अमीरी के घमंड में लड़की ने उड़ाया मजाक, जब पता चला लड़का 500 करोड़ का मालिक है, रोने लगी
कॉलेज के गेट पर जब लता अपनी महंगी कार से उतरी, तो हर किसी की नजर उस पर थी। डिजाइनर कुर्ती, ब्रांडेड सनग्लास और हाथ में नया आईफोन। शहर के नामी बिल्डर की इकलौती बेटी होने का घमंड उसके चेहरे पर साफ झलकता था। उसे लगता था कि दुनिया में सिर्फ पैसा और रुतबा ही मायने रखता है।
नीरज का आगमन
उसी समय मुख्य द्वार से एक लड़का अंदर आया। हाथ में पुरानी किताबों से भरा फटा बैग, पैरों में साधारण चप्पलें और सिर पर पसीना। नाम था नीरज। उसके कपड़े देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि वह किसी मेहनतकश परिवार से है। लता की नजर जब नीरज पर पड़ी, तो उसके चेहरे पर घृणा के भाव उभर आए। अपनी सहेली को कोहनी मारते हुए बोली, “अरे, देख यह कौन आ गया? लगता है गलती से इस कॉलेज में घुस गया। शायद रास्ता भटक गया होगा।”
क्लास में अपमान
पहली क्लास में जब नीरज अपनी सीट पर बैठने लगा, तो लता ने जोर से कहा, “सर, क्या इस कॉलेज में कोई ड्रेस कोड नहीं है? कम से कम स्टैंडर्ड तो होना चाहिए।” पूरी क्लास में हंसी फैल गई। नीरज ने बस एक बार लता की तरफ देखा और चुपचाप अपनी नोटबुक खोल ली। उसकी इस खामोशी ने लता को और भड़का दिया।
कैंटीन में मजाक
अगले दिन कैंटीन में नीरज एक कोने में बैठा अपने टिफिन से दाल चावल खा रहा था। लता अपने दोस्तों के झुंड के साथ वहां पहुंची। उसने नाक पर रुमाल रखते हुए कहा, “भगवान, यह बांस कहां से आ रही है? कोई तो घर का बचा हुआ खाना यहां ले आया है।” उसके दोस्त ठहाके लगाकर हंसने लगे। एक ने कहा, “अरे लता, छोड़ दे यार, बेचारा घर से लाता होगा। इसे पता भी नहीं होगा कि यहां कैंटीन में क्या-क्या मिलता है।” नीरज ने धीरे से अपना डिब्बा बंद किया और वहां से उठ गया। उसके चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था, बस एक शांत सी उदासी थी।
लगातार अपमान
इसके बाद हर दिन यही सिलसिला चलता रहा। कभी क्लास में “सर, मुझे नीरज से दूर बैठना है। मेरा दम घुटता है।” कभी लाइब्रेरी में “इतनी पुरानी किताबें कौन पढ़ता है? नए एडिशन नहीं खरीद सकते तो पढ़ाई क्यों करनी?” एक बार तो लता ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर नीरज की सीट पर चुइंगम चिपका दी। जब नीरज बैठा, तो उसकी पैंट में गम लग गई। पूरी क्लास हंस पड़ी, पर नीरज ने कुछ नहीं कहा। बस उठकर वाशरूम चला गया।
नीरज की सहनशीलता
लता को लगता था कि वह जीत रही है। उसे मजा आता था नीरज को नीचा दिखाने में। पर नीरज की आंखों में वो शांति थी जो लता को और ज्यादा परेशान करती थी। उसे समझ नहीं आता था कि यह लड़का इतना कैसे सह लेता है। कुछ लड़कियां जो लता की हां में हां नहीं मिलाती थीं, कभी-कभार नीरज से कहतीं, “तुम्हें प्रिंसिपल से शिकायत करनी चाहिए। यह सही नहीं है।” नीरज बस मुस्कुरा देता। “शिकायत करने से क्या होगा? लोग तभी बदलते हैं जब उन्हें खुद एहसास हो। जबरदस्ती से कोई नहीं बदलता।”
