एक अमीर आदमी ने एक लड़के गरीब के सामने क्यों झुक गया…. फिर जो हुआ…
एक बार की बात है, मुंबई के एक छोटे से मोहल्ले में एक साधारण सा लड़का रोहन रहता था। उसकी उम्र करीब 22 साल थी और वह हमेशा साधारण कपड़े पहनता था। उसकी आंखों में चिंता और माथे पर पसीना था। वह एक दिन एयरपोर्ट की ओर तेजी से भाग रहा था। उसके कंधे पर एक पुराना बैग था और हाथ में एक टिकट मजबूती से दबा हुआ था। रोहन के लिए यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण थी। उसके पिता की अचानक तबीयत खराब हो गई थी और डॉक्टरों ने कहा था कि उनकी हालत नाजुक है। इसी वजह से रोहन को जल्दबाजी में मुंबई लौटना पड़ा।
रोहन ने हमेशा सादगी को अपनाया था। वह चाहता था कि लोग उसे उसके काम से पहचाने, न कि उसके पैसे से। एयरपोर्ट पर पहुंचने पर उसने देखा कि सिक्योरिटी गेट पर लंबी लाइन लगी हुई थी। लोग अपने महंगे सूटकेस खींचते हुए बातें कर रहे थे। कहीं से परफ्यूम की खुशबू आ रही थी, कहीं मोबाइल की रिंगटोन सुनाई दे रही थी। रोहन उन सबके बीच अपनी जगह ढूंढने की कोशिश कर रहा था। उसकी घबराहट और उम्मीद दोनों उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थीं।
जब वह गेट पार करने ही वाला था, तभी एक भारी शरीर वाला अमीर आदमी तेजी से मुड़कर उससे टकरा गया। उस आदमी की महंगी घड़ी की पट्टी खुल गई और उसका कॉफी कप गिरकर जमीन पर बिखर गया। वह झुंझलाकर रोहन पर चिल्ला उठा, “अरे, देख के नहीं चल सकते तुम लोग? हर जगह घुस जाते हो जैसे यह कोई रेलवे स्टेशन हो!” भीड़ एक पल के लिए रुक गई। सबकी नजरें अब रोहन पर टिक गईं।
रोहन घबराकर अपने हाथ जोड़ता है और कांपती आवाज में कहता है, “सॉरी सर, मुझसे गलती हो गई। प्लीज जाने दीजिए। मुझे मुंबई पहुंचना बहुत जरूरी है।” लेकिन अमीर आदमी ने उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा, “मुंबई तुम जैसे लोगों के लिए नहीं है।” उसकी आवाज में अहंकार और तिरस्कार दोनों भरे थे। आसपास खड़े कुछ लोग हंसने लगे और कुछ मोबाइल से वीडियो बनाने लगे।
रोहन ने अपनी जेब से टिकट निकालकर दोनों हाथों से उसे संभालते हुए कहा, “नहीं सर, यह मेरी टिकट है। मैंने खुद खरीदी है। बस मुझे टाइम पर जाने दीजिए।” लेकिन अमीर आदमी ने टिकट उसके हाथ से छीन लिया और ठहाका लगाते हुए कहा, “बिजनेस क्लास? हां हां, तुमने कहां से हिम्मत जुटाई? कहीं इंटरनेट कैफे से प्रिंट आउट तो नहीं निकाला?”
