पोती ने परेशान होकर कर दिया कारनामा/पुलिस प्रशासन दंग रह गया/

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पोती का कारनामा – न्याय की तलाश में माँ-बेटी की कहानी

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के शिकारपुर गांव में देशराज नाम का व्यक्ति रहता था। देशराज गांव का सबसे धनी और प्रभावशाली इंसान था। उसके पास 28 एकड़ जमीन थी, पैसा था, पावर थी। गांव के लोग उसकी इज्जत करते थे, लेकिन यह इज्जत डर और मजबूरी की थी। देशराज का चरित्र बेहद खराब था – वह भोली-भाली महिलाओं को खेत में बुलाकर उनके साथ गलत काम करता, पैसे देकर मामले को दबा देता।

देशराज के बेटे सुशील की चार साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। अब घर में सिर्फ बहू कल्पना और पोती मनीषा थी। कल्पना बहुत संस्कारी महिला थी, हमेशा घर के काम में व्यस्त रहती थी। मनीषा पढ़ाई में होनहार थी, 12वीं कक्षा की छात्रा थी और डॉक्टर बनने का सपना देखती थी।

सब कुछ सामान्य चल रहा था, पर कोई नहीं जानता था कि देशराज अपनी बहू और पोती के साथ भविष्य में क्या करने वाला है।

स्कूल टूर का बहाना

10 अक्टूबर 2025 की सुबह थी। मनीषा स्कूल टूर पर जाना चाहती थी। पिछली बार दादा जी ने मना कर दिया था, लेकिन इस बार मनीषा ने जिद की। देशराज ने उसे ₹4000 देकर टूर पर जाने की अनुमति दे दी। मनीषा खुश होकर स्कूल चली गई, पर उसे नहीं पता था कि उसके जाने के बाद मां कल्पना के साथ क्या होने वाला है।

पोती ने परेशान होकर कर दिया कारनामा/पुलिस प्रशासन दंग रह गया/

देशराज ने अपने दोस्त सूरजभान को खेत में पार्टी के लिए बुलाया। शराब आई, दोनों ने पीकर मौज मनाई। उसी समय गांव की एक महिला भारती देवी चारा काटने खेत में आई। सूरजभान और देशराज ने पैसे देकर भारती देवी के साथ गलत संबंध बनाए। शाम तक शराब पीने के बाद देशराज घर लौट आया।

बहू कल्पना के साथ अपराध

घर आकर देशराज ने बहू कल्पना को सोने की अंगूठी देने का लालच दिया। कल्पना ने मना कर दिया, लेकिन देशराज ने जबरदस्ती की। उसने कल्पना के हाथ-पैर बांध दिए, मुंह पर कपड़ा बांधा और उसके साथ गलत काम किया। कल्पना डरी-सहमी रही, देशराज ने धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो घर से निकाल देगा।

तीन रातों तक यही सिलसिला चला। कल्पना मजबूरी में चुप रही, क्योंकि उसका कोई सहारा नहीं था। मनीषा स्कूल टूर से लौटी, मां को उदास देखा, लेकिन कल्पना ने सच्चाई छुपा ली।

दादा का घिनौना इरादा

17 अक्टूबर की सुबह देशराज ने मनीषा को बहाने से शहर ले जाकर महंगा स्मार्टफोन खरीदकर दिया। मनीषा खुश थी, लेकिन देशराज का इरादा गलत था। उसने खेत में जाकर मनीषा को कमरे में बैठाया, खुद शराब पी और फिर अपनी पोती के साथ वही घिनौना अपराध किया। मनीषा किसी तरह भागकर घर पहुंची, मां के पास जाकर रोने लगी।

सच्चाई और बदला

मनीषा ने मां को सब बता दिया। कल्पना भी फूट-फूटकर रोने लगी, उसने कहा कि जब मनीषा टूर पर थी, तब दादा ने उसके साथ भी यही किया था। मनीषा गुस्से से पागल हो गई। मां-बेटी ने घर में हथियार ढूंढे – मनीषा ने कुल्हाड़ी उठाई, कल्पना ने धारदार चाकू।

दोनों खेत की तरफ चलीं। रास्ते में किसानों ने पूछा, तो मनीषा ने बहाना बना दिया। खेत में देशराज शराब के नशे में चारपाई पर पड़ा था। मनीषा ने कुल्हाड़ी से उसकी गर्दन पर वार किया, कल्पना ने चाकू से हमला किया। देशराज की मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस के सामने आत्मसमर्पण

मां-बेटी ने फैसला किया कि पुलिस स्टेशन जाकर आत्मसमर्पण कर देंगे। एक घंटे बाद दोनों पुलिस के सामने पेश हो गईं। एसपी ओमकार सिंह ने उनकी कहानी सुनी, दंग रह गया। कानून के अनुसार दोनों पर चार्जशीट दायर हुई। आगे की सजा न्यायालय तय करेगा।

समाज का सवाल

क्या कल्पना और मनीषा ने जो किया, वह सही था? क्या कानून में ऐसे मामलों के लिए अलग दृष्टिकोण होना चाहिए? क्या समाज को महिलाओं की सुरक्षा के लिए और संवेदनशील होना चाहिए? यह कहानी सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि न्याय की तलाश में मजबूर मां-बेटी की पुकार है।

अंतिम विचार

यह घटना बताती है कि जब अत्याचार हद पार कर जाए, तो पीड़ित भी मजबूरी में कानून अपने हाथ में लेने पर मजबूर हो जाते हैं। समाज, कानून और परिवार – सभी को ऐसे मामलों में संवेदनशील और जागरूक होना चाहिए। न्याय तभी पूरा होता है जब पीड़ित को सुरक्षा, सम्मान और न्याय मिले।

समाप्त