एक अमीर लड़की ने उसे केक बेचने वाला समझकर उसकी बेइज्जती की। वह तो उस दुकान का मालिक निकला…

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एक अमीर लड़की ने उसे केक बेचने वाला समझकर उसकी बेइज्जती की। वह तो उस दुकान का मालिक निकला…

1. शिमला की बर्फीली हवेली और सोने की चम्मच

शिमला की पहाड़ियों में बसी शर्मा हवेली हिमाचल की शान थी। हवेली के मालिक राजेश शर्मा अपने व्यापारिक साम्राज्य के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी इकलौती बेटी, प्रिया शर्मा, सोने की चम्मच के साथ पैदा हुई थी—दौलत, कारें, हीरे-जवाहरात, पिता का अटूट प्रेम, सब कुछ उसके पास था। लेकिन प्रिया का दिल कहीं और धड़कता था।

दिल्ली विश्वविद्यालय में एमबीए करते हुए उसकी मुलाकात विकास गुप्ता से हुई। विकास मध्यमवर्गीय परिवार से था, लेकिन उसके सपने आसमान छूते थे। वह मेहनती था, ईमानदार था, और अपनी पहचान खुद बनाना चाहता था।

“प्रिया, तुम्हारे पिता कभी हमारी शादी के लिए राजी नहीं होंगे,” विकास ने एक शाम कॉलेज के गार्डन में कहा। प्रिया ने उसका हाथ थामते हुए जवाब दिया, “सच्चा प्यार सब बाधाएं पार कर सकता है। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।” अगर पापा नहीं मानते, तो हम भाग जाएंगे।

2. बारिश की रात और प्रेम का फैसला

एक बरसाती रात, जब पूरा शिमला सो रहा था, प्रिया ने अपनी सारी दौलत और सुख-सुविधाएं छोड़कर विकास के साथ भागने का फैसला किया। दोनों ने हरिद्वार के एक छोटे मंदिर में शादी की। गंगा की पवित्र धारा उनकी गवाह थी।

राजेश शर्मा का गुस्सा आसमान पर था। बेटी ने उनकी इज्जत मिट्टी में मिला दी थी। “मेरी कोई बेटी नहीं है,” उन्होंने वकील से कहा। वसीयत में प्रिया शर्मा का नाम काट दिया गया। लेकिन प्रिया को फर्क नहीं पड़ा। उसके लिए विकास का प्यार ही उसकी दौलत थी।

दिल्ली में दोनों एक छोटे फ्लैट में रहने लगे। विकास दिन-रात मेहनत करता, प्रिया भी नौकरी करने लगी। दो साल बाद, उनके जीवन में नया सूरज उगा—बेटा आर्यन।

3. खुशियों की दुनिया और पहला तूफ़ान

आर्यन के जन्म ने प्रिया को नई खुशी दी। “विकास, देखो हमारा छोटा राजकुमार,” प्रिया ने बच्चे को चूमते हुए कहा। आर्यन छह साल की उम्र तक अपनी उम्र से ज्यादा समझदार था। मां से बेइंतेहा प्यार करता था। “मम्मा, आपको कभी दुख नहीं होने दूंगा,” वह अक्सर कहता।

विकास अब एक अच्छी कंपनी में इंजीनियर था, प्रिया भी तरक्की कर रही थी। हर रविवार इंडिया गेट जाते, आइसक्रीम खाते, पार्क में खेलते। उनकी छोटी-सी दुनिया प्रेम से भरी थी।

फिर एक दिन, विकास के ऑफिस से बड़ी खबर आई—कंपनी उसे अमेरिका भेजना चाहती थी, दो-तीन साल के लिए। “यह हमारी जिंदगी बदल सकता है,” विकास ने कहा। प्रिया का दिल भारी हो गया, लेकिन उसने पति के सपनों को समझा। “अगर यही आपकी खुशी है तो जाइए, आर्यन और मैं इंतजार करेंगे।”

4. दूरी, दर्द और विश्वासघात

विकास के जाने के बाद पहले कुछ महीने ठीक गुजरे। रोज वीडियो कॉल, बातें, हंसी। लेकिन धीरे-धीरे कॉल्स कम होने लगीं। विकास का कहना था, काम का प्रेशर बहुत है। प्रिया समझ जाती, लेकिन आर्यन को समझाना मुश्किल था। “मम्मा, पापा हमें भूल तो नहीं गए?” प्रिया का गला भर आता।

फिर एक दिन सबसे बुरा दिन आया। डॉक्टर ने प्रिया को ब्लड कैंसर बताया। शुरुआती स्टेज थी, लेकिन इलाज महंगा था। प्रिया के पास पैसे नहीं थे। उसने विकास को फोन किया, “मुझे कैंसर है…” दूसरी तरफ लंबी चुप्पी थी। “प्रिया, मैं यहां शादी कर ली है एमी से। मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता था।”

प्रिया की दुनिया बिखर गई। कैंसर, अकेलापन, विश्वासघात। आर्यन ने मां को रोते देखा। “मम्मा, मैं आपका ख्याल रखूंगा।” प्रिया ने बेटे को गले लगाया, वही उसका सबसे बड़ा सहारा था।