रोहन बस नीचे नजरें झुकाए खड़ा रहा। उसकी आंखों में शर्म नहीं बल्कि एक अजीब सी शांति थी। जैसे उसे पहले से पता हो कि यह सब वक्त का खेल है। अमीर आदमी सिक्योरिटी गार्ड को इशारा करता है और कहता है, “गार्ड, जरा चेक करो इसकी टिकट। मुझे नहीं लगता यह असली है।”
सिक्योरिटी गार्ड ने टिकट स्कैन किया। सिस्टम पर कुछ सेकंड लोडिंग हुई और स्क्रीन पर हरी लाइट जलती है। “वैलिड बिजनेस क्लास,” यह सुनकर भीड़ में सन्नाटा फैल जाता है। अमीर आदमी का चेहरा एक पल में सफेद पड़ जाता है। वह झेपते हुए कहता है, “यह कैसे हो सकता है? यह टिकट असली नहीं हो सकती।”
सिक्योरिटी गार्ड ने कहा, “सर, यह असली है और इनका नाम भी फ्लाइट लिस्ट में मौजूद है।” अब सब लोग रोहन को अलग नजरों से देखने लगते हैं। अमीर आदमी के चेहरे पर गुस्सा और झेंप का मिलाजुला भाव है। वह गुस्से में टिकट के टुकड़े करता है और जमीन पर फेंक देता है। “अब तो नहीं जाओगे। यह जगह तुम जैसे लोगों के लिए नहीं है।”
रोहन ने धीरे-धीरे उन टुकड़ों को उठाया और कुछ पल चुप रहा। फिर बहुत शांत स्वर में कहता है, “पैसे कमाकर अपने आप को अमीर समझते हो? आप जानते नहीं हो मुझे। बहुत बड़ी गलती कर रहे हो। चाहूं तो मैं आपको 2 मिनट में बर्बाद कर सकता हूं।”
उसके शब्दों के साथ पूरे माहौल में एक अजीब सी खामोशी फैल जाती है। लोगों की हंसी थम जाती है। रोहन धीरे-धीरे उन कागज के टुकड़ों को सीधा करता है। उन पर उंगलियां फेरता है, मानो किसी टूटे सपने को जोड़ने की कोशिश कर रहा हो। उसकी आंखों में हल्की नमी है लेकिन कोई शिकायत नहीं।
वह अपने बैग की जिप खोलता है, अंदर से पासपोर्ट निकालता है और सिक्योरिटी के पास जाकर कहता है, “सर, देख लीजिए मेरा पासपोर्ट है। असली टिकट थी। बस गलती से फट गई। प्लीज मुझे मुंबई पहुंचना बहुत जरूरी है।”
सिक्योरिटी गार्ड जो अभी कुछ मिनट पहले उसी अमीर आदमी के इशारे पर हंस रहा था, वह घड़ी देखता है और कहता है, “देखो भाई, अब यह टिकट फट चुकी है। हम ऐसे अंदर नहीं जाने दे सकते। नियम है, टिकट डैमेज हो तो दोबारा कंफर्म करानी पड़ती है। जाओ काउंटर पर जाओ।”
रोहन कहता है, “पर सर, मेरी फ्लाइट टाइम पर है। बस कुछ मिनट बचे हैं। अगर मैं अब काउंटर गया तो मेरी फ्लाइट छूट जाएगी।” गार्ड कठोर लहजे में बोलता है, “तो छूट जाने दो। हमारे पास वक्त नहीं है हर किसी की कहानी सुनने का। अमीर लोग भी लाइन में लगते हैं। तुम क्या खास हो?”
रोहन कुछ पल के लिए चुप हो जाता है। भीड़ उसके पास से निकलती जाती है। कुछ लोग उसे देखकर मुस्कुराते हैं, कुछ सिर हिलाते हुए आगे बढ़ जाते हैं। एयरपोर्ट की कांच की दीवारों से आती तेज रोशनी उसके चेहरे पर गिरती है और उस रोशनी के बीच उसका चेहरा किसी थके हुए पर दृढ़ इंसान का प्रतीक बन जाता है।
रोहन धीरे से सिक्योरिटी गार्ड से कहता है, “सर, अगर मैं कहूं कि यह मेरी जिंदगी का सबसे जरूरी सफर है, तो क्या आप विश्वास करेंगे?” गार्ड हंसते हुए कहता है, “हर कोई यही कहता है भाई, किसी को शादी में जाना है, किसी को मां से मिलना है, किसी को नौकरी का इंटरव्यू है। पर यहां नियम सबसे ऊपर है।”
उसी वक्त पास से वही अमीर आदमी निकलता है जो कुछ देर पहले उसका मजाक उड़ा रहा था। वह अब भी मुस्कुरा रहा है। अपने महंगे सूट का कॉलर ठीक करते हुए कहता है, “अभी भी यहीं खड़ा है। समझ नहीं आया कि यह जगह तेरे जैसे लोगों के लिए नहीं है। धमकी देना आम बात है, लेकिन उसे पूरा कर पाना तुम जैसों की औकात नहीं है। जाओ बेटा कहीं और किस्मत आजमाओ।”
रोहन उसकी ओर देखता है, लेकिन जवाब नहीं देता। सिर्फ उसकी आंखों में एक ऐसी शांति है जो शायद उस आदमी के लिए सबसे बड़ा जवाब है। वह धीरे-धीरे एयरलाइन काउंटर की ओर बढ़ता है। काउंटर पर एक युवती बैठी है, सोनम गुप्ता। चेहरे पर मेकअप और लहजे में झुंझुलाहट। वह कंप्यूटर स्क्रीन पर झुककर टाइप करती हुई कहती है, “जी बोलिए। क्या प्रॉब्लम है?”

