अरबपति ने 9 साल की लड़की को इंजन ठीक करने की चुनौती दी… और उसने कर दिखाया!

राजवीर खन्ना एक अरबपति सीईओ थे, जिनका नाम सुनते ही हर कोई सम्मान से सिर झुकाता था। वह अपनी काली हेलीकॉप्टर से कंपनी के गैराज में उतरे, और उनके साथ दो बॉडीगार्ड थे। राजवीर के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था। सामने एक बेहद महंगा इंजन था, जिसकी कीमत थी $10 मिलियन, और वह पिछले तीन दिनों से बंद पड़ा था। देश के नामी इंजीनियर इसे ठीक नहीं कर पा रहे थे।

राजवीर ने गुस्से में कहा, “मैं करोड़ों रुपये दे रहा हूं और फिर भी कोई इसे चालू नहीं कर सकता। सब बेकार लोग हो तुम।” सभी इंजीनियर चुपचाप खड़े रहे, कोई भी उनकी आंखों में आंखें डालने की हिम्मत नहीं कर रहा था। तभी पीछे से एक पतली सी आवाज आई, “क्या मैं कोशिश कर सकती हूं, सर?”

सभी ने पलटकर देखा। दरवाजे पर एक छोटी सी लड़की खड़ी थी, जिसकी उम्र मुश्किल से 9 साल थी। उसके चेहरे पर धूल और ग्रीस के निशान थे, और हाथ में एक पुरानी रिंच थी। लेकिन उसकी आंखों में आत्मविश्वास की चमक थी।

भाग 2: अनाया का आत्मविश्वास

एक इंजीनियर ने हंसते हुए कहा, “अरे बिटिया, यह खिलौना नहीं है। यह $10 मिलियन डॉलर का इंजन है।” राजवीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है छोटे। अगर तुम इसे चला दो, तो मैं तुम्हें जो चाहो दूंगा। पैसा, स्कॉलरशिप या जो मांगोगी, वह।”

लड़की बिना कुछ बोले इंजन के पास गई। उसके छोटे हाथ हर तार और हर बोल्ट को ऐसे छू रहे थे जैसे वह उनसे बातें कर रही हो। कुछ देर तक वह बस देखती रही। फिर बोली, “मुझे एक कंप्रेशन अप्टर मॉडल XR9 चाहिए और एक ग्रेफिन थर्मल गैस्केट।” सभी इंजीनियर हैरान रह गए। उनमें से किसी ने भी यह पार्ट्स तक नहीं मांगे।

राजवीर थोड़ी हैरानी से बोला, “तुम्हें यह सब कैसे पता?” लड़की ने शांत स्वर में कहा, “मेरे पापा यहां काम करते थे, जब तक उन्हें निकाल नहीं दिया गया। उन्होंने मुझे सिखाया था कि मशीनों की भी अपनी आवाज होती है। अगर ध्यान से सुनो, तो वह खुद बता देती हैं कि कहां दिक्कत है।”

भाग 3: समस्या का समाधान

राजवीर एक पल के लिए चुप रह गया। लड़की फिर से झुकी और पूरी एकाग्रता से इंजन पर काम करने लगी। उसने कुछ पुराने तार बदले, कुछ जगह साफ की और कुछ बोल्ट बहुत सटीकता से टाइट किए। उसके छोटे-छोटे हाथ फुर्तीले थे, जैसे किसी प्रोफेशनल इंजीनियर के। माथे पर पसीना था, लेकिन आंखों में एक अजीब सी चमक थी।

करीब 20 मिनट बाद उसने हाथ पीछे किए और कहा, “अब इसे स्टार्ट कीजिए।” राजवीर ने इशारा किया। एक इंजीनियर ने बटन दबाया, और पूरे गैराज में गूंज उठी जबरदस्त आवाज। इंजन ने जोरदार गर्जना की और एकदम चालू हो गया, जैसे किसी ने उसे नई जिंदगी दे दी हो।

राजवीर ने चश्मा उतारा, लड़की के पास आया और पूछा, “तुमने यह कैसे किया?” लड़की मुस्कुराई और बोली, “सब लोग ताकत लगा रहे थे। सर, यह इंजन टूटा नहीं था, बस घुट रहा था। इसकी एयरलाइन गलत जुड़ी थी। इसे जोर नहीं, समझ चाहिए थी।”