5. पिता की क्रूर शर्त और बेटे का त्याग

पैसे खत्म हो रहे थे। प्रिया ने मजबूरी में पिता को फोन किया—छह साल बाद पहली बार। “पापा, मुझे इलाज की जरूरत है।” राजेश शर्मा ने कहा, “आओ, लेकिन अपने बेटे को छोड़कर। मैं गैर का खून अपने घर में नहीं चाहता।”

प्रिया का दिल टूट गया। आर्यन ने सब सुन लिया। “मम्मा, अगर आप नाना जी के पास चली जाएं तो आपका इलाज हो जाएगा?” “हां बेटा, लेकिन मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकती हूं?”

आर्यन ने अपने खिलौने, किताबें, कपड़े बेच दिए, ताकि मां का इलाज हो सके। फिर भी पैसे कम थे। एक दिन उसने देखा कि मम्मा बेहोश हो गई हैं। पड़ोसी आंटी ने अस्पताल पहुंचाया। इलाज के लिए पैसे नहीं थे।

6. छ साल का बेटा दिल्ली की सड़कों पर

आर्यन ने अस्पताल के पास कचरा बिनना शुरू किया। प्लास्टिक, कागज, धातु बेचकर कुछ पैसे कमाए। स्कूल जाना छोड़ दिया। मां के इलाज के लिए हर कोशिश की। एक दिन उसने अपने बर्थडे पर मां के लिए केक खरीदा, कचरे से कमाए पैसे से। “हैप्पी बर्थडे मम्मा। आप जल्दी ठीक हो जाइए।”

फिर उसने एक चिट्ठी लिखी—”मम्मा, मैं जा रहा हूं। आप नाना जी के पास चली जाइए, अपना इलाज कराइए। जब मैं बड़ा आदमी बनूंगा, तो वापस आऊंगा।”

सुबह प्रिया ने देखा, आर्यन गायब था। पुलिस को खबर दी गई, लेकिन आर्यन दिल्ली की सड़कों पर भटक रहा था। भूख, प्यास, डर, ठंड। एक मजदूर रामदीन ने उसे अपनाया, नाम बदलकर अर्जुन रख दिया।

7. हादसा, मेमोरी लॉस और नया जीवन

एक दिन ट्रक की टक्कर से अर्जुन को सिर पर चोट लगी। ऑपरेशन के बाद उसकी मेमोरी चली गई—ना मां, ना घर, ना नाम। बस एक रॉकेट जेब में था, जो पापा ने दिया था। रामदीन ने उसे अपना बेटा मान लिया। अर्जुन ने नया जीवन शुरू किया। पढ़ाई नहीं हो सकी, लेकिन मेहनत से काम सीखा। 12 साल की उम्र में छोटे-मोटे काम, 15 में फैक्ट्री में काम, 18 में कुशल कारीगर।

8. मां की तलाश और 20 साल की जुदाई

शिमला में प्रिया का इलाज हो गया। वह कैंसर फ्री थी, लेकिन आर्यन के बिना अधूरी। राजेश शर्मा ने देशभर में खोज करवाई, इनाम रखा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। साल बीतते गए—10, 15, 20 साल। प्रिया अब एक सफल बिजनेस वूमन थी, लेकिन हर साल बेटे के जन्मदिन पर अकेले केक काटती और रोती।

इधर अर्जुन दिल्ली में मेहनत कर रहा था। फैक्ट्री में काम, सपने, बचत। उसका सपना था—अपनी बेकरी खोलना। केक बनाने का हुनर था, लेकिन अतीत की याद नहीं थी।

9. पहचान का संघर्ष और अमीर लड़की का अपमान

फैक्ट्री में अर्जुन की मुलाकात प्रिया अग्रवाल से हुई—अमीर बिजनेसमैन की बेटी, इंजीनियरिंग स्टूडेंट। प्रिया ने अर्जुन से प्रोजेक्ट के लिए मदद ली। अर्जुन ने इनोवेटिव आइडियाज दिए, तकनीकी नॉलेज साझा किया। लेकिन जब कॉलेज में प्रेजेंटेशन का समय आया, प्रिया ने सारा क्रेडिट खुद ले लिया। अर्जुन का नाम कहीं नहीं लिया।

इंगेजमेंट पार्टी में सिक्योरिटी गार्ड्स ने अर्जुन को बेइज्जत किया। प्रिया ने मुंह फेर लिया। “यह तेरी औकात की जगह नहीं है।” अर्जुन का दिल टूट गया। उसने फैसला किया—अब अपनी मेहनत से आगे बढ़ेगा।

10. अवार्ड फंक्शन में सच्चाई का सामना

कुछ दिन बाद एक बड़ी कंपनी का अवार्ड फंक्शन था—प्रिया को बेस्ट इनोवेशन अवार्ड मिलने वाला था, उसी प्रोजेक्ट के लिए जिसमें अर्जुन ने मदद की थी। अर्जुन वहां गया, लेकिन सिक्योरिटी ने उसे फिर अपमानित किया। प्रिया ने स्टेज से उसे देख, गुस्से में सिक्योरिटी को बुलाया। रोहित और दोस्तों ने अर्जुन को मारा, तमाचा मारा, “तू एक गंदा फैक्ट्री वर्कर है।”

