसएचओ और रवि सिंह दोनों ने ड्यूटी का गलत इस्तेमाल किया है। एसएचओ ने रिश्वत माँगी और रवि ने मुझे भरे बाजार में मारा। मेरे पास दोनों के खिलाफ वीडियो सबूत हैं।”
डीजीपी की आवाज गहरी थी। “ठीक है, वहीं रहो। मैं आ रहा हूँ थाने।” कमरे में अब हर कोई खामोश था। एसएचओ ने बेमन से कुर्सी पर बैठते हुए कहा, “अब फोन लगाकर डराने की कोशिश मत करो। हम जानते हैं ऐसे कॉल कैसे होते हैं।” प्रिया ने कहा, “थोड़ी देर रुको, सब पता चल जाएगा।”
करीब 20 मिनट बाद थाने में आए डीजीपी राघव सिंह। भारी कदम, सख्त चेहरा और आँखों में ठंडा गुस्सा। डीजीपी अंदर आए और बोले, “कहाँ है एसएचओ और रवि सिंह? उसे बुलाओ अभी। अब बताओ कल क्या हुआ था बाजार में?” इतनी ही देर में प्रिया ने कहा, “साहब, कल रवि सिंह ने बाजार में मुझे जोरदार थप्पड़ मारा।” रवि बोला, “साहब, यह झूठ बोल रही है।” डीजीपी ने प्रिया की ओर देखा। “आपके पास कोई सबूत है?” प्रिया ने मोबाइल निकाला और कहा, “जी साहब, यह वीडियो है।” डीजीपी साहब ने कहा, “इंस्पेक्टर रवि सिंह और एसएचओ, तुम्हें अभी के अभी सस्पेंड किया जाता है।”
डीजीपी राघव सिंह की आवाज में इतनी गंभीरता थी कि थाने में सन्नाटा छा गया। रवि सिंह और एसएचओ, दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए थे। उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। जिस डीजीपी को वे कभी-कभार ही देखते थे, वह आज उनके सामने खड़ा था, और उनके करियर का अंत कर रहा था।
डीजीपी ने प्रिया की ओर देखा। “प्रिया शर्मा, आपने बहुत बहादुरी का काम किया है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को बेनकाब करना आसान नहीं होता।” फिर उन्होंने रवि सिंह और एसएचओ की तरफ़ मुड़कर कहा, “तुम दोनों को अभी के अभी सस्पेंड किया जाता है। एक आंतरिक जांच समिति गठित की जाएगी, जो इस मामले की पूरी छानबीन करेगी। अगर आरोप सही पाए गए, तो न केवल तुम्हारी नौकरी जाएगी, बल्कि तुम्हें जेल भी जाना पड़ेगा।”
रवि सिंह और एसएचओ ने कुछ बोलने की कोशिश की, लेकिन डीजीपी ने उन्हें हाथ के इशारे से रोक दिया। “कोई सफाई नहीं। तुम्हारे कर्मों का फल तुम्हें भुगतना होगा।”
डीजीपी ने अपने साथ आए अधिकारियों को आदेश दिया कि रवि सिंह और एसएचओ को तुरंत हिरासत में लिया जाए और उनके हथियार व वर्दी ज़ब्त कर ली जाए। कुछ ही पलों में, रवि सिंह, जो कल तक बाजार में अपनी अकड़ दिखाता फिरता था, और एसएचओ, जो थाने में बैठकर रिश्वत लेता था, हथकड़ियों में जकड़े हुए थे। उनके चेहरे पर अब कोई अकड़ नहीं थी, सिर्फ़ डर और पछतावा था।
थाने में मौजूद सिपाही यह सब देखकर हैरान थे। उनमें से कुछ के मन में डर था कि कहीं उनकी भी पोल न खुल जाए, जबकि कुछ ईमानदार सिपाहियों के चेहरे पर संतोष का भाव था।
डीजीपी राघव सिंह ने प्रिया और अरविंद की ओर देखा। “प्रिया, अरविंद, तुम दोनों ने एक मिसाल कायम की है। कानून के रखवालों को ही कानून तोड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती।”
प्रिया ने डीजीपी को धन्यवाद दिया। “साहब, यह सिर्फ़ मेरी लड़ाई नहीं थी, यह उन सभी बेबस दुकानदारों की लड़ाई थी, जो हर रोज़ इस उत्पीड़न का शिकार होते थे।”