रोहन विनम्रता से जवाब देता है, “मैम, मेरी टिकट बिजनेस क्लास की थी लेकिन गलती से फट गई। कृपया चेक कर लीजिए। मुझे आज ही मुंबई पहुंचना बहुत जरूरी है।” सोनम उसकी ओर देखती भी नहीं। बस टाइप करते हुए कहती है, “आपका नाम?” “रोहन।” “पूरा नाम?” “रोहन सिंह चौहान।”
सोनम नाम सुनते ही भौंहें सिकोड़ती है। कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ देखते हुए कहती है, “यहां तो कोई रोहन सिंह चौहान नहीं दिख रहा। शायद आपने गलत फ्लाइट बुक की है।” रोहन थोड़ा झुक कर कहता है, “नहीं मैम, यही फ्लाइट है। देखिए मेरे ईमेल में भी कंफर्मेशन है।”
सोनम झुंझुलाकर कहती है, “आपको समझ में नहीं आता। हमारे पास हर रोज 100 लोग आते हैं फर्जी टिकट लेकर। सब कहते हैं बहुत जरूरी है। लेकिन सिस्टम में नाम नहीं है। मतलब टिकट वैलिड नहीं है। अब प्लीज दूसरों का टाइम बर्बाद मत कीजिए।” वह हाथ के इशारे से उसे किनारे कर देती है।
रोहन कुछ पल तक वहीं खड़ा रहता है। चारों तरफ लोग हैं। किसी के हाथ में कॉफी, किसी के कानों में एयरपड्स, हर चेहरा व्यस्त, हर दिल निष्ठुर। वह धीरे से पीछे हटता है। अपनी जेब से टिकट के टुकड़े निकालता है। उन्हें फिर से जोड़ने की कोशिश करता है। पर इस बार टुकड़े जैसे उसकी उंगलियों से फिसलते जा रहे हैं। उसकी आंखें लाल हो जाती हैं। पर वह खुद को संभाल लेता है।
वह सिक्योरिटी की ओर देखता है और कहता है, “सर, अगर आप चाहें तो मैं आपको अपना कंफर्मेशन मेल दिखा सकता हूं। देख लीजिए बस एक मिनट।” गार्ड कठोर स्वर में जवाब देता है, “देखो भाई, हमें ईमेल से कुछ नहीं लेना। हमारे पास सिस्टम है। अगर तुम्हारा नाम नहीं दिख रहा, तो तुम अंदर नहीं जा सकते। अब हटो यहां से। भीड़ लग रही है।”
रोहन अपनी जेब में मोबाइल रखता है। गहरी सांस लेता है और चुपचाप पीछे हट जाता है। कांपते होठों से धीरे से फुसफुसाता है, “शायद वक्त मुझसे नाराज है।” तभी पूरा एयरपोर्ट अचानक शोर में डूब जाता है। अनाउंसर की आवाज स्पीकर पर गूंजती है, “अटेंशन प्लीज। ऑल फ्लाइट्स आर टेंपरेरीली ऑन होल्ड। एक विशेष वीवीआईपी विमान उतरने वाला है। अगली सूचना तक सभी परिचालन रोक दिए गए हैं।”
लोग एक-दूसरे की तरफ देखने लगते हैं। कुछ मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगते हैं। सोनम काउंटर पर अपने दोस्तों से कहती है, “पता नहीं कौन है यह वीवीआईपी? शायद कोई बहुत बड़ा बिजनेसमैन।” अमीर आदमी जो पास में खड़ा है, मुस्कुरा कर कहता है, “जरूर कोई अरबपति होगा। ऐसे लोगों के लिए ही तो यह एयरपोर्ट बना है। हमारे लिए नहीं, उनके लिए।”
रोहन दूर खड़ा सब सुन रहा है। सोनम उसके पास आती है। आंखों में तंज और लहजे में कटुता थी। “अरे वाह, तुम अभी भी यहां खड़े हो। इस तरह के लोग तो कॉफी काउंटर पर भी जगह नहीं बना पाते। और तुम यहां बिजनेस काउंटर पर। क्या मजाक है?”
