एक करोड़पति यात्रा से लौटता है और पाता है कि उसकी नौकरानी उसकी बेटी को उसकी क्रूर पत्नी से बचा रही है… और वह हैरान रह जाता है!
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एक करोड़पति, उसकी बेटी और एक अनसुनी सच्चाई: ममता और बलिदान की कहानी
शहर के एक भव्य महल में करोड़पति व्यापारी नासिर कुरैशी रहते थे। उनकी दुनिया उनकी प्यारी बेटी हना थी, जो जन्म से ही बोल नहीं सकती थी। नासिर की पहली पत्नी लैला की मृत्यु के बाद उन्होंने दूसरी शादी की थी, लेकिन उनकी दूसरी पत्नी दालिया का स्वभाव बहुत कठोर था। हना को अक्सर दालिया की क्रूरता का सामना करना पड़ता था, लेकिन घर में एक मिस्री नौकरानी, मरियम, हमेशा हना की ढाल बनकर उसकी रक्षा करती थी।
एक रात, नासिर व्यापार यात्रा से अचानक लौट आए। जैसे ही उन्होंने घर का दरवाजा खोला, ऊपर से दबा हुआ रोने और चीखने की आवाज आई। वे दौड़ते हुए हना के कमरे में पहुंचे। वहां का दृश्य देखकर उनका दिल दहल गया। दालिया हाथ में ऊँची एड़ी की चप्पल लिए हना को मारने जा रही थी, जबकि मरियम अपनी जान की परवाह किए बिना हना को अपने शरीर से ढककर बचा रही थी। हना का पसंदीदा नीला फ्रॉक फटा हुआ था और बाल बिखरे थे। नासिर ने गुस्से में पूछा, “यह क्या हो रहा है?”
दालिया चिल्लाई, “यह बच्ची मुझे काटने लगी, जब मैंने इसकी गंदी तस्वीर छीननी चाही। यह नौकरानी इसे बिगाड़ रही है!” नासिर ने हना को मरियम की गोद से उठाया, तभी उसकी जेब से एक पुरानी, फटी तस्वीर गिर गई। उस तस्वीर में एक महिला थी, जो लैला नहीं थी। हना ने बिना आवाज के होंठ हिलाए, जैसे ‘माँ’ कह रही हो। नासिर हैरान रह गए—यह महिला कौन थी? और हना इसके बारे में क्यों इतना भावुक थी?
दालिया ने मरियम को घर से निकालने की धमकी दी, लेकिन नासिर ने मरियम को हना के साथ उसके कमरे में भेज दिया। उस रात नासिर सो नहीं सके। तस्वीर और हना की झुकी हुई आंखें उन्हें बेचैन कर रही थीं। उन्होंने मरियम के कमरे में जाकर देखा—हना मरियम के पास सो रही थी, लेकिन मरियम गायब थी। कमरे में एक छोटा सा ड्रॉइंग बुक मिला, जिसमें हना ने अपनी और एक महिला की तस्वीर बनाई थी। नासिर को शक हुआ कि हना शायद अपनी असली माँ के बारे में जानती है।
अगले दिन नासिर ने मरियम की तलाश शुरू की, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। दालिया ने बताया कि मरियम काम छोड़कर चली गई। नासिर ने हना से बात करने की कोशिश की, लेकिन वह सिर्फ उदास होकर दूर देखती रही। उसी शाम नासिर को एक अनजान नंबर से फोन आया—मरियम थी। उसने कहा, “हना खतरे में है। उसे बचाइए।” इससे नासिर और बेचैन हो गए।
नासिर ने उस अस्पताल का पता लगाया, जिसका मुहर तस्वीर पर थी। वहां जाकर उन्हें पता चला कि हना को ग्यारह साल पहले अस्पताल के बाहर लावारिस हालत में पाया गया था। उसकी असली माँ का कोई पता नहीं था। लैला ने ही उसे गोद लिया था, जब वह खुद गर्भपात के दर्द से जूझ रही थी। नासिर को समझ आया कि हना उनकी जैविक बेटी नहीं है, बल्कि लैला ने उसे छुपाकर गोद लिया था।
घर लौटने पर नासिर को पता चला कि दालिया ने हना को एक विशेष स्कूल में भेज दिया है, बिना उसकी अनुमति के। वह गुस्से में स्कूल गया, लेकिन वहां उसे बताया गया कि दालिया ने फर्जी दस्तावेज देकर हना को स्कूल में भर्ती कराया है और उसे बाहर नहीं ले जा सकते। नासिर ने मरियम को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह भी गायब थी।
एक दिन नासिर को मरियम के कमरे में एक पुराना पता मिला। वह वहां गया, लेकिन वह जगह अब खाली थी। लौटते समय उसे हना की एक ड्रॉइंग मिली, जिसमें तीन लोग थे—एक आदमी, एक औरत और एक बच्ची। हना ने इशारे से बताया कि उसका कोई गहरा रिश्ता मरियम से है। उसी समय नासिर को मरियम का फोन फिर आया—”हना को बचाइए, दालिया खतरनाक है!”