ग्रुप प्रोजेक्ट
एक दिन ग्रुप प्रोजेक्ट बना। किस्मत से नीरज और लता एक ही ग्रुप में आ गए। लता ने तुरंत प्रोफेसर से कहा, “सर, प्लीज मुझे दूसरे ग्रुप में शिफ्ट कर दीजिए। इसकी वजह से हमारा प्रोजेक्ट खराब हो जाएगा।” प्रोफेसर ने सख्ती से कहा, “लता, यह कॉलेज है। यहां सब बराबर है। ग्रुप नहीं बदलेंगे।” मीटिंग में भी लता ने नीरज की एक भी बात नहीं सुनी। जब भी वह कुछ कहता, लता बीच में ही काट देती, “तुम चुप रहो। तुम्हें क्या पता प्रेजेंटेशन कैसे बनाते हैं।”
मेहनत का फल
नीरज फिर भी अपना काम करता रहा। देर रात तक डाटा जुटाता, रिसर्च करता और अपनी तरफ से पूरी मेहनत लगाता। फिर वो दिन आया जब कॉलेज में एक बड़ा इवेंट होने वाला था। शहर के सभी बड़े उद्योगपति और सफल युवा उद्यमी बुलाए गए थे। लता अपने पूरे ठाटबाट से पहुंची। आज उसे लग रहा था कि सबकी नजरें उस पर होंगी।
नीरज का भाषण
ऑडिटोरियम में भीड़ जमा थी। मंच पर एंकर माइक लेकर खड़ा हुआ। उसने कहा, “आज हम एक ऐसे नौजवान का स्वागत करने जा रहे हैं, जिसने अपनी मेहनत से 500 करोड़ की कंपनी खड़ी की है। जिन्होंने अपनी पहचान छुपाकर आम विद्यार्थी की तरह यहां पढ़ाई की। आइए स्वागत करते हैं मिस्टर नीरज सिंघानिया का।” लता के पैरों तले जमीन खिसक गई। लता की सांसे रुक गईं। उसका चेहरा पीला पड़ गया और हाथ कांपने लगे। वही नीरज जिसे उसने रोज अपमानित किया, आज मंच पर खड़ा था।
नीरज का आत्मविश्वास
सूट-बूट में आत्मविश्वास से भरा हुआ। उसके पीछे मीडिया वाले कैमरे लगाए खड़े थे। नीरज ने माइक संभाला और बोलना शुरू किया, “दोस्तों, मैंने जानबूझकर अपनी असली पहचान छुपाई थी। मुझे देखना था कि लोग मुझे कैसे देखते हैं। जब मेरे पास सिर्फ मेरी मेहनत हो, मेरा नाम नहीं। और सच कहूं, तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला।”
लता की आंखें डबड़बा गईं। शर्म से उसका सिर झुक गया। वो चाहती थी कि वहां से भाग जाए, पर उसके पैर जैसे जम गए थे। नीरज आगे बोला, “कुछ लोगों ने मुझे मेरे कपड़ों से आंका। कुछ ने मेरे खाने से। कुछ ने सोचा मैं यहां का हूं ही नहीं। लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं देता क्योंकि समाज ऐसा ही सिखाता है। दिखावा ही सब कुछ है। असलियत कुछ नहीं।” भाषण खत्म हुआ। तालियां बजीं। लोग नीरज से मिलने के लिए उमड़ पड़े।
लता का पछतावा
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद लता सीधे घर चली गई। रात भर उसे नींद नहीं आई। हर वो पल उसकी आंखों के सामने घूम रहा था जब उसने नीरज को जलील किया था। हर वो शब्द कानों में गूंज रहा था जो उसने नीरज पर फेंके थे। सुबह होते-होते लता का दिल भारी हो चुका था। उसने तय किया कि वह नीरज से माफी मांगेगी। चाहे वह क्षमा करे या ना करे, पर उसे अपनी गलती तो स्वीकारनी ही होगी।