रोहन चुपचाप बस अपना टिकट दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन सोनम की बदतमीजी बढ़ती चली जाती है। सोनम कड़क आवाज में कहती है, “चलो हटो। ऐसे लोग हमें परेशान करते हैं। हम सबको काम है। तुम्हारी दास्तान मुझे नहीं सुननी।”
रोहन शांति से कहता है, “मैडम, मेरी फ्लाइट है। मैंने सब कुछ पहले से कंफर्म करवा लिया है।” सोनम हंसी रोक नहीं पाती। फिर अचानक हाथ बढ़ाकर उसके कंधे पर धक्का मारती है। वह धक्का इतना तेज होता है कि रोहन संतुलन खो देता है और कुछ कदम पीछे हटकर खुद को संभाल लेता है।
सिक्योरिटी गार्ड तुरंत बीच में आकर रोहन को घसीट कर बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। सोनम बोलती है, “देखा, मैंने कहा था ऐसे लोग यहां नहीं टिकते। बाहर निकालो इसे।” रोहन की आंखों में क्रोध का एक ठंडा आभास आता है। पर बाहरी रूप से वह नियंत्रित रहता है।
वह धीरे-धीरे उठता है। टिकट के फटे टुकड़े हाथ में दबाता है और सोनम की ओर सीधे खड़ा होकर आवाज कड़क करके कहता है, “तुम सोचती हो कि तुम किसी से ऊपर हो? तुम्हें लगता है तुम्हारी हंसी किसी के दर्द को छोटा कर देगी।”
सोनम और आसपास खड़ा वह अमीर आदमी दोनों एक साथ ठहाका मारते हैं। अमीर आदमी अपनी ऊंची आवाज में घमंड भरे शब्द फेंकता है, “हंसो ना बेटा। यह हमारी दुनिया है। तुम जैसे यहां टिक नहीं सकते। आज किस्मत आजमाओगे तो पिट जाओगे।”
रोहन का चेहरा गर्म होता है। आंखें चमक उठती हैं और एक पल के लिए सब कुछ धीमा सा दिखता है। फिर वह गहरी सांस लेकर सीधे अमीर आदमी की ओर झुक कर बोलता है, “तुम खुद को बहुत अमीर समझते हो। है ना? बहुत बड़ा समझते हो। देखो मैं तुम्हें याद दिला दूं। अमीरी सिर्फ पैसों से नहीं मिलती। और अगर तुमने मेरे ऊपर एक और कदम उठाया तो मैं अभी तुम्हें बर्बाद कर दूंगा। समझे?”
भीड़ चुप हो जाती है। सोनम के चेहरे पर संदेह की रेखा खींच जाती है। उसने शायद इस तरीके की चुनौती की उम्मीद नहीं की थी। रोहन बिना किसी और संकेत के अपनी जेब से फोन निकालता है। उसकी आवाज अब नरम नहीं बल्कि आज्ञाकारी थी।
वह एक नंबर डायल करता है और जब दूसरी तरफ आवाज उठती है तो रोहन का स्वर कमांडिंग होता है। “हैलो, तुरंत एयरपोर्ट कंट्रोल को बताओ। लैंडिंग और टैक्सी सर्विस को रोक दो। पूरी टर्मिनल पर सर्विस बंद कर दो। किसी को अंदर जाने आने की इजाजत मत देना।”
कुछ ही क्षणों में एयरपोर्ट में अचानक अलर्ट की आवाज गूंजती है। एसएमएस टोन की तरह तेज और फिर अनाउंसमेंट का सख्त संदेश। “ध्यान दें, सभी जमीनी परिचालन निलंबित है। सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण सभी बोर्डिंग, उतरना, ईंधन भरना और टैक्सी सेवाएं अस्थाई रूप से रोक दी गई हैं। सभी यात्री कृपया अगली सूचना तक अपने वर्तमान स्थान पर ही रहें।”
एक ठंडा सन्नाटा फैल जाता है। लोग अपने-अपने मोबाइल स्क्रीन देखते हैं। कुछ लोग हैरान होकर एक दूसरे की तरफ देखते हैं। और वही अमीर आदमी जिसकी हंसी अभी तक गूंज रही थी, अब उसके पैरों के नीचे का भरोसा खोता दिखता है।