नासिर ने सबूत इकट्ठा किए और दालिया का सामना किया। दालिया ने स्वीकार किया कि लैला ने हना को गोद लिया था, क्योंकि उसका खुद का बच्चा मर गया था। दालिया ने नासिर को धमकी दी कि अगर उसने उसे तलाक दिया तो वह उसकी सारी संपत्ति छीन लेगी और हना को भी ले जाएगी। नासिर ने मरियम की तलाश जारी रखी।
कुछ दिनों बाद, पुलिस ने मरियम को चोरी के झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया। नासिर ने उसे छुड़वाया और उससे सच्चाई पूछी। मरियम ने बताया कि वह हना की असली माँ की जुड़वां बहन है। हना की असली माँ, सारा, युद्ध के दौरान मारी गई थी। मरियम ने वादा किया था कि वह अपनी बहन की बेटी की देखभाल करेगी। लेकिन बीमारी के कारण उसे हना को अस्पताल के बाहर छोड़ना पड़ा, और लैला ने उसे गोद ले लिया।
नासिर ने मरियम से कहा, “तुमने अपनी बहन का वादा निभाया। अब हना को तुम्हारी जरूरत है।” दोनों ने मिलकर हना को स्कूल से निकालने की कोशिश की, लेकिन दालिया ने हना को चुपके से अपने साथ ले लिया और विदेश भागने की योजना बनाई। नासिर और मरियम ने पुलिस की मदद ली और आखिरकार एयरपोर्ट पर दालिया को पकड़ लिया। हना को बेहोशी की हालत में पाया गया, क्योंकि दालिया ने उसे नींद की गोलियां दी थीं।
मरियम ने हना को सीने से लगाया, हना ने पहली बार आवाज निकाली, “मामा।” नासिर और मरियम दोनों की आंखों में आंसू थे। पुलिस ने दालिया को गिरफ्तार कर लिया। नासिर ने मरियम से कहा, “अब तुम हना की देखभाल करो, मैं तुम्हें परिवार का हिस्सा बनाना चाहता हूं।” मरियम ने खुशी से स्वीकार किया। हना धीरे-धीरे बोलना सीख गई, उसका डर खत्म होने लगा।
नासिर ने अपनी कंपनी बेच दी, और अपनी पूरी जिंदगी हना और मरियम के साथ बिताने का फैसला किया। मरियम अब सिर्फ नौकरानी नहीं थी, वह हना की असली परिवार थी। हना ने प्यार, सुरक्षा और अपनापन पाया। नासिर ने सीखा कि असली रिश्ते खून से नहीं, बल्कि दिल से बनते हैं। मरियम ने अपनी बहन का वादा निभाया, और नासिर ने अपनी बेटी को फिर से पा लिया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि ममता, बलिदान और सच्चे रिश्ते खून से नहीं, बल्कि प्यार और कर्म से बनते हैं।
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