माफी की कोशिश
कॉलेज पहुंचकर उसने नीरज को ढूंढा। वो लाइब्रेरी में किताब पढ़ रहा था। लता धीरे से उसके पास गई। उसकी आवाज कांप रही थी। “नीरज, मुझे तुमसे बात करनी है।” नीरज ने किताब बंद की और उसकी तरफ देखा। कोई गुस्सा नहीं था उसकी आंखों में। बस एक खामोशी थी।
लता ने कहा, “मुझे माफ कर दो। मैंने जो किया वह बेहद गलत था। मुझे कोई हक नहीं था तुम्हारे साथ ऐसा बर्ताव करने का।” नीरज ने धीरे से पूछा, “तुम माफी इसलिए मांग रही हो क्योंकि तुम्हें मेरी असलियत पता चल गई या इसलिए कि तुम्हें सच में अपनी गलती का एहसास हुआ?” लता रुक गई। उसे जवाब नहीं सुझा।

नीरज का उत्तर
नीरज उठ खड़ा हुआ। “देखो लता, माफी मांगना आसान है। लेकिन खुद को बदलना मुश्किल। अगर कल मैं फिर से वैसे ही कपड़ों में आऊं, क्या तब भी तुम मुझसे इज्जत से पेश आओगी?” यह कहकर नीरज चला गया। लता वहीं खड़ी रह गई। उसके दिमाग में नीरज की बात घूम रही थी।
बदलाव की शुरुआत
अगले कुछ दिन लता ने अपने आप में बदलाव लाना शुरू किया। अब वह किसी का मजाक नहीं उड़ाती थी। कैंटीन में सबके साथ लाइन में खड़ी होती। क्लास में किसी को नीचा नहीं दिखाती। लेकिन उसके अपने दोस्त अब उसे ही ताने मारने लगे। “अरे लता को क्या हो गया? करोड़पति से इंप्रेस करने की कोशिश में है क्या? देखो देखो, अब तो सीधी साधी बन गई। पक्का लाइन मार रही है।”
लता यह सब सुनती और चुपचाप अपना काम करती रहती। पर अंदर ही अंदर टूट रही थी। सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात की थी कि नीरज अब उससे बात ही नहीं करता था। बस जरूरी होने पर दो-चार शब्द और बस।
नीरज से बातचीत
एक दिन क्लास के बाद लता नीरज के पीछे गई। “नीरज, रुको। प्लीज मुझसे बात तो करो।” नीरज रुक गया। “क्या बात करनी है?” लता ने कहा, “मैं जानती हूं मैंने बहुत बुरा किया, लेकिन मैं सच में बदलना चाहती हूं। मुझे एक मौका दो।”
नीरज ने गहरी सांस ली। “लता, मौका देना या ना देना मेरे हाथ में नहीं है। तुम्हें खुद अपने आप को मौका देना होगा। खुद को साबित करना होगा कि तुम वाकई बदल चुकी हो। मेरी माफी या मेरी दोस्ती से यह नहीं होगा।”
लता का संकल्प
लता की आंखें भर आईं। “तो क्या तुम कभी मुझे माफ नहीं करोगे?” नीरज ने कहा, “माफी शब्दों से नहीं, वक्त से मिलती है और वह वक्त अभी नहीं आया।” उस दिन के बाद लता ने तय किया कि वह नीरज की माफी के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए बदलेगी। खुद को बेहतर इंसान बनाने के लिए।
बदलाव का असर
महीने बीतते गए। लता अब वो नहीं रही जो पहले थी। उसने अपने रहन-सहन में सादगी ला ली थी। अब वह बिना मेकअप कॉलेज आती। महंगे कपड़ों की जगह सामान्य कुर्ते पहनती। और सबसे बड़ी बात, अब वो हर किसी से इज्जत से पेश आती थी। क्लास में अगर किसी को मदद चाहिए होती, तो वो आगे बढ़कर मदद करती। कैंटीन में जूनियर्स के साथ भी बैठ जाती। धीरे-धीरे लोगों की सोच बदलने लगी थी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