सोनम जो अभी कुछ मिनट पहले रोहन को धक्का देकर बाहर करवा रही थी, अब अचानक खुद को असहाय महसूस करती है। अमीर आदमी जो अभी तक हंस रहा था, उसका चेहरा लाल हो चुका है और उसके होंठ जकड़े हुए हैं। रोहन बिना दिखावे के शांत खड़ा है। उसके चेहरे पर ना तो खुशी ना ही घमंड। सिर्फ एक सख्त ठहराव।
एयरपोर्ट के बड़े-बड़े दरवाजे जिनके पंख खुले थे अब बंद होते नजर आते हैं। बोर्ड पर “ऑन प्रेशंस हल्टेड” चमकता है और पूरा हॉल अचानक उस एक आदमी की तुलना में छोटा पड़ जाता है जिसे अभी तक सबने सिर्फ कपड़ों के आधार पर आंका था।
भीड़ की भनकें बढ़ती हैं। लोग एक दूसरे से फुसफुसाते हैं। कैमरे वाला युवक रिकॉर्ड रोक कर धीरे-धीरे पीछे हटता है। अमीर आदमी अपना सिर झुकाता दिखता है और सोनम बेपरवाह सी तरह पलट कर पीछे हट जाती है। उसकी आंखों में अब शर्म और डर का मिश्रित भाव है।
रोहन अपना फोन जेब में रखता है। टिकट के फटे टुकड़ों को बारीकी से समेट कर अपनी पॉकेट में रख लेता है और खामोशी से उस काउंटर की ओर चल देता है जहां उससे पहले अपमानित किया गया था। इस बार सब उसकी तरफ देखने को मजबूर थे।
रोहन अब शांत खड़ा है। उसके चेहरे पर ना तो गुस्सा है ना गर्व। बस एक ठंडा आत्मविश्वास। वो सिक्योरिटी गार्ड जिसने कुछ देर पहले उसे धक्के मारकर बाहर किया था। अब खुद उलझन में खड़ा है। चारों तरफ लोग फुसफुसा रहे हैं। “कौन है यह? इसने कैसे पूरे एयरपोर्ट को रुकवा दिया? कहीं कोई बड़ा आदमी तो नहीं?”
सोनम जिसने अभी कुछ देर पहले अपने नाखून दिखाते हुए उसे बाहर फेंकवाया था। अब अपनी जगह पर सिहरती हुई बैठी है। उसके होठों पर अब मुस्कान नहीं बस डर है कि कहीं उसने किसी गलत शख्स से उलझ तो नहीं ली।
उसी समय एयरपोर्ट के मुख्य दरवाजे से चार ब्लैक सूट वाले सिक्योरिटी ऑफिसर अंदर आते हैं। उनके हाथों में वॉकी टॉकी है और उनकी चाल में अनुशासन। सारे लोग खड़े हो जाते हैं। उनके पीछे-पीछे एयरपोर्ट का जनरल मैनेजर आता है जो घबराया हुआ सीधे रोहन की तरफ बढ़ता है।
जनरल मैनेजर घबराते हुए कहता है, “सर, हमें बहुत खेद है। हमें पता नहीं था कि आप खुद यहां आए हैं। आपकी सिक्योरिटी टीम को सूचना नहीं मिली थी। वरना यह सब नहीं होता।” भीड़ सन्न रह जाती है। सब एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं।
अमीर आदमी जो कुछ देर पहले घमंड में कह रहा था, अब धीरे-धीरे खड़ा होता है। उसके चेहरे से सारा रंग उड़ गया। वह हकलाकर पूछता है, “सर, यह यह सर है। कौन सर?”
जनरल मैनेजर जवाब देता है, “आपको नहीं पता? यह रोहन सिंह चौहान है। एयरफोर्ड ग्रुप के मालिक। वो आदमी जिसकी कंपनी इस पूरे एयरपोर्ट की 70% सर्विस संभालती है।”
भीड़ में सन्नाटा गहरा जाता है। हर निगाह अब रोहन पर टिक जाती है। वह अब किसी गरीब थके हारे लड़के जैसा नहीं दिखता। उसके चेहरे पर सख्ती, आंखों में अनुभव और चाल में वह ठहराव है जो सिर्फ उन लोगों में होता है जिन्होंने जिंदगी की हर ठोकर से कुछ सीखा हो।
रोहन धीरे-धीरे आगे बढ़ता है। उसी अमीर आदमी के सामने आकर रुकता है। दोनों की नजरें मिलती हैं। अमीर आदमी का सिर झुक जाता है। रोहन की आवाज शांत लेकिन अंदर तक काट देने वाली होती है। “अभी थोड़ी देर पहले तुमने कहा था कि यह जगह मेरे जैसे लोगों के लिए नहीं है। अब बताओ कौन है असली मालिक इस जगह का?”
