अमिताभ ने रेखा को दे रखा है पत्नी वाला वो हक जो आजतक जया को नहीं मिला..

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अमिताभ और रेखा: वो रिश्ता जिसे कभी नाम नहीं मिला, मगर प्यार अमर रहा

मुंबई, 16 अगस्त 2025 – बॉलीवुड की गलियों में कई कहानियाँ हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जो कभी पूरी नहीं होतीं, बस अधूरी रहकर भी अमर हो जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है अमिताभ बच्चन और रेखा की। यह रिश्ता जितना फिल्मी था, उतना ही असली भी। दोनों की मोहब्बत ने न सिर्फ पर्दे पर, बल्कि असल जिंदगी में भी लोगों के दिलों को छुआ। आज भी जब इन दोनों का नाम साथ लिया जाता है, तो फैन्स के मन में वही सवाल उठता है – क्या अमिताभ ने रेखा को वो हक दिया, जो जया को भी नहीं मिला? क्या बिना शादी के भी सच्चा प्यार जिया जा सकता है? आइए, जानते हैं इस अनकही मोहब्बत की दास्तान को, जो वक्त के साथ और भी गहराती गई।

बॉलीवुड के सुनहरे दौर की सबसे चर्चित प्रेम कहानी

सत्तर और अस्सी के दशक में बॉलीवुड सिर्फ फिल्मों के लिए नहीं, बल्कि अपनी रोमांटिक कहानियों के लिए भी जाना जाता था। उस दौर में हर गली, हर कॉफी हाउस में एक ही चर्चा थी – अमिताभ और रेखा का रिश्ता।

रेखा, जिनकी खूबसूरती और अदाकारी पर पूरा देश फिदा था, और अमिताभ, जिनकी आवाज और कद से सारा सिनेमाघर खामोश हो जाता था। दोनों की मुलाकातें, सेट के कोनों में धीमी बातें, मीडिया की कयासबाजी – सब मिलकर एक अनकही मोहब्बत की कहानी बुन रहे थे।

सेट पर शुरू हुई मोहब्बत

रेखा और अमिताभ की पहली मुलाकात फिल्म ‘दो अनजाने’ के सेट पर हुई थी। यहीं से दोनों के बीच एक खास रिश्ता पनपने लगा। इसके बाद ‘सिलसिला’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘मि. नटवरलाल’ जैसी कई फिल्मों में दोनों की केमिस्ट्री ने दर्शकों को दीवाना बना दिया।

‘उमराव जान’ की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर मुजफ्फर अली ने खुद देखा कि अमिताभ अक्सर सेट पर आ जाते थे, भले ही उनका कोई सीन न हो। रेखा कभी खुलकर अमिताभ का नाम नहीं लेती थीं, बस हल्की मुस्कान के साथ टाल जाती थीं। मुजफ्फर अली कहते हैं, “ऐसा वही औरत करती है, जो अपने दिल में किसी को अपना पति मान चुकी हो।”

रेखा के दिल में अमिताभ की जगह

इंडस्ट्री के लोग मानते हैं कि रेखा ने अमिताभ को अपने दिल में वही जगह दी थी, जो एक पत्नी अपने पति को देती है। रेखा ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उनकी मांग में सिंदूर हमेशा नजर आता है। यह सिंदूर किसके नाम का है, यह सवाल आज भी अधूरा है।

कई बार मीडिया ने रेखा से पूछा कि वे किसके नाम का सिंदूर लगाती हैं, लेकिन रेखा ने कभी इसका सीधा जवाब नहीं दिया। उनके इस रहस्य ने लोगों को और भी उत्सुक बना दिया।

अमिताभ की मजबूरी और परिवार की दीवारें

दूसरी ओर, अमिताभ बच्चन की जिंदगी में जया बच्चन थीं। जया और अमिताभ की शादी हो चुकी थी, उनके बच्चे थे और एक खुशहाल परिवार था। ऐसे में अमिताभ के लिए रेखा के साथ अपने रिश्ते को समाज के सामने स्वीकार करना आसान नहीं था।

लोगों का कहना है कि अमिताभ को रेखा को एक पहचान देनी चाहिए थी, उन्हें पत्नी का हक देना चाहिए था। लेकिन शायद घर की दीवारें और रिश्तों की डोर उन्हें इस मोहब्बत को खुलकर अपनाने से रोक रही थी। उन्होंने अपने परिवार को सुरक्षित रखा और धीरे-धीरे रेखा से दूरियां बना लीं।

रेखा की जिद और अमर मोहब्बत

रेखा आज भी किसी और की नहीं हुईं। उनकी मांग में आज भी सिंदूर है, और लोग पूछते हैं – आखिर किसके नाम का? क्या यह सिंदूर उस मोहब्बत का मूक सबूत है या एक जिद कि वो प्यार कभी खत्म नहीं होगा?

रेखा ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मैंने जो प्यार किया, वो सच्चा था। मुझे उसकी कोई मंज़िल नहीं चाहिए थी, सिर्फ उसका एहसास चाहिए था।” रेखा का यह बयान आज भी लोगों के दिलों को छू जाता है।

बिना शादी के भी सच्चा प्यार

यह सवाल हमेशा उठता है कि क्या बिना शादी के भी सच्चा प्यार जिया जा सकता है? अमिताभ और रेखा की कहानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। दोनों ने एक-दूसरे को दिल से चाहा, लेकिन समाज, परिवार और जिम्मेदारियों ने उन्हें अलग कर दिया।

फिर भी, रेखा ने कभी अपने प्यार को मरने नहीं दिया। उनकी आंखों में आज भी वही मोहब्बत झलकती है, जो सालों पहले थी।

समाज की सोच और बदलती परिभाषाएँ

समाज हमेशा शादी को ही प्यार की मंज़िल मानता है, लेकिन अमिताभ और रेखा की कहानी बताती है कि प्यार का कोई बंधन नहीं होता। यह एक एहसास है, जो बिना किसी नाम या पहचान के भी जिया जा सकता है।

रेखा और अमिताभ की मोहब्बत ने साबित कर दिया कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता। वह वक्त के साथ और भी गहरा हो जाता है, भले ही उसे समाज का नाम न मिले।

फैंस की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर बहस

जब भी रेखा और अमिताभ बच्चन का नाम साथ आता है, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ जाती है। कुछ लोग कहते हैं कि अमिताभ को रेखा से शादी कर लेनी चाहिए थी, तो कुछ मानते हैं कि उनका फैसला सही था।

फैंस अपनी-अपनी राय रखते हैं, लेकिन एक बात पर सब सहमत हैं – दोनों की मोहब्बत आज भी जिंदा है।

आज भी अधूरी है यह कहानी

चालीस साल से ज्यादा हो गए, लेकिन यह कहानी आज भी अधूरी है। रेखा की मांग का सिंदूर, उनकी आँखों का दर्द, अमिताभ की खामोशी – सब मिलकर इस मोहब्बत को अमर बना देते हैं।

यह रिश्ता कभी नाम नहीं पा सका, लेकिन लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा।

निष्कर्ष: क्या सही था अमिताभ का फैसला?

आखिर में सवाल यही है – क्या अमिताभ को रेखा से शादी करनी चाहिए थी या उनका फैसला सही था?

यह सवाल हर किसी के लिए अलग हो सकता है। कुछ लोग प्यार को नाम और पहचान देना जरूरी मानते हैं, तो कुछ के लिए प्यार सिर्फ एहसास है।

अमिताभ और रेखा की कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में हर रिश्ता मुकम्मल नहीं होता, लेकिन उसकी यादें हमेशा दिल में रहती हैं।

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