डीजीपी ने सिर हिलाया। “मैं जानता हूँ। और अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आगे से ऐसा न हो। मैं व्यक्तिगत रूप से इस जिले के पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली की समीक्षा करूंगा।”
थाने से बाहर निकलते ही, प्रिया और अरविंद ने देखा कि बाजार में यह खबर आग की तरह फैल चुकी थी। दुकानदार, जो कल तक डरे हुए थे, आज खुशी से झूम रहे थे। उन्होंने प्रिया को घेर लिया और उसे धन्यवाद देने लगे।
एक बूढ़ा सब्जीवाला, जिसकी दुकान पर रवि सिंह ने अक्सर वसूली की थी, प्रिया के पैरों में गिर पड़ा। “बेटी, तुमने हमें इस राक्षस से मुक्ति दिलाई है। हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि ऐसा दिन भी आएगा।”
प्रिया ने उसे उठाया। “चाचा, यह मेरा कर्तव्य था। आप सब बस हिम्मत मत हारिए।”
अरविंद ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किए गए वीडियो को दिखाया, जिसमें रवि सिंह की सारी करतूतें कैद थीं। यह वीडियो अब पूरे शहर में फैल चुका था, और लोग रवि सिंह और एसएचओ की करतूतों को देखकर हैरान और गुस्से में थे।
शाम को प्रिया अपने भाई, मंत्री विक्रम शर्मा से मिलने गई। विक्रम का चेहरा अब भी गुस्से से लाल था, लेकिन प्रिया को देखकर उनके चेहरे पर राहत का भाव आया।
“प्रिया, तुमने कमाल कर दिया,” विक्रम ने कहा। “मुझे लगा था कि मुझे अपनी राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल करना पड़ेगा, लेकिन तुमने कानून के दायरे में रहकर ही उन्हें सबक सिखा दिया।”
प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “भैया, कानून सबके लिए बराबर है। और जब एक आम नागरिक भी कानून का सम्मान करते हुए अपनी लड़ाई लड़ता है, तो न्याय ज़रूर मिलता है।”
विक्रम ने प्रिया को गले लगा लिया। “मुझे तुम पर गर्व है, मेरी बहन। तुमने साबित कर दिया कि एक सच्चा अधिकारी कभी हार नहीं मानता।”
अगले कुछ दिनों तक, इस घटना की गूँज पूरे राज्य में सुनाई दी। अखबारों में प्रिया शर्मा की बहादुरी की खबरें छपीं। रवि सिंह और एसएचओ पर भ्रष्टाचार, मारपीट, और ड्यूटी में लापरवाही के कई आरोप लगे। आंतरिक जांच में उनके खिलाफ पुख्ता सबूत मिले, जिनमें अरविंद द्वारा बनाए गए वीडियो और प्रिया की गवाही सबसे महत्वपूर्ण थी।
रवि सिंह और एसएचओ को उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। यह खबर सुनकर बाजार के दुकानदारों में एक नया विश्वास जागा। उन्हें लगा कि अब वे बिना किसी डर के अपना काम कर सकते हैं।
डीजीपी राघव सिंह ने भी पुलिस विभाग में कई सुधार किए। उन्होंने सभी थानों में भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन नंबर जारी किए और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वे जनता के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। उन्होंने प्रिया शर्मा को इस जिले में एक विशेष पद पर नियुक्त किया, ताकि वह ऐसे मामलों पर नज़र रख सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि न्याय की प्रक्रिया सुचारु रूप से चले।