भाग 4: बदलाव की शुरुआत

कुछ पल के लिए पूरा गैराज शांत हो गया। फिर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। वह 9 साल की लड़की अपने मैले कपड़ों में आज वहां मौजूद हर इंजीनियर से ज्यादा समझदार साबित हुई थी। राजवीर ने धीरे से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है, बेटा?” लड़की बोली, “अनाया शर्मा।”

राजवीर का चेहरा एकदम बदल गया। यह वही नाम था उस आदमी का जिसे उसने सालों पहले एक छोटी सी गलती पर नौकरी से निकाल दिया था। राजवीर ने कुछ पल तक अनाया की ओर देखा। उसकी छोटी सी हथेलियां अब भी मशीन के तेल से सनी थीं, लेकिन उस पल वह किसी हीरो से कम नहीं लग रही थी।

भाग 5: अनाया की नई शुरुआत

राजवीर ने गहरी सांस ली और धीरे से कहा, “कल सुबह 9:00 बजे तुम मेरी कंपनी में आना, खन्ना इंडस्ट्रीज में।” अगले दिन दिल्ली के सबसे बड़े कॉरपोरेट टावर के सामने एक पुरानी ऑटो रुकी। उससे उतरी वही छोटी 9 साल की लड़की अनाया शर्मा। उसने अपनी फीकी फ्रॉक ठीक की, बालों को रबर बैंड से बांधा और इमारत की तरफ देखा, जो बादलों को छू रही थी।

गार्ड ने रोकते हुए पूछा, “कहां जा रही हो बिटिया?” वह बोली, “मुझे राजवीर खन्ना सर ने बुलाया है।” गार्ड हंसने लगा, “राजवीर सर तो अरबपति हैं, बिटिया। तुम मजाक तो नहीं कर रही?” तभी पीछे से खुद राजवीर की गाड़ी रुकी। उसने खिड़की से सिर बाहर निकाला और कहा, “उसे अंदर जाने दो। यह मेरी गेस्ट है।”

भाग 6: अनाया का स्वागत

पूरा स्टाफ सन्न रह गया। राजवीर खुद नीचे उतरा और अनाया को अपने साथ लिफ्ट में ले गया। “डरो मत,” उसने कहा, “आज सबको दिखाना है कि टैलेंट उम्र से बड़ा होता है।” लिफ्ट सीधा 42वीं मंजिल पर रुकी, इनोवेशन लैब में। वहां बड़े-बड़े कंप्यूटर, मशीनें और दर्जनों इंजीनियर काम कर रहे थे। सबकी निगाहें उस छोटी बच्ची पर टिक गईं जो अब उनके बीच खड़ी थी।

राजवीर ने टीम से कहा, “यह वही लड़की है जिसने कल हमारे $10 मिलियन के इंजन को चालू किया। आज मैं चाहता हूं कि तुम सब इसे ध्यान से देखो। असली समझ सिर्फ किताबों में नहीं होती।” अनाया थोड़ा घबराई, लेकिन जब उसने मशीनें देखीं, उसकी आंखों में वही पुरानी चमक लौट आई।

भाग 7: अनाया का ज्ञान

“सर, क्या मैं कुछ बोल सकती हूं?” उसने पूछा। राजवीर ने मुस्कुराकर कहा, “जरूर, अनाया। आज यह मंच तुम्हारा है।” अनाया ने मशीन के पास जाकर कुछ स्केच बनाए। उसने बताया कि कैसे एयरलाइन के डिजाइन को थोड़ा बदलने से 30% फ्यूल बचाया जा सकता है। वह इतनी सहजता से समझा रही थी जैसे किसी बच्चे का खेल हो।

एक सीनियर इंजीनियर ने फुसफुसाया, “सर, यह बच्ची नहीं, जीनियस है।” राजवीर ने बस सिर हिलाया और मुस्कुराया। अनाया बोलती रही, “मेरे पापा कहते थे, अगर मशीनें सांस ले सकतीं, तो वह भी रोतीं। जब कोई उन्हें गलत चलाता है। हमें बस उन्हें समझना होता है।”

भाग 8: राजवीर का पछतावा

कमरे में एकदम सन्नाटा था। हर कोई उसकी बातों में खो गया था। राजवीर ने उसकी ओर देखा और कहा, “तुम्हारे पापा का नाम क्या था?” “रवि शर्मा,” अनाया ने कहा। राजवीर का चेहरा पल भर को सख्त हो गया। वह वही आदमी था जिसे उसने 5 साल पहले एक छोटी सी गलती पर नौकरी से निकाल दिया था।

