महिला DM की गाड़ी पंचर हो गयी थी पंचर जोड़ने वाला तलाकशुदा पति निकला
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सिंदूर की कीमत
1. जंगल में फंसी डीएम साहिबा
गरिमा ठाकुर, पौड़ी गढ़वाल की नई डीएम, अपनी सरकारी गाड़ी में बैठकर मीटिंग के लिए जा रही थीं। समय कम था, जिम्मेदारी बड़ी थी। अचानक जंगल के पास गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। ड्राइवर ने डिग्गी खोली, स्टेपनी ढूंढी, पर वह गायब थी।
“मैडम, स्टेपनी नहीं है। टायर चेंज नहीं हो पाएगा,” ड्राइवर बोला।
गरिमा परेशान हो गईं। “तुम टायर खोलकर सवारी में बैठकर जाओ, जल्दी पंक्चर लगवा कर लाओ। मुझे मीटिंग में पहुंचना जरूरी है।”
“मैडम, यहां आसपास कोई दुकान नहीं है।”
“तो किसी पंक्चर वाले को बुलाओ,” गरिमा ने झुंझलाकर कहा।
ड्राइवर ने रमन नाम के पंक्चर वाले को फोन किया। लोकेशन भेजी। 15 मिनट में रमन अपनी गाड़ी लेकर आ गया। उसने प्रोफेशनल तरीके से टायर पंक्चर जोड़ना शुरू किया। गरिमा ने साइड शीशे से रमन को देखा तो एकदम चौंक गईं। चेहरा जाना-पहचाना था। रमन भी गाड़ी के अंदर डिग्गी खोलने घुसा तो गरिमा को देखकर हड़बड़ा गया। दोनों की आंखें मिलीं, दोनों के मन में पुरानी यादें जाग उठीं।
ड्राइवर ने पैसे पूछे तो रमन बोला, “मैडम से पैसे नहीं लूंगा। कभी सरकारी मदद चाहिए होगी तो एक कॉल कर दीजिएगा।”
गरिमा ने ड्राइवर को अपना नंबर लिखकर दिया, “रमन को दे देना। जब जरूरत हो, कॉल कर लेना।”
रमन कार्ड लेकर चला गया। गरिमा गाड़ी में बैठी-बैठी पुरानी यादों में खो गई।
2. अतीत की यादें – एक शादी, एक मुलाकात
पौड़ी गढ़वाल के एक छोटे कस्बे में रमन अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ रहता था। परिवार साधारण था, लेकिन खुश था। एक दिन रिश्तेदारी में शादी थी। सब लोग गए। शादी में रमन की नजर एक सुंदर लड़की पर पड़ी। पहली नजर में ही दिल हार गया।
लड़की थी गरिमा ठाकुर, अमीर परिवार की इकलौती बेटी। गरिमा ने भी रमन को देखा, मुस्कुरा दी। दोनों की नजरें मिलती रहीं। धीरे-धीरे दोनों एक टेबल पर आ बैठे। डरते-डरते “हाय-हेलो” हुआ, नाम पूछा, बातें हुईं।
“आपका नाम?”
“गरिमा।”
“मेरा रमन।”
“क्या करते हैं?”
“इंजीनियरिंग पढ़ रहा हूं।”
“वाह, मैं भी एमए कर रही हूं।”
बातों-बातों में पता चला कि दोनों दूर के रिश्तेदार हैं। शादी के चांस भी थे। रमन ने गरिमा से नंबर ले लिया। शादी खत्म हुई, सब घर लौट गए।
3. दोस्ती, प्यार और छुपी शादी
रमन ने घर पहुंचते ही गरिमा को कॉल किया। रोज बातें होने लगीं। दोनों के बीच दोस्ती गहरी हो गई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।
एक दिन गरिमा बोली, “रमन, हमें शादी कर लेनी चाहिए।”
रमन झिझका, “गरिमा, तुम अमीर परिवार से हो, मैं गरीब। तुम्हारे घरवाले कभी नहीं मानेंगे।”
“मुझे भी पता है, लेकिन क्या करें?”