प्रिया शर्मा, जो कभी एक सामान्य सीबीआई अधिकारी थी, अब एक प्रेरणा बन चुकी थी। उसकी कहानी ने कई लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया। बाजार में, जहां कभी डर और सन्नाटा पसरा रहता था, अब खुशी और चहल-पहल थी। दुकानदारों ने मिलकर एक समिति बनाई, जो यह सुनिश्चित करती थी कि कोई भी अधिकारी या बाहरी व्यक्ति उन्हें परेशान न करे।
प्रिया ने अपनी ड्यूटी के साथ-साथ, बाजार के लोगों के साथ भी एक गहरा रिश्ता बना लिया था। वह अक्सर बाजार में आती, लोगों से बात करती, और उनकी समस्याओं को सुनती थी। वह अब सिर्फ़ एक अधिकारी नहीं थी, बल्कि उनकी दोस्त और संरक्षक भी थी।
एक दिन, जब प्रिया बाजार में थी, तो उसने देखा कि वही समोसे वाला, जिसे रवि सिंह ने ₹500 निकालने के लिए धमकाया था, आज खुशी-खुशी ग्राहकों को समोसे बेच रहा था। उसने प्रिया को देखा और मुस्कुराया।
“मैडम, आपकी वजह से आज हम चैन की सांस ले पा रहे हैं। अब कोई हमें परेशान नहीं करता।”
प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह आप सबकी हिम्मत का नतीजा है, चाचा। अगर आप सबने मिलकर आवाज़ नहीं उठाई होती, तो यह बदलाव कभी नहीं आता।”
उसने सोचा कि यह सिर्फ़ एक शुरुआत है। अभी भी समाज में बहुत से ऐसे रवि सिंह और एसएचओ हैं, जिन्हें बेनकाब करना बाकी है। लेकिन उसे विश्वास था कि जब तक ईमानदार अधिकारी और जागरूक नागरिक मिलकर काम करेंगे, तब तक न्याय की जीत ज़रूर होगी।
प्रिया शर्मा की कहानी सिर्फ़ एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी को सबक सिखाने की कहानी नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसे समाज की कहानी थी, जो अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ और अपनी आवाज़ उठाई। यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, सच्चाई और न्याय हमेशा जीतते हैं, और एक व्यक्ति की बहादुरी पूरे समाज में बदलाव ला सकती है।
उसने अपने भाई विक्रम शर्मा से भी बात की, और उन्हें बताया कि कैसे इस घटना ने उसे और भी मजबूत बना दिया है। विक्रम ने भी प्रिया के काम की सराहना की और उसे हर कदम पर समर्थन देने का वादा किया।
प्रिया ने अपनी जिंदगी का नया अध्याय शुरू किया था, जिसमें वह न केवल एक अधिकारी थी, बल्कि एक ऐसी महिला थी जिसने अपने सिद्धांतों और न्याय के लिए लड़ने की हिम्मत दिखाई थी। बाजार में अब कोई डर नहीं था, केवल आशा और न्याय की एक नई सुबह थी।
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देखो एक साँप ने एहसान का बदला कैसे चुकाया?
देखो एक साँप ने एहसान का बदला कैसे चुकाया? . . घने जंगल की गहराई में एक पुराना पेड़ खड़ा…
इस्पेक्टर नें आम लड़की समझ कर DM मैडम को थप्पड़ मारा आगे जों हुआ…
इस्पेक्टर नें आम लड़की समझ कर DM मैडम को थप्पड़ मारा आगे जों हुआ… . . सुबह की हल्की धूप…
कचरा उठाने वाली लड़की को कचरे में मिले किसी के घर के कागज़ात, लौटाने गई तो जो हुआ वो आप सोच भी नही
कचरा उठाने वाली लड़की को कचरे में मिले किसी के घर के कागज़ात, लौटाने गई तो जो हुआ वो आप…
अमेरिकन CEO ने कहा-अगर इंजन ठीक कर दिया तो शादी कर लूंगी फिर भारतीय लड़के ने कर दिखाया😱
अमेरिकन CEO ने कहा-अगर इंजन ठीक कर दिया तो शादी कर लूंगी फिर भारतीय लड़के ने कर दिखाया😱 . ….
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