उसने धीरे से कुर्सी पकड़ी और बैठ गया। अनाया ने कहा, “तुम्हारे पापा बहुत ईमानदार इंसान थे। मुझे अफसोस है कि मैंने उन्हें नहीं समझा।” अनाया मुस्कुराई, “कोई बात नहीं, सर। वो कहते थे कि हर मशीन को दूसरी बार मौका देना चाहिए और शायद हर इंसान को भी।”

भाग 9: अनाया का सम्मान

राजवीर ने खड़े होकर सबके सामने घोषणा की, “आज से अनाया शर्मा हमारी जूनियर इंजीनियर ऑनरी होगी, और मैं अपनी बात पूरी करता हूं। उसे जो चाहिए मिलेगा।” सारी इंजीनियरों ने तालियां बजाई। अनाया ने सिर झुकाया और बोली, “मुझे सिर्फ एक चीज चाहिए, सर। उन मजदूरों और इंजीनियरों के बच्चों को भी मौका दीजिए, जिन्हें कभी यहां से निकाला गया था। सबको अपनी काबिलियत दिखाने का हक मिलना चाहिए।”

राजवीर कुछ पल चुप रहा। फिर बोला, “तुमने ना सिर्फ मशीन ठीक की, अनाया, तुमने मेरा दिल भी ठीक कर दिया।” कमरे में तालियां गूंज उठी, और उस दिन से खन्ना इंडस्ट्रीज में एक 9 साल की लड़की बदलाव की मिसाल बन गई।

भाग 10: बदलाव का असर

कुछ महीनों बाद खन्ना इंडस्ट्रीज का माहौल पूरी तरह बदल चुका था। अब वहां सिर्फ इंजीनियर नहीं, बल्कि दर्जनों गरीब बच्चों के चेहरे चमकते दिखाई देते थे। वे बच्चे जिन्हें पहले कभी अंदर आने की भी इजाजत नहीं थी, और उस बदलाव की वजह थी 9 साल की अनाया शर्मा।

वह अब कंपनी के जूनियर इनोवेशन हेड के रूप में काम कर रही थी। उसके बनाए डिजाइनों से मशीनें ज्यादा तेज और सस्ती बन रही थीं। मीडिया वाले हर दिन उसकी कहानी सुनने आते।

भाग 11: राजवीर का आभार

एक दिन राजवीर खन्ना ने उसे अपने ऑफिस बुलाया। वह मुस्कुरा कर बोले, “अनाया, तुमने जो किया, वो मैं अपनी जिंदगी में भी नहीं कर पाया। तुमने इस कंपनी को दिशा दे दी।” अनाया ने धीरे से कहा, “सर, मेरे पापा कहते थे, टूटी हुई चीजों को फेंकना नहीं चाहिए, उन्हें ठीक करना चाहिए। आपने लोगों को फिर से मौका दिया, अब यह कंपनी कभी नहीं टूटेगी।”

राजवीर ने भावुक होकर कहा, “तुमने सिर्फ इंजन नहीं, मेरा दिल भी ठीक किया।” अनाया मुस्कुराई और खिड़की से बाहर देखा, जहां सूरज की रोशनी नई उम्मीद की तरह चमक रही थी।

भाग 12: एक नई शुरुआत

खन्ना इंडस्ट्रीज अब मशीनें नहीं, सपने बनाती थी। अनाया ने साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और असली टैलेंट कभी भी पहचान नहीं रखता। उसने सभी को यह सिखाया कि अगर मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा पार की जा सकती है।

राजवीर ने अनाया के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें उसके योगदान को सराहा गया। सभी कर्मचारियों ने उसे सम्मानित किया और उसकी कहानी को सुनकर प्रेरित हुए। अनाया ने सबको यह संदेश दिया कि हर किसी को मौका मिलना चाहिए, और असली प्रतिभा कभी भी उम्र या स्थिति से नहीं मापी जाती।

अंत

अनाया शर्मा की कहानी न केवल एक छोटी लड़की की सफलता की कहानी है, बल्कि यह उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करते हैं। यह हमें याद दिलाती है कि असली टैलेंट कभी भी किसी भी बाधा को नहीं मानता, और अगर हमें सही दिशा मिले, तो हम किसी भी ऊंचाई को छू सकते हैं।

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