रमन ने सुझाव दिया, “कोर्ट मैरिज कर लेते हैं, किसी को बताए बिना।”
गरिमा मान गई। दोनों ने छुपकर कोर्ट मैरिज कर ली। मगर प्यार कब तक छुपता? गरिमा के बार-बार बाहर जाने से घरवालों को शक हुआ। पीछा किया, सच्चाई सामने आ गई। कोर्ट मैरिज का सर्टिफिकेट देख पिता-पिता ने सोचा, “अब ज्यादा हंगामा करने से इज्जत खराब होगी। क्यों न रीति-रिवाज से शादी करा दें?”
दोनों परिवारों ने बातचीत की, शादी की तारीख तय की, धूमधाम से शादी हो गई।
4. नए जीवन की शुरुआत – संघर्ष और सपने
शादी के बाद गरिमा ससुराल आई। रमन का परिवार मिडिल क्लास था, लेकिन प्यार था। गरिमा पढ़ने-लिखने में होशियार थी। उसने रमन से कहा, “मैं पढ़ना चाहती हूं, गवर्नमेंट ऑफिसर बनना चाहती हूं।”
रमन बोला, “घर-गृहस्थी को कौन देखेगा?”
“मैं सब मैनेज कर लूंगी,” गरिमा ने आत्मविश्वास से कहा।
रमन के घरवालों ने भी पढ़ाई का समर्थन किया। गरिमा ने पढ़ाई शुरू की। मगर धीरे-धीरे उसे ससुराल की कमियां दिखने लगीं। सामान की कमी, पैसों की तंगी। गरिमा ने मां से फोन पर शिकायत की। मां ने समझाने के बजाय उल्टा रमन के खिलाफ जहर घोल दिया।
अब गरिमा रमन को ताने मारने लगी, “तुमसे कमाया नहीं जाता। शादी से पहले बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। अब क्या हुआ?”
रमन की मां बोली, “बेटी, हम अमीर नहीं हैं। बेटे ने जबरदस्ती शादी नहीं की थी, तुम्हारी मर्जी थी। जितना कर सकते हैं, करते हैं।”
समय बीतता गया। करीब एक साल बाद गरिमा का सब्र टूट गया। पैसों की तंगी, सपनों का अधूरापन। एक दिन छोटी सी बात पर झगड़ा हुआ, गरिमा मायके चली गई। कोर्ट में केस दाखिल कर तलाक फाइल कर दिया। कुछ ही दिन में तलाक हो गया।
5. अलगाव, संघर्ष और सफलता
गरिमा अपने मां-बाप के साथ रहने लगी। पढ़ाई जारी रखी। दो साल खूब मेहनत की। आखिरकार वह जिला मजिस्ट्रेट बन गई—डीएम गरिमा ठाकुर।
उधर, रमन पूरी तरह टूट चुका था। मां की तबीयत खराब हुई, सारा पैसा इलाज में लग गया। मां की मौत हो गई। रमन सदमे में आ गया। काम-धंधा छोड़ दिया। मगर बहन और पिता की जिम्मेदारी थी। एक दोस्त ने सलाह दी, “टायर पंचर जोड़ने की दुकान खोल लो। कम पैसे में काम शुरू हो जाएगा।”
रमन ने गाड़ी में पंचर जोड़ने का सामान रखा, फोन नंबर लिखवा दिया, दीवारों पर पोस्टर लगा दिए। धीरे-धीरे काम चला, कमाई बढ़ी। रमन मेहनत से जीवन चलाने लगा।
6. फिर से मुलाकात – टकराए रास्ते
एक दिन डीएम गरिमा ठाकुर की गाड़ी का टायर जंगल में पंक्चर हो गया। ड्राइवर ने रमन को बुलाया। रमन मौके पर पहुंचा, टायर जोड़ने लगा। गाड़ी के अंदर गरिमा को देखा, दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। गरिमा भी उसे देखकर चौंक गई। दोनों की आंखों में पुरानी यादें तैर गईं।
ड्राइवर ने पैसे पूछे, रमन ने मना कर दिया, “मैडम से पैसे नहीं लूंगा। कभी सरकारी मदद चाहिए होगी तो एक कॉल कर दीजिएगा।”
गरिमा ने कार्ड पर अपना नंबर लिखकर दिया, “कभी जरूरत हो, कॉल कर लेना।”
रमन कार्ड लेकर चला गया। घर पहुंचकर कार्ड खोला, उसमें ₹1500 और फोन नंबर था। रमन ने रात में ही गरिमा को कॉल कर दिया।
गरिमा पहली घंटी पर कॉल उठा लेती है। दोनों हालचाल पूछते हैं।
“रमन, टायर पंचर जोड़ने लगे हो?”