11. शर्मा इंडस्ट्रीज की सीईओ का हस्तक्षेप

तभी हॉल में एक आवाज गूंजी। “रुकिए!” सबने देखा, एक एलीगेंट लेडी, प्रिया शर्मा, शिमला की सबसे बड़ी बिजनेस वूमन। उसने अर्जुन के गले में लॉकेट देखा—वही लॉकेट जो उसने अपने बेटे आर्यन को दिया था। “यह लॉकेट कहां से मिला?” “मेरे पास बचपन से है।”

प्रिया शर्मा की आंखों में आंसू आ गए। “तुम्हारा क्या नाम है?” “अर्जुन, लेकिन मुझे असली नाम याद नहीं।”

12. डीएनए टेस्ट और पुनर्मिलन

प्रिया शर्मा ने अर्जुन को ऑफिस बुलाया। प्यार से पूछा, “बेटे, तुम्हें अपना चाइल्डहुड याद है?” “नहीं, एक्सीडेंट के बाद कुछ नहीं याद।” लॉकेट में प्रिया शर्मा की फोटो थी। “क्या तुम डीएनए टेस्ट करवाओगे?” “क्यों?” “क्योंकि मुझे लगता है तुम मेरे खोए हुए बेटे हो।”

तीन दिन बाद रिपोर्ट आई—99.9% मैच। प्रिया शर्मा ने अर्जुन को गले लगा लिया। “हां आर्यन, मेरे बेटे, 20 साल बाद तुम मिले हो।”

13. नई पहचान, नया जीवन

आर्यन अब करोड़पति बिजनेसमैन का बेटा था। लेकिन उसने रामदीन और सुनीता को भी अपने साथ रखा। “ये मेरे दूसरे पेरेंट्स हैं, जिन्होंने मुझे पाला है।”

प्रिया शर्मा ने उन्हें सम्मान दिया, बड़ा घर दिया, कंपनी में पोजीशन दी। आर्यन को अपनी पुरानी मेमोरी धीरे-धीरे लौटने लगी। उसने मां के लिए घर छोड़ा था, त्याग किया था।

14. समाज को लौटाना और सच्ची सफलता

शर्मा इंडस्ट्रीज के बोर्ड रूम में प्रिया शर्मा ने अनाउंसमेंट की—”आज से शर्मा इंडस्ट्रीज का नया हेयर मेरा बेटा आर्यन शर्मा है।” सब हैरान थे। आर्यन ने अपनी पहली इनिशिएटिव के रूप में आर्यन फाउंडेशन शुरू की—गरीब बच्चों की एजुकेशन और हेल्थ केयर के लिए।

रामदीन और सुनीता को नई जिंदगी मिली। आर्यन ने अपनी बेकरी का सपना भी पूरा किया—अब यह एक चैन थी, जहां अंडरप्रिविलेज्ड यूथ को ट्रेनिंग दी जाती थी।

15. माफ़ी, बदलाव और प्रेरणा

एक दिन प्रिया अग्रवाल ने आर्यन से माफी मांगी। “मैंने बहुत गलत किया था।” आर्यन ने उसे माफ कर दिया। “सक्सेस के लिए किसी और का हक मारना गलत है।”

रोहित और दोस्तों ने भी माफी मांगी। “हेट करना आसान है, प्यार करना मुश्किल।” आर्यन ने सबको माफ किया।

16. परिवार, शादी और नई शुरुआत

आर्यन ने अनीता से शादी की—मिडिल क्लास लड़की, एनजीओ में सोशल वर्कर। “मम्मा, मैं ऐसी लड़की से शादी करना चाहता हूं जो ह्यूमैनिटी को समझती हो।” शादी में रामदीन और सुनीता को सम्मान मिला। आर्यन का बेटा आदित्य हुआ। प्रिया शर्मा ने पहली बार पोते को गोद में लिया—”भगवान ने मुझे बेटे के साथ पोता भी दे दिया।”

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17. संघर्ष, सफलता और सच्ची खुशी

आर्यन ने अपनी कहानी “द लॉस्ट सन” नाम से बुक में लिखी। इनकम चैरिटी में दे दी। आर्यन फाउंडेशन देश की सबसे बड़ी ऑर्गेनाइजेशन बन गई। लाखों बच्चों की जिंदगी बदल रही थी। आर्यन को कई नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड्स मिले। लेकिन सबसे बड़ा अवार्ड—मां का प्यार।

हर रात सोने से पहले आर्यन अपनी मम्मा के पैर छूता, “मम्मा, आपने मेरे लिए जो कुछ सहा, मैं कभी नहीं भूल सकता।” प्रिया शर्मा उसे आशीर्वाद देती, “बेटा, भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे।”

समाप्त