पर नीरज अब भी उससे दूरी बनाए रखता था। एक दिन कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी। सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग टीमों में बांटा गया। संयोग से लता और नीरज एक ही टीम में आ गए। रिहर्सल के दौरान लता पूरे मन से काम करती। स्टेज साफ करना हो या सजावट, वह हर काम में आगे रहती। देर रात तक तैयारी में जुटी रहती।
नीरज यह सब देख रहा था पर कुछ कहता नहीं था। एक रात जब सब चले गए तो लता अकेली स्टेज पर बैठी पोस्टर बना रही थी। नीरज ने उसके पास आकर पानी की बोतल रखी। “इतनी मेहनत क्यों कर रही हो?” लता ने उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में आंसू थे। “क्योंकि मैं खुद को माफ करना सीख रही हूं। मुझे डर है कि कहीं मैं फिर से वैसी ना बन जाऊं।”
नीरज का समर्थन
नीरज चुपचाप बैठ गया। लंबी खामोशी के बाद लता बोली, “मैं तुमसे माफी नहीं मांग रही। बस इतना चाहती हूं कि जब तुम मुझे याद करो तो सिर्फ बुराई याद ना आए।” नीरज ने कहा, “तुम्हारे घमंड ने मुझे नहीं तोड़ा था। लेकिन तुम्हारा यह बदलाव मुझे छू गया है।”
लता ने पूछा, “तो क्या अब तुम मुझे एक मौका दोगे?” नीरज ने मुस्कुराते हुए कहा, “किसी को माफ करना मुश्किल नहीं होता। लेकिन जब वह इंसान सच में बदल जाए, तो माफ ना करना गलत होता है।”
नया रिश्ता
लता की आंखों में राहत के आंसू आ गए। “मैं कोई रिश्ता नहीं मांग रही। बस वो सम्मान चाहती हूं जो मैंने कभी तुम्हें नहीं दिया।” नीरज ने हाथ आगे बढ़ाया। “चलो, आज से नई शुरुआत करते हैं बिना किसी हिसाब-किताब के।” लता ने उसका हाथ थाम लिया।
इस बार उसका चेहरा शर्म से नहीं, सच्ची मुस्कान से चमक रहा था। कॉलेज वाले हैरान थे। नीरज जो किसी से ज्यादा बात नहीं करता था, अब लता के साथ बैठता है। हंसता है। फुसफुसाते होने लगी। पैसे वाले से दोस्ती गांठ ली। पहले अपमान करती थी, अब चापलूसी कर रही है।
संकीर्ण सोच
एक दिन कैंटीन में किसी ने जोर से कहा, “अरे लता, अब तो गरीबों में भी दिल लगने लगा है क्या?” लता खड़ी हो गई। उसने शांति से कहा, “जब किसी की सोच इतनी संकीर्ण हो जाए कि रिश्तों को पैसों से तोले, तो समझ लो असली गरीबी जेब में नहीं, दिमाग में होती है।” नीरज दरवाजे पर खड़ा था। उसने सब सुन लिया था। वो मुस्कुरा रहा था।
पहचान का सफर
लता उसके पास आई। “लोग मुझे अब भी वही देखना चाहते हैं जो मैं पहले थी।” नीरज ने कहा, “लोग हमेशा तुम्हारे अतीत से परखेंगे। पर असली पहचान तुम्हारा वर्तमान तय करता है।” कुछ हफ्ते बाद कॉलेज का आखिरी दिन आ गया। सभी अपनी-अपनी राहों पर जाने की तैयारी में थे।
विदाई का पल