“यह सब जानने के लिए मिलना पड़ेगा,” रमन बोला।
गरिमा ने बताया, “मैं डीएम बन गई हूं।”
“बहुत अच्छा किया,” रमन ने तारीफ की।
7. भावनाओं की बरसात – दिल से दिल तक
अगले दिन गरिमा ने रमन को मार्केट में मिलने बुलाया। भेस बदलकर आई। रमन बाइक पर बैठा, दोनों पार्क में जाकर बैठ गए।
“अब तो बता दो, तुम्हारे साथ क्या हुआ?”
रमन ने सब कुछ बता दिया—मां की बीमारी, मौत, आर्थिक तंगी, पंचर जोड़ने का काम।
“क्या तुमने दूसरी शादी कर ली?” गरिमा ने पूछा।
“नहीं,” रमन बोला।
“तो फिर मांग में सिंदूर कैसा?”
“यह तुम्हारे ही नाम का है। तलाक हो गया था, लेकिन मैं हमेशा तुम्हें अपना पति मानती हूं।”
रमन भावुक हो गया, “तो फिर मेरे साथ ऐसा क्यों किया?”
गरिमा रोने लगी, “कुछ तुम्हारी आर्थिक स्थिति से परेशान थी, कुछ मेरी मां ने भड़का दिया। मैंने बचपन से ऐशो-आराम की जिंदगी बिताई थी। माफ कर दो, रमन। बहुत बड़ी गलती हो गई थी।”
रमन बोला, “अब तुम्हारा और मेरा कोई मेल नहीं। तुम डीएम हो, मैं पंचर जोड़ने वाला। हमारे रास्ते अलग हैं। अब मेरे नाम का सिंदूर भरना बंद कर दो।”
गरिमा और भी उदास हो गई। “क्या तुमने दूसरी शादी कर ली?”
“नहीं,” रमन बोला, “पापा ने कई बार कहा, लेकिन मैंने मन नहीं बनाया। प्यार और शादी जिंदगी में सिर्फ एक बार अच्छा लगता है।”
गरिमा के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। दोनों मंदिर गए। गरिमा ने काली मां के सामने रमन का हाथ थाम लिया, उसके गले से लिपटकर रोने लगी, “रमन, मुझे फिर से अपना लो। अब तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी।”
रमन भी भावनाओं में बह गया। दोनों ने मंदिर में फिर से वरमाला डाल दी, नए जीवन की शुरुआत की।
8. नई शुरुआत – सच्चे प्यार की जीत
अब गरिमा डीएम थी, रमन पंचर जोड़ने वाला। मगर दोनों ने समाज की परवाह नहीं की। गरिमा ने रमन का हाथ थामा, “अब मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारे संघर्ष ने मुझे सिखाया कि असली प्यार क्या होता है।”
रमन ने गरिमा की आंखों में देखा, “मैंने तुम्हें कभी छोड़ा नहीं था। बस हालातों के आगे मजबूर था।”
दोनों ने मिलकर नया जीवन शुरू किया। गरिमा ने रमन के काम में मदद की, उसके लिए एक छोटी वर्कशॉप खुलवाई। रमन ने गरिमा के ऑफिस के काम में सहयोग दिया। दोनों के रिश्ते में अब समझ, प्यार और सम्मान था।
गरिमा ने समाज के लिए एक मिसाल पेश की—पद, पैसे और रुतबे से ऊपर प्यार और आत्मसम्मान।
9. कहानी की सीख
यह कहानी हमें सिखाती है:
सच्चा प्यार हालातों से नहीं हारता।
पद, पैसे और समाज से ऊपर रिश्तों की अहमियत है।
आत्मसम्मान और संघर्ष से ही जीवन में जीत मिलती है।
माफ करना और आगे बढ़ना ही रिश्तों की असली ताकत है।
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