अमीर आदमी की आंखें झुक जाती हैं। उसके होंठ कांपते हैं लेकिन आवाज नहीं निकलती। रोहन मुड़कर सिक्योरिटी गार्ड की ओर देखता है जो अब शर्म से सिर झुकाए खड़ा है। “तुमने सिर्फ मेरा नहीं इस यूनिफार्म का भी अपमान किया है। गरीबी या सादगी को कभी कमजोरी मत समझो क्योंकि जो इंसान अपनी पहचान छिपाकर चलता है, वह दुनिया को असली चेहरा दिखाने की ताकत रखता है।”
रोहन की आवाज पूरे एयरपोर्ट में गूंज उठती है। लोगों की आंखें भर आती हैं। कोई सिर झुकाकर सोचने लगता है। वह अब सोनम की तरफ मुड़ता है। वह अब भी चुप है। आंखों में पछतावा और चेहरे पर डर।
रोहन कुछ पल उसे देखता है। फिर धीरे से कहता है, “तुमने मुझे गंदे कपड़ों में देखा और फैसला कर लिया कि मैं छोटा हूं। कभी किसी को उसकी हालत से मत तोलो। वरना जिंदगी किसी दिन तुम्हें भी आईना दिखा देगी।”
सोनम की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वह सिर झुकाकर बस इतना कहती है, “मुझे माफ कर दीजिए सर।” रोहन एक पल के लिए कुछ नहीं कहता। फिर उसकी तरफ देखे बिना धीरे से कहता है, “माफी तब कबूल होती है जब इंसान बदलने की कोशिश करे। शब्दों से नहीं, काम से।”
वह अपना फोन निकालता है और उसी कड़क आवाज में आर्डर देता है, “कंट्रोल रूम, सभी सर्विसेज वापस चालू कर दो।” कुछ ही सेकंड में अनाउंसमेंट आता है, “सभी हवाई अड्डे पर परिचालन फिर से शुरू हो गया है। अस्थाई देरी के लिए हम क्षमा चाहते हैं।”
लाइट्स दोबारा चमक उठती हैं। एयरपोर्ट की चहल-पहल लौट आती है। लेकिन इस बार माहौल में एक अलग सी खामोशी है। वो खामोशी जो सबको अपने भीतर झांकने पर मजबूर कर दे।
रोहन अपनी फटी हुई टिकट को धीरे से देखता है। मुस्कुराता है और कहता है, “कभी-कभी जिंदगी हमें गिराती नहीं बल्कि दिखाती है कि हमें कहां खड़ा होना है।” वह चल देता है एयरपोर्ट लाउंज की ओर। पीछे वह अमीर आदमी झुके सिर से बस उसे जाता देखता रहता है।
जैसे ही रोहन वीवीआईपी लाउंज में पहुंचता है, वहां का स्टाफ उसके स्वागत के लिए तैयार खड़ा है। लाउंज मैनेजर आगे बढ़कर कहता है, “सर, आपकी प्राइवेट जेट तैयार है। आपको किसी चीज की जरूरत हो तो बताइए।”
रोहन शांति से कहता है, “बस मुझे मुंबई पहुंचना है। बाकी सब ठीक है।” लाउंज मैनेजर कहता है, “सर, आपके पिताजी की तबीयत के बारे में सुना है। डॉक्टर्स ने अपडेट भेजा है। अब वह खतरे से बाहर हैं।”
रोहन की सांस में राहत आती है। वह कुर्सी पर बैठकर अपनी फटी टिकट को देखता है। उसे याद आता है कि कैसे कुछ घंटे पहले वह एक साधारण इंसान की तरह यहां आया था और कैसे परिस्थितियों ने उसे अपनी असली पहचान दिखाने पर मजबूर किया।
इधर बाहर टर्मिनल में सोनम अपने कलीग से बात कर रही है। उसकी आंखें अब भी नम हैं। “मैंने कितनी बड़ी गलती की है पता नहीं। उन्होंने मुझे नौकरी से निकलवा दिया होता तो भी कुछ नहीं कह सकती थी।”
उसका कलीग कहता है, “तुम्हें पता है सोनम, यह रोहन सिंह चौहान सिर्फ अमीर ही नहीं है। इन्होंने कितने गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया है। कितने लोगों को नौकरी दी है।”