नीरज को स्टेज पर बुलाया गया। उसने कहा, “मैं इस कॉलेज में सच्चे रिश्ते खोजने आया था और मुझे वह मिला। एक लड़की थी जिसने मेरी बुराई की। फिर उसी ने खुद को इतना बदला कि इंसानियत की मिसाल बन गई।” उसने लता की तरफ इशारा किया। तालियां गूंज उठीं। लता की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले।
बाद में दोनों कॉलेज की सीढ़ियों पर बैठे थे। वही जहां कभी लता ने नीरज का मजाक उड़ाया था। लता बोली, “कभी नहीं सोचा था कि जिसे मैंने सबसे ज्यादा दुख दिया, वही मेरा सबसे अच्छा दोस्त बनेगा।” नीरज ने कहा, “कभी नहीं सोचा था कि जो मेरी सबसे बड़ी परीक्षा थी, वही मेरी सबसे बड़ी जीत बनेगी।”
भविष्य की ओर
लता ने पूछा, “अब क्या?” नीरज ने जवाब दिया, “अब वह रास्ता जो पैसों पर नहीं, विश्वास पर चलेगा।” उस दिन कोई वादा नहीं हुआ। कोई इज़हार नहीं हुआ। बस दो इंसानों के बीच एक ऐसा रिश्ता बना जो हर रिश्ते से ऊपर था।
निष्कर्ष
इंसानियत का रिश्ता हमें कोई हक नहीं है कि हम किसी का मजाक बनाएं। हम नहीं जानते कि वह इंसान किस परिस्थिति से गुजर रहा है। हो सकता है उसके हालात खराब हों। हो सकता है जानबूझकर ऐसा रहा हो।
आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि कोई आपका मजाक बना रहा है और आपको बुरा लगा हो? कमेंट करके जरूर बताएं और हमारे चैनल “आओ सुनाओ” को सब्सक्राइब करें।
Play video :
News
तलाकशुदा पत्नी सालों बाद लौटी… लेकिन पति ने जो किया, उससे इंसानियत रो पड़ी
तलाकशुदा पत्नी सालों बाद लौटी… लेकिन पति ने जो किया, उससे इंसानियत रो पड़ी यह कहानी है एक ऐसे जोड़े…
जिस कंपनी में पत्नी मैनेजर थी, उसी में तलाकशुदा पति सिक्योरिटी गार्ड बना… फिर जो हुआ
जिस कंपनी में पत्नी मैनेजर थी, उसी में तलाकशुदा पति सिक्योरिटी गार्ड बना… फिर जो हुआ यह कहानी है रिया…
“Lütfen beni tekmeleme… zaten acı içindeyim” dedi garson — gizli CEO’nun tepkisi herkesi şok etti
“Lütfen beni tekmeleme… zaten acı içindeyim” dedi garson — gizli CEO’nun tepkisi herkesi şok etti . . Görüldün İstiklal’in kalbindeki…
Kovboy, Kar Fırtınasında Bir Yabancıyı Kurtardı; Kadının Bölgedeki En Büyük Çiftliğin Sahibi Olduğu
Kovboy, Kar Fırtınasında Bir Yabancıyı Kurtardı; Kadının Bölgedeki En Büyük Çiftliğin Sahibi Olduğu . . Karın İçinden Gelen Mektup Rüzgâr,…
Anne Tek Kızını Kısır Zengin Bir Kadına Sattı, Sonra Olanlar Onu Pişman Etti
Anne Tek Kızını Kısır Zengin Bir Kadına Sattı, Sonra Olanlar Onu Pişman Etti . . Kayıp Yılların Dönüşü Yağmurun cilaladığı…
Dövülmüş aşçı kadın dedi ki: “Beni dövdüler efendim… ve domuz dediler.” – Çiftçi şoke oldu
Dövülmüş aşçı kadın dedi ki: “Beni dövdüler efendim… ve domuz dediler.” – Çiftçi şoke oldu . . Çayırın Sessizliği Güneş…
End of content
No more pages to load






