एक बुजुर्ग शोरूम मे फरचूनर खरीदने गया तो मनेजर ने गरीब समझकर धके मारकर निकाला फिर जो हुवा…

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बुजुर्ग की कहानी: एक फॉर्च्यूनर खरीदने की कोशिश

प्रस्तावना

एक दिन, एक बुजुर्ग व्यक्ति, भगवत मेहता, एक चमचमाते शोरूम में फॉर्च्यूनर खरीदने के इरादे से पहुंचे। उनकी साधारण हुलिया और कपड़े देखकर वहां के कर्मचारियों ने उन्हें हल्के में लिया। लेकिन क्या उन्होंने सही किया? आइए जानते हैं इस दिलचस्प कहानी को।

शोरूम में प्रवेश

जब भगवत मेहता शोरूम में पहुंचे, तो वहां मौजूद सभी ग्राहकों की नजरें उन पर टिक गईं। किसी की आंखों में आश्चर्य था, तो किसी की आंखों में हल्की हंसी। भगवत मेहता ने अपनी पतली बांस की लाठी और छोटे से बैग के साथ आत्मविश्वास से कदम बढ़ाए। वह सीधे काउंटर की ओर बढ़े, जहां ममता नाम की एक महिला कर्मचारी मौजूद थी।

ममता का तिरस्कार

भगवत ने ममता से कहा, “बेटी, मैं फॉर्च्यूनर खरीदने आया हूं।” लेकिन ममता ने उनकी बात को अनसुना करते हुए कहा, “दादा, आप शायद गलत जगह आ गए हैं। यह फॉर्च्यूनर खरीदना आपके बस की बात नहीं है।” भगवत ने विनम्रता से कहा, “बेटी, एक बार मेरे पैसे देख लो।” लेकिन ममता ने फिर से उनकी अनदेखी की और अपने काम में लग गई।

इंतजार की घड़ियाँ

भगवत चुपचाप वहां खड़े हो गए और ममता से फिर से मिलने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “अगर तुम व्यस्त हो, तो मैनेजर को बुला दो।” ममता ने reluctantly फोन उठाया और मैनेजर अश्विनी को बुलाया। अश्विनी ने फोन पर ममता से कहा, “ऐसे लोगों के लिए मेरे पास समय नहीं है। इन्हें कोने में बैठा दो।”

भगवत मेहता कोने में जाकर बैठ गए। उनका चेहरा शांत था, लेकिन उनकी आंखों में गहराई थी। सभी लोग उन्हें घूरते रहे और उनके बारे में मजाक करते रहे। भगवत ने सबकी बातें सुनीं, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया।

सूरज की सहानुभूति

इसी बीच, सूरज नाम का एक युवा कर्मचारी वहां आया। वह साधारण परिवार से था और जानता था कि गरीबी क्या होती है। जब उसने भगवत को देखा, तो उसे बुरा लगा। वह तुरंत भगवत के पास गया और कहा, “बाबा, आपको क्या काम है?” भगवत ने कहा, “मुझे मैनेजर से मिलना है।” सूरज ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह मैनेजर से बात करेगा।

अश्विनी का अज्ञानता

सूरज ने मैनेजर अश्विनी से बात की, लेकिन अश्विनी ने उसे अनसुना कर दिया। उन्होंने कहा, “उसे कुछ देर बैठने दो, फिर चला जाएगा।” सूरज को यह सुनकर बुरा लगा, लेकिन वह कुछ नहीं कर सका।

भगवत का धैर्य

भगवत ने धैर्य रखा और तीन घंटे तक इंतजार किया। अंत में, उन्होंने फैसला किया कि उन्हें खुद ही मैनेजर से मिलना होगा। जब वह अश्विनी के पास पहुंचे, तो अश्विनी ने अकड़ते हुए पूछा, “क्या काम है?”

भगवत ने कहा, “मुझे फॉर्च्यूनर लेनी है।” अश्विनी ने हंसते हुए कहा, “आप जैसे लोगों के लिए मेरे पास समय नहीं है।” भगवत ने कहा, “ठीक है, मैं जा रहा हूं, लेकिन तुम्हें इसका पछतावा होगा।”

वापसी का पल

अगले दिन, सुबह 11 बजे, एक चमचमाती गाड़ी शोरूम के सामने रुकी। दो सिक्योरिटी गार्ड बाहर आए और भगवत मेहता, जो अब सूट-बूट में थे, बाहर निकले। सभी लोग अचंभित रह गए। भगवत ने अश्विनी को इशारा किया।

भगवत का खुलासा

भगवत ने कहा, “मैनेजर साहब, मैंने कहा था कि तुम्हें पछतावा होगा।” अश्विनी ने सोचा कि भगवत बस मजाक कर रहे हैं। लेकिन जब भगवत ने अपने काले ब्रिफकेस से कागजात निकाले, तो अश्विनी के होश उड़ गए। वह जान गया कि भगवत उस शोरूम का मालिक है।

सजा का समय

भगवत ने अश्विनी से कहा, “तुम्हें इस शोरूम का मैनेजर पद से हटा दिया गया है। सूरज को नया मैनेजर बनाया जा रहा है।” अश्विनी ने कहा, “आप होते कौन हैं मुझे हटाने वाले?” भगवत ने कहा, “मैं इस शोरूम का मालिक हूं। तुमने मेरे साथ जो व्यवहार किया, वह अस्वीकार्य है।”

सूरज की पदोन्नति

भगवत ने सूरज को बुलाया और कहा, “तुम इस पद के हकदार हो। तुमने मुझसे अच्छे तरीके से बात की।” सूरज ने खुशी से सिर झुकाया। भगवत ने ममता को भी फटकार लगाई और कहा, “किसी को कपड़ों से मत जज करो।”

निष्कर्ष

भगवत मेहता ने न केवल अपने अपमान का बदला लिया, बल्कि उन्होंने सभी कर्मचारियों को एक बड़ा सबक भी सिखाया। उन्होंने साबित कर दिया कि असली पहचान कपड़ों से नहीं, बल्कि व्यक्ति के चरित्र से होती है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें किसी भी व्यक्ति को उसके बाहरी रूप से नहीं आंकना चाहिए। हर व्यक्ति में कुछ खास होता है, और हमें उनकी इज्जत करनी चाहिए।

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