उन्हें वो अमीर आदमी जिसने रोहन का मजाक उड़ाया था, अब अपने दोस्त से फोन पर बात कर रहा है। “यार, आज मैंने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की है। एयरफोर्ड ग्रुप के मालिक से उलझ गया। अब पता नहीं मेरे बिजनेस का क्या होगा।”
उधर सिक्योरिटी गार्ड अपने सुपरवाइजर से कह रहा है, “सर, मुझे लगा कि कोई फर्जी टिकट लेकर आया है। पता नहीं था कि वह रोहन सिंह चौहान है।” सुपरवाइजर कहता है, “तुमने एक बात नहीं सीखी। यहां हर दिन तरह-तरह के लोग आते हैं। कभी किसी को उसकी शक्ल से मत आंको। आज तुम्हारी यूनिफार्म बची है। वरना…”
एयरपोर्ट के बाहर मीडिया वाले इकट्ठा हो गए थे। एक रिपोर्टर कैमरे के सामने खबर पढ़ रहा है, “आज दिल्ली एयरपोर्ट पर एक अनोखी घटना हुई। एयरफोर्ड ग्रुप के मालिक रोहन सिंह चौहान को उनके साधारण कपड़ों की वजह से पहचाना नहीं गया और उन्हें अपमानित किया गया। इस घटना ने समाज में फैली वर्गीय भेदभाव की समस्या को उजागर किया है।”
प्राइवेट जेट में बैठे रोहन अपने असिस्टेंट से फोन पर बात कर रहे हैं। “राज, आज जो कुछ हुआ उससे एक सबक मिला है। हमारे एयरपोर्ट स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाए। कोई भी इंसान छोटा या बड़ा नहीं होता। सबको इज्जत के साथ ट्रीट करना चाहिए।”
राज कहता है, “सर, क्या उन लोगों के खिलाफ कोई एक्शन लेंगे?” रोहन कुछ देर चुप रहता है। फिर कहता है, “नहीं राज, उन्होंने सबक सीख लिया है। असली सजा वो है जो उनके अंदर चल रही है। बस एक सर्कुलर भेज दो कि आगे से कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।”
जैसे ही जेट मुंबई की तरफ उड़ान भरता है, रोहन खिड़की से बाहर देखता है। उसे अपने पिताजी की याद आती है। “जिन्होंने मुझे सिखाया था कि बेटा, अमीरी दिल की होनी चाहिए, जेब की नहीं और कभी अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल मत करना।”
मुंबई पहुंचकर रोहन सीधे अस्पताल जाता है। उसके पिताजी अब ठीक हैं। उन्हें देखकर रोहन की आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं। पिताजी पूछते हैं, “कैसी रही यात्रा बेटा?”
रोहन मुस्कुराकर कहता है, “पापा, आज मैंने सीखा कि इंसानियत सबसे बड़ी दौलत है और कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे हालात में डालती है जहां हम अपने असली चरित्र को देख सकते हैं।”
इस तरह एक साधारण सी यात्रा ने रोहन को और भी गहरा इंसान बना दिया। उसने सीखा कि सच्ची ताकत दूसरों को नीचा दिखाने में नहीं, बल्कि उन्हें उठाने में है। आज भी जब रोहन एयरपोर्ट जाता है तो वह हमेशा साधारण कपड़े पहनता है। क्योंकि उसे पता है कि असली पहचान कपड़ों से नहीं, काम से मिलती है।
और उस दिन के बाद से दिल्ली एयरपोर्ट में एक नई पॉलिसी लागू हुई। “हर यात्री का सम्मान करें चाहे वह कैसे भी दिखे।” यह कहानी आज भी वहां के स्टाफ को प्रेरणा देती है, कि असली पहचान कभी भी कपड़ों से नहीं, बल्कि इंसानियत से होती है।
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